tag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post8819503351410981892..comments2023-11-24T11:09:23.683+05:30Comments on शब्द-शिखर: भ्रूण हत्या बनाम नौ कन्याओं को भोजन ??Akanksha Yadavhttp://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comBlogger42125tag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-13226827959333294142010-12-25T13:11:57.772+05:302010-12-25T13:11:57.772+05:30इस तरह की मानसिकता यही दर्शाती है कि आदमी क्या सोच...इस तरह की मानसिकता यही दर्शाती है कि आदमी क्या सोचता है और करता क्या है?<br />..........लेखन के लिए बधाई.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-74884163427270380472010-10-13T19:03:13.149+05:302010-10-13T19:03:13.149+05:30सार्थक विमर्श को बढ़ावा देती पोस्ट...आकांक्षा जी आप...सार्थक विमर्श को बढ़ावा देती पोस्ट...आकांक्षा जी आपकी लेखनी यूँ ही नहीं हर जगह दिखती है.Shahrozhttps://www.blogger.com/profile/09298590445316914641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-77996081994301862572010-10-12T19:32:17.247+05:302010-10-12T19:32:17.247+05:30समाज के दोगलेपन पर अच्छा कटाक्ष ...आज के समाज में ...समाज के दोगलेपन पर अच्छा कटाक्ष ...आज के समाज में स्वार्थ पर आधारित संबंधों के बीच एक बेटी का ही प्यार है जो सच्चा और निस्वार्थ है...बहुत अच्छी पोस्ट..आभार..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-57686223187799193282010-10-12T17:05:05.622+05:302010-10-12T17:05:05.622+05:30एक और स्पष्टीकरण :
युवाओं से मेरा मतलब स्त्री और...एक और स्पष्टीकरण : <br /><br />युवाओं से मेरा मतलब स्त्री और पुरुष दोनों से है ... कोई भी इसे व्यक्तिगत स्तर पर ना लेंएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-12748450171759906242010-10-12T17:02:05.564+05:302010-10-12T17:02:05.564+05:30@ आकांक्षा जी
आप चाहें तो मेरे कमेन्ट हटा भी सकत...@ आकांक्षा जी<br /><br />आप चाहें तो मेरे कमेन्ट हटा भी सकती हैं, "@ सभी से " वाला कमेन्ट आपके लिए नहीं है, आप जो भी कहें मेरे लिए सुनने और चिंतन करने योग्य ही होगा<br /><br />आदर सहित<br />गौरवएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-76167873819269778602010-10-12T16:55:33.636+05:302010-10-12T16:55:33.636+05:30@ सभी से
अगर कोई मेरी बात का विरोध करने की इच्छा ...@ सभी से<br /><br />अगर कोई मेरी बात का विरोध करने की इच्छा रखता / रखती हो तो ध्यान दें ... मैंने ये नहीं कहा की मैं ज्ञानी हूँ ... दरअसल मैं ज्ञान की खोज में हूँ [ये मानता हूँ] , जब खुद को ज्ञानी मानूंगा उसी दिन सबसे पहले ज्ञान के दरवाजे ही बंद होंगेएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-60791544662472283422010-10-12T16:48:50.661+05:302010-10-12T16:48:50.661+05:30@आकांक्षा जी
आपकी बात से सहमत हूँ , लेकिन परेशानी ...@आकांक्षा जी<br />आपकी बात से सहमत हूँ , लेकिन परेशानी गलत लोगों से उतनी नहीं होती जितनी को पूवाग्रही + अल्पज्ञानी + अतिआत्मविश्वासधारियों से क्योंकि अभी मैं भी युवापीढी में ही आता हूँ , और इसीलिए मेरे अनुभव से मुझे पता लगा की युवाओं को ना तो महाभारत ठीक से पता है ना रामायण और न कोई और ग्रन्थ .. और उस पर आत्मविश्वास देखिये राम और कृष्ण की सारी कमियाँ मुह जबानी याद है [जो की उनमें नहीं थी] पता नहीं किस कचरे में से दो चार बकवास आर्टिकल पढ़ के ज्ञानी बन बैठे हैं , अगर आज संस्कृति का ये हाल है तो जिम्मेदार कौनसी पीढी है ?? , ये अपने आप को आधुनिक बताने वाली पीढी तो इन ढोंगियों से ज्यादा पाखंडी है , ये नए जमाने के पाखंडी हैं वो पुराने जमाने के थे|<br />अज्ञान कोई बुराई नहीं है.......... किसी ज्ञान को सिरे से नकार देना बुराई है , पूर्वाग्रह दूरदृष्टि की दीमक हैएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-27004433669351464192010-10-12T16:17:59.675+05:302010-10-12T16:17:59.675+05:30मै तो कहती हूँ कि मुखाग्नि देने या न देने से क्या ...मै तो कहती हूँ कि मुखाग्नि देने या न देने से क्या होगा ………………पंचतत्व का शरीर है उसी मे मिलना है तो मरने के बाद किसे पता कि इसका क्या किया…………॥आज तक कौन आया है ये जानने कि उसका क्या हुआ और कैसे हुआ……………ये सब कोरे वहम हैं आज लड्किया कहाँ कम हैं ……………।बस ये समाजिक कुरीति है जिसे हम सबको आगे आकर जड से मिटाने मे सहयोग करना चाहिये।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-8012460772702526892010-10-12T16:12:08.493+05:302010-10-12T16:12:08.493+05:30एक समय था जब लोग बेटियों के होने पर दुख मनाते थे औ...एक समय था जब लोग बेटियों के होने पर दुख मनाते थे और बेटे होने पर खुशी वो थे जो मुखाग्नि की बात सोचते है पर भ्रूण हत्या करने वाला आज का समाज ये बात नहीं सोचता उसे बेटी की आवश्यकता नहीं है वो उनके लिए जीवन भर का बोझा है जिसको पालने पोसने पढ़ाने से उन्हें कोई फायदा नहीं होने वाला है उलटा दहेज़ का खर्च अलग से है तो ना रहे यही अच्छा है | पहली बेटी तो मज़बूरी में झेल लेते है पर दूसरी नहीं आने देते है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-59285801448762935442010-10-12T13:12:42.057+05:302010-10-12T13:12:42.057+05:30अले कित्ते लोग यहाँ पर आए हैं...अले कित्ते लोग यहाँ पर आए हैं...Akshitaa (Pakhi)https://www.blogger.com/profile/06040970399010747427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-91575080702368711922010-10-12T13:05:22.735+05:302010-10-12T13:05:22.735+05:30आपके अंतिम प्रश्न वाक्य का जवाब -जी नहीं बिलकुल न...आपके अंतिम प्रश्न वाक्य का जवाब -जी नहीं बिलकुल नहीं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-45771082196073364982010-10-12T13:03:02.344+05:302010-10-12T13:03:02.344+05:30आपके अंतिम प्रश्न वाक्य का जवाब -जी नहीं बिलकुल न...आपके अंतिम प्रश्न वाक्य का जवाब -जी नहीं बिलकुल नहीं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-16860621066842401922010-10-12T12:35:50.547+05:302010-10-12T12:35:50.547+05:30बहुत अच्छे विषय पर सवाल किया है । यह समाज का दोहरा...बहुत अच्छे विषय पर सवाल किया है । यह समाज का दोहरा चरित्र है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-29849138361968389632010-10-12T12:31:43.441+05:302010-10-12T12:31:43.441+05:30यह पंक्ति एक अहम सवाल खड़ा कर जाती है,बहुत ही गहन ...यह पंक्ति एक अहम सवाल खड़ा कर जाती है,बहुत ही गहन एवं सोचनीय प्रस्तुति के साथ सुन्दर लेखन ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-85080784545735763472010-10-12T11:45:50.657+05:302010-10-12T11:45:50.657+05:30बहुत सार्थक लेख ...यही दोगलापन रह गया है ...जागरूक...बहुत सार्थक लेख ...यही दोगलापन रह गया है ...जागरूक करने वाला लेखसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-39069984284532623612010-10-12T11:34:18.348+05:302010-10-12T11:34:18.348+05:30सामयिक विषय उठाया।सामयिक विषय उठाया।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-67415288869487770232010-10-12T11:25:01.554+05:302010-10-12T11:25:01.554+05:30मनुष्य के इस दोहरे स्वभाव का कारण दो तरह का भय है-...मनुष्य के इस दोहरे स्वभाव का कारण दो तरह का भय है- इहलोक का भय और परलोक का भय- पहली कुरीति का कारण इहलोक का भय अर्थात सामाजिक कुत्सित रूढ़ियों का भय है और दूसरा, परलोक का भय, जिसके कारण वह नवरात्रि में नो कन्याओं को भोज करवाता है। समाज के इस दोहरे व्यवहार की विडंबना की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए आपको साधुवाद।<br />आप मेरे ब्लॉग पर आईं, इसके लिए आभार।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-68892836259547603932010-10-12T11:16:08.464+05:302010-10-12T11:16:08.464+05:30लोगों को कन्याओं के बारे में सोचने का समय ही नहीं ...लोगों को कन्याओं के बारे में सोचने का समय ही नहीं ...और यही चरित्र है आधुनिक समाज का ...<br />तारीफ करे इसकी !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-71223565711570809452010-10-12T10:06:21.102+05:302010-10-12T10:06:21.102+05:30@ Gourav,
..युवा पीढ़ी में सभी गलत ही हों, ऐसा नह...@ Gourav,<br /><br />..युवा पीढ़ी में सभी गलत ही हों, ऐसा नहीं कहा जा सकता.Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-42680867786733458672010-10-12T10:05:23.470+05:302010-10-12T10:05:23.470+05:30@ Pravin ji,
@ Bhushan ji,
Thanks a lot.@ Pravin ji,<br />@ Bhushan ji,<br /><br /><br />Thanks a lot.Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-46285546608585745752010-10-12T09:58:53.196+05:302010-10-12T09:58:53.196+05:30@ Sangita ji,
@ Upendra ,
@ Bhatiya ji,
@ Sengar j...@ Sangita ji,<br />@ Upendra ,<br />@ Bhatiya ji,<br />@ Sengar ji,<br /><br /><br />यही तो विडंबना है.Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-46251492187339829322010-10-12T09:57:31.144+05:302010-10-12T09:57:31.144+05:30@ Shikha,
धन्यवाद..सही कहा आपने. समाज नारी को पूज...@ Shikha,<br /><br />धन्यवाद..सही कहा आपने. समाज नारी को पूजनीय बनाकर भी पत्थरों में कैद कर देता है. <br /><br />@ Mayank ji,<br />@ Ustad,<br /><br />Thanks al ot.Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-59460654979181537342010-10-12T09:55:30.529+05:302010-10-12T09:55:30.529+05:30@ Dr. Brajesh,
@ M. Verma ji,
@ Surendra ji,
यही ...@ Dr. Brajesh,<br />@ M. Verma ji,<br />@ Surendra ji,<br /><br />यही समाज का स्वार्थ और विडंबना है..पधारने के लिए आभार.Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-21023278540388544362010-10-12T09:53:41.535+05:302010-10-12T09:53:41.535+05:30@ Ratnesh,
धन्यवाद...कुरीतियों का उन्मूलन भी जरुर...@ Ratnesh,<br /><br />धन्यवाद...कुरीतियों का उन्मूलन भी जरुरी है. <br /><br />@ Tushar Ji,<br /><br />Thanks a lot.<br /><br />@ Bhanvar,<br /><br />धन्यवाद..पाखी बिटिया के ब्लॉग की सराहना के लिए आभार.Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-4125187618547938992010-10-12T07:27:27.526+05:302010-10-12T07:27:27.526+05:30कुल मिला कर बात ढोंगियो पर ही आ जाती है, आज कल भा...कुल मिला कर बात ढोंगियो पर ही आ जाती है, आज कल भारतीय रिचुअल्स के रिप्रजेंटेटिव ये ही है <br />इस देश में दोगलों और ढोंगियो की संख्या बहुत ज्यादा है, आश्चर्य की बात ये है की युवा पीडी खुद भी आधुनिकता के नए ढोंग में फंस गयी है<br />इन ढोंगियो को सुधारे कौन ?? युवा पीडी तो खुद दोगली है , इसके नतीजे और भी बुरे होंगेएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.com