शनिवार, 5 जून 2010

प्रकृति की ओर एक कदम..

आज विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) है. क्या वाकई इस दिवस का कोई मतलब है. लम्बे-लम्बे भाषण-सेमिनार, कार्डबोर्ड पर स्लोगन लेकर चलते बच्चे, पौधारोपण के कुछ सरकारी कार्यक्रम...क्या यही पर्यावरण दिवस है ? क्या इतने मात्र से पर्यावरण शुद्ध हो जायेगा. जब हम पर्यावरण की बात करते हें तो यह एक व्यापक शब्द है, जिसमें पेड़-पौधे, जल, नदियाँ, पहाड़ इत्यादि से लेकर हमारा समूचा परिवेश सम्मिलित है. हमारी हर गतिविधि इनसे प्रभावित होती है और इन्हें प्रभावित करती भी है. कभी लोग गर्मी में ठंडक के लिए पहाड़ों पर जाया करते थे, पर वहाँ भी लोगों ने पेड़ों को काटकर रिसोर्ट और होटल बनने आरंभ कर दिए. कोई यह क्यों नहीं सोचता कि लोग पहाड़ों पर वहाँ के मौसम, प्राकृतिक परिवेश कि खूबसूरती का आनंद लेना चाहते हैं, न की कंक्रीटों का. पर लगता है जब तक यह बात समझ में आयेगी तब तक काफी देर हो चुकेगी. ग्लोबल वार्मिंग अपना रंग दिखाने लगी है, लोग गर्मी में 45 पर तापमान के आने का रो रहे हैं, पर इसके लिए कोई कदम नहीं उठाना चाहता. सारी जिम्मेदारी बस सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं की है. जब तक हम इस मानसिकता से नहीं उबरेंगे, तब तक पर्यावरण के नारों से कुछ नहीं होने वाला है. आइये आज कुछ ऐसा सोचते हैं, जो हम कर सकते हैं. जिसकी शुरुआत हम स्वयं से या अपनी मित्रमंडली से करा सकते हैं. हम क्यों सरकार का मुँह देखें. पृथ्वी हमारी है, पर्यावरण हमारा है तो फिर इसकी सुरक्षा भी तो हमारा कर्त्तव्य है. कुछ बातों पर गौर कीजिये, जिसे मैंने अपने परिवार और मित्र-जनों के साथ मिलकर करने की सोची है, आप भी इस ओर एक कदम बढ़ा सकते हैं-


*फूलों को तोड़कर उपहार में बुके देने की बजाय गमले में लगे पौधे भेंट किये जाएँ.

* स्कूल में बच्चों को पुरस्कार के रूप में पौधे देकर, उनके अन्दर बचपन से ही पर्यावरण संरक्षण का बोध कराया जाय.

* जीवन के यादगार दिनों मसलन- जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगाँठ या अन्य किसी शुभ कार्य की स्मृतियों को सहेजने के लिए पौधे लगाकर उनका पोषण करें.

*री-सायकलिंग द्वारा पानी की बर्बादी रोकें और टॉयलेट इत्यादि में इनका उपयोग करें.

*पानी और बिजली का अपव्यय रोकें.

*फ्लश का इस्तेमाल कम से कम करें. शानो-शौकत में बिजली की खपत को स्वत: रोकें.

*सूखे वृक्षों को भी तभी काटा जाय, जब उनकी जगह कम से कम दो नए पौधे लगाने का प्रण लिया जाय.

*अपनी वंशावली को सुरक्षित रखने हेतु ऐसे बगीचे तैयार किये जाएँ, जहाँ हर पीढ़ी द्वारा लगाये गए पौधे मौजूद हों. यह मजेदार भी होगा और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में एक नेक कदम भी.

(यह एक लम्बी सूची हो सकती है. आप भी इसमें अपने सुझाव दे सकते हैं.)

25 टिप्‍पणियां:

  1. आपने बहुत अच्छे सुझाव दिए हैं ..पर्यावरण के भीतर जाकर जब तक हम उसकी सुगंध महसूस करके उसको जियेंगे नहीं तब तक कुछ होने वाला नहीं .. मशीनी युग में हमें बंद कमरे में फुल फेसिलिटी का आनंद चाहिए हम तो ऐसे अय्याश होते जा रहे हैं कि वश चले तो नदिया पहाड़ और झरने भी हम अपने बेडरूम में ही चाहते हैं .. जब आदमी मानसिक कंगाली के दौर से गुजर रहा हों और अपनी जन्मदात्री क़ी ही कोई परवाह ना कर सके तो उसे ईश्वर भी नहीं बचा सकेगा .

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  2. हमने इस बार अपने जन्मदिन ३० जून पर एक पेड़ लगाने का प्राण लिया है .हमें धूप धूल पसीने से कोई परहेज नहीं! बहुत दुःख होता है ! पेड़ों के बिना हमारा शहर बियाबान सा होंता जा रहा है .....

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  3. आपने सुन्दर आलेख द्वारा पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिये सुन्दर सुझाव दिये हैं
    बहुत सुन्दर

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  4. सार्थक आलेख दिवस विशेष पर...

    पाखी काहे मूँह टेढ़ा किये है..चाकलेट नहीं मिली क्या हमारी बिटिया को?? हा हा

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  5. अब तो मैं भी ऐसा ही करुँगी. प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखूंगी.

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  6. @ समीर अंकल जी,

    अभी तक आपने वादे के अनुसार कविता नहीं भेजी न, इसीलिए मुंह फुलाए हुए हूँ..

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  7. 'विश्व पर्यावरण दिवस' पर बेहतरीन प्रस्तुति..बधाई.

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  8. अपनी वंशावली को सुरक्षित रखने हेतु ऐसे बगीचे तैयार किये जाएँ, जहाँ हर पीढ़ी द्वारा लगाये गए पौधे मौजूद हों. यह मजेदार भी होगा और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में एक नेक कदम भी....sundar sujhav.

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  10. पर्यावरण दिवस की बधाई...बेहतरीन पोस्ट. आपका संकल्प प्रेरणादायी है..शुभकामनायें.

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  11. सुन्दर व सार्थक सदेश

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  12. बेनामी05 जून, 2010

    हम भी आपके संकल्प के साथ हैं..शुभकामनायें.

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  13. Prakriti ki or apka ye kadam bada prabhavi laga. kash ki har koi aisa sochta.

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  14. प्रकृति की ओर आपका ये कदम बड़ा रोचक लगा. काश की हर कोई ऐसा सोचता..बधाई.

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  15. वृक्ष अमूल्य धरोहर हैं,
    इनकी रक्षा करना होगा।
    जीवन जीने की खातिर,
    वन को जीवित रखना होगा।

    तनिक-क्षणिक लालच को,
    अपने मन से दूर भगाना है।
    धरती का सौन्दर्य धरा पर,
    हमको वापिस लाना है।।

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  16. अगर हम सचमुच इसके प्रति गम्भीर नहीं, तो फिर बडी बडी बातों का भी कोई मतलब नहीं।
    --------
    रूपसियों सजना संवरना छोड़ दो?
    मंत्रो के द्वारा क्या-क्या चीज़ नहीं पैदा की जा सकती?

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  17. बहुत सुंदर बात कही आप ने, धन्यवाद

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  18. बहुत अच्छी पोस्ट....सबको इन बातों का ख़याल रखना ही चाहिए...

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  19. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 06.06.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  20. काश की हर कोई ऐसा सोचता..बधाई.

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  21. आपने बहुत अच्छे सुझाव दिए हैं ,एक सुझाव मेरी तरफ से,

    हम अपने बच्चे के जन्मदिन पर दस पेड़ लगाए ( पेड़ मतलब बड़े छायादार रसीले फल न की गमलो में लगने वाले बाँझ पौधे ), ओउर अगले जन्मदिन तक उन पौधो की देखभाल करे .

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  22. बहुत सही बात. जरुरी कदम सभी को उठाने होंगे....

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  23. सहज व उपयोग में लाये जा सकने वाले सुझाव..साधुवाद.

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  24. उम्दा पोस्ट. वाकई इन सुझावों पर अमल करें तो बल्ले-बल्ले हो जाएगी.

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  25. आपके लेख हमेशा कुछ नयी बात ले कर आते हैं..जागरूकता प्रदान करते हैं...
    शुभकामनायें

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