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रविवार, 27 दिसंबर 2009

इन्दिरा गाँधी की तमन्ना थी कि उनको बेटी मिले

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चाहत थी कि उनकी एक पुत्री भी हो। ज्योति बसु को जवाहर लाल नेहरू ट्रस्ट से अभिभाषण के एवज में एक लाख सुपए सम्मान राशि और अन्य खर्च के लिए 1998 में प्रदान किए गए थे। ऐसे ही कुछ अनछुए पहलुओं का खुलासा पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह की हाल ही में प्रकाशित अंग्रेजी पुस्तक 'योवर्स सिंसीयरली' में किया गया है। पुस्तक में नटवर सिंह के कई नामी हस्तियों के साथ पत्र व्यवहार संकलित हैं। इनमें इंदिरा गांधी, पीएन हक्सर, एचवाई शारदा प्रसाद, विजय लक्ष्मी पंडित, राजीव गाँधी, ईएम फोस्टर, एम गोर्डीमेर और मुल्कराज आनंद के साथ उनके पत्राचार के विवरण शामिल हैं।

पुस्तक में नटवर सिंह ने कई महत्वपूर्ण और अनछुई जानकारियों का खुलासा किया है। जैसे कि एक पत्र में इंदिरा गांधी ने उन्हें लिख था कि 'चीन क्या सोचता या कहता है, यह महत्वपूर्ण नही है, महत्वपूर्ण यह है कि क्या करता है ? इस दृष्टि से वह उम्मीद के अनुरूप अभी भी है।

1975 में गुजरात विधानसभा भंग करने की मांग पर पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की मांग से क्षुब्ध होकर इंदिरा गाँधी ने नटवर सिंह को कए पत्र लिखा था। उस समय वे लंदन में वे उप उच्चायुक्त थे। इस पत्र में लिखा था, 'हमने मोरारजी की मांग अंशत: मान ली है.. कि कितनी मूर्खतापूर्ण बात थी इस तरह का अनशन और हमें उनकी मांग मानना.. तब भी हम काफी कठिन स्थिति में थे। मोरारजी के देहान्त के बाद के परिदृश्य के बारे में सोचकर चिंतित थे। मैं इस बात से काफी स्तब्ध थी कि कुछ (विपक्षी दल) लोगों के दावे के अनुसार उनके देहान्त के बाद विपक्ष की एकता की राह साफ हो जाएगी।'

आंध्र प्रदेश में तेलंगाना की मांग के चन्द्रशेखर राव के हाल के अनशन के अवसर पर इंदिरा गांध के पत्र का स्मरण होता है। पत्राचार में इंदिरा गांधी के मजाकिया व्यक्तित्व की झलक जनवरी, 1970 में उनके पत्र से मिलती है जब नटवर सिंह रीढ़ की हड्डी में स्लिप डिस्क से परेशान थे। इंदिरा गाँधी ने उन्हें लिखा था कि केपीएस मेनन जब ऐसी ही स्थिति में थे तो अजन्ता की गुफा के चित्रों की मुद्रा में वे कैसे कलात्मक ढंग से खड़े होते थे। नटवर सिंह की पुत्री हुई तो उन्हें बधाई देते हुए इंदिरा गाँधी ने पत्र में लिखा था कि उनकी तमन्ना थी कि उन्हें भी एक लड़की होती। भाकपा नेता हीरेन मुखर्जी का एक पत्र इस संकलन में है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि क्या यह सच है ज्योति बसु ने जवाहरलाल नेहरू ट्रस्ट से लेक्चर देने के लिए एक लाख रुपए और अन्य खर्च लिए थे।

12 टिप्‍पणियां:

Amit Kumar Yadav ने कहा…

महत्वपूर्ण जानकारी...इंदिरा जी का अभी भी कोई जवाब नहीं.

Unknown ने कहा…

इंदिरा गाँधी जी जानती थीं कि आने वाला कल लड़कियों का है.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

पता नहीं नटवर सिंह चापलूसी कर रहे हैं है या सच्चाई बयां कर रहे हैं...पर इंदिरा गाँधी का कोई सानी नहीं.

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

राज भाटिय़ा ने कहा…

पता नही इन सब राज नीति के खिलाडियो के चक्कर,अगर लडकी भी होती तो कोन सी गरीबी खत्म होती भारत की???

बेनामी ने कहा…

बिटिया न सही पौत्री प्रियंका तो लड़की हुई, जो अपनी दादी पर गई है.

बेनामी ने कहा…

बिटिया न सही पौत्री प्रियंका तो लड़की हुई, जो अपनी दादी पर गई है.

Shyama ने कहा…

फिर तो अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजौ.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

देखा पत्रों की दुनिया में बहुत कुछ छुपा है, इसीलिए तो कहता हूँ की चिट्ठी-पत्र लिखते रहिये.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Pahli bar ye jankari mili, par achhi soch hai.

KK Yadav ने कहा…

राज खोलो अभियान.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

राजनेताओं की बात में भी प्रतिघात छुपा होता है. बहुत कुछ तो पब्लिसिटी स्टंट मात्र होता है.