शनिवार, 28 मार्च 2009

ग्रेगोरियन कैलेण्डर से परे भी है नव-वर्ष

मानव इतिहास की सबसे पुरानी पर्व परम्पराओं में से एक नववर्ष है। नववर्ष के आरम्भ का स्वागत करने की मानव प्रवृत्ति उस आनन्द की अनुभूति से जुड़ी हुई है जो बारिश की पहली फुहार के स्पर्श पर, प्रथम पल्लव के जन्म पर, नव प्रभात के स्वागतार्थ पक्षी के प्रथम गान पर या फिर हिम शैल से जन्मी नन्हीं जलधारा की संगीत तरंगों से प्रस्फुटित होती है। विभिन्न विश्व संस्कृतियाँ इसे अपनी-अपनी कैलेण्डर प्रणाली के अनुसार मनाती हैं। वस्तुतः मानवीय सभ्यता के आरम्भ से ही मनुष्य ऐसे क्षणों की खोज करता रहा है, जहाँ वह सभी दुख, कष्ट व जीवन के तनाव को भूल सके। इसी के तद्नुरूप क्षितिज पर उत्सवों और त्यौहारों की बहुरंगी झांकियाँ चलती रहती हैं।

ग्रेगोरियन कैलेण्डर से परे भारत में फिलहाल विक्रम संवत, शक संवत, बौद्ध और जैन संवत, तेलगु संवत प्रचलित है। इनमें हर एक का अपना नया साल होता है। देश में सर्वाधिक प्रचलित विक्रम और शक संवत है। नया विक्रमी संवत 2066, आज 27 मार्च 2009 को आरम्भ हो जायेगा। विक्रम संवत को सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को पराजित करने की खुशी में 57 ईसा पूर्व शुरू किया था। विक्रम संवत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। ब्रह्मा पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना हुई तथा युगों में प्रथम सतयुग का प्रारंभ हुआ।

‘चैत्रे मासि जगद् ब्रह्मा ससर्ज प्रथमे अहनि।
शुक्ल पक्षे समग्रेतु तदा सूर्योदये सति।।‘

भारत में नववर्ष का शुभारम्भ वर्षा का संदेशा देते मेघ, सूर्य और चंद्र की चाल, पौराणिक गाथाओं और इन सबसे ऊपर खेतों में लहलहाती फसलों के पकने के आधार पर किया जाता है। इसे बदलते मौसमों का रंगमंच कहें या परम्पराओं का इन्द्रधनुष या फिर भाषाओं और परिधानों की रंग-बिरंगी मालाए भारतीय संस्कृति ने दुनिया भर की विविधताओं को संजो रखा है। ऋतुओं का एक पूरा चक्र संवत्सर कहा जाता है। नव संवत्सर को भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। इस दिन से तमाम पौराणिक-सांस्कृतिक-धार्मिक घटनाएं भी जुड़ी हुई हैं। इसी दिन चैत्र नवरात्र का प्रारंभ होता है और माँ दुर्गा के नौ रूपों की विधिवत आराधना आरम्भ हो जाती है। रामायण काल में भगवान राम का राज्यारोहण तो महाभारत काल में धर्मराज युधिष्ठिर का जन्म इसी दिन माना जाता है। वैदिक धर्म के पोषक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन की थी। इस दिन गुड़ी पड़वा और उगादी के रूप में भारत के विभिन्न हिस्सों में नववर्ष मनाया जाता है।

22 टिप्‍पणियां:

  1. विक्रमी-संवत की शुभकामनायें. इसके बारे में आपने सुन्दर जानकारी दी.

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  2. ..हम तो अभी तक एक ही नव-वर्ष जानते थे, आपने कई बता दिया.वाकई आपके ज्ञान की तारीफ करनी पड़ेगी...आपका स्वागत है.

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  3. नव संवत्सर और नवरात्र पर्व पर आपके सुखद जीवन की कामना करता हूँ. मां दुर्गा का आप पर आशीष बना रहे.

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  4. आकांक्षा जी ! आप कम ही पोस्ट लिखती हैं, पर जब लिखती हैं तो कुछ अलग लिखती हैं...नई जानकारी के लिए बधाई !! इतने सारगर्भित श्लोक आप जैसा गुणी व्यक्ति ही खोज सकता है.

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  5. ***नव संवत्सर २०६६ विक्रमी की हार्दिक शुभकामनायें***

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  6. बेनामी28 मार्च, 2009

    इस दिन से तमाम पौराणिक-सांस्कृतिक-धार्मिक घटनाएं भी जुड़ी हुई हैं। इसी दिन चैत्र नवरात्र का प्रारंभ होता है और माँ दुर्गा के नौ रूपों की विधिवत आराधना आरम्भ हो जाती है। रामायण काल में भगवान राम का राज्यारोहण तो महाभारत काल में धर्मराज युधिष्ठिर का जन्म इसी दिन माना जाता है। वैदिक धर्म के पोषक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन की थी।
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    अनुपम...बेहद नए आयामों के साथ प्रस्तुत पोस्ट...आप यूँ ही जानकारियों का खजाना लुटाते रहें, हम यूँ ही उसमें गोता लगाते रहें.नव संवत्सर २०६६ विक्रमी और नवरात्र पर्व की हार्दिक शुभकामनायें

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  7. विक्रम संवत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। ब्रह्मा पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना हुई तथा युगों में प्रथम सतयुग का प्रारंभ हुआ.......बहुत खूब. नव वर्ष और शुभ नवरात्र की मंगलकामनाएं स्वीकारें.

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  8. नूतन विक्रम संवत वर्ष २०६६ के आगमन पर माँ दुर्गा आपकी हर कामना पूरी करें. सरस्वती माँ का आशीष आप पर पहले से ही है, तभी तो इतना सुन्दर लिखती हैं.

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  9. नव वर्ष की शुभ कामना....बहुत ही ग्यान वर्धक लेख...धन्यवाद

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  10. आपने सुन्दर जानकारी दी.

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  11. बहुत सी नयी बातो का पता चला आप के लेख से, नव वर्ष की शुभ कामना.
    धन्यवाद

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  12. विक्रमी-संवत की आपको व आपके परिवार को बहुत -बहुत शुभकामनायें. बहुत ही बढ़िया जानकारी. वक़्त मिले तो मेरे ब्लॉग
    meridayari.blogspot.com
    पर भी आयें.

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  13. i want permission to give link of your blog on my blog
    regards
    jarnail singh

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  14. बेनामी04 अप्रैल, 2009

    अच्‍छी जानकारी देने के लिए आभार।

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  15. Akanksha ji aapki har post ki tarah yah post bhi bahut jankari se purn hai...Aapki agali post ka intajar rahega...
    Regards

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  16. रोचक जानकारी. लेकिन पंगेबाज,अशोक पाण्डेय और ज्ञान दत्त पाण्डेय जी की टिप्पणियों से अंजाम आशाजनक नहीं लगता.

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  17. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  18. @ Hem Pandey!
    .....लेकिन पंगेबाज,अशोक पाण्डेय और ज्ञान दत्त पाण्डेय जी की टिप्पणियों से अंजाम आशाजनक नहीं लगता.
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    Par is post par to unki koi tippani nahin hai .

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