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मंगलवार, 2 मार्च 2010

जहां मुट्ठी में

अक्सर हम लोग चर्चा में कहते हैं कि इस दुनिया में कुछ भी मुश्किल नहीं है. यदि व्यक्ति चाहे तो धरती क्या असमान भी मुट्ठी में समां सकता है. भले ही यह बात प्रतीकात्मक हो, पर इस चित्र को देखकर तो यही लगता है मानो जहां मुट्ठी में समा गया हो !!

12 टिप्‍पणियां:

Urmi ने कहा…

बहुत खूब! बिल्कुल सही फ़रमाया है आपने!

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

SAHEE KH RHEE HAI,BAHUT SUNDR.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

मान गए आपकी कल्पना शक्ति को आकांक्षा जी..अद्भुत !!

Shyama ने कहा…

इसे कहते हैं कवि की उड़ान. बहुत सुन्दर चित्र.

Bhanwar Singh ने कहा…

बात में दम है..ग्रेट.

Bhanwar Singh ने कहा…

बात में दम है..ग्रेट.

बेनामी ने कहा…

बहुत खूब आकांक्षा जी, आप तो आसमां को भी जमीं पर उतार लाई. बधाई हो.

Shahroz ने कहा…

Beautifull Expression...!!

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

हिम्मत और जज़्बा क्या नहीं कर सकते ,,,
एक सटीक सन्देश.
- विजय

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब आकांक्षा जी,

S R Bharti ने कहा…

Ashcarya,
Hatheli per adbhut drshya
Manmohak laga.

raghav ने कहा…

सुन्दर सोच..अद्भुत कल्पनाशीलता.