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शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

कहाँ गईं तितलियाँ

आज मेरी नन्ही बिटिया अक्षिता ने मुझसे तितली के बारे में जानकारी चाही। मैंने सोचा कि उसे अपने लान में जाकर तितली दिखाऊ। पर वहाँ पर मुझे कोई तितली नहीं दिखी। फिर मैंने पार्क की ओर रूख किया, तो वहाँ बड़ी मुश्किल से मुझे तितली देखने को मिली। तितली देखते ही अक्षिता तो खुश होकर ताली बजाने लगी, पर मैं सोच में पड़ गई। हम लोग बचपन में तितलियाँ पकड़ने के लिए घंटों बगीचे में दौड़ा करते थे। उनके रंग-बिरंगे पंखों को देखकर खूब खुश हुआ करते थे। पर अब तो लगता है कि फिजाओं में उड़ते ये रंग ठहर से गए हैं। अब रंगों से भरी तितलियाँ सिर्फ किस्से-कहानियों और किताबों तक सिमट गई हैं। जो तितली घर-घर के आसपास दिखती थी वह न जाने कहाँ विलुप्त होती गई और बड़े होने के साथ ही हम लोगों ने भी इस ओर गौर नहीं किया। पर आज बिटिया अक्षिता ने तितली के प्रति मेरी उत्सुकता को और भी बढ़ा दिया।

वस्तुतः तितलियों के कम होने के पीछे दिन पर दिन कम होते पेड़-पौधे काफी हद तक जिम्मेदार हैं। यही नहीं, घरों के बगीचों में फूलों पर कीटनाशक का प्रयोग तितलियों के लिए बहुत घातक साबित हो रहा है। तितलियों का फिजा से गायब होना बड़ा शोचनीय है। यह बिगड़ते पर्यावरण की तस्वीर है। ऐसा माना जाता है कि जहाँ तितलियाँ दिखती हैं वहाँ का पर्यावरण संतुलित होता है। अगर बात तितलियों के विभिन्न स्वरूपों की तो डफर बैंडेड, डफर टाइगर, क्रो स्पाटेड, डार्की क्रिमलेट, एंगल डार्किन, लीज ब्लू, ओक ब्लू, ब्लू फूजी, टिट आरकिड, क्यूपिट मूर, सफायर, बटरलाई मूथ, रायल चेस्टनेट, पीकाक हेयर स्ट्रीक, राजा चेस्टनट और इम्परर गोल्डन जैसी तितलियाँ पर्यावरण को संतुलित रखने में खासा योगदान देती हैं। पर ये सभी धीरे-धीरे खत्म होती जा रही हैं।

ऐसे में आज के बच्चों से पूछिए तो उन्हें तितलियों के रंग किताबों में या फिर किसी श्रृंगार रस की कविता में ही दिखाई देते हैं। न उन्हें तितलियाँ दिखाई देती हैं न उन्हें पकड़ने के लिए वे लालायित रहते हैं। क्रिकेट, मूवी, कंप्यूटर गेम और इंटरनेट ही उनकी रंगीन दुनिया है। आखिर बच्चे भी क्या करें, शहर में कम होते पेड़ पौधों की वजह से तितलियों को अपना भोजन नहीं मिल पा रहा। घरों में जो लोग बागवानी करते हैं वो अपने पौधों को कीटों से बचाने के लिए उसके ऊपर कीटनाशक स्प्रे कर देते हैं। इससे फूल जहरीला बन जाता है और जब तितली पेस्टीसाइड ग्रस्त इस फूल का परागण करती है तो मर जाती है।

22 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Bahut din bad Titali par koi post padhi..bahut sahi likha hai apne.Apki soch men ham sab sahbhagi hain.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

Wonder ! Apne to bachpan ki yad fir se taja kar di.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

Wonder ! Apne to bachpan ki yad fir se taja kar di.

ओम आर्य ने कहा…

bahut hi badhiya

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सुंदर लिखा आपने. आपकी चिंता बिल्कुल सही है.

रामराम.

संगीता पुरी ने कहा…

बिल्‍कुल सही कहा !!

Udan Tashtari ने कहा…

बिल्कुल सही कहा!

Anil Pusadkar ने कहा…

तितली के पीछे भागना याद दिला दिया आपने।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बिलकुल सही लिखा आप ने .धन्यवाद

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी बात से सहमत हूँ।

KK Yadav ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
KK Yadav ने कहा…

तितलियों के बिना तो संसार ही सूना है. अभी भी कहीं तितली दिख जाती है तो सोचता हूँ कि उसके पीछे दौड़ पडूँ...

शरद कुमार ने कहा…

रंग बिरंगी तितलियाँ अब परी कथाओं सी लगती है. वो भी एक गाथा थी अब ये भी एक गाथा बन जायेगी. बहुत ही अच्छा लेख है.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Butterfly-Butterflu up in the sky....Really nice post.

Arvind Mishra ने कहा…

अरे मेरी प्रिय तितली मोनार्क का तो आपने जिक्र ही नहीं किया -वह दिन दूर नहीं जब तितलियाँ ही नहीं बाकी के जीव जंतु या तो अजायबघरों या फिर किताबों मे ही मिलेगें !
ईश्वर बस मानव तितलियों को बचाए रहे !

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

तितलियाँ पकड़ना बचपन का एक खास शौक होता है,
आपका लेख उन पुरानी बातों को ताज़ा कर दी.
अच्छा लगा...धन्यवाद

Sajal Ehsaas ने कहा…

titliyon ko ab kuch vdo games me shayd daala jaaye...par ab to games aur cartoons bhi bacho ke agressive aur nature se door le jaane wale ho gaye hai...

बेनामी ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
बेनामी ने कहा…

तितलियों का गायब होना मतलब बचपने का गायब होना...बेहद संवेदनशील होकर सोचने कि जरुरत है.

Bhanwar Singh ने कहा…

ऐसे में आज के बच्चों से पूछिए तो उन्हें तितलियों के रंग किताबों में या फिर किसी श्रृंगार रस की कविता में ही दिखाई देते हैं। न उन्हें तितलियाँ दिखाई देती हैं न उन्हें पकड़ने के लिए वे लालायित रहते हैं...Bahut sundar vishleshan.

बेनामी ने कहा…

बधाई

संजय भास्‍कर ने कहा…

बिल्कुल सही कहा!