मंगलवार, 17 अगस्त 2010

सबसे बड़ा दान है देहदान, नेत्रदान

दान से पुण्य कोई कार्य नहीं होता। दान जहाँ मनुष्य की उदारता का परिचायक है, वहीं यह दूसरों की आजीविका चलाने या किसी सामूहिक कार्य में संकल्पबद्ध होकर अपना योगदान देने की मानवीय प्रवृति को दर्शाता है। राजा हरिश्चन्द्र को उनकी दानवीरता के लिए ही जाना जाता है। महर्षि दधीचि जैसे ऋषिवर ने तो अपनी अस्थियाँ ही मानव के कल्याण हेतु दान कर दीं। महर्षि दधीचि ने मानवता को जो रास्ता दिखाया आज उस पर चलकर तमाम लोग समाज एवं मानव की सेवा में जुटे हुए हैं। देहदान के पवित्र संकल्प द्वारा दूसरों को जीवन देने का जज्बा विरले लोगों में ही देखने को मिलता है। चूँकि मनुष्य के देहान्त पश्चात की परिस्थितियां मानवीय हाथ में नहीं होती, अतः विभिन्न धर्मों में इसे अलग-अलग रूप में व्याख्यायित किया गया है। धर्मों की परिभाषा से परे एक मानव धर्म भी है जो सिखाता है कि जिन्दा होकर किसी व्यक्ति के काम आये तो उत्तम है और यदि मृत्यु के बाद भी आप किसी के काम आये तो अतिउत्तम है।

हाल ही में ज्योति बसु, विष्णु प्रभाकर एवं प्रतीक मिश्र जैसे वरेण्य लोगों ने जिस प्रकार मृत्यु के बाद भी देहदान द्वारा लोगों को शिक्षित एवं जागरुक किया है, वह स्तुत्य है। वस्तुतः आज सबसे ज्यादा जरूरत युवा पीढ़ी को देहदान व नेत्रदान जैसे संकल्पबद्ध अभियान से जोड़ने की है। हिन्दुस्तान में मौजूद 1 करोड 20 लाख नेत्रहीनों को नेत्र ज्योति प्रदान करने एवं अन्धता निवारण के लिए नेत्रदान करना बहुत जरूरी है। इसी परम्परा में भारतवर्ष में तमाम लोग नेत्रदान-देहदान की ओर प्रवृत्त हो रहे हैं। मरने के बाद हाथी के दाँतों से कामोत्तेजक औषधियाँ एवं खिलौने, जानवरों की खाल से चमड़ा बनता है, उसी प्रकार से इन्सान भी मृत्यु के बाद 4 नेत्रहीनों को नेत्रज्योति, 14 लोगो को अस्थियाँ व हजारों मेडिकल छात्रों को चिकित्सा शिक्षा दे सकता है। दान की हुई आँखें तीन पीढ़ी तक काम आती हैं। किसी कवि ने कहा है-

हाथी के दाँत से खिलौने बने भाँति-भाँति
बकरी की खाल भी पानी भर लाई
मगर इंसान की खाल किसी काम न आई !!

33 टिप्‍पणियां:

  1. नेत्रदान तो वाकई सबसे बड़ा दान है

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  2. इसमें कुछ संशय तो मुझे भी है लेकिन मैं भी इसे मानवता के हित में श्रेयकर मानता हूँ. लोगो को जागरूक करने की आवश्यकता है.

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  3. इसमें कुछ संशय तो मुझे भी है लेकिन मैं भी इसे मानवता के हित में श्रेयकर मानता हूँ. लोगो को जागरूक करने की आवश्यकता है.

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  4. मैं आपकी बातो से पूरी तरह सहमत हूँ! नेत्रदान सही में सबसे बड़ा दान है!

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  5. @ Shah Nawaz ji,

    संशय कहाँ नहीं है, फिर भी आपकी सहमति आश्वस्त करती है.

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  6. aap bilkul sahi kaha rahi hain
    Akanksha ji ek pahal naye aayam kholti hai

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  7. हाथी के दाँत से खिलौने बने भाँति-भाँति
    बकरी की खाल भी पानी भर लाई
    मगर इंसान की खाल किसी काम न आई !!

    पूर्णतयः सहमत हूँ
    इंसान नेत्र दान तो कर ही सकता है.

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  8. कित्ती अच्छी बात पता चली...

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  9. सार्थक बात ...नेत्रदान सच ही महा दान है ...

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  10. बहुत सुन्दर, अच्छी बात
    सबसे बड़ा दान है

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  11. बड़ा ही सार्थक लेख। इतना तो दे ही सकते हैं हम।

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  12. धर्मों की परिभाषा से परे एक मानव धर्म भी है जो सिखाता है कि जिन्दा होकर किसी व्यक्ति के काम आये तो उत्तम है और यदि मृत्यु के बाद भी आप किसी के काम आये तो अतिउत्तम है...Bahut Uttam vichar.

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  13. सच है तभी तो कहा है ... नेत्रदान-महादान ...

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  14. Sunder aur uddatta bhavnayen,anand aya aapki rachnayen dekh padh kar.
    samajik sarokaro ko bahut khoobi se aapney uthaya hai.
    aapsey bahut ummedey ho gayee hai,ise kayam rakhiyega yahi viswas hai.
    sader,
    dr.bhoopendra
    jeevansandarbh.blogspot.com

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  15. आप सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार. अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें.

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  16. मरने के बाद हाथी के दाँतों से कामोत्तेजक औषधियाँ एवं खिलौने, जानवरों की खाल से चमड़ा बनता है, उसी प्रकार से इन्सान भी मृत्यु के बाद 4 नेत्रहीनों को नेत्रज्योति, 14 लोगो को अस्थियाँ व हजारों मेडिकल छात्रों को चिकित्सा शिक्षा दे सकता है। दान की हुई आँखें तीन पीढ़ी तक काम आती हैं। ...Badi sati jankari..sadhuvad.

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  17. नेत्रदान-महादान!!!

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  18. रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें.

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  19. रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें.

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  20. आज सबसे ज्यादा जरूरत युवा पीढ़ी को देहदान व नेत्रदान जैसे संकल्पबद्ध अभियान से जोड़ने की है....बहुत सही कहा आपने..शानदार पोस्ट..बधाई.

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  21. प्रेरणादायी पोस्ट...

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  22. लगभग १० साल पहले सारे अवयवों की साथ साथ शरीर दान अपोलो हास्पिटल में कर चुका हूँ ! आज दिखावे के समय में हम सब कहीं न कहीं लगता है स्वार्थी होते जा रहे हैं ! देह दान शायद अपने आपको विश्वास दिलाने को किया कि मुझे स्वयं पर यकीन रहे कि मैं ईमानदार हूँ :-)
    आप कुछ अलग सा कर रही हैं ...शुभकामनायें !

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  23. deh daan

    iska matlab kewal deh kaa daan nahin samjhaa jaana chahiyae

    aur yae kisnae kehaa ki manushya ki chamdi kisi kaam nahin aatee

    dermatologist kae liyae bhi body chahiyae

    deh daan karkae kayii baar ham apni body medical mae padhnae vaalae chahtro kae liyae bhi daan kartey haen

    its symbolic to say dehdaan

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  24. बेनामी08 जुलाई, 2011

    आपका यह आलेख बहुत ही अच्‍छा लगा, विचारात्‍मक प्रस्‍तुति ।

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  25. सत्संकल्प को प्रेरित करने के लिए बहुत बहुत बहुत आभार...

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  26. एक सन्कल्प लेने को प्रेरित करती पोस्ट.

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