tag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post2989642491050258748..comments2023-11-24T11:09:23.683+05:30Comments on शब्द-शिखर: प्रगतिशील सोच के अन्तर्विरोधों के बीच कविताAkanksha Yadavhttp://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-12727541090405006272010-05-27T11:47:14.770+05:302010-05-27T11:47:14.770+05:30आज की बदलती कविता और उसके आयामों पर गंभीर चिंतन. इ...आज की बदलती कविता और उसके आयामों पर गंभीर चिंतन. इस ओर सोचने की जरुरत है.Dr. Brajesh Swaroophttps://www.blogger.com/profile/17791749899067207963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-60610713007150643572010-05-27T11:36:37.432+05:302010-05-27T11:36:37.432+05:30बहुत सुन्दर लिखा आपने. इसका मैं उपयोग करना चाहूंगी...बहुत सुन्दर लिखा आपने. इसका मैं उपयोग करना चाहूंगी, यदि आपकी इजाजत हो.हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature Worldhttps://www.blogger.com/profile/03921573071803133325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-33650041129972135372010-05-27T11:34:29.388+05:302010-05-27T11:34:29.388+05:30आप सभी के स्नेह व उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए आभ...आप सभी के स्नेह व उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए आभारी हूँ. यूँ ही अपना स्नेह बनाये रहें.Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-84607238291581816402010-05-24T21:26:35.720+05:302010-05-24T21:26:35.720+05:30बहुत सुंदर लिखा आपने कविता पर .. बहुत संतुलित !बहुत सुंदर लिखा आपने कविता पर .. बहुत संतुलित !प्रज्ञा पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-58878418596875781772010-05-24T21:11:51.512+05:302010-05-24T21:11:51.512+05:30बहुत सार्थक और उम्दा आलेख. विशुद्ध कवित्त तो भावों...बहुत सार्थक और उम्दा आलेख. विशुद्ध कवित्त तो भावों का चरम है...Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-28011258807396751212010-05-24T18:21:44.094+05:302010-05-24T18:21:44.094+05:30अतिसार्थक संतुलित सारगर्भित और सुन्दर विवेचना....
...अतिसार्थक संतुलित सारगर्भित और सुन्दर विवेचना....<br /><br />शब्दशः सहमत हूँ आपकी बातों से... <br />आपकी चिंतन धारा ने मुझे बड़ा प्रभावित किया है ...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-76568908247388930472010-05-24T16:39:28.284+05:302010-05-24T16:39:28.284+05:30मन को झंकृत करता है आपका यह आलेख...शोधपरक आलेख .मन को झंकृत करता है आपका यह आलेख...शोधपरक आलेख .Shahrozhttps://www.blogger.com/profile/09298590445316914641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-55151014805111881552010-05-24T16:31:10.505+05:302010-05-24T16:31:10.505+05:30कविता के ऊपर यह आलेख बहुत पसंद आया..... सार्थक और ...कविता के ऊपर यह आलेख बहुत पसंद आया..... सार्थक और सुंदर....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-32312332075804447082010-05-24T15:58:24.931+05:302010-05-24T15:58:24.931+05:30इत्ता बड़ा..कुछ समझ में न आयेगा मुझको. अभी और पढाई...इत्ता बड़ा..कुछ समझ में न आयेगा मुझको. अभी और पढाई करनी पड़ेगी मुझको. <br /><br />_____________________<br />'पाखी की दुनिया' में 'अंडमान में आए बारिश के दिन'Akshitaa (Pakhi)https://www.blogger.com/profile/06040970399010747427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-90364657186869152252010-05-24T13:11:21.475+05:302010-05-24T13:11:21.475+05:30कविता नव निर्माण और विध्वंस दोनों को प्रतिबिंबित क...कविता नव निर्माण और विध्वंस दोनों को प्रतिबिंबित करती है। कविता है तभी तो शब्दों का लावण्य है, अर्थ की चमक है, प्रकृति का साहचर्य है, प्रेम की पृष्ठभूमि में सम्बन्धों की उष्मा है। कविता चीजेां को देखने की दृष्टि भी है और बोध भी। ): SUNDAR SHABDON MEN GAMBHIR BAT.शरद कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17958271927414459178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-25269751715014888302010-05-24T13:07:58.155+05:302010-05-24T13:07:58.155+05:30कवि सम्मेलनों से लोगांे को जोड़ने हेतु जरूरी है कि ...कवि सम्मेलनों से लोगांे को जोड़ने हेतु जरूरी है कि कविता में अनुभूति और संवेदना का भी मिश्रण हो, इसके अभाव में ये मात्र औपचारिकता बनकर रह जाते हैं।मन-मयूरhttps://www.blogger.com/profile/17368103957948539533noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-7985450634044516842010-05-24T13:06:08.902+05:302010-05-24T13:06:08.902+05:30श्रमसाध्य आलेख...लाजवाब !!श्रमसाध्य आलेख...लाजवाब !!Amit Kumar Yadavhttps://www.blogger.com/profile/13738311398018201654noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-53692952353957276652010-05-24T13:03:45.600+05:302010-05-24T13:03:45.600+05:30कविता की दुर्दशा और कवि सम्मेलनों के नाम पर होते त...कविता की दुर्दशा और कवि सम्मेलनों के नाम पर होते तमाशे को अच्छी तरह आपने बयान किया है. आपका यह आलेख गहराई में जाकर बातों को पकड़ता है.Ram Shiv Murti Yadavhttps://www.blogger.com/profile/14132527541648964036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-77444439917519332452010-05-24T13:01:48.619+05:302010-05-24T13:01:48.619+05:30वय के अनुसार अग्रज व परवर्ती पीढ़ी के कवियों में द्...वय के अनुसार अग्रज व परवर्ती पीढ़ी के कवियों में द्वन्द भी उभरता है, क्योंकि दोनांे के समयकाल और मनःस्थिति में काफी अन्तर होता है। ऐसे में पुराने कवि नये कवियों पर प्रश्नचिन्ह भी लगाते हैं, पर वे यह भूल जाते हैं कि हर कवि का अपना स्वर है और हर स्वर की अपनी मादकता। अतः ऐसा कोई नियम न बनाया जाय जिससे कि सभी कवि एक ही सुर में गाने लगें। ...सुन्दर और सार्थक सोच. इस ओर गंभीर मनन की जरुरत है.S R Bhartihttps://www.blogger.com/profile/16535000568157262183noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-73882843902049698422010-05-24T12:59:01.668+05:302010-05-24T12:59:01.668+05:30..वैसे मृत्युंजय राय जी की बात से भी इत्तफाक रखता .....वैसे मृत्युंजय राय जी की बात से भी इत्तफाक रखता हूँ.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09269049661721803881noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-9412815238572593472010-05-24T12:58:10.270+05:302010-05-24T12:58:10.270+05:30आकांक्षा जी, आपने बहुत सहज रूप में इस लेख को प्रस्...आकांक्षा जी, आपने बहुत सहज रूप में इस लेख को प्रस्तुत किया है. ठीक वैसा ही जैसा हम सोचते हैं. इसे किसी प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशन के लिए भी भेजिए .Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09269049661721803881noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-16703538758360126622010-05-24T12:54:11.731+05:302010-05-24T12:54:11.731+05:30विचारणीय लेख के लिए बधाईविचारणीय लेख के लिए बधाईसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-71307301781979952212010-05-24T12:52:34.902+05:302010-05-24T12:52:34.902+05:30कवि सम्मेलनों पर आकांक्षा जी द्वारा की गई टिपण्णी ...कवि सम्मेलनों पर आकांक्षा जी द्वारा की गई टिपण्णी गौरतलब है, बेबाक लेखन- <br /><br />अर्थ प्रधान युग में कवि हेतु श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट और वाह-वाह नहीं बल्कि पधारने हेतु प्राप्त गिफ्ट और धनराशि महत्वपूर्ण हो गई तो श्रोताओं हेतु कविता की गम्भीरता नहीं बल्कि उसकी सहजता व सम्प्रेषणीयता महत्वपूर्ण हो गई। कवि और श्रोता का सम्बन्ध उपभोक्तावादी दौर में कहीं-न-कहीं ग्राहकोन्मुख हो गया।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-45398189948219950972010-05-24T12:51:00.880+05:302010-05-24T12:51:00.880+05:30एक असहनीय पीड़ा के बाद मातृत्व की जो चरमानन्द अनुभू...एक असहनीय पीड़ा के बाद मातृत्व की जो चरमानन्द अनुभूति होती है, वैसी ही आनंदानुभूूति कवि को काव्य-सृजन के पश्चात होती है ******बड़ा सुन्दर रूपक दिया आपने..बधाई.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-64526367191954443122010-05-24T12:48:55.264+05:302010-05-24T12:48:55.264+05:30आज की बदलती कविता पर सटीक आलेख. यह समाज को आइना दि...आज की बदलती कविता पर सटीक आलेख. यह समाज को आइना दिखाती है.KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-35973773555444961242010-05-24T12:47:27.616+05:302010-05-24T12:47:27.616+05:30कवि सम्मेलनों का स्वर्णिम अतीत, उनकी महत्ता, कवियो...कवि सम्मेलनों का स्वर्णिम अतीत, उनकी महत्ता, कवियों की प्रसिद्धि और कविता के शास्त्रीय उपमान धरे के धरे रह गये हैं, बस रह गया है तो क्षणिक मनोरंजन।...सुन्दर विश्लेषण किया आपने, सहमत हूँ.editor : guftguhttps://www.blogger.com/profile/05292812872036055367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-26108038400330101842010-05-24T12:41:27.860+05:302010-05-24T12:41:27.860+05:30सारगर्भित आलेख...साधुवाद !!सारगर्भित आलेख...साधुवाद !!Shyamahttps://www.blogger.com/profile/15780650583480468092noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-67090374914257036072010-05-24T11:36:53.310+05:302010-05-24T11:36:53.310+05:30बहुत सार्थक लेखन...कवि और कविता की बात बिलकुल सटीक...बहुत सार्थक लेखन...कवि और कविता की बात बिलकुल सटीक कही है....आपने इतनी गहराई से इस लेख को लिखा है कि लग रहा है कि आपने कितना सही दृष्टिकोण अपनाया है आज कि कविता पर...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-23552800764391113122010-05-24T11:36:37.215+05:302010-05-24T11:36:37.215+05:30सही फरमाया आपने, वैसे भी हिन्दी के पाठक प्रिंट मीड...सही फरमाया आपने, वैसे भी हिन्दी के पाठक प्रिंट मीडिया /प्रिंटेड मतेराइल से दूर भागते जा रहे है . एक वक्त था जब हर घर के DRWING रूम के टेबल पर में इंडिया टुडे , माया और युगांतर जैसे मैगजीन दीखते थे , आज गायब होते रहे है , उनकी जगह रिमोट ने ले ली है . <br /><br /><br />क्या हिन्दी में कोई हैरी पोटर जैसी किताब नहीं आ सकती , क्या कोई प्रेमचंद फिर से जन्म नहीं ले सकता , इंडिया में जे के रोलिंग जन्म नहीं ले सकती <br /><br />http://madhavrai.blogspot.com/<br />http://qsba.blogspot.com/Mrityunjay Kumar Raihttps://www.blogger.com/profile/16617062454375288188noreply@blogger.com