सोमवार, 30 अगस्त 2010

टॉयलेट हैंडिल के तुलना में मोबाइल 18 गुना ज्यादा गंदा



आधुनिक संचार क्रांति के दौर में मोबाईल फोन, लैपटॉप जैसे तमाम गैजेट्स अपरिहार्य बन चुके हैं. इनके बिना हम अपने दिन की कल्पना भी नहीं कर पाते. इनको लेकर विरोध भी उठते रहते हैं कि ये लोगों की निजता में दखल देते हैं, वगैरह-वगैरह. पर अब आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मोबाइल फोन अब अपने उपभोक्ताओं को ‘रोग देने वाली मशीन ‘ बन चुका है। ध्यान से सुनिए, टॉयलेट हैंडिल के तुलना में मोबाइल 18 गुना ज्यादा गंदा है. आपके प्यारे मोबाइल फोन जिसे आप हमेशा अपने से चिपकाये घूमते हैं, में इतने अधिक बैक्टीरिया होते हैं कि ये कभी भी आपको पेट की बीमारी प्रदान कर सकते हैं। मोबाइल फोन इतना खतरनाक और गंदा हो गया है कि अब उसको स्पर्श करने से भी लोगों को अपने हाथ साबुन से तुरंत धुलने चाहिए. कुछ मोबाईल फ़ोनों पर तो इतने अधिक बैक्टीरिया पाए गए हैं कि वे आपके साथ-साथ आपके साथियों को भी अच्छा-खासा रोगी बनाने में में सक्षम हैं। यह बात ब्रिटेन में हुई एक शोध के दौरान आई है, जहाँ 6 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोन उपयोग में हैं और इनमें से 127 लाख मोबाइल फोन सेहत के लिए खतरा बन चुके हैं। यहाँ तक कि इनमें साॅलमोनेला बैक्टीरिया तक भी पाए गए जो किसी को भी पेट का मरीज बना सकते हैं। परीक्षण के दौरान यह तथ्य भी सामने आए कि कुछ मोबाइल फ़ोनों पर तो स्वीकृत मात्रा से 170 गुना फीकल काॅलीफार्म मिले, ये काॅलीफार्म मानव मल में पाए जाते हैं. परीक्षण के दौरान स्टे फाइलोकाॅक्स औरियंस, ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया भी मोबाइल फोन पर चिपके मिले जो फोन को स्पर्श करते ही हाथ से चिपक कर शरीर में तुरंत प्रवेश कर जाते हैं।

यह शोध भले ही ब्रिटेन में हुआ हो, पर इसके निष्कर्ष भारतीय परिप्रेक्ष्य में भी उतने ही संगत हैं. आखिरकार भारत में लुभावने नारों के बीच मोबाईल-फोन खरीदने की होड़ मची हुई है और अब तो यह स्टेटस नहीं दिनचर्या का अंग बन चुका है. अमीरों की तो छोडिये, गाँव के किसान, मजदूर, रिक्शा-चालक और यहाँ तक कि बेरोजगार भी इसे धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. सरकार लोगों को बता रही है कि वाहन चलाते समय मोबाईल फोन का इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है, पर यहाँ तो बच्चे भी धड़ल्ले से बाइक चलाते समय मोबाईल फोन का इस्तेमाल करते देखे जा सकते हैं. आज भारत में लगभग साठ से सत्तर करोड़ लोग मोबाईल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. औसतन हर कोई दिन में इसे 25 बार अपने मुँह के समीप ले जाता है. ऐसे में भारत में मोबाईल फोन से संक्रमण और रोग फैलने का खतरा कितना सघन होगा, इसका सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है। सिर्फ मोबाईल फोन ही क्यों, कम्प्यूटर का की-बोर्ड, माउस, लैपटॉप, लैंड-लाइन फोन का रिसीवर तथा ए.टी.एम. जैसे तमाम उपकरण भी बीमारियों की जड़ बन चुके हैं. स्वाभाविक है किसी भी उपकरण को जितने ज्यादा लोग स्पर्श करेंगे, उतना ही ज्यादा वह संक्रामक होता जायेगा और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनता जाएगा। तमाम मोबाईल कम्पनियाँ भी आने वाले दिनों में इस खतरे को समझ रही हैं और इससे छुटकारा पाने के लिए मोबाईल फोन इत्यादि पर एंटी बैक्टीरियल कोटिंग का प्रस्ताव चल रहा है, पर यह कितना सफल होगा, अभी भविष्य के गर्भ में है. फ़िलहाल तो हर किसी को देखना होगा कि कहीं उसकी बीमारियों की जड़ उसका मोबाईल फोन या ऐसे ही गैजेट्स तो नहीं हैं.

24 टिप्‍पणियां:

  1. जहाँ हर साँस विषाक्त हो गयी हो, वहाँ तो मोबाइल भी घबराते होगें निकट आने में।

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  2. बहुत अच्छी और जानकारीपूर्ण पोस्ट....

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  3. main apne mobile ko daily DETTOL se nahlata hoon..........he he he :)


    par kuchh kiya nahi ja sakta Ankanksha jee.......ab mobile to jindagi ka ek aham hissa ban gaya hai.........!!

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  4. कभी कभी तो लगता है कि जानकारी मिलने के बाद हम ज्यादा ही चिंतित हो जाते हैं, नई नई जानकारियों के लिए अब हमें अपना नजरिया भी बदलना पड़ेगा वरना एक दिन घर अस्पताल बन जायेगा

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  5. उपयोगी पोस्ट!
    --
    मोबाइल को दूर रखने की कोशिश करेंगे!

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  6. अब तो मैं मोबाईल से दूर ही रहूँगीं...

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  7. चिंता में डाल दिया आपने...अब क्या करें.

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  8. चिंता में डाल दिया आपने...अब क्या करें.

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  9. चिंता में डाल दिया आपने...अब क्या करें.

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  10. चिंता में डाल दिया आपने...अब क्या करें.

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  11. चिंता में डाल दिया आपने...अब क्या करें.

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  12. आदमी के हाथ जहाँ पड़ जाए, वो चीज़ यूँ भी ज्यादा दिनों तक साफ़ नहीं रहती !

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  13. तकनीक पर अति निर्भरता की आखिर कुछ तो कीमत चुकानी ही पडेगी.....

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  14. अगर आप अपने लेपटाप,पीसी ओर् मोबाईल को हर १५ दिनो बाद हल्के गीले कपडे मै साबून लगा कर की बोड साफ़ करे तो कुछ बचत हो सकती है, मै यह करता हुं,
    सुंदर जानकारी

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  15. बिल्कुल सही है, स्वास्थ्य मंत्रालय को इस पर ध्यान देते हुए मोबाईल कंपनियों को दिशा निर्देश जारी करना चाहिये। नहीं तो यह चिंतन कुछ लोगों तक ही रह जायेगा।

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  16. हर प्रगति के साथ कुछ न कुछ बुराइयाँ भी जुडी होती हैं, इस ओर ध्यान देने की जरुरत है.

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  17. लोगों को सचेत करता एक विचारोत्तेजक लेख..साधुवाद.

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  18. बहुत ही बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी मिली! धन्यवाद!

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  19. परीक्षण के दौरान स्टे फाइलोकाॅक्स औरियंस, ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया भी मोबाइल फोन पर चिपके मिले जो फोन को स्पर्श करते ही हाथ से चिपक कर शरीर में तुरंत प्रवेश कर जाते हैं।...अब तो फोन टच करते समय हजार बार सोचना पड़ेगा.

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  20. उनके बारे में क्या कहेंगीं जो टायलेट में भी मोबाईल फोन लेकर जाते हैं...

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  21. यह पोस्ट आंखे खोलने वाली है...साधुवाद.

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