सोमवार, 26 अप्रैल 2010

गुड़ियों का अदभुत संसार

गुड़िया भला किसे नहीं भाती. गुडिया को लेकर न जाने कितने गीत लिखे गए हैं. गुडिया के बिना बचपन अधूरा ही कहा जायेगा. खिलौने के रूप में प्रयुक्त गुड़िया लोगों को इतना भाने लगी कि इसके नाम पर बच्चों के नाम भी रखे जाने लगे. बचपन में अपने हाथों से बने गई गुड़िया किसे नहीं याद होगी. गुड्डे-गुड़िया का खेल और फिर उनकी शादी..न जाने क्या-क्या मनभावन चीजें इससे जुडी थीं. लोग मेले में जाते तो गुड़िया जरुर खरीदकर लाते. रोते बच्चों को भी हँसा देती है प्यारी सी गुड़िया. अब तो बाजार में तरह-तरह की गुड़िया उपलब्ध हैं. गुड़िया की बकायदा ब्रांडिंग कर मार्केटिंग भी की जा रही है.

सर्वप्रथम गुड़िया बनाने का श्रेय इजिप्ट यानी मिश्रवासियों को जाता है। इजिप्ट में लगभग 2000 साल पहले धनी परिवारों में गुड़िया होती थीं। इनका प्रयोग पूजा के लिए व कुछ अलग प्रकार की गुड़िया का प्रयोग बच्चे खेलने के लिए करते थे। पहले इस पर फ्लैट लकड़ी को पेंट करके, उस पर डिजाइन किया जाता था। बालों को वुडन बीड्स या मिट्टी से बनाया जाता था। ग्रीस और रोम के बच्चे बड़े होने पर लकड़ी से बनी अपनी गुड़िया देवी को चढ़ा देते थे। उस समय हड्डियों से भी गुड़िया बनाई जाती थीं। ये आज की तुलना में बहुत साधारण होती थीं। कुछ समय बाद वैक्स से भी गुड़िया बनाई जाने लगीं। इसके बाद गुड़िया को रंग-बिरंगी ड्रेसेस पहनाई जाने लगीं। यूरोप भी एक समय में डाॅल्स हब था। वहाँ बड़ी मात्रा में गुड़िया बनाई जाती थीं।

17वीं-18वीं शताब्दी में वैक्स और वुड की बनी गुड़िया बहुत प्रचलित थीं। धीरे-धीरे इनमें सुधार होता रहा। 1850 से 1930 के बीच इंग्लैंड में गुड़िया के बनाने में एक और परिवर्तन किया गया। इनके सिर को वैक्स या मिट्टी से बनाकर प्लास्टर से इसको मोल्ड किया गया। सबसे पहले एक बेबी के रूप में गुड़िया को बनाने का श्रेय इंग्लैंड को जाता है। 19वीं शताब्दी में इस गुड़िया को भी वैक्स से बनाया गया था। 1880 में फ्रांस की बेबे नाम की गुड़िया तो खूब प्रसिद्द हुई थी। यही वह सुन्दर गुड़िया थी जिसको 1850 में बेबी के रूप में सबसे पहले बनाया गया था। इससे पहले की लगभग सभी गुड़िया बड़े लोगों के रूप में बने जाती थीं। लेकिन ये सभी गुड़िया काफी मँहगी थीं। जर्मनी ने बच्चों में गुड़िया का बढ़ता क्रेज देखकर सस्ती गुड़िया बनाने की शुरुआत की थी। मँहगी होने की वजह से अधिकतर माँ अपने बच्चे को काटन या लिनन के कपड़े से गुड़िया बनाकर देती थीं। 1850 में अमेरिकन कंपनियों ने इस प्रकार की गुड़िया बड़ी मात्रा में बनानी शुरू कर दीं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गुड़िया बनाने के लिए प्लास्टिक का प्रयोग शुरू किया गया. 1940 में कठोर प्लास्टिक की गुड़िया बनाई जाने लगीं। 1950 में रबड़, फोम आदि की गुड़िया भी बनाई जाने लगीं। इसके बाद तो गुड़िया को न जाने कितने रंग-रूप में ढाला गया. बार्बी गुड़िया के प्रति बच्चों का क्रेज जगजाहिर है. अब भिन्न-भिन्न प्रकार की और भिन्न-भिन्न दामों में गुड़िया बाजार में आ गई हैं. बस जरुरत है उन्हें खरीदने और फिर गुड़िया तो जीवन का अंग ही हो जाती है !!

कई लोग तो तरह-तरह की गुड़िया इकठ्ठा करने का भी शौक रखते हैं. गुड़िया के बकायदा संग्रहालय भी हैं. इनमें से एक शंकर अन्तर्राष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय नई दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट के भवन में स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना मशहूर कार्टूनिस्ट के. शंकर पिल्लई ने की थी। विभिन्न परिधानों में सजी गुड़ियों का यह संग्रह विश्व के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है। 1000 गुड़ियों से आरंभ इस संग्रहालय में वर्तमान में लगभग 85 देशों की करीब 6500 गुडि़यों का संग्रह देखा जा सकता है। यहाँ एक हिस्से में यूरोपियन देशों, इंग्लैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, राष्ट्र मंडल देशों की गुडि़याँ रखी गई हैं तो दूसरे भाग में एशियाई देशों, मध्यपूर्व, अफ्रीका और भारत की गुड़ियाँ प्रदर्शित की गई हैं। इन गुड़ियों को खूब सजाकर रखा गया है।

31 टिप्‍पणियां:

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  2. इन गुडियो को देख अपना बचपन याद आ गया ।धन्यवाद इस जानकारी के लिए।

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  3. अति उत्तम
    गुडिया के बारे में आपने रोचक जानकारी के लिए आभार

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  4. बहुत बढ़िया ......इसी गुड़िया पर एक कविता याद आगयी जो बचपन में पढ़ा था ....

    ''गुड़िया है आफत की पुड़िया
    बोलो हिंदी ,कन्नड़ ,उड़िया
    नानी के संग भी खेली थी
    किन्तु अभी तक हुई
    न बुढिया ''

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  5. गुडिया के बारे में रोचक जानकारी.इन गुडियो को देख अपना बचपन याद आ गया..आभार.

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  6. गुडिया के बारे में रोचक जानकारी.इन गुडियो को देख अपना बचपन याद आ गया..आभार.

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  7. गुडियो को देख अपना बचपन याद आ गया..आभार.

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  8. जय श्री कृष्ण...अति सुन्दर.......गुडिया के बारे में आपने रोचक जानकारी.......बड़े खुबसूरत तरीके से भावों को पिरोया हैं...| हमारी और से बधाई स्वीकार करें.........बचपन याद आ गया .........

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  9. पहले ही आपकी गुड़िया (पाखी) ने मन मोह लिया था, आज आपकी गुड़िया (इस पोस्ट) ने मुग्ध कर दिया… श्रीमती इंदिरा गांधी को भी गुड़ियों का बहुत शौक था ..और तब श्री वी के कृष्ण मेनन जब भी विदेश दौरे पर जाते उनके लिए गुड़िया ज़रूर लाते थे.. स्वदेशी आंदोलन में इंदिरा जी ने अपनी गुड़िया भी जला दी थी ( एक बच्चे के लिए सबसे बड़ा ख़ज़ाना).. दिल्ली के जिस संग्रहालय का आपने ज़िक्र किया वहाँ भी इंदिरा जी की कई डॉल रखी हैं... ख़ैर, बहुत अच्छी जानकारी..

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  10. बड़ी दिलचस्प और रोचक जानकारी सहेजी है इस पोस्ट में, आभार!!

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  11. अति उत्तम. गुड़िया के बारे में आपने रोचक जानकारी प्रस्तुत की है.बहुत बहुत आभार.

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  12. बेनामी27 अप्रैल, 2010

    आकांक्षा जी, हमें तो गुड़िया बस खिलौना लगती थी, पर आपने तो उसे जीवंत कर दिया. ऐसी जानकारियां वाकई लुभाती हैं.

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  13. गुड़िया के गीत सुनते-सुनते इतने बड़े हो गए, पर इतना कभी किसी ने नहीं बताया. अच्छा हुआ जो यहाँ आये, वरना हम तो इस विलक्षण पोस्ट से वंचित ही रह जाते.

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  14. गुड़ियों की पूजा से आरंभ हुई गुड़िया की दुनिया..रोचक पोस्ट. आकांक्षा जी को साधुवाद.

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  15. गुड़िया रानी की गजब कहानी...मजा आ गया पढ़कर.

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  16. ग्रीस और रोम के बच्चे बड़े होने पर लकड़ी से बनी अपनी गुड़िया देवी को चढ़ा देते थे।

    नई-नई जानकारियां..नई-नई बातें !!

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  17. शंकर अन्तर्राष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय नई दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट के भवन में स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना मशहूर कार्टूनिस्ट के. शंकर पिल्लई ने की थी। विभिन्न परिधानों में सजी गुड़ियों का यह संग्रह विश्व के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है। ................अब हम भी यहाँ घुमने जायेंगे. आपने अच्छी जगह बता दी.,..आभार.

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  18. 1880 में फ्रांस की बेबे नाम की गुड़िया तो खूब प्रसिद्द हुई थी। यही वह सुन्दर गुड़िया थी जिसको 1850 में बेबी के रूप में सबसे पहले बनाया गया था। ...Umda jankari..Thanks.

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  19. गुड़ियों की दुनिया भी निराली है.
    अमीर से लेकर गरीब तक,
    इनके बिना घर खाली है.

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  20. मुझे भी गुडिया इकठ्ठा करना बहुत अच्छा लगता है...शानदार पोस्ट.

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  21. बहुत खूब..गुडिया को देखकर बचपन के दिन याद आ गए.

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  22. बहुत ही बढ़िया और रोचक जानकारी प्राप्त हुई! इतनी प्यारी गुड़िया है की देखकर मुझे अपने बचपन के दिन याद आ गए!

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  23. कित्ती प्यारी गुडिया..है न. मेरे मन को तो भा गई.

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  24. @ SAMVEDANA KE SWAR Uncle,

    Thanks for ur compliments !!

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  25. अच्छी लगी आपकी ये प्रस्तुती

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