मंगलवार, 8 दिसंबर 2009

'बाल साहित्य समीक्षा' का आकांक्षा यादव विशेषांक

बच्चों के समग्र विकास में बाल साहित्य की सदैव से प्रमुख भूमिका रही है। बाल साहित्य बच्चों से सीधा संवाद स्थापित करने की विधा है। बाल साहित्य बच्चों की एक भरी-पूरी, जीती-जागती दुनिया की समर्थ प्रस्तुति और बालमन की सूक्ष्म संवेदना की अभिव्यक्ति है। यही कारण है कि बाल साहित्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण व विषय की गम्भीरता के साथ-साथ रोचकता व मनोरंजकता का भी ध्यान रखना होता है। समकालीन बाल साहित्य केवल बच्चों पर ही केन्द्रित नहीं है अपितु उनकी सोच में आये परिवर्तन को भी बखूबी रेखाकित करता है। सोहन लाल द्विवेदी जी ने अपनी कविता ‘बड़ों का संग’ में बाल प्रवृत्ति पर लिखा है कि-''खेलोगे तुम अगर फूल से तो सुगंध फैलाओगे।/खेलोगे तुम अगर धूल से तो गन्दे हो जाओगे/कौवे से यदि साथ करोगे, तो बोलोगे कडुए बोल/कोयल से यदि साथ करोगे, तो दोगे तुम मिश्री घोल/जैसा भी रंग रंगना चाहो, घोलो वैसा ही ले रंग/अगर बडे़ तुम बनना चाहो, तो फिर रहो बड़ों के संग।''

आकांक्षा जी बाल साहित्य में भी उतनी ही सक्रिय हैं, जितनी अन्य विधाओं में। बाल साहित्य बच्चों को उनके परिवेश, सामाजिक-सांस्कृतिक परम्पराओं, संस्कारों, जीवन मूल्य, आचार-विचार और व्यवहार के प्रति सतत् चेतन बनाने में अपनी भूमिका निभाता आया है। बाल साहित्यकार के रूप में आकांक्षा जी की दृष्टि कितनी व्यापक है, इसका अंदाजा उनकी कविताओं में देखने को मिलता है। इसी के मद्देनजर कानपुर से डा0 राष्ट्रबन्धु द्वारा सम्पादित-प्रकाशित ’बाल साहित्य समीक्षा’ ने नवम्बर 2009 अंक आकांक्षा यादव जी पर विशेषांक रूप में केन्द्रित किया है। 30 पृष्ठों की बाल साहित्य को समर्पित इस मासिक पत्रिका के आवरण पृष्ठ पर बाल साहित्य की आशा को दृष्टांकित करता आकांक्षा यादव जी का सुन्दर चित्र सुशोभित है। इस विशेषांक में आकांक्षा जी के व्यक्तित्व-कृतित्व पर कुल 9 रचनाएं संकलित हैं।

’’सांस्कृतिक टाइम्स’’ की विद्वान सम्पादिका निशा वर्मा ने ’’संवेदना के धरातल पर विस्तृत होती रचनाधर्मिता’’ के तहत आकांक्षा जी के जीवन और उनकी रचनाधर्मिता पर विस्तृत प्रकाश डाला है तो उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन से जुडे दुर्गाचरण मिश्र ने आकांक्षा जी के जीवन को काव्य पंक्तियों में बखूबी गूंथा है। प्रसि़द्ध बाल साहित्यकार डा0 राष्ट्रबन्धु जी ने आकांक्षा जी के बाल रचना संसार को शब्दों में भरा है तो बाल-मन को विस्तार देती आकांक्षा यादव की कविताओं पर चर्चित समालोचक गोवर्धन यादव जी ने भी कलम चलाई है। डा0 कामना सिंह, आकांक्षा यादव की बाल कविताओं में जीवन-निर्माण का संदेश देखती हैं तो कविवर जवाहर लाल ’जलज’ उनकी कविताओं में प्रेरक तत्वों को परिलक्षित करते हैं।

वरिष्ठ बाल साहित्यकार डा0 शकुन्तला कालरा, आकांक्षा जी की रचनाओं में बच्चों और उनके आस-पास की भाव सम्पदा को चित्रित करती हैं, वहीं चर्चित साहित्यकार प्रो0 उषा यादव भी आकांक्षा यादव के उज्ज्वल साहित्यिक भविष्य के लिए अशेष शुभकामनाएं देती हैं। राष्ट्भाषा प्रचार समिति-उ0प्र0 के संयोजक डा0 बद्री नारायण तिवारी, आकांक्षा यादव के बाल साहित्य पर चर्चा के साथ दूर-दर्शनी संस्कृति से परे बाल साहित्य को समृद्ध करने पर जोर देते हैं, जो कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बेहद प्रासंगिक भी है। साहित्य साधना में सक्रिय सर्जिका आकांक्षा यादव के बहुआयामी व्यक्तित्व को युवा लेखिका डा0 सुनीता यदुवंशी बखूबी रेखांकित करती हैं। बचपन और बचपन की मनोदशा पर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत आकांक्षा जी का आलेख ’’खो रहा है बचपन’’ बेहद प्रभावी व समयानुकूल है।

आकांक्षा जी बाल साहित्य में नवोदित रचनाकार हैं, पर उनका सशक्त लेखन भविष्य के प्रति आश्वस्त करता हैं। तभी तो अपने संपादकीय में डा0 राष्ट्रबन्धु लिखते हैं-’’बाल साहित्य की आशा के रूप में आकांक्षा यादव का स्वागत कीजिए, उन जैसी प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का रास्ता दीजिए। फूलों की यही नियति है।’’ निश्चिततः ’बाल साहित्य समीक्षा’ द्वारा आकांक्षा यादव पर जारी यह विशेषांक बेहतरीन रूप में प्रस्तुत किया गया है। एक साथ स्थापित व नवोदित रचनाकारों को प्रोत्साहन देना डाॅ0 राष्ट्रबन्धु जी का विलक्षण गुण हैं और इसके लिए डा0 राष्ट्रबन्धु जी साधुवाद के पात्र हैं।

समीक्ष्य पत्रिका-बाल साहित्य समीक्षा (मा0) सम्पादक-डा0 राष्ट्रबन्धु,, मूल्य 15 रू0, पता-109/309, रामकृष्ण नगर, कानपुर-208012
समीक्षक- जवाहर लाल ‘जलज‘, ‘जलज निकुंज‘ शंकर नगर, बांदा (उ0प्र0)

15 टिप्‍पणियां:

  1. Congts. for this great achievement...we r publishing it on Yuva Blog.

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  2. बाल साहित्य लिखना सचमुच बेहद कठिन काम है
    अतः मेरी ओर से साधुवाद

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  3. Kotishah Dhanyawaad,

    "Bal Sahitya Samikchha" mein aapki samgra bal vikash ki anoothi anubhuti prashanshniya hai. Bal samaj aapka kritagya rahega.

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  4. बहुत-बहुत शुभकामनायें...आप बाल साहित्य के क्षेत्र में भी नाम कमायें.

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  5. Aapne jo 'apne bareme' likha hai.use padhke kaafee prabhavit hun!

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  6. मित्रवर डॉ.राष्ट्र बऩ्धु जी को बधाई!
    बहुत सुन्दर समीक्षा की है!

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  7. आपकी यह उपलब्धि लाजवाब है....बधाई स्वीकारें. इसकी प्रति मुझे भी भिजवायें.

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  8. Congts. to Ms. akanksha ji.
    Thanks to Dr. Rashtrabandhu ji.

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  9. ’’बाल साहित्य की आशा के रूप में आकांक्षा यादव का स्वागत कीजिए, उन जैसी प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का रास्ता दीजिए। फूलों की यही नियति है...Swagat hai.

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  10. सुन्दर ब्लाग एवं बेहतर लेखन

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  11. बहुत-बहुत शुभकामनायें...आप बाल साहित्य के क्षेत्र में भी नाम कमायें.

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  12. बाल संवेदनाओं से परिपूर्ण आपका यह आलेख अति महत्वपूर्ण है। बाल मन के हर कोने में आपने झांकने का प्रयास किया है।

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