बुधवार, 26 मई 2010

तूफान का नाम 'लैला' ही क्यों

आजकल तूफानों के नाम बड़ी चर्चा में हैं. कभी कटरीना तो कभी लैला, समझ में ही नहीं आता कि ऐसे नाम क्यों रखे जाते हैं. मसलन, आंध्र प्रदेश के तटीय हिस्सों में तबाही मचाने वाले तूफान का नाम लैला है, जिसका मतलब फारसी में होता है स्याह बालों वाली सुंदरी या रात । वस्तुत: इन नामकरण की भी दिलचस्प दास्ताँ है. तूफानों का नाम रखने की परंपरा 20 वीं सदी के आरंभ से चल रही है जब एक आस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ ने उन राजनीतिज्ञों के नाम पर बडे़ तूफानों का नाम रखे, जिन्हें वह पसंद नहीं करता था। अमेरिकी मौसम विभाग ने 1953 से तूफानों का नाम रखने शुरु किए। भारतीय उपमहाद्वीप में यह चलन वर्ष 2004 से आरंभ हुआ। वस्तुत : नाम रखे जाने से मौसम विशेषज्ञों की एक ही समय में किसी बेसिन पर एक से अधिक तूफानों के सक्रिय होने पर भ्रम की स्थिति भी दूर हो गई। हर साल विनाशकारी तूफानों के नाम बदल दिए जाते है और पुराने नामों की जगह नए रखे जाते हैं। इससे किसी गड़बड़ी य भ्रम की सम्भावना नहीं रह जाती.

विश्व मौसम संगठन विभिन्न देशों के मौसम विभागों को तूफानों का नाम रखने की जिम्मेदारी सौंपता है, ताकि तूफानों की आसानी से पहचान की जा सके. इसी क्रम में मौसम वैज्ञानिकों ने आसानी से पहचान करने और तूफान के तंत्र का विश्लेषण करने के लिए उनके नाम रखने की परंपरा शुरु की । अब तूफानों के नाम विश्व मौसम संगठन द्वारा तैयार प्रक्रिया के अनुसार रखे जाते हैं । बंगाल की खाडी़ और अरब सागर के उपर बनने वाले तूफानों के नाम वर्ष 2004 से रखे जा रहे हैं. भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) क्षेत्रीय विशेषीकृत मौसम केद्र होने की वजह से भारत के अलावा सात अन्य देशों बंगलादेश, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, थाईलैंड एवं श्रीलंका को मौसम संबंधी परामर्श जारी करता है। आईएमडी ने इन देशों से भी तूफानों के लिए नाम सुझाने को कहा। इन देशों ने अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम के अनुसार नामों की सूची दी है । पूर्वानुमान और चेतावनी जारी करने की खातिर विशिष्ट पहचान देने के उद्धेश्य से अब तक कुल 64 नाम सुझाए गए हैं, जिनमें से अब तक 22 का उपयोग किया जा चुका है । चक्र के अनुसार इस वर्तमान तूफान के लिए 'लैला' नाम पाकिस्तान ने सुझाया था । अगले तूफान का नाम 'बांदू' होगा जिसका सुझाव श्रीलंका ने दिया है। मुख्य उत्तरी हिंद महासागर में उष्ण कटिबंधीय मौसम मई से नवंबर तक रहता है और इस मौसम का पहला तूफान नरगिस था ।
 
-आकांक्षा यादव

42 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया जानकारी,बढ़िया विश्लेषण...

    कुंवर जी,

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  2. अच्छा विश्लेषण
    आभार

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  3. achchi janakaari di ye sawaal kai dino se jehen me tha...

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  4. बढ़िया जानकारी आकांक्षा जी , मैं तो सोचता था कि प्राय औरतों को भी तूफ़ान का पर्याय माना जाता रहा है इसलिए शायद यह फीमेल नाम इन तूफानों को दिया जाता हो !:)

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  5. इसलिए की स्त्री का नाम रखने से तबाही शायद कम हो , क्योकि स्त्री करुना , त्याग , प्रेम की प्रतीक होती है

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  6. पता नही जी, यह तो लैला जाने या फ़िर तुफ़ान लाने वाले:)

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  7. वाह, शानदार बात बताई आपने. अब जाकर राज खुला.

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  8. चक्र के अनुसार इस वर्तमान तूफान के लिए 'लैला' नाम पाकिस्तान ने सुझाया था । अगले तूफान का नाम 'बांदू' होगा जिसका सुझाव श्रीलंका ने दिया है। ..Hamen bhi pata chal gaya. Achhi post.

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  9. हर साल विनाशकारी तूफानों के नाम बदल दिए जाते है और पुराने नामों की जगह नए रखे जाते हैं। इससे किसी गड़बड़ी य भ्रम की सम्भावना नहीं रह जाती....यह जरुरी भी है. इस जानकारी के लिए आकांक्षा जी का आभार.

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  10. हम भी बड़े अचरज में थे आखिर ऐसे नाम क्यों रखे जाते हैं, पर यहाँ आकर पता चल गया..आभार.

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  11. बेनामी26 मई, 2010

    बड़ी रोचक बात बताई आपने आकांक्षा जी...साधुवाद.

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  12. मुझे भी पता चल गया...

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  13. दिलचस्प लगी ये जानकारी.

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  14. तो ये रही लैला की कहानी, आकांक्षा जी की जुबानी...ज्ञानवर्धक पोस्ट !!

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  15. एक रहस्य से पर्दा तो उठा..ज्ञानवर्धक पोस्ट.

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  16. बहुत बढ़िया जानकारी.

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  17. अच्छी जानकारी शुक्रिया !

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  18. यही तो हम भी सोचते थे, पर आज आपसे मालूम हो गया..धन्यवाद.

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  19. बड़ी महत्वपूर्ण बात बताई आपने..उम्दा.

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  20. बढ़िया जानकारी

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  21. बढ़िया जानकारी आकांक्षा जी

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  22. काफ़ी शोध के साथ लिखा गया यह आलेख काफ़ी जानकारी दे गया।

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  23. काफ़ी शोध के साथ लिखा गया यह आलेख काफ़ी जानकारी दे गया।

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  24. बहुत अच्छी जानकारी प्रदान की आपने....

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  25. dilchasp... khair baandu to humne apne ek dost ka naam rakh diya hai ...kyunki wo banda ka rahne wala hai .. heheh

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  26. अच्छी जानकारी पूर्ण पोस्ट है आकांक्षा जी । एक सूचना देता चलूं आपकी ये पोस्ट दिल्ली के आज के दैनिक आज समाज में प्रकाशित की गई है ब्लोग स्तंभ में । इसे जल्दी ही आप ब्लोग औन प्रिंट पर देख पाएंगी । धन्यवाद और शुभकामनाएं

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  27. @ गोदियाल जी,
    यदि औरतें तूफान होतीं तो लोगों की घर-गृहस्थी कब की उजड़ गई होती. शुक्र मनाइए औरतें बिखेरती नहीं बल्कि सहेजती हैं.

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  28. @ माधव,
    सोच आपकी अच्छी है. पर यह मानवीय दृष्टिकोण है.

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  29. @ राज भाटिया जी,
    इसका जवाब ही तो इस पोस्ट में छुपा हुआ है..एक बार बारीकी से पढ़ें तो सही.

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  30. @ आतिश जी,

    मजेदार..पर उन्हें कहियेगा की वो तूफान न लायें, नहीं तो उनके नाम की बड़ी किरकिरी होगी.

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  31. @ अजय झा जी,
    इस जानकारी के लिए आभार कि ये पोस्ट दिल्ली के आज के दैनिक आज समाज में प्रकाशित की गई है ब्लोग स्तंभ में ।

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  32. आप सभी के स्नेह व उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए आभारी हूँ. यूँ ही अपना स्नेह बनाये रहें.

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  33. आकांक्षा जी, आपकी यह सारगर्भित व रोचक पोस्ट दिल्ली से प्रकाशित दैनिक 'आज समाज' में आज 'ब्लॉग स्तम्भ' के तहत प्रकाशित है ...हार्दिक बधाइयाँ !

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  34. लगता है गोदियाल साहब स्त्रियों से कुछ ज्यादा ही त्रस्त हैं, तभी तो उन्हें ' तूफान' के रूप में देखते हैं, विध्वंसकारी.

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  35. आज समाज अख़बार में चर्चा की बधाइयाँ.

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  36. आकांक्षा जी ,
    "ब्लोग हलचल "(मेरा एक साप्ताहिक स्तंभ )के लिए भी इस पोस्ट को सहेज रहा हूं प्रकाशित होने पर आप उसे ब्लोग औन प्रिंट पर देख सकेंगी । शुभकामनाएं

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