शब्द-शिखर

शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

हैप्पी बर्थडे टू यू का सफर

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30 जुलाई को मेरा जन्मदिन था। हर बार की तरह लोगों ने गाया कि-‘हैप्पी बर्थडे टू यू‘। कई बार उत्सुकता होती है कि आखिर ये प्यारी सी पैरोडी आरम...
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बुधवार, 5 अगस्त 2009

अटूट विश्वास का बन्धन है राखी

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भारतीय परम्परा में विश्वास का बन्धन ही मूल है और रक्षाबन्धन इसी अटूट विश्वास के बन्धन की अभिव्यक्ति है। रक्षा-सूत्र के रूप में राखी बाँधकर स...
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शनिवार, 1 अगस्त 2009

फ्रेण्डशिप-डे: ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे

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मित्रता किसे नहीं भाती। यह अनोखा रिश्ता ही ऐसा है जो जाति, धर्म, लिंग, हैसियत कुछ नहीं देखता, बस देखता है तो आपसी समझदारी और भावों का अटूट...
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गुरुवार, 30 जुलाई 2009

जीवन के सफर में जन्मदिन

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जीवन का प्रवाह अपनी गति से चलता रहता है। कभी हर्ष तो कभी विषाद, यह सब जीवन में लगे रहते हैं। हर किसी का जीवन जीने का और जिंदगी के प्रति...
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अमर उजाला में 'शब्द-शिखर' ब्लॉग की चर्चा

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''शब्द शिखर'' पर 29 जुलाई 2009 को प्रस्तुत लेख अपने आस-पास नीम जरुर लगाइए को प्रतिष्ठित हिन्दी दैनिक पत्र 'अमर उजाला...
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बुधवार, 29 जुलाई 2009

अपने आस-पास नीम जरुर लगाइए

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मुझे जब भी कभी पौधे लगाने का मौका मिलता है तो मेरी पहली प्राथमिकता नीम होती है। पता नहीं क्यों बचपन से ही इससे इतना लगाव है। बचपन में नीम की...
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बुधवार, 22 जुलाई 2009

अमर उजाला में 'शब्द-शिखर' ब्लॉग की चर्चा

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''शब्द शिखर'' पर 07 जुलाई 2009 को प्रस्तुत लेख बारिश का मौसम और भुट्टा को प्रतिष्ठित हिन्दी दैनिक पत्र 'अमर उजाला' न...
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सोमवार, 20 जुलाई 2009

ठग्गू के लड्डू और बदनाम कुल्फी

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आपने बन्टी-बबली फिल्म देखी होगी तो अभिषेक बच्चन और रानी मुखर्जी के ऊपर फिल्माया गया वह गाना भी याद होगा-‘ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नह...
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शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

ब्लॉग पर एक दस्तक "दस्तक" की

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ब्लागिंग का जमाना है. यहाँ तक की प्रिंट-मीडिया भी अब ब्लागर्स को महत्व देने लगा है. कई अख़बारों ने तो पाठकों के पत्र की जगह ब्लाग-कोना की ही...
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शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में भी थी हाथ मिलाने की परम्परा

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हाथ मिलाने को देश-दुनिया में एक सामाजिक परंपरा के रूप में देखा जाता है, लेकिन इस औपचारिक प्रक्रिया को अगर गहरे अर्थों में देखा जाए तो पता चल...
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मंगलवार, 7 जुलाई 2009

बारिश का मौसम और भुट्टा

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बारिश का मौसम हो और भुट्टे (मक्का) की चर्चा न हो तो बात अधूरी लगती है। सड़क के किनारे खड़े होकर ठेले से भुट्टा लेने की बात याद आते ही उसकी सोध...
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शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

कहाँ गईं तितलियाँ

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आज मेरी नन्ही बिटिया अक्षिता ने मुझसे तितली के बारे में जानकारी चाही। मैंने सोचा कि उसे अपने लान में जाकर तितली दिखाऊ। पर वहाँ पर मुझे कोई त...
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गुरुवार, 2 जुलाई 2009

अमर उजाला में 'शब्द-शिखर' ब्लॉग की चर्चा

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''शब्द शिखर'' पर 01 जुलाई 2009 को प्रस्तुत लेख मेघों को मनाने का अंदाज अपना-अपना को प्रतिष्ठित हिन्दी दैनिक पत्र 'अमर उ...
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बुधवार, 1 जुलाई 2009

मेघों को मनाने का अंदाज अपना-अपना

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इसे पर्यावरण-प्रदूषण का प्रकोप कहें या पारिस्थितकीय असंतुलन। इस साल गर्मी ने हर व्यक्ति को रूला कर रख दिया। बारिश तो मानो पृथ्वी से रूठी हुई...
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गुरुवार, 25 जून 2009

सावन के बहाने कजरी के बोल

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मौसम में फिलहाल बेहद गर्मी है। हर किसी को सावन की रिमझिम फुहारों का इन्तजार है। इसके साथ ही चारों तरफ उल्लास छा जाता है। जहाँ प्रकृति नित ...
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सोमवार, 22 जून 2009

पंचतंत्र की कहानियों का उद्भव

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पंचतंत्र की कहानियाँ तो सभी ने सुनी और पढ़ी होंगी। इससे जुड़ी तमाम कहानियाँ पशु, पक्षी, पेड़, प्रकृति तथा राजा-रानी को आधार बना कर रची गयी हैं।...
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रविवार, 21 जून 2009

भारतीय पित्री-सत्तात्मक समाज में फादर्स-डे

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आज फादर्स डे है. माँ और पिता ये दोनों ही रिश्ते समाज में सर्वोपरि हैं. इन रिश्तों का कोई मोल नहीं है. पिता द्वारा अपने बच्चों के प्रति प्रेम...
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गुरुवार, 18 जून 2009

खूब लड़ी मरदानी, अरे झांसी वारी रानी (18 जून बलिदान दिवस पर विशेष)

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स्वतंत्रता और स्वाधीनता प्राणिमात्र का जन्मसिद्ध अधिकार है। इसी से आत्मसम्मान और आत्मउत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। भारतीय राष्ट्रीयता को...
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मंगलवार, 16 जून 2009

ईव-टीजिंग और ड्रेस कोड

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कालेज लाइफ का नाम सुनते ही न जाने कितने सपने आँखों में तैर आते हैं। तमाम बंदिशों से परे वो उन्मुक्त सपने, उनको साकार करने की तमन्नायें, दोस्...
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सोमवार, 15 जून 2009

अमर उजाला में 'शब्द-शिखर' ब्लॉग की चर्चा

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''शब्द शिखर'' पर 13 जून 2009 को प्रस्तुत लेख ''सबसे बड़ा दान है देहदान, नेत्रदान'' को प्रतिष्ठित हिन्दी दैन...
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शनिवार, 13 जून 2009

सबसे बड़ा दान है देहदान, नेत्रदान

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दान से पुण्य कोई कार्य नहीं होता। दान जहाँ मनुष्य की उदारता का परिचायक है, वहीं यह दूसरों की आजीविका चलाने या किसी सामूहिक कार्य में संकल्पब...
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शुक्रवार, 5 जून 2009

पृथ्वी हो रही विकल (विश्व पर्यावरण दिवस पर)

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खत्म होती वृक्षों की दुनिया पक्षी कहाँ पर वास करें किससे अपना दुखड़ा रोयें किससे वो सवाल करें कंक्रीटों की इस दुनिया में ...
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शुक्रवार, 15 मई 2009

एक गाँव के लोगों ने दहेज़ न लेने-देने का उठाया संकल्प

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दहेज लेने के किस्से समाज में आम हैं। इस कुप्रथा के चलते न जाने कितनी लड़कियों के हाथ पीले होने से रह गये। प्रगतिशील समाज में अब तमाम ऐसे उदाह...
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सोमवार, 6 अप्रैल 2009

श्मशान

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कंक्रीटों के जंगल में गूँज उठते हैं सायरन शुरू हो जाता है बुल्डोजरों का ताण्डव खाकी वर्दियों के बीच दहशतजदा लोग निहारते हैं याचक मुद्रा में ...
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शनिवार, 28 मार्च 2009

ग्रेगोरियन कैलेण्डर से परे भी है नव-वर्ष

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मानव इतिहास की सबसे पुरानी पर्व परम्पराओं में से एक नववर्ष है। नववर्ष के आरम्भ का स्वागत करने की मानव प्रवृत्ति उस आनन्द की अनुभूति से जुड़ी ...
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