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सोमवार, 4 अप्रैल 2016

जीका वायरस की गुत्थी सुलझाकर देविका सिरोही ने रचा विश्व पटल पर इतिहास

बेटियों को मौका मिले तो अपनी बुलंदियों के झंडे गाड़ने में समय नहीं लगता। उत्तर प्रदेश में मेरठ  में जन्मी होनहार वैज्ञानिक देविका सिरोही ने विश्व पटल पर इतिहास रचकर देश का सिर गर्व से ऊंचा किया। देविका सिरोही ने जीका वायरस की संरचना की खोज की है।  इनकी इस सफलता से घातक बीमारी के लिए प्रभावी उपचार के विकास में सफलता मिली है। संयुक्त राज्य अमेरिका में जीका वायरस के  संरचना की खोज करने वाली  देविका सात सदस्यीय वैज्ञानिक टीम की  सबसे कम उम्र की शोधार्थी हैं,  जिसने पहली बार जीका वायरस की संरचना की गुत्थी सुलझाई है। 29 साल की देविका  ने 31 मार्च 2016 को परडयू यूनिवर्सिटी लाफयिट यूएसए में शोध के अंतर्गत जी वायरस की खोज की है। 

गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से जीका वायरस में विश्व के कई देशों में खौफ फैला रखा था। इस जीका वायरस की संरचना की खोज के बाद इस वायरस की वैक्सीन बनाना काफी आसान हो जायेगा। जीका, डेंगू की भांति बेहद खतरनाक और अजन्मे बच्चे के मस्तिष्क को हानि पहुंचाने वाला वायरस है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने  भी वैश्विक स्तर पर जीका  वायरस को जनता के स्वास्थ्य के लिए आपातकाल घोषित किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह प्राणघातक बीमारियों को उत्पन्न करने वाले मच्छरों से संबंधित है। 

सिरोही ने अपनी स्कूलिंग मेरठ से पूरी की है।  उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री में ग्रेजुएशन और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई से मास्टर की डिग्री हासिल की है।   देविका के पिता डॉ एसएस सिरोही और माता रीना सिरोही देविका सहित सारी दुनिया उनकी इस उपलब्धि पर गौरवान्वित है। विश्व के सभी टीवी चैनलों पर देविका छाई हुई हैं। 

(Indian doctoral student and  Part Of The US Team That Decoded Zika Virus, Devika Sirohi (second from left) along with her colleagues at Purdue University)

अपनी सफलता पर देविका का कहना है कि इस खोज के पीछे कठिन मेहनत का हाथ है. उन्होंने कहा कि वायरस का पता लगाने में उनकी टीम को महीनों लग गए. इस विषय पर रिसर्च करने के दौरान वो मुश्किल से ही कभी दो-तीन घंटों की नींद ले पाती थी. उन्हें भरोसा है कि वायरस की संरचना का पता लग जाने के बाद इस बीमारी के इलाज के रास्ते भी निकल आएंगे. सिरोही बताती हैं, 'जब मैं अमेरिका आई थी तो यह नहीं पता था कि मुझे यहां इतनी बड़ी उपलब्धि मिलेगी. मुझे यहां अपने डॉक्टरल रिसर्च को शुरू किए पांच साल बीत चुके हैं. इस साल के अंत तक मैं अपना थीसेस जमा कर दूंगी. जीका की संरचना का पता लगाने की पूरी प्रक्रिया चुनौतियों से भरी थी. अब जब उसकी संरचना का पता चल गया है तो इसकी रोकथाम के रास्ते भी जरूर निकल आएंगे.'
 -आकांक्षा यादव @ शब्द-शिखर 
Akanksha Yadav@ http://shabdshikhar.blogspot.in/




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