गुरुवार, 22 जुलाई 2010

एस. एम. एस.


अब नहीं लिखते वो ख़त
करने लगे हैं एस. एम. एस.
तोड़-मरोड़ कर लिखे शब्दों के साथ
करते हैं खुशी का इजहार
मिटा देता है हर नया एस. एम. एस.
पिछले एस. एम. एस. का वजूद
एस. एम. एस. के साथ ही
शब्द छोटे होते गए
भावनाएं सिमटती गई
खो गई सहेज कर रखने की परम्परा
लघु होता गया सब कुछ
रिश्तों की क़द्र का अहसास भी !!

23 टिप्‍पणियां:

  1. सच को बताती रचना....एहसास ही कहाँ रहे...

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  2. बड़ी त्रासद स्तिथि है...एस एम् एस में वो बात कहाँ जो चिठ्ठी में हुआ करती थी...
    नीरज

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  3. मोबाइल से पत्रों का रोमांच चला गया।

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  4. शब्द छोटे होते गए,
    भावनाएं सिमटती गई!

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  5. सच है । अब तो लोग चैट भी करते हैं तो बिना मूंह खोले ।

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  6. enjoy the changes..

    past is always beautiful..

    but the present will be past one day and we will thought how beautiful that time was!!

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  7. @ Anamika Ji,

    चर्चा के लिए आभार.

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  8. लघु होता गया सब कुछ
    रिश्तों की क़द्र का अहसास भी.

    ...बेहतरीन अभिव्यक्ति....बधाई.

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  9. खतों की बात ही कुछ और है...मेल और समस सूचना दे सकते हैं, संवेदना और भाव नहीं.

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  10. खतों की बात ही कुछ और है...मेल और समस सूचना दे सकते हैं, संवेदना और भाव नहीं.

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  11. खतों की बात ही कुछ और है...मेल और समस सूचना दे सकते हैं, संवेदना और भाव नहीं.

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  12. खतों की बात ही कुछ और है...मेल और समस सूचना दे सकते हैं, संवेदना और भाव नहीं.

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  13. खतों की बात ही कुछ और है...मेल और समस सूचना दे सकते हैं, संवेदना और भाव नहीं.

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  14. There is something problem in Comments-posting..

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  15. SMS कविता अज के समाज का चेहरा दिखाती है. यह सही है की SMS के साथ ही भावनाएं भी सिमटती गयीं और रिश्ते भी..पर इलेक्ट्रॉनिक दौर में भावनाओं का कितना मोल बचा है, यह भी एक बहस का विषय है?

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  16. आप सभी ने इस पोस्ट को पसंद किया..आभार. अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें.

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  17. मिटा देता है हर नया एस. एम. एस.
    पिछले एस. एम. एस. का वजूद

    सही कहा आपने ...अच्छा लगा पढ़कर

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  18. शब्द छोटे होते गए
    भावनाएं सिमटती गई
    खो गई सहेज कर रखने की परम्परा
    लघु होता गया सब कुछ
    रिश्तों की क़द्र का अहसास भी !!
    ...सच है..सब कुछ सिमट गया है...भावनाएं और संबंधों का एहसास भी...

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