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मंगलवार, 3 अगस्त 2010

बारिश का मौसम और भुट्टे की सोंधी खुशबू

बारिश का मौसम हो और भुट्टे (मक्का) की चर्चा न हो तो बात अधूरी लगती है। सड़क के किनारे खड़े होकर ठेले से भुट्टा लेने की बात याद आते ही आग पर सेंके हुए भुट्टे की सोधी खुशबू और भुट्टे पर बड़े मन से लगाये गये नीबू-नमक का अंदाज ही निराला होता है।

पीले रंग का भुट्टा देखते ही अभी भी दिल मचल जाता है। वस्तुतः भुट्टे में कैरोटीन की मौजूदगी के कारण यह पीला होता है। भुट्टे (मक्का) को गरीबों का भोज्य पदार्थ भी कहा जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट की अधिकता होती है तथा खनिज और विटामिन जैसे पोटेशियम, फासफोरस, आयरन और थायसीन जैसे तत्व भी होते हैं। वैसे भी विश्व में गेहूँ के बाद सबसे ज्यादा उत्पादन मक्के का ही होता है। इतिहास में झांके तो मक्के के उत्पादन की शुरूआत मैक्सिको में वहाँ के मूल निवासियों द्वारा 10,000 वर्ष पूर्व की गई थी।

उद्योगों में मक्के (भुट्टे) के प्रचुर इस्तेमाल और इसकी फूड वेल्यू के कारण मक्का विश्व की महत्वपूर्ण फसलों में से एक है। भुट्टे को खाने का अंदाज निराला है और इसमें कई पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। भुट्टा स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमन्द है। भुट्टे में एंटी आॅक्सीडेंट की अधिकता होती है, साथ ही इसके दानों को पकाने से फूलिक एसिड मिलता है जो शरीर की कैंसर से लड़ने की क्षमता को मजबूत करता है। भुट्टे से बनने वाला ऐसे में इसके सेवन से हृदय रोगों व कैंसर की संभावना कम हो जाती है। कार्न आयल कोलेस्ट्राल कम करने में मद्दगार होता है, अतः हृदय रोगियों हेतु काफी फायदेमन्द होता है। इस कार्न आयल में पाली अंसतृप्त फैटी एसिड (55 प्रतिशत), मोनो अंसतृप्त फैटी एसिड (32प्रतिशत) होता है। पर भुट्टा सबके लिए मुफीद भी नहीं होता क्योंकि इसमें ग्लाइकेमिक इंडेक्स (ब्लड शुगर बढ़ाने की क्षमता वाला तत्व) की मात्रा ज्यादा होती है, अतः डायबिटीज के रोगियों को इससे ज्यादा दिल नहीं लगाना चाहिए।

तो चलिए बारिश के मौसम में भुट्टे का मजा लेते हैं.....

26 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत खुब जी भुट्टॆ की याद भी ताजा कर दी, हमारे यहां यह लोग भुटे को उबाल कर खाते है ओर हम इसे भुन कर, पहले पहल लोगो ने हमे अजीब देखा लेकिन जब हमारे संग उन्होने भुट्टे कॊ खाया तो अब खुद भी भुनने लग गये.
धन्यवाद

खबरों की दुनियाँ ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अभी भुट्टा मँगाते हैं बाहर से।

खबरों की दुनियाँ ने कहा…

आपका ब्लॉग खुलते ही भुट्टे की सोंधी खुशबू से महक उठा मन । सोंधी खुशबू ने तो भुट्टे खाने को ललचा दिया । अच्छा लगा । बधाई । - आशुतोष मिश्र , रायपुर

Arvind Mishra ने कहा…

देखते ही मन मचल उठा ,बताईये अब क्या करूँ-अब तुरंत कहाँ से ऐसा जौनपुरी भुट्टा लाऊँ ?
बहुत ज्यादती है..बहुत !

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

तो क्या पोर्ट ब्लेयर आना पड़ेगा....???

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बढ़िया जानकारी देती अच्छी पोस्ट ..भुट्टे दिखा कर ललचा ही दिया ..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

रिमझिम सावन बरसता, पुरवाई का जोर।
मक्का की सोंधी महक, फैली है चहुँ ओर।।
--
http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/235.html

अजय कुमार ने कहा…

याद आया बारिश में छाता लगा कर नमक और नींबू लगा भुट्टा खाना ।

vedvyathit ने कहा…

bhtte dekh kr to munh me pani aa gya
aakanksha ji pr in me niboo ke sath nmk bhi to lgao
pr meri dhrm ptni ko bina niboo nkm ke hi bhutte jyada achche lgte hain
lok ya deshj vstyuon se jn samany ka judav bda jroori hai kyon ki ritu ki vstuyen hi atyadhik labhkari hoti hain ve mnhge bemausmi flon se khin adhik paushtik hoti hain
achchha hai
fir milte hain
dr. ved vyathit
email -dr.vedvyathit@gmail.com

अजय कुमार झा ने कहा…

हां सच कहा आपने , बारिश में भुट्टों का आनंद तो नैसर्गिक आनंद की तरह होता है । यहां राजधानी में तो इसकी बहार देखते ही बनती है ..........बस मुई ये बारिश ही नहीं होती

Dev ने कहा…

भुट्टॆ के बारे में बहुत बढ़िया जानकारी दिया आपने .....

विजयप्रकाश ने कहा…

उपयोगी जानकारी के लिये आपका धन्यवाद.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

बहुत खूब..भुट्टों को खाने का अंदाज ही निराला है. अच्छी जानकारी.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

बहुत खूब..भुट्टों को खाने का अंदाज ही निराला है. अच्छी जानकारी.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

यह तो बहुत बढ़िया है. अब मुझे भी भुट्टे चाहिए....

रचना दीक्षित ने कहा…

भुट्टॆ के बारे में बहुत बढ़िया जानकारी भुट्टे दिखा कर ललचा ही दिया ..

संजय भास्‍कर ने कहा…

भुट्टॆ के बारे में बहुत बढ़िया जानकारी दिया आपने ....

Unknown ने कहा…

ललचा गया मन. देखते हैं इलाहाबाद में अभी भुट्टे कहाँ मिलेंगें...

Unknown ने कहा…

ललचा गया मन. देखते हैं इलाहाबाद में अभी भुट्टे कहाँ मिलेंगें...

Ashish (Ashu) ने कहा…

जगबिल्कुल सही कहा आपने मॆने इस गांव के खेत मे एक बीघे भुट्टा ही लगवाया था..ऒर अब इस समय खुब भुट्टा खाया जा रहा हॆ पर भुट्टे का सही स्वाद धीमी आच पर भूनने के बाद ही आता हॆ...यहा गाव से भुट्टा तो आ जाता हॆ पर गाव का चूल्हा नही आ सकता तो यहा हीटर की ही आच पर..भुट्टे का स्वाद ले लेते हॆ

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

आग पर सेंके हुए भुट्टे की सोधी खुशबू और भुट्टे पर बड़े मन से लगाये गये नीबू-नमक का अंदाज ही निराला होता है...Yami-yami.

Akanksha Yadav ने कहा…

...लगता है आप सभी को ये भुट्टे बहुत पसंद आये...बहुत-बहुत आभार.

Bhanwar Singh ने कहा…

भुट्टे तो हमें बहुत पसंद हैं...रोचक जानकारी..आभार.

Shahroz ने कहा…

अब इतनी सुबह भुट्टे कहाँ से लाऊ ..मन ललचा कर रह गया.

Unknown ने कहा…

Season चल रहा है और खा भी रहे है