शनिवार, 2 जून 2012

नेता-अभिनेता हो गए एक समान


नेता-अभिनेता दोनों
हो गए एक समान
मंचों पर बैठकर गायें
एक दूजे का गान।

चिकनी चुपडी़ बातें करें
खूब करें अपना बखान
जनता का धन खूब लूटें
गायें मेरा भारत महान।

मँहगाई, बेरोजगारी खूब फैले
नेताजी सोते चद्दर तान
खुद खाएं मुर्ग मुसल्लम
जनता भुखमरी से परेशान।

कभी आंतक, कभी नक्सलवाद
ये लेते सबकी जान
नेताजी बस भाषण देते
शहीद होते जाबांज जवान।

चुनाव आया तो लंबे भाषण
खडे़ हो गए सबके कान
वायदों की पोटली से
जनता हो रही हैरान ।

स्ंसद में पहुँच नेताजी
बघारते अपना ज्ञान
अगला चुनाव कैसे जीतें
बस यही रहता अरमान ।

आकांक्षा यादव : Akanksha Yadav
चित्र साभार : मोनिका गुप्ता

8 टिप्‍पणियां:

  1. व्यंग्यात्मक रूप में बहुत सही बात कही आपने...सशक्त रचना के लिए बधाई.

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  2. मोनिका जी ने सुन्दर चित्र बनाया है..उन्हें भी बधाई.

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  3. बहुत बड़ा सच है, दोनों एक दूसरे का कार्य कर रहे हैं।

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  4. स्ंसद में पहुँच नेताजी
    बघारते अपना ज्ञान
    अगला चुनाव कैसे जीतें
    बस यही रहता अरमान ।

    सार्थक और सुन्दर व्यंग्य कविता..बधाई.

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