सोमवार, 22 जून 2009

पंचतंत्र की कहानियों का उद्भव

पंचतंत्र की कहानियाँ तो सभी ने सुनी और पढ़ी होंगी। इससे जुड़ी तमाम कहानियाँ पशु, पक्षी, पेड़, प्रकृति तथा राजा-रानी को आधार बना कर रची गयी हैं। यह जानने की जिज्ञासा हर किसी के मन में अवश्य होगी कि आखिर इन पंचतंत्र की कहानियों की रचना कब, किसने और क्यों की? अब से लगभग 1800 वर्ष पूर्व हमारे देश में अमर शक्ति नामक यशस्वी राजा हुआ। इस राजा बहुशक्ति, उग्रशक्ति एवं मंदशक्ति नामक तीन पुत्र थे। तीनों बात-बात पर झगड़ते रहते थे। उनकी बुद्धिहीनता के कारण राजा बहुत ही चिन्तित रहता था। एक दिन उसने अपनी यह चिन्ता अपने दरबार में मौजूद सभासदों के समक्ष रखी और समस्या के निदान के लिए सभासदों से सुझाव मांगा। उसी दरबार में विष्णु दत्त शर्मा भी सभासद के रूप में मौजूद थे। उन्होंने राजा अमर शक्ति से निवेदन किया कि यदि उन्हें समय दिया जाए तो वे राजकाज की चिन्ता दूर करने के लिए अपनी कुशाग्र बुद्धि एवं कौशल से राजा के तीनों पुत्रों में सुधार ला सकते हे। इसके लिए वे तीनों राजकुमारों को अपने सानिध्य में रखकर उनमें समझदारी विकसित करेंगे एवं उन्हें खुले वातावरण में रख कर छोटी-बड़ी अच्छाई-बुराई, नफा-नुकसान से उन्हें अवगत करा कर उनमें बुद्धि का विकास कर एक कुशाग्र एवं प्रबुद्ध राजकुमारों के गुण विकसित करने का पूरा प्रयत्न करेंगे।

राजा अमर शक्ति को विष्णुदत्त शर्मा का सुझाव बेहद पसंद आया। उन्होंने अपने तीनों पुत्रों को विष्णुदत्त शर्मा के सानिध्य में भेज दिया। विष्णु दत्त ने छोटी-छोटी किन्तु प्रभावकारी कथाएं बना-बना कर राजा के तीनों पुत्रों को सुनाना प्रारम्भ किया। उनकी प्रेरणादायक कहानियों का राजकुमारों पर ऐसा प्रभाव हुआ कि छह महीने के अंतराल में ही उनकी बुद्धिहीनता उड़न छू हो गयी और वे समझदार राजकुमारों की तरह परस्पर बर्ताव व व्यवहार करने लग गये। विष्णुदत्त शर्मा द्वारा राजकुमारों को सुधारने के लिए बना-बनाकर जो कहानियां सुनायी गयी थीं, वही पंचतंत्र की कहानियों के रूप में आगे चल कर प्रसिद्ध र्हुइं। आज भी ये कहानियाँ भारतीय समाज में बड़े चाव से सुनी और गुनी जाती हैं।

19 टिप्‍पणियां:

  1. ये कहानियाँ आज भी उतनी ही उपयोगी हैं। आवशयकता केवल इस बात की है कि इनको समझ कर इतना विवेक विकसित हो जाय कि किस 'सूत्र' (सलाह) का कहाँ उपयोग करना है।

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  2. पंचतन्त्र की कहानियाँ
    शिक्षाप्रद और सदाबहार हैं।

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  3. हाँ बचपन में हमने भी पढा था..मगर आज फिर से पढ़ कर अच्छा लगा..बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने..

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  4. बहुत बडिया जानकारी है प्रेरक और शिक्षाप्रद कहानियाँ हैं पँचतंत्र आभार्

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  6. बहुत सुन्दर जानकारी...युवा पीढी को ऐसी बातों से जोड़ने की जरुरत है.

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  7. कुछ भी हो, आपकी हर पोस्ट बहुत रोचक तथा ज्ञानवर्धक होती है.

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  8. पंचतंत्र के बारे में इतनी विशद जानकारी पहली बार मिली. आपकी ऐसे ही उम्दा पोस्टों के कारण आपका ब्लॉग चर्चा में बना रहता है.

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  9. बहुत खूब...पंचतंत्र के बारे में इतनी महत्वपूर्ण जानकारी ...दिल बाग-बाग हो गया.

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  10. बहुत खूब...पंचतंत्र के बारे में इतनी महत्वपूर्ण जानकारी ...दिल बाग-बाग हो गया.

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  11. बच्चों एवं युवाओं के लिए प्रेरणास्पद आलेख.

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  12. बेनामी25 जून, 2009

    आज भी पंचतन्त्र की शिक्षाप्रद और सदाबहार कहानियाँ भारतीय समाज में बड़े चाव से सुनी और गुनी जाती हैं।

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  13. बेनामी25 जून, 2009

    इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  14. बेनामी25 जून, 2009

    पञ्चतंत्र के बारे में विस्तृत तथा रोचक जानकारी..आभार.

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  15. आपका ब्लॉग लाजवाब है व नई-नई जानकारियों से भरा पड़ा है....यहाँ आकर बड़ा सुकून मिलता है.

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