गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

कत्थक नृत्य भगाए रोग (विश्व नृत्य दिवस पर)

शास्त्रीय नृत्य से आप सभी वाकिफ होंगे। इसके बारे में सुनते ही जेहन में कत्थक करती किसी नृत्यांगना की तस्वीर उभर आती है। लेकिन क्या आपको इस बात का इल्म है कि यह शास्त्रीय नृत्य मात्र एक कला नहीं बल्कि दवा भी है। इस बात पर अपनी सहमति की मोहर लगाती हैं राष्ट्रीय स्तर की शास्त्रीय नृत्यांगना मनीषा महेश यादव। मुम्बई विश्वविद्यालय से नृत्य में विशारद की डिग्री हासिल कर मनीषा ने कई मंचों पर शास्त्रीय नृत्य का प्रदर्शन किया। अपनी काबिलियत के चलते उन्हें फिल्म ’दिल क्या करे’ में कोरियोग्राफी करने का भी मौका मिला। मुम्बई में मनीषा हर प्रकार के लोक और शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा भी देती हैं। मनीषा यादव की मानें तो म्यूजिक थेरेपी जहाँ मानसिक समस्याओं को दूर करने में सक्षम है वहीं शास्त्रीय नृत्य शारीरिक समस्याओं को।

राष्ट्रीय स्तर के श्रंृगारमणि पुरस्कार से नवाजी जा चुकी मनीषा की यह बात उन्हीं के एक किस्से से साबित हो जाती है। वह बताती हैं कि-'मेरी एक छात्रा को दमा की शिकायत थी। सभी डाॅक्टरों ने उसे ज्यादा थकावट लाने वाले काम करने से मना कर दिया था। लेकिन वह फिर भी मुझसे कत्थक सीखने आती थी। और यह सीखते-सीखते उसे इस समस्या से निजात मिल गई।’ दरअसल बात यह है कि दमा के मरीजों को लम्बी साँस लेने में परेशानी होती है। लेकिन कत्थक के हर स्टेप को लम्बी साँस लेकर ही पूरा किया जा सकता है। कत्थक सीखते समय दमा के मरीजों को शुरूआत में तो कुछ दिक्कतें आती हैं लेकिन जब उन्हें लम्बी साँस खींचने का अभ्यास हो जाता है तो उनकी साँस फूलने की शिकायत भी दूर हो जाती है।

दमा ही नहीं कत्थक से तीव्र स्मरण शक्ति की समस्या को भी हल किया जा सकता है। बकौल मनीषा ’कत्थक की कुछ खास गिनतियाँ होती हैं जिन्हें याद रखना बेहद कठिन होता है। इसके लिए हम अपने छात्रों को कुछ विशेष तकनीकों से गिनतियाँ याद करवाते हैं।’ बस यही वे तकनीकें हैं जो कत्थक के स्टेप सीखने के साथ ही बच्चों को उनके किताबी पाठ याद करने में भी मददगार बन जाती हैं। वैसे अगर आपकी हड्डियाँ कमजोर हैं और इस वजह से आप कत्थक सीखने से हिचक रही हैं तो इस भ्रम को अपने मन से निकाल दीजिए। बकौल मनीषा कत्थक में वोंर्म-अप व्यायाम भी करवाए जाते हैं। जिससे हाथ-पाँव में लचीलापन आ जाता है। इन व्यायामों से हड्डियाँ भी मजबूत होती हैं।’

इन सबके अलावा कत्थक दिल के मरीजों के लिए भी एक सटीक दवा है। एक दिलचस्प किस्सा सुनाते हुए मनीषा इस बात का पक्ष लेती हैं, ’मेरी डांस क्लास में एक 50 वर्ष की वृद्ध महिला कत्थक सीखने आती थीं। वह दिल की मरीज थीं। डाॅक्टरों के मुताबिक उनके शरीर में रक्त सही गति से नहीं दौड़ता था।’ लेकिन कत्थक सीखने के उनके शौक ने उनकी इस समस्या को जड़ से मिटा दिया। आज वह स्वस्थ जीवन बिता रही हैं।

तो वाकई आज की व्यस्त जिंदगी में यदि शास्त्रीय नृत्य कत्थक में स्वस्थ रहने का राज छुपा है, तो भारतीय नृत्य की इस अद्भुत धरोहर से नई पीढ़ी को परिचित कराने की जरुरत है जो पाश्चात्य संस्कृति में ही अपना भविष्य खोज रही है.

(आज विश्व नृत्य दिवस है. गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थिएटर इंस्टिट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना है.शब्द-शिखर पर पहले कभी पोस्ट की गई इस पोस्ट को विश्व नृत्य दिवस के उपलक्ष्य में यहाँ लाई हूँ. विश्व नृत्य दिवस पर आप सभी को शुभकामनायें !!)

28 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामी04 जनवरी, 2010

    कत्थक नृत्य भगाए रोग..Wah bhai wah.

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  2. बहुत सुंदर लेकिन हम अब कत्थक नही सीखेगें

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  3. दिलचस्प जानकारी....अब तो कत्थक सीखना ही पड़ेगा.

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  4. म्यूजिक थेरेपी जहाँ मानसिक समस्याओं को दूर करने में सक्षम है वहीं शास्त्रीय नृत्य शारीरिक समस्याओं को....Ab to main bhi dance karna sikh loon.

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  5. म्यूजिक थेरेपी जहाँ मानसिक समस्याओं को दूर करने में सक्षम है वहीं शास्त्रीय नृत्य शारीरिक समस्याओं को....Ab to main bhi dance karna sikh loon.

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  6. jaankaari badhaane ke liye shukriya Aakansha ji
    katthak waqayi bahut achchi nruty shaili hai

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  7. अच्छी जानकारी पर हर किसी के बस में नही ये सीखना .......... बहुत संयम की आवश्यकता है ........

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  8. कत्थक दिल के मरीजों के लिए भी एक सटीक दवा है।....Dil se dua bhi nikalti hai aur Dawa bhi.

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  9. व्यायाम ना सही तो कत्थक ही सही, थोड़ी कसरत भी हो जाएगी.

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  10. अब समझ में आया कि नायिकाएं क्यों शाश्त्रीय नृत्य सीखती हैं.

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  11. अजी डाकिया बाबू तो वैसे ही दिन भर कत्थक करता रहता है. कभी यहाँ कि चिट्ठी, तो कभी वहां कि.

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  12. इसे हमने यदुकुल पर साभार प्रकाशित किया है...धन्यवाद.

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  13. ता..धिन..ता...धिन...मजेदार.

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  14. कहते हैं नृत्य आत्मा की छुपी हुई भाषा है..बेहतरीन प्रस्तुति. विश्व नृत्य दिवस की हार्दिक बधाई !!

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  15. आजकल खूब नए-नए दिवस हो गए हैं...ऐसे दिवसों के बारे में आपके ब्लॉग द्वारा अच्छी जानकारियां मिलती रहती हैं..साधुवाद.

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  16. तो वाकई आज की व्यस्त जिंदगी में यदि शास्त्रीय नृत्य कत्थक में स्वस्थ रहने का राज छुपा है, तो भारतीय नृत्य की इस अद्भुत धरोहर से नई पीढ़ी को परिचित कराने की जरुरत है जो पाश्चात्य संस्कृति में ही अपना भविष्य खोज रही है....Ekdam sahi farmaya apne. Happy Dance day.

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  17. बेनामी01 मई, 2010

    अजी ये तो कमाल की जानकारी दी, हमें तो पता ही नहीं था कि नृत्य का भी कोई दिवस होता है...अब हम भी कत्थक सीख ही डालें.

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  18. बेनामी01 मई, 2010

    अजी ये तो कमाल की जानकारी दी, हमें तो पता ही नहीं था कि नृत्य का भी कोई दिवस होता है...अब हम भी कत्थक सीख ही डालें.

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  19. नृत्य दिवस को भी आपने प्रासंगिक बना दिया...जानकारी के लिए आभार.

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  20. लगता है हमें भी नृत्य सिखाकर ही रहेंगी ...

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  21. हमें तो नृत्य खूब भाता है. इस विलक्षण जानकारी के लिए आपको धन्यवाद.

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  22. आकांक्षा जी, आपने इस दिवस के बारे में पहले बताया होता तो कुछ डांस पार्टी भी होती. अभी अपने देश में इस बारे में उतनी जानकारी नहीं है.

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  23. काफी ज्ञान बढ़ा आपकी इस पोस्ट से...एकदम नए रूप में जानकारी.

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  24. भारतीय संस्कृति में नृत्य की परंपरा काफी पुराणी है. इसकी चर्चा वेदों में भी. वाकई यह नृत्य किसी योग से कम नहीं है.

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  25. .बेहतरीन प्रस्तुति. विश्व नृत्य दिवस की हार्दिक बधाई !!

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  26. बढ़िया है...हमें भी विश्व नृत्य दिवस के बारे में पता चल गया.

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  27. दिलचस्प जानकारी....

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