आपका समर्थन, हमारी शक्ति

सोमवार, 20 नवंबर 2017

भारत की मानुषी छिल्लर बनीं मिस वर्ल्ड 2017, भारत के पास 17 साल बाद आया यह खिताब

भारत की सुंदरियों ने दुनिया में एक बार फिर अपनी खूबसूरती का लोहा मनवा लिया है। चीन के सनाया में आयोजित की गई मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भारत की मिस इंडिया मानुषी छिल्लर को मिस वर्ल्ड 2017 घोषित किया गया। इस प्रतियोगिता में दुनियाभर की 118 सुंदरियों ने हिस्सा लिया था जिसमें मानुषी ने सभी को पीछे छोड़ते हुए मिस वर्ल्ड का खिताब जीता। इस प्रतियोगिता में दूसरे नंबर पर मिस मेक्सिको रहीं जबकि तीसरे नंबर पर मिस इंग्लैंड रहीं है। 20 साल की मानुषी छिल्लर 67वीं मिस वर्ल्ड हैं। 
हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली मानुषी  मेडिकल की छात्रा  हैं और कार्डिएक सर्जन बनना चाहती हैं। दिल्ली के सेंट थॉमस स्कूल से  पढ़ाई करने वाली मानुषी सोनीपत के भगत फूल सिंह गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज फॉर वूमन से पढ़ाई कर रही हैं। मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में हिस्सा लेने ले लिए नाम देते वक्त मानुषी मेडिसिन एंड सर्जरी में अपनी डिग्री पूरी कर रही थीं। मानुषी के पिता डॉ मित्रा बसु छिल्लर डीआरडीओ में वैज्ञानिक हैं और  मां नीलम छिल्लर इंस्टीट्यूट ऑफ ह्मूमन बिहेवियर एंड एलीड साइंस के डिपार्टमेंट की हेड हैं। 
मानुषी ने जाने माने डांसर राजा और राधा रेड्डी से कुचिपुड़ी डांस की ट्रेनिंग ली हुई है। छिल्लर ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से भी ट्रेनिंग ली है, उन्हें खाली वक्त में पैराग्लाइडिंग, बंजी जंपिंग और स्कूबा डाइविंग जैसे स्पोर्ट्सपसंद है। छिल्लर को कविता और चित्रकारी का भी शौक है। मानुषी की इंग्लिश काफी अच्छी है, 12वीं क्लास में वह इंग्लिश में ऑल इंडिया सीबीएसई टॉपर थीं।

 मिस इंडिया मानुषी छिल्लर से फाइनल राउंड में जूरी ने सवाल पूछा था कि किस प्रोफेशन में सबसे ज्यादा सैलरी मिलनी चाहिए और क्यों? इसके जवाब में मानुषी ने कहा, 'मां को सबसे ज्यादा सम्मान मिलना चाहिए। इसके लिए उन्हें कैश में सैलरी नहीं बल्कि सम्मान और प्यार मिलना चाहिए।' 
किसी भी एशियन महिला ने वर्ष  1966 तक मिस वर्ल्ड का खिताब नहीं जीता था। 1966 में  रीता फारिया भारत से पहली मिस वर्ल्ड बनीं थीं। उसके बाद ऐश्वर्या राय ने 1994, डायना हेडन ने 1997 में, युक्ता मुखी ने 1999 में और प्रियंका चोपड़ा ने साल 2000 में मिस वर्ल्ड का खिताब जीता था।  मानुषी छिल्लर से पहले वर्ष 2000 में बॉलिवुड और हॉलिवुड की सफल अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा भारत की तरफ से मिस वर्ल्ड बनीं थी। 
मिस वर्ल्ड बनना मानुषी के बचपन का सपना था। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'बचपन में, मैं हमेशा से इस कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेना चाहती थी और मुझे यह कभी नहीं पता था कि मैं यहां तक पहुंच जाऊंगी। अब मिस वर्ल्ड का खिताब जीतना केवल मेरा ही नहीं बल्कि मेरे परिवार और दोस्तों का भी सपना बन गया था।' मिस वर्ल्ड में जाने से पहले मानुषी समाजसेवा के कार्यों से भी जुड़ी रही हैं। उन्होंने महिलाओं की माहवारी के दौरान हाइजीन से संबंधित एक कैंपेन में करीब 5,000 महिलाओं को जागरूक किया है। 

यह भी सोचने वाली बात  है कि मिस वर्ल्ड मानुषी उसी हरियाणा राज्य से हैं, जहाँ बेटियों के प्रति भेदभाव की स्थिति चलते लिंगानुपात चिंता का विषय है। पर उसी हरियाणा की बेटियाँ आज दुनिया भर में खेलों से लेकर सौंदर्य के क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही हैं। आशा की जानी चाहिए कि इससे हरियाणा जैसे  राज्यों में बेटियों के प्रति लोगों के दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आएगा। 

कृष्णा सोबती : ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाली हिंदी की 11वीं साहित्यकार


साहित्य के क्षेत्र में दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 2017 के लिए हिंदी की शीर्षस्थ कथाकार कृष्णा सोबती को प्रदान किया जाएगा. यह पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदान किया जाएगा. पुरस्कार स्वरूप कृष्णा सोबती को 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा प्रदान की जाएगी.ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने बताया कि प्रो. नामवर सिंह की अध्यक्षता में हुई प्रवर परिषद की बैठक में वर्ष 2017 का 53वां ज्ञानपीठ पुरस्कार हिंदी साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर कृष्णा सोबती को देने का निर्णय किया गया. 

18 फरवरी 1924 को गुजरात (वर्तमान पाकिस्तान) में जन्मी सोबती साहसपूर्ण रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती है. उनके रचनाकर्म में निर्भिकता, खुलापन और भाषागत प्रयोगशीलता स्पष्ट परिलक्षित होती है. 1950 में कहानी लामा से साहित्यिक सफर शुरू करने वाली सोबती स्त्री की आजादी और न्याय की पक्षधर हैं. उन्होंने समय और समाज को केंद्र में रखकर अपनी रचनाओं में एक युग को जिया है.
कृष्णा सोबती के कालजयी उपन्यासों सूरजमुखी अंधेरे के, दिलोदानिश, ज़िंदगीनामा, ऐ लड़की, समय सरगम, मित्रो मरजानी, जैनी मेहरबान सिंह, हम हशमत, बादलों के घेरे ने कथा साहित्य को अप्रतिम ताजगी और स्फूर्ति प्रदान की है. हाल में प्रकाशित ‘बुद्ध का कमंडल लद्दाख’ और ‘गुजरात पाकिस्तान से गुजरात हिंदुस्तान’ भी उनके लेखन के उत्कृष्ट उदाहरण हैं. उनकी सबसे चर्चित रचनाओं में शुमार है 'मित्रो मरजानी'. इस उपन्यास में उन्होंने एक शादीशुदा महिला की कामुकता को दर्शाया है. इस उपन्यास का कथाशिल्प इस तरह का है कि लोगों को आकर्षित करता है. इससे पहले मित्रो जैसा किरदार साहित्य में नजर नहीं आया था. कृष्णा सोबती को हिंदी साहित्य में ‘फिक्शन’ राइटिंग के लिए जाना जाता है.
कृष्णा सोबती को उनके उपन्यास जिंदगीनामा के लिए वर्ष 1980 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था."जिंदगीनामा” उनका एक महाकाव्यात्मक उपन्यास  माना जाता है. इसी उपन्यास की बदौलत सोबती हिंदी में साहित्य अकादमी पाने वाली पहली महिला लेखिका बनीं. इस उपन्यास से जुड़ा ऐतिहासिक कॉपीराइट विवाद, उस दौर की नामचीन और वरिष्ठ लेखिका अमृता प्रीतम के खिलाफ अदालत तक खिंच गया था.  कृष्णा सोबती को  1996 में अकादमी के उच्चतम सम्मान साहित्य अकादमी फेलोशिप से नवाजा गया था. इसके अलावा कृष्णा सोबती को पद्मभूषण, व्यास सम्मान, शलाका सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.

गौरतलब है कि पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम के लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था. सुमित्रानंदन पंत ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले हिंदी के पहले रचनाकार थे. कृष्णा सोबती ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाली हिंदी की 11वीं साहित्यकार  हैं. इससे पहले हिंदी के 10 लेखकों को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चुका है. इनमें सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय, महादेवी वर्मा, कुंवर नारायण आदि शामिल हैं.

बुधवार, 1 नवंबर 2017

साहित्यकार युगल दम्पति आकांक्षा यादव और कृष्ण कुमार यादव 'शब्द निष्ठा सम्मान' से सम्मानित

हिंदी लघुकथा को समृद्धि प्रदान करने हेतु साहित्यकार युगल दम्पति आकांक्षा यादव और कृष्ण कुमार यादव को अजमेर में शब्द निष्ठा सम्मान-2017 से सम्मानित किया गया। यादव दम्पति एक लम्बे समय से साहित्य और लेखन में सक्रिय हैं। आकांक्षा यादव एक कॉलेज में प्रवक्ता के बाद अब विभिन्न  विधाओं में लेखन और ब्लॉगिंग में सक्रिय  हैं, वहीं राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएं पद पर पदस्थ श्री कृष्ण कुमार यादव, प्रशासन के साथ-साथ साहित्यिक और सामाजिक सरोकारों के लिए भी जाने जाते हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के साथ-साथ, अब तक  कृष्ण कुमार यादव की 7 पुस्तकें और नारी सम्बन्धी मुद्दों पर प्रखरता से लिखने वालीं आकांक्षा यादव की 3 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। देश-दुनिया में शताधिक सम्मानों से विभूषित यादव दम्पति एक लंबे समय से ब्लॉग और सोशल मीडिया के माध्यम से भी हिंदी साहित्य एवं विविध विधाओं में अपनी रचनाधर्मिता को प्रस्फुटित करते हुये अपनी व्यापक पहचान बना चुके हैं।

संयोजक डॉ. अखिलेश पालरिया ने बताया कि आचार्य रत्न लाल  'विद्यानुग' स्मृति अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता हेतु देशभर के 17 राज्यों से 170 लघुकथाकारों  की कुल 850 लघुकथाएँ प्राप्त हुई थीं, जिनमें से श्रेष्ठ लघुकथाओं को चयनित कर लघुकथाकारों को सम्मानित किया गया।  यह सम्मान प्रतिवर्ष साहित्य की भिन्न-भिन्न विधाओं पर दिया जाता है। शब्द निष्ठा सम्मान 2017 श्रेष्ठ लघु कथाओं के लिए निर्धारित था। सम्मान के तहत चयनित लघुकथाकारों को मान पैलेस अजमेर में संपन्न अखिल भारतीय लघुकथा सम्मान समारोह  में प्रशस्ति पत्र, कथा संग्रह एवं सम्मान निधि देकर सम्मानित किया। 

डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव और पत्नी आकांक्षा यादव  को मिला 'शब्द निष्ठा सम्मान' 

यादव दंपती को 'शब्द निष्ठा सम्मान'