मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

हफ्ते भर बंद रहेंगीं बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ

सुनने में अजीब लगता है पर यह सच है. खर्चो में कटौती की योजना के तहत तमाम कम्पनियाँ एक सप्ताह के लिए अपने दफ्तर बंद कर रही है। इस दौरान इन कार्यालयों में सिर्फ अनिवार्य काम होगा। वस्तुत: बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अब मंदी के दौर में खर्चों में कटौती के नए उपाय तलाश रही हैं और इसी क्रम में ये कदम उठाये जा रहे हैं. वित्तीय वर्ष का अंत भी मार्च में हो जायेगा, उससे पहले इन नामचीन कंपनियों को अपने को लाभ में दिखने के लिए तमाम पापड़ बेलने पड़ रहे हैं.

इंटरनेट कंपनी याहू के दुनियाभर के कार्यालय क्रिसमस से नव-वर्ष के प्रथम दिन (25 दिसंबर से 1 जनवरी) तक अर्थात एक सप्ताह के लिए बंद रहेंगे। याहू के अलावा एडोब तथा एप्पल जैसी कंपनियों ने भी छुट्टियों के दौरान अपने दफ्तर बंद रखने की घोषणा की है। एडोब और एप्पल के कार्यालय भी 24 दिसंबर से 1जनवरी तक बंद रहेंगे। याहू पूर्व में भी अपने अमेरिकी कर्मचारियों से एक सप्ताह का अवकाश लेने को कह चुकी है पर कंपनी द्वारा दफ्तर बंद रखने का अनिवार्य कदम पहली बार उठाया जा रहा है। इस कदम से कोई गलत सन्देश न जाये, इसके लिए ये आधुनिक कम्पनियाँ, परंपरागत तर्कों का सहारा ले रही हैं. कहा जा रहा है कि परंपरागत रूप से कारोबार की दृष्टि से ठंडे सप्ताह के दौरान दफ्तर बंद रखने से कर्मचारियों को फिर तरोताजा होने का मौका मिलता है और साथ ही इससे कंपनी की परिचालन लागत में कमी आती है। फ़िलहाल याहू के अमेरिकी कर्मचारी इस दौरान अवकाश ले सकते हैं या बिना वेतन की छुट्टियां ले सकते हैं। वहीं अमेरिका के बाहर के कर्मचारियों को इस दौरान स्थानीय कानून के अनुसार भुगतान किया जाएगा। गौरतलब है कि खर्चो में कटौती के उपायों के तहत याहू पहले ही 700 कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी है।....अब देखते जाइये, आगे-आगे होता क्या है. फ़िलहाल हम निश्चिन्त हो सकते हैं, सरकारी मुलाजिम जो ठहरे और वो भी भारत में. चिंता तो वो करें जो बड़ी-बड़ी डिग्रियाँ लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करते हैं और बड़े-बड़े पैकेज उठाते हैं...पर सरकारी नौकरी में जो निश्चिन्तता है, वो बड़ी कंपनियों में नहीं. हमेशा सर पर तलवार लटकी रहती है कि कब बाज़ार के भाव गिरे और इसी के साथ बड़े-बड़े पैकेज भी औंधे मुँह गिरे. इसे कहते हैं नाम बड़े-दर्शन छोटे.

फ़िलहाल क्रिसमस और नव-वर्ष को सेलिब्रेट करने की तैयारियाँ कीजिये !!!

15 टिप्‍पणियां:

  1. 100% sahi bat kahi apne-पर सरकारी नौकरी में जो निश्चिन्तता है, वो बड़ी कंपनियों में नहीं. हमेशा सर पर तलवार लटकी रहती है कि कब बाज़ार के भाव गिरे और इसी के साथ बड़े-बड़े पैकेज भी औंधे मुँह गिरे.

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  2. आपने बात भी कह दी...कमेन्ट भी कर दिया...विश्लेषण भी कर दिया !! फ़िलहाल हम तो हर taraf से बेरोजगार हैं. ये बड़े-बड़े नाम बस सुनते हैं.

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  3. आपने बात भी कह दी...कमेन्ट भी कर दिया...विश्लेषण भी कर दिया !! फ़िलहाल हम तो हर taraf से बेरोजगार हैं. ये बड़े-बड़े नाम बस सुनते हैं.

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  4. खर्चो में कटौती की योजना के तहत तमाम कम्पनियाँ एक सप्ताह के लिए अपने दफ्तर बंद कर रही है।
    अजी नही यह बात नही, असल मै क्रिसचनो का तोयहार आ रहा है, ओर पुरे युरोप मै २३ दोपहर से १ तक ओर कही ६ तक छुट्टीया होती है हर साल, यह पहली बार नही हो रहा, लेकिन मंदी की मार भी पड रही है

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  5. हालात तो अभी भी अच्छे नहीं हैं..हमारे यहाँ भी कऔतियाँ जारी हैं..जनवरी से मार्च तक तो बिजनेस का समय है और अगर नहीं उठा..तो बड़ी तलवार चलेगी अप्रेल में..जाने कितने निकाले जायें..

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  6. तभी कहा गया है...ऊँची दुकान, फीके पकवान.

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  7. अजी ये सब माया है, कहीं धूप, कहीं छाया है.....बेहतरीन जानकारी.

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  8. भारत में भी छंटनी का दौर कभी-कभी उफान मारता है.पर सरकारी नौकरी वाले तो मजे में ही हैं.

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  9. सुन्दर विश्लेषण..पर धीरे-धीरे हालात बदल रहे हैं.

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  10. अजी ये सब माया है, कहीं धूप, कहीं छाया है.....बेहतरीन जानकारी

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