शनिवार, 15 मई 2010

शेर नहीं शेरनियों का राज

अपने देश में तेजी से बहुत सारे जीव-जंतुओं की संख्या कम होती जा रही है. पता नहीं आगामी पीढ़ियों को ये देखने को भी मिलें या नहीं. लगता है कि वे उन्हें सिर्फ पुस्तकों में पढ़ेंगें तथा खिलौने के रूप में खेलेंगें. 2008 में हुई गणना के अनुसार देश में 359 शेर, 1411 बाघ, 2,358 गैंडे और 27,694 हाथी हैं. इसके बाद तो आज 2010 तक इनकी संख्या और भी कम हो गई होगी. इस साल अब तक 05 बाघों की मौत हो चुकी है. यह बड़ी चिंता का विषय है कि यदि इसी तरह ये ख़त्म होते रहे तो लोग इन्हें कैसे देख पायेंगें और प्राकृतिक असंतुलन का क्या होगा. डायनासोर जैसे जानवरों का उदाहरण हमारे सामने है.

फ़िलहाल इन सबके बीच एक अच्छी खबर सामने आई है कि 1600 वर्ग किमी में फैले गुजरात के प्रसिद्ध गिर नेशनल पार्क में एशियाई मूल के शेरों की सख्या बढ़कर 411 हो गई है। गत पाँच वषों में इन शेरों की संख्या में 52 का इजाफा हुआ है। वाकई यह गिर के वन में शेरों के संरक्षण तथा संवर्द्धन के उपायों का बेहतर नतीजा है. यदि पूरे देश में लोग इसी तरह जागरूक हो जाएँ तो फिर क्या कहने. एक तरफ इससे पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी, वहीँ राजस्व में भी वृद्धि होगी. गिरवन में हर साल डेढ़ से दो लाख पर्यटक घूमने आते है जिससे डेढ़ करोड़ रूपये से अधिक की आय प्राप्त होती है।

गुजरात सरकार की ओर से कराई गई शेरों की गणना के अनुसार, 5 साल पहले गिर में शेरों की सख्या 359 थी जो अब बढ़कर 411 हो गई है। इनमें नर शेर की संख्या 97 और मादा शेर की संख्या 162 है। इसके अलावा एक वर्ष की उम्र वाले सिंह के बच्चों की सख्या 77 है जबकि एक से तीन वर्ष के शेरों की संख्या 75 है। शेरों कि संख्या में बढ़ोत्तरी के अलावा एक रोचक पहलू यह भी है कि गिर में अब जंगल के राजा शेर के बजाए शेरनियों का राज चलता है। जंगल में शेरों की सख्या जहाँ 97 है वहीं शेरनियों की संख्या 162 है। ऐसे में कई बार शेरनियाँ बच्चों के मामले में शेरों की बात नहीं मानती हैं, संख्या अधिक होने के कारण कई बार शेरनियाँ झुण्ड में आकर शेरों को खदेड़ भी देती हैं।

अब आशा की जानी चाहिए कि शेरों के साथ-साथ तेजी से ख़त्म होते बाघों के दिन भी बहुरेंगे और न सिर्फ आगामी पीढ़ियाँ उन्हें देख सकेंगीं, बल्कि प्राकृतिक असंतुलन का प्रकोप भी ख़त्म होगा !!

34 टिप्‍पणियां:

  1. अब आशा की जानी चाहिए कि शेरों के साथ-साथ तेजी से ख़त्म होते बाघों के दिन भी बहुरेंगे और न सिर्फ आगामी पीढ़ियाँ उन्हें देख सकेंगीं, बल्कि प्राकृतिक असंतुलन का प्रकोप भी ख़त्म होगा !!.....Bilkul sahi kahan hai aapka ....sabko es disha mein gambhirtapurvak sochne ke jarurat hai...
    Saarthak chintansheel prastuti hetu bahut dhanyavaad.

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  2. प्राकृतिक सन्तुलन के लिए शेरो का रहना आवश्यक है । जब जानवर ही नही रहेगे तो हम आने वाली पीढी को क्या बतायेगे । आप ने बहुत सी जानकरी दी

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  3. बढ़िया जानकारी दी है ..रोचक प्रस्तुति..

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  4. वाकई सभी शेरनि‍यों को शतपुत्र-पुत्रीवती भव के मानवीय आशीर्वाद की अत्‍यंत आवश्‍यकता है।

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  5. अच्छा आलेख. ईश्वर करे ऐसा ही हो.

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  6. यह तो अच्छी खुशखबरी रही..नहीं तो फिर इन्हें किताबों व नेट पर ही देखना पड़ता.

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  7. कल तक बाघों के कम होने की ख़बरें. अब शेरों की बढती जनसँख्या...सुकूनदायी.

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  8. कल तक बाघों के कम होने की ख़बरें. अब शेरों की बढती जनसँख्या...सुकूनदायी.

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  9. यदि पूरे देश में लोग इसी तरह जागरूक हो जाएँ तो फिर क्या कहने. एक तरफ इससे पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी, वहीँ राजस्व में भी वृद्धि होगी....बिलकुल सही कहा आपने.

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  10. प्रकृति के नियम बदल रहे हैं. अब नर की जगह मादा ही राज करेंगी. यह तो अभी शुरुआत है. शानदार पोस्ट के लिए बधाई.

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  11. अच्छी जानकारी. शेयर करने के लिए आभार.

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  12. ....शानदार पोस्ट के लिए बधाई.

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  13. ये तो बढ़िया रही...परिवर्तन प्रकृति का नियम है.

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  14. चलिए अब शेर दिखेंगे तो सही. नहीं तो जिस तरह की ख़बरें आ रही थीं, वे विचलित कर देती थीं.

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  15. किसी भी प्रजाति के वास्तविक अनुपात में मादाओं की संख्या अधिक होना अच्छी बात है। इस से उस प्रजाति की प्रगति सुनिश्चित होती है।

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  16. काश सभी लोग इस बारे में सोचते, तो स्थिति बेहतर हो सकती..

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  17. क्या बात कही. शेर नहीं शेरनियों का राज. तभी तो नेता लोग संसद में महिला आरक्षण बिल पास नहीं होने दे रहे हैं. नहीं तो सब उन्हें खदेड़ देंगीं.

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  18. क्या बात कही. शेर नहीं शेरनियों का राज. तभी तो नेता लोग संसद में महिला आरक्षण बिल पास नहीं होने दे रहे हैं. नहीं तो सब उन्हें खदेड़ देंगीं.

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  19. आप सभी को यह पोस्ट पसंद आई...आभार !!

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  20. वाकई प्राकृतिक असंतुलन रोकने के लिए यह जरुरी कदम था. गिरि की कहानी अन्य जगह भी दुहराई जाएगी, ऐसा कहा जाना चाहिए.

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  21. एक अच्छी पहल और उसके शानदार नतीजे...ख़ुशी देता है.

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  22. बेनामी15 मई, 2010

    नारी के बिना कुछ भी नहीं. अब शेरानियाँ आ गई हैं तो शेर तो बढेंगें ही.

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  23. तो अब गिरि के वनों में घूमा जा सकता है..

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  24. अच्छी बात बताई आपने..साधुवाद.

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  25. वाह, अब मैं शेर देख सकूँगी...

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  26. अण्डमान निकोबार का खूब आनन्द ले रहे हैं आप तो!

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  27. आपकी चिंता जायज है,सही कह रही हैं आप.

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  28. इस दिशा में यदि कुछ भी सकारात्मक सुनने को मिलता है तो सुखद ही लगता है ।अच्छी जानकारीपूर्ण पोस्ट है ।

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  29. आपकी चिन्ता बिल्कुल जायज है , बहुत बढ़िया लगी आपकी पोस्ट । ऐसे ही लिखती रहें ।

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  30. बहुत बढ़िया पोस्ट ...

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  31. अब आशा की जानी चाहिए कि शेरों के साथ-साथ तेजी से ख़त्म होते बाघों के दिन भी बहुरेंगे..

    आमीन

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