मंगलवार, 2 मार्च 2010

जहां मुट्ठी में

अक्सर हम लोग चर्चा में कहते हैं कि इस दुनिया में कुछ भी मुश्किल नहीं है. यदि व्यक्ति चाहे तो धरती क्या असमान भी मुट्ठी में समां सकता है. भले ही यह बात प्रतीकात्मक हो, पर इस चित्र को देखकर तो यही लगता है मानो जहां मुट्ठी में समा गया हो !!

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब! बिल्कुल सही फ़रमाया है आपने!

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  2. मान गए आपकी कल्पना शक्ति को आकांक्षा जी..अद्भुत !!

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  3. इसे कहते हैं कवि की उड़ान. बहुत सुन्दर चित्र.

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  4. बात में दम है..ग्रेट.

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  5. बात में दम है..ग्रेट.

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  6. बेनामी02 मार्च, 2010

    बहुत खूब आकांक्षा जी, आप तो आसमां को भी जमीं पर उतार लाई. बधाई हो.

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  7. हिम्मत और जज़्बा क्या नहीं कर सकते ,,,
    एक सटीक सन्देश.
    - विजय

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  8. Ashcarya,
    Hatheli per adbhut drshya
    Manmohak laga.

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  9. सुन्दर सोच..अद्भुत कल्पनाशीलता.

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