tag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post6215653079262242241..comments2023-11-24T11:09:23.683+05:30Comments on शब्द-शिखर: कौन सी क्रांति ला रहे हैं अन्ना ??Akanksha Yadavhttp://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comBlogger59125tag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-49159393246734688122011-08-17T20:50:33.816+05:302011-08-17T20:50:33.816+05:30अपनी सोच को सुधारों, बाकि अपने आप सुधर जायेगा.. आप...अपनी सोच को सुधारों, बाकि अपने आप सुधर जायेगा.. आपके विचार से सबको PM होना चाहिए, क्यूँ पूरी सर्कार एक के पीछे चले.. अगर यही सोच है तो हमें लीडर-शिप के ऊपर लिखा पूरा मटेरिअल जला देना चाहिए. अन्ना एक जन नेता बन के उभर रहे है. किसी ज़माने मई गांधीजी जन ने बन गए थे. आपके कहने का अर्थ है की नेहरुजी और देश की लाखो लोगो की जो भावनाएं घंधिजी के पीछे थी, वो केवल भीड़ की अप्रबंधित सोच थी. शर्म आती है एसी सोच वाले लोगो के लिएAdminhttps://www.blogger.com/profile/06220146685771678435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-8807685755393928902011-05-03T23:57:59.155+05:302011-05-03T23:57:59.155+05:30A revolution may take place or not, one must raise...A revolution may take place or not, one must raise voice if one feels all is not well. That is what Anna did. Awakening is a slow process and more so in a society carrying all the evils of a long servile past.<br />-Virendra Singh Godharagodharavs1947https://www.blogger.com/profile/07029102092683682062noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-78813481578537249922011-04-12T08:46:18.735+05:302011-04-12T08:46:18.735+05:30mujhe samajh nahin aata internet ke madhyam se apn...mujhe samajh nahin aata internet ke madhyam se apni abhivyakti dene wale logon ko shankit nigahon se kyo dekha ja raha hai. in users men se hi log annaji ke sath jantar mantar aur desh ke kone kone men bahar nikle. egypt ka sashakta udaharan abhi taja hi hai. esi shankalu baton ko men ise aur pratibadhhata lane ke liye kasauti par parakhne wala jatan man sakta hun.shabdarnavhttps://www.blogger.com/profile/08656176969723504440noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-91667232674950898242011-04-11T13:53:18.835+05:302011-04-11T13:53:18.835+05:30आन्दोलन चला तो तेजी से पर इसे कुछ लोगों ने हाइजैक ...आन्दोलन चला तो तेजी से पर इसे कुछ लोगों ने हाइजैक कर लिया.raghavhttps://www.blogger.com/profile/02798957175847280091noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-27289616676904528522011-04-11T13:04:59.691+05:302011-04-11T13:04:59.691+05:30Vastutah yeh janandolan nahi balki media movment j...Vastutah yeh janandolan nahi balki media movment jyada raha kyonki bheed photo khichane wali jyada thi jiska samajik sarokar na ke barabar tha.jo tathakathit budhdhijive ikattha bhi hue wah is tarah ke har manch pe dikh jate hain ( ya dikhaye jate hain...karan TRP)aur jo apne niji jivan mein in sab prajatantrik mulyon se koson door rahte hain. achchha hota ki is per bahas chhedi jati aur janta so kisi bhi neta, abhineta, prashashak aur vyapari se shayad kam bhrashta nahi hai ( kyonki pata to tab chalega jabki use mauka diya jay), ko is bahas mein bahut shiddat se shamil kiya jata.. kanoon to sabhi achchhe hain per burai use lagoo karne mein hi hoti hai..yadi ham aisa nahi karenge to parinam wahi hoga...DHAK KE TEEN PAATAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/01414757950355085876noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-61212212524049058002011-04-11T11:31:17.289+05:302011-04-11T11:31:17.289+05:30यह क्रांति या आंदोलन की बात नहीं है, शायद यह निरीह...यह क्रांति या आंदोलन की बात नहीं है, शायद यह निरीह होने का आक्रोश है..Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-87282016599995770942011-04-10T20:59:43.875+05:302011-04-10T20:59:43.875+05:30आकांक्षा जी! भारत में राजनैतिक सत्ता के गुलगुले जा...आकांक्षा जी! भारत में राजनैतिक सत्ता के गुलगुले जाति-धर्म के गुड़ से बनते हैं। यदि गुड़ खराब होगा तो उससे बना हर पकवान खराब होगा। गुड़ को शोधित किए बिना अच्छे पकवान की कल्पना करना व्यर्थ है।<br />=============================<br />@ एक व्यक्ति ने एक व्यंग्यकार से प्रश्न किया गया कि भारत में भ्रष्टाचार का ग्राफ इतना ऊँचा क्यों है? उसका उत्तर था कि अधिकांश लोग चाह्ते हैं कि सरदार भगतसिंह यदि पुर्न जन्म लें तो पड़ोसी के घर में लें और माइकेल जैक्शन अथवा नटवर लाल उनके घर में। अगर कोई आफ़त आवे तो पड़ोसी के घर में आवे और उसका घर सुरक्षित रहे। <br />================ सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-13790605209090821722011-04-10T18:15:49.350+05:302011-04-10T18:15:49.350+05:30आकांक्षा जी,
’भ्रष्टाचार का मुद्दा’ कोई छोटा मुददा...आकांक्षा जी,<br />’भ्रष्टाचार का मुद्दा’ कोई छोटा मुददा नहीं हॆ.किसी भी बडे काम की सफलता के लिए-सामूहिक प्रयास करना पडता हॆ.योजनाबद्ध तरीके से आगे बढना पडता हॆ.सामूहिक प्रयास के लिए यह भी जरूरी हॆ कि एक कुशल नेतृत्व हो.यह एक सार्वभॊमिक सत्य हॆ कि हर घर में-भगतसिंह,चन्द्र्शेखर आजाद,गांधी या अन्ना हजारे जॆसे व्यक्तित्व पॆदा नहीं हो सकते.’भ्रष्टाचार के मुद्दे’ पर यदि अन्ना हजारे जॆसे लोगों ने जन-आन्दोलन खडा किया हॆ,तो हमें उनके इस प्रयास में अपनी सामर्थ्य के अनुसार सहयोग करना चाहिए.आपके इस लेख में कुछ निराशा का भाव दिखाई देता हॆ.इस तरह का लेख-आपकी कलम से पहली बार पढने को मिल रहा हॆ.श्री अजय कुमार झा,समार्ट इंडियन व श्री बलराम अग्रवाल जी की टिप्पणी व फिर अन्य मित्रों की टिप्पणियां पढने के उपरांत कृपया उक्त विषय पर एक बार पुन: चिंतन करें.विनोद पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/16819797286803397393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-10467756011987296732011-04-10T14:04:42.746+05:302011-04-10T14:04:42.746+05:30लेख पढ़ी, आप के तर्क ने मुझे फिर से सोचने को मजबूर...लेख पढ़ी, आप के तर्क ने मुझे फिर से सोचने को मजबूर कर दिया .यह तो स्पष्ट है इस आन्दोलन से भारत की सोई हुई जनता तो जाग गई. उनके अन्दर की चिनगारी को जगाने के लिए किसी को तो आगे आना ही था .ये सच है कि जंग यही समाप्त नहीं होनी चाहिए .कल क्या होगा पता नहीं ? लेकिन आज हमें अधिक जागरुक रहने की जरुरत है अपने हक के लिए लडने में क्या बुराई है ?Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-7692539805231272712011-04-10T11:22:27.158+05:302011-04-10T11:22:27.158+05:30वैचारिक पोषण मुहैया कराती हुई आपकी इस पोस्ट का ज़िक...वैचारिक पोषण मुहैया कराती हुई आपकी इस पोस्ट का ज़िक्र बंदे ने दो जगह किया है<br /><br /><a href="http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/04/dr-t-s-daral.html" rel="nofollow">आकांक्षा जी , यह पहली पोस्ट है जो इस विषय पर अलग नज़रिया दर्शा रही है</a><br /><br /><a href="http://commentsgarden.blogspot.com/2011/04/anna-hajare.html" rel="nofollow">अन्ना हज़ारे का काम प्रशंसनीय है लेकिन हमें और भी ज़्यादा गहरी नज़र से देखना होगा Anna Hajare</a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-83882882823092322842011-04-10T09:48:34.671+05:302011-04-10T09:48:34.671+05:30यही तो विडम्बना है -गाँधी, नेहरु, भगत सिंह पैदा हो...यही तो विडम्बना है -गाँधी, नेहरु, भगत सिंह पैदा हों, पर हमारे नहीं पडोसी के घर में. और हम उनकी हाँ में हाँ मिलकर अपनी क्रांति का कोटा पूरा कर लें.Ram Shiv Murti Yadavhttps://www.blogger.com/profile/14132527541648964036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-75460820773291432752011-04-10T09:43:02.087+05:302011-04-10T09:43:02.087+05:30अन्ना साहब के जन लोकपाल से क्या होने जा रहा है इस ...अन्ना साहब के जन लोकपाल से क्या होने जा रहा है इस देश में. मनमोहन सिंह जैसे ईमानदार व्यक्ति को भी इस व्यवस्था ने पंगु बना दिया है. अन्य देशों में क्रांतियाँ संभव है क्योंकि वे यूनाइटेड हैं, पर भारत में तो जाति, धर्म , क्षेत्र की भावना इतनी प्रबल है कि ऐन वक़्त पर आपस में ही लड़ जायेंगें. इसी कमजोरी का लाभ उठाकर विदेशियों ने हम पर राज किया और आज भी यही हो रहा है. हर दल जाति-धर्म-बहुबल-धनबल के आधार पर चुनाव लड़ता है और हम उन्हें चुनकर संसद में भेजते हैं, फिर चिल्लाते हैं कि भ्रष्टाचार भागो. जब तक समाज से यह दोहरा चरित्र ख़त्म नहीं होगा, तब तक किसी सकारत्मक कदम की आशा हास्यास्पद है.Bhanwar Singhhttps://www.blogger.com/profile/15075816337973720075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-89652009980277919332011-04-10T09:10:50.267+05:302011-04-10T09:10:50.267+05:30@ Smart Indian,
नेता/आइ.ए.ऐस/आइ.पी.ऐस के निकम्मे,...@ Smart Indian,<br /><br />नेता/आइ.ए.ऐस/आइ.पी.ऐस के निकम्मे, भ्रष्ट और प्रशासनहीनतंत्र से त्रस्त है और परिवर्तन चाहती है। रिश्वत से लेकर आतंकवाद तक, देश की अधिकांश समस्याओं की जड में सत्ता पर काबिज़ यही निकम्मा/भ्रष्ट वर्ग है।<br />__________________________<br /><br /> कौन चुनता है इन नेताओं को. हम और आप. ये अधिकारी किसके घर के हैं-हमारे और आपके. ये आतंकवादी और नक्सली तो रोज आम जनता को भून रहे हैं, उन पर क्यों नहीं ऊँगली उठाते. दूसरों पर दोषारोपण कर हम अपनी कमियां नहीं छुपा सकते. अन्ना के साथ कड़ी किरण बेदी भी तो IPs रही हैं, फिर यदि ये आपके शब्दों में 'आइ.पी.ऐस के निकम्मे' हैं तो उन्हें अपने साथ लेकर क्यों आन्दोलन कर रहे हैं अन्ना हजारे !!Dr. Brajesh Swaroophttps://www.blogger.com/profile/17791749899067207963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-26903141231655295662011-04-10T09:03:48.330+05:302011-04-10T09:03:48.330+05:30ममता कालिया जी की अन्ना जी के आन्दोलन पर टिपण्णी ग...ममता कालिया जी की अन्ना जी के आन्दोलन पर टिपण्णी गौरतलब है- ''मुझे यह आधी-अधूरी लड़ाई लग रही है और हम सभी कभी न कभी भ्रष्टाचार से जाने कब से लड़ रहे हैं." (दैनिक जागरण, 8 अप्रैल, 2011).Dr. Brajesh Swaroophttps://www.blogger.com/profile/17791749899067207963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-54771026933689927972011-04-10T08:50:21.353+05:302011-04-10T08:50:21.353+05:30@ बलराम अग्रवाल जी,
आप अन्ना के समर्थक है, यहाँ त...@ बलराम अग्रवाल जी,<br /><br />आप अन्ना के समर्थक है, यहाँ तक तो बात समझ में आती है. पर इस पोस्ट कि शीर्षक में जो आपकी निगाह में तथाकथित परिहास झलकता है, वह मेरी समझ में नहीं आई. अपने रटी -रटाई बात तो कह दी कि -''क्रान्तियाँ एक ही दिन में और एक ही व्यक्ति के प्रयास से नहीं आ जातीं; वे एक प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही परिपक्वता को प्राप्त होती हैं।''...पर यह कहने से क्यों चूक गए कि क्रांति के लिए इच्छा-शक्ति की भी जरुरत होती है. न तो क्रांतियाँ बयानबाजी से आती हैं और न ही शेरो शायरी से. भगत सिंह को आज भी क्रांतिकारियों में श्रद्धा से देखा जाता है, पर उसी भगत सिंह को गाँधी जी ने कोई तवज्जो नहीं दी, आखिर क्यों ? क्या उन्हें यह डर था कि कहीं आजादी का श्रेय ये नौजवान न ले जाएँ. क्रांति का प्रकाश इच्छा शक्ति और समर्पण से फैलता है, मोमबत्तियां जलाकर नहीं. मोमबत्तियां तो हमने आरुषी के लिए भी जलाई थीं, मीडिया से लेकर फेसबुक, ट्विटर और आर्कुट पर. पर आज भी आरुषी की आत्मा न्याय पाने के लिए भटक रही है.मन-मयूरhttps://www.blogger.com/profile/17368103957948539533noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-33009324963456004402011-04-10T08:36:38.511+05:302011-04-10T08:36:38.511+05:30आकांक्षा जी, आपकी बातों से शत-प्रतिशत सहमत. सवाल प...आकांक्षा जी, आपकी बातों से शत-प्रतिशत सहमत. सवाल पैदा होता है कि अन्ना अनशन से उठ क्यों गए. उनकी तो सारी बातें सरकार ने मानी भी नहीं. वो तो यही कह रहे थे कि जब तक सारी बातें मान नहीं ली जायेंगीं, उपवास पर रहूँगा. कहीं यह डर तो नहीं था कि ये जो नौजवान उनके साथ दिख रहे हैं IPL मैचों के साथ ही TV से चिपक जायेंगें और मिडिया जो अभी अन्ना को इतना भाव दे रहा है, उसके लिए अन्ना गौड़ हो जायेंगें. सही समय चुना अन्ना ने अपने को अ-प्रासंगिक बनाने से बचने के लिए. आखिर वो भी जनता कि नब्ज़ पकड़ते हैं, कब पलटी मार जय कोई भरोसा नहीं. बाबा रामदेव भी तो उन्हें शायद यही सीख देने गए थे कि कल मेरी जय बोल रहे थे, आज आपकी, कल किसी और की. किसी भी नेतृतव की इच्छा शक्ति से ज्यादा जरुरी है उसके पीछे चलने वाले भी इमानदार हों.मन-मयूरhttps://www.blogger.com/profile/17368103957948539533noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-8266220066454645182011-04-10T08:27:57.283+05:302011-04-10T08:27:57.283+05:30आकांक्षा जी,
जहाँ अधिकतर ब्लागर अन्ना के पक्ष में...आकांक्षा जी, <br />जहाँ अधिकतर ब्लागर अन्ना के पक्ष में जय-जय कर कर रहे थे, वहां आपकी पोस्ट आत्म विश्लेषण का मौका देती है. दुर्भाग्यवश हम सच्चाई को स्वीकार नहीं करना चाहते. अन्ना कोई पहले व्यक्ति नहीं हैं जो आन्दोलन और क्रांति की बात कर रहे हैं, इससे पहले भी काफी लोगों ने यह बीड़ा उठाया है. बस हमें अपनी स्मरण शक्ति पर जोर देना है की उनका हश्र क्या हुआ?...और तब क्या जनता-जनार्दन सो रही थी. जिस जे.पी. ने सत्ता पलट दिया, जनता कुछ ही सालों के भीतर जे.पी. को भुलाकर पुन: उसी तानाशाह इंदिरा को ले आई. हर बार चुनाव होते हैं, पर हर बार नेता यही कहते हैं कि जनता कि स्मरण शक्ति बहुत कमजोर है, उन्हें अपनी गृहस्थी से फुर्सत ही नहीं. मह्नागाई, भ्रष्टाचार न जाने कितनी बार आये और गए पर हम तो अपनी जाती और धर्म का बंद देखकर वोट दे आये. जब हमारी मानसिकता में ही खोट है तो एक अन्ना कहाँ से क्रांति लायेंगें....??Shyamahttps://www.blogger.com/profile/15780650583480468092noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-29067526057370924812011-04-10T08:26:12.081+05:302011-04-10T08:26:12.081+05:30आपने वर्तमान वातावरण का जो चित्रण किया है वह सही ह...आपने वर्तमान वातावरण का जो चित्रण किया है वह सही है। कमोबेश सभी यह जानते भी हैं। लेकिन बात उसके आगे की हो रही है। <br /><br />जिन्हें कोई काम करना नहीं आता वे आलोचक बन जाते हैं। समस्या का पता सबको है। समाधान खोजने की जहमत उठाना कम लोग चाहते हैं।<br /><br />अन्ना ने एक कोशिश की है। उसका समर्थन होना चाहिए। आज सूचना का अधिकार कानून जो हमारी प्रशासनिक व्यवस्था की शक्ल बदलने में कामयाब हुआ है वह अन्ना जैसे लोगों की मेहनत का ही परिणाम है। जन लोकपाल के आ जाने से जरूरत सूरत बदलेगी।<br /><br /><b><a rel="nofollow">अन्धकार को क्यों धिक्कारें, नन्हा सा एक दीप जलाएँ।</a></b><br /><br />इस आलेख के उद्देश्य से और विषयवस्तु से असहमत।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/10888258577104247184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-26965058566496604652011-04-10T07:24:22.378+05:302011-04-10T07:24:22.378+05:30All has to understand this is the starting of Kran...All has to understand this is the starting of Kranti there are lot of issues in our country,govt should take proactive approach.There rae lot of Andolans will take place like this as it is the past.Abuuhttps://www.blogger.com/profile/02303384224783820664noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-39349934736688695422011-04-10T02:09:39.476+05:302011-04-10T02:09:39.476+05:30संयोग की ही बात है कि बिखरे भावों के साथ ही सही ले...संयोग की ही बात है कि बिखरे भावों के साथ ही सही लेकिन काफी-कुछ ऐसी ही बात परसों मेरे मन में भी आई थी जिसको कि ब्लॉग पर भी लोगों से शेयर किया था. असल में सच में कुछ करने के लिए एक तरफी नहीं बल्कि दो तरफी लड़ाई लड़नी होगी, मेडिकल साइंस से सबक लेते हुए. जैसे चिकित्सक घाव को भरने के लिए बाहर से मरहम और अन्दर से भरने के लिए दवा खाने को देता है ठीक वैसे ही हमें बाहर से ऐसे आन्दोलन चलाते रहने की भी जरूरत है और स्वयं में सुधार लाने की भी. परिणाम मिलने में समय भले ही लग जाए लेकिन इस तरह कार्य करने से बदलाव आना निश्चित है. बस ख्याल रहे कि हम नकारात्मक ना होने पायें ये ख्याल रखना है. अपनी आलोचना भी इसीलिये करना है कि अपनी बुराइयों को दूर कर सकें. हालांकि कहना आसान है और करना कठिन, फिर भी इस सोच को मूर्तरूप दिए बिना काम नहीं हो सकता. अच्छा है शुरुआत हम सब करें, इसके लिए अपने और अपने परिवारीजनों के हितों के प्रति मोह भी कम करना ही होगा क्योंकि मोह ही भ्रष्ट आचरण का प्रथम कारण है.दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-77663541265675935582011-04-09T23:56:56.812+05:302011-04-09T23:56:56.812+05:30व्यक्ति नहीं मुद्दा महत्वपूर्ण है...
गांधी नहीं ग...<i>व्यक्ति नहीं मुद्दा महत्वपूर्ण है...<br /><br />गांधी नहीं गांधी की विचारधारा अमर है...<br /><br />स्कूल के बच्चे धूप-गर्मी की परवाह किए बिना जंतर-मंतर पर आ जुटे...सिर्फ इसलिए कि वो अपना भविष्य भ्रष्ट भारत में नहीं देखना चाहते...क्या वो भी किसी उकसावे पर वहां आए...<br /><br />सरकार की मंशा पर मुझे भी भरोसा नहीं है...लेकिन क्या ये पहली बार नहीं हुआ सरकार को जनता की आवाज़ के सामने घुटने टेकने पड़े...<br />इस पूरे प्रकरण के दौरान सम्वेदना के स्वर की ये दो पंक्तियां सटीक विश्लेषण कर देती हैं...<br /><br />भेड़ियों के झुंड में खलबली है,<br />एक गाय ने शमशान की राख सींग पर मली है...<br /><br />जय हिंद...</i>Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-45213202111280291862011-04-09T23:41:11.981+05:302011-04-09T23:41:11.981+05:30अन्ना क्रांति कि राह सुझा रहे हैं ...भ्रष्टाचार से...अन्ना क्रांति कि राह सुझा रहे हैं ...भ्रष्टाचार से अकेला आदमी नहीं लड़ सकता ...पूरी व्यवस्था से लडने के लिए सहयोग की ज़रूरत है ..हर आम आदमी त्रस्त है सरकार के रवैये से ...आज एक अवसर मिला है कुछ करने का तो जनता जुडी है इस आंदोलन से ...कुछ न किया जाए उससे तो बेहतर है कि जो रास्ता दिखे उस पर चला जाए ...अब कुछ हासिल होता है या नहीं वो बाद की बात है ...<br /><br />आपकी पोस्ट भी लोगों को सोचने का और जागरूक करने का काम कर रही हैसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-21437754171462506562011-04-09T22:58:25.900+05:302011-04-09T22:58:25.900+05:30संघर्ष अब हर पग में है।संघर्ष अब हर पग में है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-69091087374377433242011-04-09T22:21:53.167+05:302011-04-09T22:21:53.167+05:30आकांक्षा जी या आलेख आपकी पृष्ठभूमि के हिसाब से ठीक...आकांक्षा जी या आलेख आपकी पृष्ठभूमि के हिसाब से ठीक है... आप एक बड़े ब्यूरोक्रेट के परिवार से जुडी हैं.. सो वे विचार आयेंगे ही... जिन्हें लोकतंत्र में लोकहित में काम करना था उन्होंने देश की नीव में घुन लगा दिया.. अन्ना को व्यक्ति नहीं एक विचारधारा मानिए तो आपके आलेख का नजरिया बदल जायेगा...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7291505309636252413.post-47913686994233261862011-04-09T22:21:29.828+05:302011-04-09T22:21:29.828+05:30bahut sundar lekh likha hai aapne....bahut sundar lekh likha hai aapne....सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.com