मंगलवार, 14 सितंबर 2010

भारत वर्ष की शान है हिन्दी


हम लोगों की जान है हिन्दी,
भारत वर्ष की शान है हिन्दी।
प्रगति-पथ पर बढ़ती जाती,
कितनी बेमिसाल है हिन्दी।

सुन्दर शब्दों की खान है हिन्दी,
अस्मिता की पहचान है हिन्दी।
अंग्रेजी की अंधभक्ति छोड़ें,
जन्मभूमि का सम्मान है हिन्दी।

सब भाषाओं की जान है हिन्दी,
जन-जन की जुबान है हिन्दी।
देशभक्ति का करे संचार,
भूत, भविष्य, वर्तमान है हिन्दी।

19 टिप्‍पणियां:

  1. देशभक्ति का करे संचार,
    भूत, भविष्य, वर्तमान है हिन्दी।
    हिंदी भाषा को नमन और सुंदर रचना के लिए आपको बधाई

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  2. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति है...
    हमारी हिंदी को नमन

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  3. हिंदी-दिवस पर सुन्दर गीत... बधाई.

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  4. आज हिंदी दिवस है. अपने देश में हिंदी की क्या स्थिति है, यह किसी से छुपा नहीं है. हिंदी को लेकर तमाम कवायदें हो रही हैं, पर हिंदी के नाम पर खाना-पूर्ति ज्यादा हो रही है. जरुरत है हम हिंदी को लेकर संजीदगी से सोचें और तभी हिंदी पल्लवित-पुष्पित हो सकेगी...! ''हिंदी-दिवस'' की बधाइयाँ !!

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  5. हिंदी तो अपनी मातृभाषा है, इसलिए इसका सम्मान करना चाहिए. हिंदी दिवस पर ढेरों बधाइयाँ और प्यार !!

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  6. ''हिंदी-दिवस'' पर सुन्दर और सार्थक सन्देश देती कविता ....शुभकामनायें.

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  7. किस्मत मेहरबान रही आप पर , कि इतनी पात्र पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुईं , जान कर ख़ुशी हुई , ये कविता भी अच्छी लगी । हिंदी का गुणगान , मात्रभाषा माँ की तरह प्रिय होती ही है ।

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  8. हिंदी दिवस पर सुन्दर सन्देश देती हुई शानदार रचना! हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं।

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  9. हिंदी दिवस पर ये भावभीनी हिंदी की कविता हिंदी भाषा को ले कर बहुत सुन्दर है..हिंदी को जब हम प्रयोग करेंगे और बिना हिंदी इंग्लिश का भेद किये पूरे सम्मान से तभी सार्थक है ये हिंदी दिवस ..और हमारा प्रयास... आपको धन्यवाद सुन्दर कविता को हम तक पहुचने के लिए..

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  10. कैसे गूंगा भारत महान जिसकी कोई राष्ट्रभाषा नहीं ?

    उधार की भासा कहना क्या? चुप रहना ही बेहतर होगा,
    गूंगे रहकर जीना क्या फिर, मरना ही बेहतर होगा

    मेरी दो कविताएँ हमारी मातृभाषा को समर्पित :


    १. उतिष्ठ हिन्दी! उतिष्ठ भारत! उतिष्ठ भारती! पुनः उतिष्ठ विष्णुगुप्त!

    http://pankaj-patra.blogspot.com/2010/09/hindi-diwas-rashtrabhasha-prakash.html


    २. जो मेरी वाणी छीन रहे हैं, मार डालूं उन लुटेरों को।

    http://pankaj-patra.blogspot.com/2010/09/hindi-diwas-matribhasha-rashtrabhasha.html


    – प्रकाश ‘पंकज’

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  11. आपकी कविता बहुत अच्छी है ...

    इसी तरह एक दिन...
    कल-कल करती सुधा बहेगी हर जिह्वा पर हिन्दी की

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  12. हिंदी के महत्व को उजागर करती-अति उत्तम रचना.यदि अनुमति दें,तो आपके परिचय सहित अपने ब्लाग’राजभाषा विकास मंच’पर भी इस कविता को प्रकाशित करना चाहता हूं.

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  13. हिंदी के महत्व को उजागर करती-अति उत्तम रचना.यदि अनुमति दें,तो आपके परिचय सहित अपने ब्लाग’राजभाषा विकास मंच’पर भी इस कविता को प्रकाशित करना चाहता हूं.

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  14. @ शारदा अरोरा जी,
    सब आप लोगों का प्यार और स्नेह है. ब्लॉग पर पधारने के लिए धन्यवाद.

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  15. @ विनोद पाराशर जी,

    अवश्य, आप इसका उपयोग कर सकते हैं.

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  16. राजभाषा -मातृभाषा हिंदी के प्रति आपकी भावनाएं उत्तम हैं.

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  17. लाजवाब बाल-गीत..आकांक्षा यादव जी को शुभकामनायें.

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  18. सुन्दर शब्दों की खान है हिन्दी,
    अस्मिता की पहचान है हिन्दी।
    अंग्रेजी की अंधभक्ति छोड़ें,
    जन्मभूमि का सम्मान है हिन्दी।

    ...सार्थक सन्देश देती सुन्दर कविता...मुबारकवाद.

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