शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

तुम्हारी ख़ामोशी


तुम हो
मैं हूँ
और एक खामोशी
तुम कुछ कहते क्यूँ नहीं
तुम्हारे एक-एक शब्द
मेरे वजूद का
अहसास कराते हैं
तुम्हारी पलकों का
उठना व गिरना
तुम्हारा होठों में ही
मंद-मंद मुस्कुराना
तुम्हारा बेकाबू होती
साँसों की धड़कनें
तुम्हारे शरीर की खुशबू
तुम्हारी छुअन का अहसास
सब कुछ
इस खामोशी को
झुठलाता है।

कृष्ण कुमार यादव

23 टिप्‍पणियां:

  1. सच ख़ामोशी खामोश रहकर भी बहुत कुछ बोल लेती हैं... बढ़िया अहसास ...शुभकामना

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  2. तुम हो
    मैं हूँ
    और एक खामोशी
    तुम कुछ कहते क्यूँ नहीं
    तुम्हारे एक-एक शब्द
    मेरे वजूद का
    अहसास कराते हैं...
    ....बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति.

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  3. खामोशी भी बोला करती है
    इसकी भी जुबान होती है
    बिन कहे जो बात होती है
    बस उस वक्त ही बात होती है

    बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति।

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  4. दिल क़ी गहराई से लिखी गयी एक रचना , बधाई

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  5. सच है खामोशी की भी एक जुबां होती है..बेहद संवेदनशील प्रस्तुति..

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  6. aakaanksha bhn aapke bolg pr krshn kant ji ki yeh rchnaa lekin bhut bhut jivnt alfaaz he mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan

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  7. कई बार कुछ कहने से बेहतर खामोशी होती है। खामोशियों को खामोशी से समझो ये बहुत कुछ कहती है।

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  8. बेहतरीन कविता , कही गहरे तक उतर कर लिखी गयी का अहशास कराती पंक्तिया है आपकी बधाई कृष्ण जी

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  9. बहुत खूबसूरती से खामोशी को अभिव्यक्त किया ..सुन्दर रचना

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  10. ....बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति.दिल क़ी गहराई से लिखी गयी एक रचना , बधाई

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  11. तुम्हारे शरीर की खुशबू
    तुम्हारी छुअन का अहसास
    सब कुछ
    इस खामोशी को
    झुठलाता है।

    ....बहुत सुन्दर शब्दों में सहेजा भावों को...बधाई.

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  12. साहित्य का प्रकाश यूँ ही चारों तरफ फैलाते रहें
    कृष्ण बनकर जग का अँधियारा भगाते रहें.

    भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डा. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान-2010‘‘ से सम्मानित होने पर श्री कृष्ण कुमार यादव जी को हार्दिक शुभकामनायें और बधाइयाँ.

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  13. आप सभी को मेरी यह कविता पसंद आई..आप सभी का आभार. यूँ ही अपना स्नेह बनाये रखें.

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  14. @ Bhanvar ,

    सम्मान पर आपकी शुभकामनाओं के लिए बहुत-बहुत आभार.

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  15. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22- 02- 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  16. जब ख़ामोशी इतना कुछ बोलती है तो उससे शिकवा कैसा !

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