तुम हो
मैं हूँ
और एक खामोशी
तुम कुछ कहते क्यूँ नहीं
तुम्हारे एक-एक शब्द
मेरे वजूद का
अहसास कराते हैं
तुम्हारी पलकों का
उठना व गिरना
तुम्हारा होठों में ही
मंद-मंद मुस्कुराना
तुम्हारा बेकाबू होती
साँसों की धड़कनें
तुम्हारे शरीर की खुशबू
तुम्हारी छुअन का अहसास
सब कुछ
इस खामोशी को
झुठलाता है।
कृष्ण कुमार यादव
सच ख़ामोशी खामोश रहकर भी बहुत कुछ बोल लेती हैं... बढ़िया अहसास ...शुभकामना
जवाब देंहटाएंतुम हो
जवाब देंहटाएंमैं हूँ
और एक खामोशी
तुम कुछ कहते क्यूँ नहीं
तुम्हारे एक-एक शब्द
मेरे वजूद का
अहसास कराते हैं...
....बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति.
खामोशी भी बोला करती है
जवाब देंहटाएंइसकी भी जुबान होती है
बिन कहे जो बात होती है
बस उस वक्त ही बात होती है
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति।
दिल क़ी गहराई से लिखी गयी एक रचना , बधाई
जवाब देंहटाएंसच है खामोशी की भी एक जुबां होती है..बेहद संवेदनशील प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंaakaanksha bhn aapke bolg pr krshn kant ji ki yeh rchnaa lekin bhut bhut jivnt alfaaz he mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंअति सुंदर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंकई बार कुछ कहने से बेहतर खामोशी होती है। खामोशियों को खामोशी से समझो ये बहुत कुछ कहती है।
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण!!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता , कही गहरे तक उतर कर लिखी गयी का अहशास कराती पंक्तिया है आपकी बधाई कृष्ण जी
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरती से खामोशी को अभिव्यक्त किया ..सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं....बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति.दिल क़ी गहराई से लिखी गयी एक रचना , बधाई
जवाब देंहटाएंतुम्हारे शरीर की खुशबू
जवाब देंहटाएंतुम्हारी छुअन का अहसास
सब कुछ
इस खामोशी को
झुठलाता है।
....बहुत सुन्दर शब्दों में सहेजा भावों को...बधाई.
साहित्य का प्रकाश यूँ ही चारों तरफ फैलाते रहें
जवाब देंहटाएंकृष्ण बनकर जग का अँधियारा भगाते रहें.
भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डा. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान-2010‘‘ से सम्मानित होने पर श्री कृष्ण कुमार यादव जी को हार्दिक शुभकामनायें और बधाइयाँ.
यह खामोशी ऐसे ही कायम रहे।
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ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
sunder bhav
जवाब देंहटाएंkhamoshi
wah ye dastak kaisi
आप सभी को मेरी यह कविता पसंद आई..आप सभी का आभार. यूँ ही अपना स्नेह बनाये रखें.
जवाब देंहटाएं@ Bhanvar ,
जवाब देंहटाएंसम्मान पर आपकी शुभकामनाओं के लिए बहुत-बहुत आभार.
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22- 02- 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
जब ख़ामोशी इतना कुछ बोलती है तो उससे शिकवा कैसा !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गीत...बधाई.
जवाब देंहटाएंkhamoshi bhi jaan leva ban jaati kabhi kabhi ,sundar .
जवाब देंहटाएंमौन कितना कुछ कह सकता है।
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