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बुधवार, 29 अगस्त 2012

’दशक के श्रेष्ठ ब्लागर दम्पत्ति' के रूप में कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव सम्मानित

जीवन में कुछ करने की चाह हो तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं। हिन्दी-ब्लागिंग के क्षेत्र में ऐसा ही रास्ता अखि़्तयार किया कृष्ण कुमार यादव व आकांक्षा यादव ने। 2008 में अपना ब्लागिंग-सफर आरंभ करने वाले इस दम्पत्ति को परिकल्पना समूह द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ’’दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’’ के रूप में सम्मानित किया गया है। इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं पद पर पदासीन कृष्ण कुमार यादव हिन्दी-साहित्य में एक सुपरिचित नाम हैं, जिनकी 6 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । उनके जीवन पर एक पुस्तक ’बढ़ते चरण शिखर की ओर’ भी प्रकाशित हो चुकी है। आकांक्षा यादव भी नारी-सशक्तीकरण को लेकर प्रखरता से लिखती हैं । साहित्य के साथ-साथ ब्लागिंग में भी हमजोली यादव दम्पत्ति को 27 अगस्त, 2012 को लखनऊ में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर सम्मेलन में 'दशक के श्रेष्ठ ब्लागर दम्पत्ति’ का अवार्ड दिया गया। मुख्य अतिथि श्री श्री प्रकाश जायसवाल केन्द्रीय कोयला मंत्री की अनुपस्थिति में यह सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार उदभ्रांत, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक शैलेन्द्र सागर आदि ने संयुक्त रूप से दिया।

गौरतलब है कि हिंदी ब्लागिंग का आरंभ वर्ष 2003 में हुआ और इस पूरे एक दशक में तमाम ब्लागरों ने अपनी
अभिव्यक्तियों को विस्तार दिया। पर कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव ने वर्ष 2008 में ब्लाग जगत में कदम रखा और 5 साल के भीतर ही सपरिवार विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लाग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लागिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लागिंग को भी नये आयाम दिये। इन दम्पत्ति के ब्लागों को सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भरपूर सराहना मिली। कृष्ण कुमार यादव के ब्लाग ’डाकिया डाक लाया’ को 94 देशों, ’शब्द सृजन की ओर’ को 70 देशों, आकांक्षा यादव के ब्लाग ’शब्द शिखर’ को 66 देशों और इस ब्लागर दम्पत्ति की सुपुत्री एवं पिछले वर्ष ब्लागिंग हेतु भारत सरकार द्वारा ’’राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’’ से सम्मानित अक्षिता (पाखी) के ब्लाग ’पाखी की दुनिया’ को 94 देशों में देखा-पढ़ा जा चुका है।

उमानाथ बाली प्रेक्षागृह, कैसर बाग, लखनऊ में आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में न्यू मीडिया की संभावना एवं चुनौतियों को लेकर तमाम सेमिनार हुये। ’न्यू मीडिया के सामाजिक सरोकार’ विषय आधारित सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में कृष्ण कुमार यादव ने ब्लागिंग को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की बात कही और एक माध्यम के बजाय इसके विधागत विकास पर जोर दिया।

इस दम्पत्ति को सम्मानित किये जाने के अवसर पर देश-विदेश के तमाम ब्लागर, साहित्यकार, पत्रकार व प्रशासक उपस्थित थे। प्रमुख लोगों में मुद्रा राक्षस, वीरेन्द्र यादव, पूर्णिमा वर्मन, रवि रतलामी, रवीन्द्र प्रभात , जाकिर अली ’रजनीश’, शिखा वार्ष्णेय, सुभाष राय इत्यादि प्रमुख थे।
(साभार : राष्ट्रीय सहारा, 29 अगस्त, 2012)

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर सम्मलेन, लखनऊ की सुनहरी यादें...

'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर सम्मलेन' एवं 'परिकल्पना सम्मान समारोह' अंतत: 27 अगस्त, 2012 को उमानाथ बाली प्रेक्षागृह, कैसर बाग, लखनऊ में भव्यता के साथ संपन्न हुआ. यह सम्मेलन तस्लीम एवं परिकल्पना समूह द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। पिछले साल हिंदी भवन, नई दिल्ली में प्रथम 'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर सम्मलेन' एवं 'परिकल्पना सम्मान समारोह' हुआ था, जिसमें उत्तरांचल के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक मुख्या अतिथि थे और साथ में अशोक चक्रधर, डा. रामदरश मिश्र, प्रभाकर श्रोतिय जैसे विद्वत -जनों की गौरवमयी उपस्थिति.उस समय हमारी बेटी अक्षिता (पाखी) को 'वर्ष के श्रेष्ठ नन्हा ब्लागर' अवार्ड से सम्मानित किया गया था, पर कुछेक कारणोंवश हम कार्यक्रम में शामिल न हो सके. उस समय हम पोर्टब्लेयर, अंदमान में थे. इस बार कार्यक्रम लखनऊ में था और अब हम इलाहबाद में थे, सो भला कैसे चूक सकते थे. इस अवसर पर हमें ’दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर' के सम्मान से भी नवाजा गया, आप सभी के स्नेह और शुभकामनाओं के लिए बेहद आभारी हैं हम. न्यू मीडिया और ब्लागिंग से जुड़े तमाम लोगों से साक्षात् मुलाकात अपने आप में एक अविस्मरनीय अनुभव था. रविन्द्र प्रभात और जाकिर अली 'रजनीश' ने अपने स्तर पर कार्यक्रम की शानदार मेजबानी की और लखनऊ की तहज़ीब से भी लोगों को रूबरू कराया. देश-विदेश से तमाम ब्लागर जुटे, चर्चाएँ हुईं, पुस्तकें-पत्रिकाएं विमोचित हुईं, सम्मान मिले, मुलाकातें हुईं...और अब रह गई खूबसूरत यादें. ऐसे ही कुछेक यादों को हमने भी अपने कैमरे में सहेजा और आप सभी के साथ शेयर कर रहे हैं.
(दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उदघाटन करते वरिष्ठ साहित्यकार उद्भान्त, साथ मे शिखा वार्ष्णेय,गिरीश पंकज,रणधीर सिंह सुमन और रवीन्द्र प्रभात)
('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव को सम्मानित करने की उद्घोषणा करते परिकल्पना समूह के संयोजक रविन्द्र प्रभात)
('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव को सम्मानित करते वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक व कथा क्रम के संपादक शैलेन्द्र सागर. साथ में परिलक्षित हैं वरिष्ठ पत्रकार सुभाष राय और लंदर की पत्रकार और ब्लागर शिखा वार्ष्णेय).
('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव के सम्मान के बाद ब्लागिंग हेतु 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' विजेता बिटिया अक्षिता (पाखी) को बुके देकर सम्मानित करते पूर्व पुलिस महानिरीक्षक व कथा क्रम के संपादक शैलेन्द्र सागर)
('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में सम्मानित होते कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा और साथ में पुत्री अक्षिता (पाखी). मंच पर दिख रहे हैं- डॉ सुभाष राय, वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत, कथा क्रम के संपादक शैलेंद्र सागर, सुश्री शिखा वार्ष्णेय)('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव को प्राप्त सम्मान)
('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव को प्राप्त प्रमाण-पत्र)
( 'दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में सम्मानित होने के बाद कृष्ण कुमार यादव का संबोधन. साथ में परिलक्षित हैं कार्यक्रम के संचालक ब्लागर हरीश अरोड़ा)
('दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’ के रूप में सम्मानित होने के बाद कृष्ण कुमार यादव का आभार-उद्बोधन और मंचस्थ दिख रहे हैं- डॉ सुभाष राय,सुश्री शिखा वार्ष्णेय,वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत, कथा क्रम के संपादक शैलेंद्र सागर, डॉ अरविंद मिश्रा, गिरीश पंकज)
(दशक के ब्लागर के रूप में सम्मानित होने के बाद सभी ब्लागर्स का समूह-फोटोग्राफ. क्रमश : कृष्ण कुमार यादव, आकांक्षा यादव, पूर्णिमा वर्मन, रविन्द्र प्रभात, बी. एस. पाबला, अविनाश वाचस्पति और रवि रतलामी. मंचस्थ दिख रहे हैं- हरीश अरोड़ा, डॉ सुभाष राय, अक्षिता (पाखी), सुश्री शिखा वार्ष्णेय, डॉ अरविंद मिश्रा, वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत, कथा क्रम के संपादक व पूर्व पुलिस महानिरीक्षक शैलेंद्र सागर)
( बेटी अपूर्वा के साथ साहित्यकार-ब्लागर आकांक्षा यादव, अनुभूति-अभिव्यक्ति वेब पत्रिका की संपादक पूर्णिमा वर्मन (संयुक्त अरब अमीरात), 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' विजेता व पिछले साल 'श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर' से सम्मानित अक्षिता (पाखी), इलाहबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाए व साहित्यकार-ब्लागर कृष्ण कुमार यादव व ब्लागर एवं बाल -साहित्यकार डा. जाकिर अली रजनीश)
( देश-विदेश से पधारे तमाम ब्लागर्स)
(ब्लागर-त्रय्यी : डा. मनीष कुमार मिश्र, कृष्ण कुमार यादव, डा. कुमारेन्द्र सिंह 'सेंगर')
(मुलाकात : पत्रकार आलोक पराड़कर, चर्चित समालोचक वीरेंदर यादव, कृष्ण कुमार यादव)
(भोजनावकाश के बाद की संगोष्ठी : न्यू मिडिया की भाषाई चुनौतियाँ और सामाजिक सरोकार. मंचासीन हैं- ब्लागर राजेश राय, इलाहबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव, 'अनुभूति-अभिव्यक्ति' वेब पत्रिका की संपादक पूर्णिमा वर्मन (संयुक्त अरब अमीरात), उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान के निदेशक सुधाकर अदीब और 'रचनाकार' के संपादक रवि रतलामी)
(इलाहबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव का स्मृति-चिन्ह और पुष्प-गुच्छ देकर स्वागत)
('हिंदी ब्लागिंग : स्वरुप, व्याप्ति और संभावनाएं' के संपादक डा. मनीष कुमार मिश्र का रविन्द्र प्रभात द्वारा सम्मान. मंचस्थ हैं-ब्लागर राजेश राय, इलाहबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव, 'अनुभूति-अभिव्यक्ति' वेब पत्रिका की संपादक पूर्णिमा वर्मन (संयुक्त अरब अमीरात), उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान के निदेशक सुधाकर अदीब और 'रचनाकार' के संपादक रवि रतलामी)
(ब्लागर शेफाली पाण्डेय का सम्मान करते उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान के निदेशक सुधाकर अदीब और साथ में परिलक्षित हैं इलाहबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव, 'अनुभूति-अभिव्यक्ति' वेब पत्रिका की संपादक पूर्णिमा वर्मन (संयुक्त अरब अमीरात), और 'रचनाकार' के संपादक रवि रतलामी)

प्रस्तुति : कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव

























मंगलवार, 21 अगस्त 2012

वेब-पत्रिकाओं और ब्लॉग से चोरी हो रही हैं रचनाएँ : मुंबई से प्रकाशित 'संस्कार' पत्रिका का कारनामा









यदि आप इंटरनेट पर विभिन्न वेब-पत्रिकाओं, ई-पत्रिकाओं और ब्लॉग पर अपनी रचनाओं को प्रकाशित कर रहे हैं तो बेहद सावधान और सतर्क रहने रहने की जरुरत है. क्योंकि यहाँ से आपकी रचनाओं की चोरी करना बहुत आसान है. कुछेक पत्र-पत्रिकाएं गूगल पर सर्च करती हैं, वांछित सामग्री तलाशती हैं और फिर बड़े गर्व के साथ दूसरों की रचनाएँ और आलेख अपनों के नाम से प्रकाशित कर देती हैं. ऐसे हादसे तमाम ब्लागर्स के साथ हुए हैं और हो रहे हैं. जब उन पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों से पूछिये तो एक ही रटा-रटाया जवाब मिलता है कि हमारे पास किसी भी रचना कि मौलिकता जाँचने का कोई माध्यम नहीं है. पर जब यही हरकत खुद किसी पत्रिका के संपादक-मंडल के लोग ही करने लगें तो फिर उन्हें कोई जवाब नहीं सूझता. पिछले दिनों मुझे भी एक ऐसे ही अजीबोगरीब वाकये से रु-ब-रु होना पड़ा.

मुंबई से एक महिला- पाठक ने 'संस्कार' (अगस्त-2012 नामक एक पत्रिका मेरे पास भेजी और बताया कि आजादी की वीरांगनाओं पर आपका आलेख इस पत्रिका में किसी अन्य ने अपने नाम से प्रकाशित कराया है, जो कि सरासर चोरी है. जब मैंने इस आलेख को पढ़ा तो मैं भी हतप्रभ रह गई. हमारे द्वारा वर्ष 2007 में सम्पादित पुस्तक 'क्रांति-यज्ञ : 1857 -1947 की गाथा" पुस्तक में प्रकाशित मेरा आलेख ''वीरांगनाओं ने भी जगाई स्वाधीनता की अलख", जो कि वेब-पत्रिका 'साहित्य शिल्पी' ( http://www.sahityashilpi.com/2009/03/blog-post_9638.html) में 7 मार्च, 2009 को ''आजादी के आन्दोलन में भी अग्रणी रही नारी [आलेख] - आकांक्षा यादव'' शीर्षक से प्रकाशित हो चुका है और मेरे व्यक्तिगत ब्लॉग 'शब्द-शिखर' पर भी उपलब्ध है, को इस पत्रिका ने किसी दूसरे व्यक्ति के नाम से शब्दों में थोडा फेर-बदल के साथ प्रकाशित किया था.

मुंबई से प्रकाशित इस 'संस्कार' नामक पत्रिका ने अपने अगस्त 2012 अंक में पृष्ठ संख्या 38 -40 पर नारी संस्कार के तहत 'ग़दर की नायिकाएं" शीर्षक से मेरा उपरोक्त आलेख कापी (चोरी) कर किसी कमलेश श्रीवास्तव के नाम से प्रकाशित किया है. जब इस पत्रिका के संपादक-मंडल को जानना चाहा तो पता चला कि ये तथाकथित लेखक ''कमलेश श्रीवास्तव'' स्वयं इसी पत्रिका के सहायक संपादक हैं. बड़ा अचरज हुआ कि पत्रिका के संपादक-मंडल का एक सदस्य खुद इंटरनेट से आलेख चोरी कर अपने नाम से प्रकाशित करवा रहा है. एक व्यावसयिक समूह ''संस्कार इन्फो टी. वी. प्रा. लि.'' द्वारा संचालित इस पत्रिका ने अपने संपादन मंडल में अच्छी खासी नामों की सूची दे रखी है. आप भी गौर कीजिये- समूह संपादक- कृष्ण कुमार पित्ती/ संपादक - सर्वेश अस्थाना/ सहायक संपादक- राजवीर रतन सिंह, कमलेश श्रीवास्तव/ परामर्शदाता-शैलेश लोढा/ अन्तराष्ट्रीय समन्वयन - डा. सुधा ओम धींगरा/ अमेरिका - डा. अनीता कपूर.

बड़े खेद के साथ लिखना पड़ रहा है कि कुछ तथाकथित लेखक जो खुद तो सृजन नहीं कर सकते, दूसरों के सृजन को कापी-पेस्ट और चोरी कर अपने नाम से प्रकाशित कर लेखन होने का दंभ पल रहे हैं. पत्रिका का नाम पढ़कर अहसास होता है कि यह 'संस्कार' को बढ़ावा देती होगी पर यह तो रचनाधर्मिता के स्तर पर चौर्य-प्रवृत्ति को बढ़ावा देकर कुसंस्कारों को बढ़ावा दे रही है. ऐसी पत्रिकाएं किसी व्यावसायिक समूह द्वारा आरंभ भले ही हो गई हैं, पर सृजन से उनका कोई सरोकार नहीं लगता. दूसरों की रचनाओं को चुराकर यदि स्वयं संपादक-मंडल के सदस्य ही अपने नाम से प्रकाशित करवाने लगें तो यह तो 'बाड़ द्वारा खेत खाने की कहावत' को चरितार्थ करता है.बड़े शर्म की बात है कि 'नारी-संस्कार' के नाम पर एक व्यक्ति एक नारी का आलेख चुराकर अपने नाम से प्रकाशित करवा रहा है. दुर्भाग्यवश हिंदी-साहित्य का नाम बदनाम करने में ऐसे लोगों की प्रखर भूमिका है. ऐसे लोगों के लिए सिर्फ यही कहा जा सकता है कि -''ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दें, कुछ लिखने का हुनर दें ताकि वे दूसरों के आलेखों को चुराकर अपने नाम से न प्रकाशित करवाएं !!'' पता नहीं कृष्ण कुमार पित्ती जी को इस बात का अहसास भी है कि नहीं की उन्होंने जिन्हें 'संस्कार' के संपादन की जिम्मेदारी दे रखी है, वे 'संस्कार' की आड़ में क्या कु-संस्कार खिला रहे हैं.

यह तो एक बानगी मात्र थी, जो मेरे संज्ञान में आई और आप सभी के साथ शेयर किया. तमाम पत्र-पत्रिकाएं ऐसे कार्यों में लिप्त होंगीं..सो सावधान रहिये, कहीं कोई आपकी रचना को अपने नाम से प्रकाशित करवाके तो रचनाकार नहीं बन बैठा है !!

अपनी जानकारी हेतु इस पत्रिका का पता भी नोट कर लीजिये, ताकि रचनाएँ भेजने में सतर्क रहें-

संपादक-संस्कार पत्रिका, पित्ती ग्रुप, वैभव चैंबर, बांद्रा-कुर्ला काम्प्लेक्स, बांद्रा (पूर्व), मुंबई-400051,
ई-मेल : editor@sanskartv@gmail.com

बुधवार, 15 अगस्त 2012

जय हो वीर जवानों की


वीर जवानों की जय हो
भारतमाता की जय हो

जो कि सत्य के लिए अड़े
जो कि न्याय के लिए लड़े
भारत माँ की रक्षा में
प्राणदान के लिए बढ़े।
सत्कर्मों का संचय हो
भारतमाता की जय हो।

सर्दी में जो पड़े रहे
मोर्चे पर जो अड़े रहे
नेफा में कश्मीर में
ले बन्दूकें खड़े रहे
पराधीनता का क्षय हो
भारतमाता की जय हो।

उनसे सबकी आजादी
उनसे सबकी खुशहाली
राणा शिवा सुभाष वे
युग उनसे गौरवशाली
परंपरा यह अक्षय हो
भारतमाता की जय हो।


-डॉ० राष्ट्रबंधु
संपादक-बाल साहित्य समीक्षा
रामकृष्ण नगर, कानपुर (यू. पी.)

गुरुवार, 9 अगस्त 2012

आकांक्षा-कृष्ण कुमार यादव 'दशक के श्रेष्ठ ब्लागर दंपत्ति' हेतु चयनित

ब्लागिंग के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान हेतु इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव और उनकी पत्नी आकांक्षा यादव को 'दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दंपति' का सम्मान प्रदान किए जाने हेतु चयनित किया गया है। परिकल्पना समूह की तरफ से अन्तराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाले इस सम्मान के तहत हिंदी ब्लोगिंग में दशक के सर्वाधिक चर्चित पाँच ब्लागर और पाँच ब्लॉग के साथ-साथ दशक के श्रेष्ठ चर्चित ब्लोगर दंपत्ति के रूप में कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव का चयन किया गया है.

कृष्ण कुमार यादव जहाँ 'शब्द-सृजन की ओर' और 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग के माध्यम से सक्रिय हैं, वहीँ आकांक्षा यादव 'शब्द-शिखर' ब्लॉग के माध्यम से. इसके अलावा इस युगल-दंपत्ति द्वारा सप्तरंगी प्रेम, बाल-दुनिया और उत्सव के रंग ब्लॉगों का भी युगल सञ्चालन किया जाता है. उपरोक्त सम्मान की घोषणा करते हुए संयोजकों ने लिखा कि- ''कृष्ण कुमार यादव ने 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग के माध्यम से डाक विभाग की सुखद अनुभूतियों से पाठकों को रूबरू कराने का बीड़ा उठाया तो आकांक्षा यादव ने 'शब्द-शिखर' के माध्यम से साहित्य के विभिन्न आयामों से रूबरू कराने का। एक स्वर है तो दूसरी साधना। हिन्दी ब्लोगजगत में जूनून की हद तक सक्रिय इस ब्लॉगर दंपति ने हिंदी ब्लागिंग को कई नए आयाम दिए हैं.''

गौरतलब है कि यादव दम्पति की सुपुत्री अक्षिता (पाखी) को पिछले साल हिंदी भवन, नई दिल्ली में 'श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर' सम्मान से सम्मानित किया गया था तो 14 नवम्बर, 2012 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में भारत सरकार द्वारा अक्षिता को आर्ट और ब्लागिंग के लिए 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' भी प्रदान किया गया. मात्र साढ़े चार साल की उम्र में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्त कर अक्षिता ने जहाँ भारत की सबसे कम उम्र की बाल पुरस्कार विजेता होने का सौभाग्य प्राप्त किया, वहीँ पहली बार भारत सरकार द्वारा किसी ब्लागर को कोई राजकीय सम्मान दिया गया. फ़िलहाल अक्षिता गर्ल्स हाई स्कूल, इलाहाबाद में प्रेप में पढ़ती है.

उपरोक्त सम्मान दिनांक 27.08.2012 को लखनऊ के क़ैसर बाग स्थित राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन मे प्रदान किया जायेगा. इस अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन का आयोजन तस्लीम व परिकल्पना समूह कर रहा है । इस समारोह में देश व विदेश के तमाम चर्चित ब्लॉगर जुटेंगे और नए मीडिया जैसे कि ब्लॉग, वेबसाईट, वेब पोर्टल,सोशल नेटवर्किंग साइट इत्यादि के सामाजिक सरोकार पर भी बात करेंगे ।

(साभार : विभिन्न समाचार-पत्रों में प्रकाशित समाचार)
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(ब्लागिंग के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान हेतु हमें (कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव)'दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दंपति' का सम्मान प्रदान किए जाने हेतु चयनित किया गया है। परिकल्पना समूह की तरफ से अन्तराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाले इस सम्मान के तहत हिंदी ब्लोगिंग में दशक के सर्वाधिक चर्चित पाँच ब्लागर और पाँच ब्लॉग के साथ-साथ दशक के श्रेष्ठ चर्चित ब्लोगर दंपत्ति के रूप में कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव का चयन किया गया है...इस सम्मान-उपलब्धि के पीछे आप सभी का योगदान है. आप सभी के स्नेह और सहयोग के लिए आभार.'ब्लॉग-पुरुष' रवीन्द्र प्रभात जी को इस आयोजन के लिए कोटिश: साधुवाद !!)

रविवार, 5 अगस्त 2012

फ्रैंडशिप डे - ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगें

मित्रता किसे नहीं भाती। यह अनोखा रिश्ता ही ऐसा है जो जाति, धर्म, लिंग, हैसियत कुछ नहीं देखता, बस देखता है तो आपसी समझदारी और भावों का अटूट बन्धन। कृष्ण-सुदामा की मित्रता को कौन नहीं जानता। ऐसे ही तमाम उदाहरण हमारे सामने हैं जहाँ मित्रता ने हार जीत के अर्थ तक बदल दिये। सिकन्दर-पोरस का संवाद इसका जीवंत उदाहरण है। मित्रता या दोस्ती का दायरा इतना व्यापक है कि इसे शब्दों में बांधा नहीं जा सकता। दोस्ती वह प्यारा सा रिश्ता है जिसे हम अपने विवेक से बनाते हैं। अगर दो दोस्तों के बीच इस जिम्मेदारी को निभाने में जरा सी चूक हो जाए तो दोस्ती में दरार आने में भी ज्यादा देर नहीं लगती। सच्चा दोस्त जीवन की अमूल्य निधि होता है। दोस्ती को लेकर तमाम फिल्में भी बनी और कई गाने भी मशहूर हुए-ये तेरी मेरी यारी/ये दोस्ती हमारी/भगवान को पसन्द है/अल्लाह को है प्यारी। ऐसे ही एक अन्य गीत है-ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे/छोड़ेंगे दम मगर/तेरा साथ न छोड़ेंगे। हाल ही में रिलीज हुई एक अन्य फिल्म के गीतों पर गौर करें- आजा मैं हवाओं में बिठा के ले चलूँ/ तू ही-तू ही मेरा दोस्त है।

दोस्ती की बात पर याद आया कि अगस्त माह का प्रथम रविवार फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाया जाता है। आज 5 अगस्त को ‘फ्रेण्डशिप-डे‘ है। फ्रेण्डशिप कार्ड, क्यूट गिफ्ट्स और फ्रेण्डशिप बैण्ड से इस समय सारा बाजार पटा पड़ा है। हर कोई एक अदद अच्छे दोस्त की तलाश में है, जिससे वह अपने दिल की बातें शेयर कर सके। पर अच्छा दोस्त मिलना वाकई एक मुश्किल कार्य है। दोस्ती की कस्में खाना तो आसान है पर निभाना उतना ही कठिन। आजकल तो लोग दोस्ती में भी गिरगिटों की तरह रंग बदलते रहते हैं। पर किसी शायर ने भी खूब लिखा है-दुश्मनी जमकर करो/लेकिन ये गुंजाइश रहे/कि जब कभी हम दोस्त बनें/तो शर्मिन्दा न हों।

फिलहाल, फ्रेण्डशिप-डे की बात करें तो यह अगस्त माह के प्रथम रविवार को सेलीबे्रट किया जाता है। अमेरिकी कांग्रेस द्वारा 1935 में अगस्त माह के प्रथम रविवार को दोस्तों के सम्मान में ‘राष्ट्रीय मित्रता दिवस‘ के रूप में मनाने का फैसला लिया गया था। इस अहम दिन की शुरूआत का उद्देश्य प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उपजी कटुता को खत्म कर सबके साथ मैत्रीपूर्ण भाव कायम करना था। पर कालान्तर में यह सर्वव्यापक होता चला गया। दोस्ती का दायरा समाज और राष्ट्रों के बीच ज्यादा से ज्यादा बढ़े, इसके मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र संघ ने बकायदा 1997 में लोकप्रिय कार्टून कैरेक्टर विन्नी और पूह को पूरी दुनिया के लिए दोस्ती के राजदूत के रूप में पेश किया।

इस फ्रेण्डशिप-डे पर बस यही कहूंगी कि सच्चा दोस्त वही होता है जो अपने दोस्त का सही मायनों में विश्वासपात्र होता है। अगर आप सच्चे दोस्त बनना चाहते हैं तो अपने दोस्त की तमाम छोटी-बड़ी, अच्छी-बुरी बातों को उसके साथ तो शेयर करो लेकिन लोगों के सामने उसकी कमजोरी या कमी का बखान कभी न करो। नही तो आपके दोस्त का विश्वास उठ जाएगा क्योंकि दोस्ती की सबसे पहली शर्त होती है विश्वास। हाँ, एक बात और। उन पुराने दोस्तों को विश करना न भूलें जो हमारे दिलों के तो करीब हैं, पर रहते दूरियों पर हैं।