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सोमवार, 6 अप्रैल 2009

श्मशान


कंक्रीटों के जंगल में
गूँज उठते हैं सायरन
शुरू हो जाता है
बुल्डोजरों का ताण्डव

खाकी वर्दियों के बीच
दहशतजदा लोग
निहारते हैं याचक मुद्रा में
और दुहायी देते हैं
जीवन भर की कमाई का
बच्चों के भविष्य का

पर नहीं सुनता कोई उनकी
ठीक वैसे ही
जैसे श्मशान में

चैनलों पर लाइव कवरेज होता है
लोगों की गृहस्थियों के
श्मशान में बदलने का !!

30 टिप्‍पणियां:

KK Yadav ने कहा…

चैनलों पर लाइव कवरेज होता है
लोगों की गृहस्थियों के
श्मशान में बदलने का....Bahut Marmsparshi Abhivyakti hai.

Bhanwar Singh ने कहा…

Behad Samyik Kavita ke liye sadhuvad.

अनिल कान्त ने कहा…

बेहद प्रभावशाली रचना

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

Science Bloggers Association ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
रंजना ने कहा…

Katu yatharth ka sateek aur sundar chitran kiya hai aapne...sundar abhivyakti...aabhaar.

प्रेम सागर सिंह [Prem Sagar Singh] ने कहा…

बहुत हीं सुन्दर अभिव्यक्ति, कंक्रिट के जंगल की शोर प्राकृतिक जंगल का सफाया कर बना, इस पर भी कुछ पंक्तिया लिख डालिए। आभर आपका...

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत बढिया लिखा ... बधाई।

श्यामल सुमन ने कहा…

वाह। शब्द-बाण का बेहतर प्रयोग। किसी ने कहा है कि-

माना कि हम चमन को गुलजार न कर सके।
कुछ खार तो कम हुए गुजरे जिधर से हम।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Anil Pusadkar ने कहा…

जीती जागती तस्वीर खींच दी आपने।

rajesh singh kshatri ने कहा…

ठीक वैसे ही
जैसे श्मशान में

चैनलों पर लाइव कवरेज होता है
लोगों की गृहस्थियों के
श्मशान में बदलने का !!
बहुत बढिया ....

गर्दूं-गाफिल ने कहा…

क्या आपके जिलाधीश और मुख्यमंत्री यह ब्लॉग पढेंगे ?
यदि ऐसा है तो बडी बात हो जायेगी ।
मुझे लगता है कि आप इसे राष्ट्रपति ,प्रधान मंत्री ,मुख्यमंत्री ,खाद्य मंत्री ,को ई मेल करें । परिणाम मिलेगा । अभी चुनाव चल रहे हैं इसलिए भारत के निर्वाचन आयुक्त को भी यह शिकायत ई -मेल कर दें।
पोस्ट प्रभावी बन पडी है ,तथ्यात्मक भी है ।

गर्दूं-गाफिल ने कहा…

आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ । सम्वेदनशीलता और संस्कृति प्रेम कि झलक आपके आलेखों में देखी । आप कानपूर से हैं । गीता मिश्रा जी वहां एक सक्रिय संस्कृति सेवी हैं । वे सिक्छा विद भी है , सम्भव है आप उन्हें पहले से जानती हों ,आपकी लेखनी और ऊर्जा उनके साथ जुड़ कर दोनों को अधिक सकारात्मक सात्विक परिणाम देगी । यदि आप चाहेंगीं तो आपको उनका सम्पर्क उपलब्ध करा देंगे ।
आपका नवसंवत्सर ,और अथर्ववेद के प्रेम गीत ,बहुत अच्छे लगे । 1८५७ में नारियों का योगदान विषय का आलेख आपके इतिहास अध्ययन और मात्रु शक्ति के गौरव की झलक देता है । सहारा और अमर उजाला में यह दोनों आलेख मैंने देखे थे । आपजैसे लोगो को ऐसे विषयों पर अधिक लिख ने लिखाने की आवश्यकता है ।
शुभ कामनाओं सहित

गर्दूं-गाफिल ने कहा…

sorry, phle wali tippni galti se prkashit ho gayi hai .dusri tippni aapke liye hai .

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

सच कड़वा होता है...शमशान इक सच्चाई की दास्ताँ है. आप बेहद सुन्दर लिख रही हैं.

Poonam Agrawal ने कहा…

Katu satya....ek gaharai liye hue...badhai.....

शरद कुमार ने कहा…

चैनलों पर लाइव कवरेज होता है
लोगों की गृहस्थियों के
श्मशान में बदलने का
....पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ...अच्छा लगा. आपकी रचनाएँ बेहद प्रभावी हैं.

शरद कुमार ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
hem pandey ने कहा…

चैनलों पर लाइव कवरेज होता है
लोगों की गृहस्थियों के
श्मशान में बदलने का !!

-बाजारवाद का नंगा नाच.

Science Bloggers Association ने कहा…

अन्तिम पंक्तियों ने बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया। इन सार्थक पंक्तियों को रचनी वाली लेखनी को मैं सलाम करता हूं।

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खुशियों का विज्ञान-3
एक साइंटिस्‍ट का दुखद अंत

बेनामी ने कहा…

बेहद सार्थक और समसामयिक मुद्दा उठती कविता

बेनामी ने कहा…

बेहद सार्थक और समसामयिक मुद्दा उठती कविता

mark rai ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने ......
एक श्वेत श्याम सपना । जिंदगी के भाग दौड़ से बहुत दूर । जीवन के अन्तिम छोर पर । रंगीन का निशान तक नही । उस श्वेत श्याम ने मेरी जिंदगी बदल दी । रंगीन सपने ....अब अच्छे नही लगते । सादगी ही ठीक है ।

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

रचना बहुत अच्छी लगी।
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।आप मेरे ब्लाग
पर आएं,आप को यकीनन अच्छा लगेगा।

L.Goswami ने कहा…

आपकी रचना बेहद प्रभावी थी.

बेनामी ने कहा…

जब कंक्रीट के जंगलों का विस्‍तार जंगल की तर्ज पर होगा तो फिर ये भी होगा। आईना दिखाती एक रचना।

Science Bloggers Association ने कहा…

इन चंद लाइनों में आपने बहुत गूढ बात कह दी है। मैं आपकी लेखनी को सलाम करता हूं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! मेरे दूसरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है!

निर्झर'नीर ने कहा…

samajik chintan ko khoob kavy roop diya hai aapne..

yakinan kabil-e-tariif

vijay kumar sappatti ने कहा…

akaansha ji

antim panktiyon ne bahut kuch sochne par mazboor kar diya .. ye satya hai aur bahut kadua hai ... aapki lekhni ko salaam ...

is sajiv chitran ke liye aapko badhai ..

vijay
pls read my new sufi poem :
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/06/blog-post.html

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत बढिया लिखा ... बधाई।