tag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post3199366930008385563..comments2023-11-24T11:09:23.683+05:30Comments on शब्द-शिखर: मेघों को मनाने का अंदाज अपना-अपनाAkanksha Yadavhttp://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-25179384596912107932010-07-01T12:15:30.289+05:302010-07-01T12:15:30.289+05:30दिलचस्प पोस्ट..अच्छा चेताया आपने...आपकी हर पोस्ट प...दिलचस्प पोस्ट..अच्छा चेताया आपने...आपकी हर पोस्ट प्रेरक होती है.raghavhttps://www.blogger.com/profile/02798957175847280091noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-91620692634442505722010-07-01T11:51:18.284+05:302010-07-01T11:51:18.284+05:30तमाम प्रचलित परम्पराओं के बारे में भी पहली बार सुन...तमाम प्रचलित परम्पराओं के बारे में भी पहली बार सुना..ज्ञानवर्धन हुआ.शरद कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17958271927414459178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-8807083144602807372010-07-01T11:50:34.531+05:302010-07-01T11:50:34.531+05:30बेहतर होता यदि हम मात्र एक महीने सोचने की बजाय साल...बेहतर होता यदि हम मात्र एक महीने सोचने की बजाय साल भर विचार करते कि किस तरह हमने प्रकृति को नुकसान पहुँचाया है, उसके आवरण को छिन्न-भिन्न कर दिया है, तो निश्चिततः बारिश समय से होती और हमें व्यर्थ में परेशान नहीं होना पड़ता।....बहुत सही कहा आपने.शरद कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17958271927414459178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-24412218985400183872010-06-30T16:17:27.878+05:302010-06-30T16:17:27.878+05:30यह पोस्ट आप सभी को पसंद आई..अच्छा लगा... अपना स्ने...यह पोस्ट आप सभी को पसंद आई..अच्छा लगा... अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखें.Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-22535596567590034612010-06-29T00:57:58.821+05:302010-06-29T00:57:58.821+05:30इनमे से किसी भी टोटके से पानी नहीं बरसता , फिर भी ...इनमे से किसी भी टोटके से पानी नहीं बरसता , फिर भी इंसान यह सब किये जाता है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-74458841112260252322010-06-26T19:50:51.830+05:302010-06-26T19:50:51.830+05:30हमें तो पता ही नहीं था...अदभुत व रोचक. देखिये बादल...हमें तो पता ही नहीं था...अदभुत व रोचक. देखिये बादल कब मेहरबान होते हैं.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-27253860068372676802010-06-26T19:45:13.838+05:302010-06-26T19:45:13.838+05:30आपकी पूर्व की रचनाओं की भांति ही ज्ञानवर्धक व प्रे...आपकी पूर्व की रचनाओं की भांति ही ज्ञानवर्धक व प्रेरक.शरद कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17958271927414459178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-36752859632779622012010-06-26T19:40:32.509+05:302010-06-26T19:40:32.509+05:30हमारे पूर्वांचल में भी इनमें से कुछेक परम्पराएँ दे...हमारे पूर्वांचल में भी इनमें से कुछेक परम्पराएँ देखने को मिलती हैं. जानकारीपूर्ण लेख..बधाई.Ram Shiv Murti Yadavhttps://www.blogger.com/profile/14132527541648964036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-11252429389285556772010-06-26T19:33:25.756+05:302010-06-26T19:33:25.756+05:30काश कि हम सब पहले ही सचेत हो जाते तो यह सब नौबत नह...काश कि हम सब पहले ही सचेत हो जाते तो यह सब नौबत नहीं आती...इन्द्र देवता को खुश करने के लिए तमाम रोचक पहलू..मजेदार !!KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-42100686191770508812010-06-26T19:28:59.922+05:302010-06-26T19:28:59.922+05:30रश्मि सिंह जी की टिपण्णी भी दिलचस्प लगी.रश्मि सिंह जी की टिपण्णी भी दिलचस्प लगी.मन-मयूरhttps://www.blogger.com/profile/17368103957948539533noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-65914876775335857162010-06-26T19:27:49.308+05:302010-06-26T19:27:49.308+05:30जानकारी भी..चेतावनी भी..दिलचस्प लेख.जानकारी भी..चेतावनी भी..दिलचस्प लेख.मन-मयूरhttps://www.blogger.com/profile/17368103957948539533noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-3470883872300292692010-06-26T19:23:14.236+05:302010-06-26T19:23:14.236+05:30आकांक्षा जी, वाकई कई नई जानकारियां मिलीं इस लेख से...आकांक्षा जी, वाकई कई नई जानकारियां मिलीं इस लेख से..लोगों को पर्यावरण के प्रति सजग करता है आपका यह लेख..बधाई.Shyamahttps://www.blogger.com/profile/15780650583480468092noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-38263034706512335382010-06-26T19:17:35.754+05:302010-06-26T19:17:35.754+05:30सारगर्भित प्रस्तुति..कुछ को हम भी आजमाने की सोच रह...सारगर्भित प्रस्तुति..कुछ को हम भी आजमाने की सोच रहे हैं. शायद इन्द्र देवता प्रसन्न हो जाएँ..हा..हा..हा...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09269049661721803881noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-21402250547668234962010-06-26T19:11:17.950+05:302010-06-26T19:11:17.950+05:30वैसे आपके अंडमान में तो खूब बारिश हो रही है. वहां ...वैसे आपके अंडमान में तो खूब बारिश हो रही है. वहां तो इन टोटकों की जरुरत नहीं पड़ती होगी. पाखी बिटिया ने भी तो इशारा किया है इस ओर.Dr. Brajesh Swaroophttps://www.blogger.com/profile/17791749899067207963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-12545001460078084362010-06-26T19:09:52.416+05:302010-06-26T19:09:52.416+05:30अभी भी वक्त है, यदि हम चेत सके तो मानवता को बचाया ...अभी भी वक्त है, यदि हम चेत सके तो मानवता को बचाया जा सकता है अन्यथा हर वर्ष हम इसी प्रलाप में जीते रहेंगे कि अब तो धरती का अंत निकट है और कभी भी प्रलय हो सकती है। ...सुन्दर लेख..सार्थक सन्देश.आकांक्षा जी को साधुवाद !!Dr. Brajesh Swaroophttps://www.blogger.com/profile/17791749899067207963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-5239857645501709152010-06-26T11:59:02.960+05:302010-06-26T11:59:02.960+05:30बहुत सही लिखा आपने आकांक्षा जी, पर यह ईश्वरीय और क...बहुत सही लिखा आपने आकांक्षा जी, पर यह ईश्वरीय और कर्मकांडी आस्था भी तभी प्रबल होती है, जब आदमी पर मुसीबत पड़ती है. मनुष्य यह नहीं सोचता कि यदि बारिश नहीं हो रही तो इसका कारण वह स्वयं है और जरुरत उसके निवारण की है. जब मनुष्य चरों तरफ से हर जाता है तो फिर आस्था का संबल लेना लाजिमी भी है. इसी आस्था व उसके संबल के चलते ही तो हिन्दू धर्म में 36 करोड़ देवी-देवता पनपे हुए हैं...शानदार पोस्ट की बधाई.हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature Worldhttps://www.blogger.com/profile/03921573071803133325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-24028188682027631222010-06-25T07:38:18.292+05:302010-06-25T07:38:18.292+05:30आस्था की बात है ।आस्था की बात है ।अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-49518021733492454572010-06-24T23:40:10.456+05:302010-06-24T23:40:10.456+05:30रचना मन को लुभा गईरचना मन को लुभा गईमनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-39452863842239528542010-06-24T20:47:13.019+05:302010-06-24T20:47:13.019+05:30आकांक्षा जी,आप ने कोई नयी बात नहींकही है ,लेकिन ...आकांक्षा जी,आप ने कोई नयी बात नहींकही है ,लेकिन नए अंदाज़ में जरुर कही है आज का समाज पुरानी बातों में रूचि ही कितनी लेता है ? इस कारण भी इन का महत्व है मेरी शुभ कामनाएं स्वीकारें.सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-43628260006005189142010-06-24T19:17:24.221+05:302010-06-24T19:17:24.221+05:30आकाँक्षा जी आपका आलेख बहुत सुन्दर है ।बधाईआकाँक्षा जी आपका आलेख बहुत सुन्दर है ।बधाईजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-32830778579380221492010-06-24T17:32:28.747+05:302010-06-24T17:32:28.747+05:30जब तक मानव , प्रकृति(nature ) से शादी नहीं करेगा ,...जब तक मानव , प्रकृति(nature ) से शादी नहीं करेगा , बरसात के लिए तरसेगा ही. बाकी सब टोटके आत्मसंतुष्टि के लिए है. अच्छी पोस्ट.ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-91601403077745345942010-06-24T15:23:09.426+05:302010-06-24T15:23:09.426+05:30शानदार है यह अंदाज।
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क्या आप बता सकते हैं...शानदार है यह अंदाज।<br />---------<br />क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है? <br />अगर हाँ, तो फिर चले आइए <a href="http://ss.samwaad.com/" rel="nofollow"> रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया </a> में आपका स्वागत है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-82084029275298570092010-06-24T14:01:24.527+05:302010-06-24T14:01:24.527+05:30रोचक जानकारियाँ ।रोचक जानकारियाँ ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-67458219926849811392010-06-24T12:20:36.502+05:302010-06-24T12:20:36.502+05:30बहुत बढ़िया आलेख लिखा है . हमारे देश की लोक संस्कृत...बहुत बढ़िया आलेख लिखा है . हमारे देश की लोक संस्कृति की अच्छी जानकारी ओर समझ है आपको. मेंढक-मेंढकी की शादी का जिक्र यही तो है हमारी संस्क्रीती की पहचान है. मैंने सियार ( Jackal) के विवाह के बारे में सुना है . कहते है जब धुप भी हो और बारिस भी हो रही हो तो उस समय सियार का विवाह होता है .Mrityunjay Kumar Raihttps://www.blogger.com/profile/16617062454375288188noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-26805192991300584442010-06-24T11:56:51.941+05:302010-06-24T11:56:51.941+05:30अच्छी जानकारी.....प्रकृति से खिलवाड़ का कुछ तो मूल...अच्छी जानकारी.....प्रकृति से खिलवाड़ का कुछ तो मूल्य चुकाना होगा....<br /><br />मेंढक मेंढकी की शादी की बात पहली बार जानी ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com