(कहते हैं जब अपनी व्यथा किसी से न कह पायें तो कविता में उतार दें. यही कारण है कि आज तमाम नामचीन लोग कवितायेँ लिखते हैं, कोई चोरी-छुपे डायरी में तो कोई सभी के सामने अभिव्यक्त करता है. इन कवियों में अब मानव संसाधन मंत्री और संचार मंत्री कपिल सिब्बल जी का नाम भी शामिल हो गया है. उनकी इस कविता को पढ़ें, उनका दर्द समझें और कवि-मन से लुत्फ़ उठायें )
शाहों के शाह,
हमारे नौकरशाह!
पता नहीं इन्होंने
कहां से कौन सा ज्ञान
उधार लिया है,
कि न्यूटन के
प्रसिद्ध गति के नियम को भी
सुधार लिया है।
पाॅजिटिव कामों का
जरूर होना चाहिए विरोध,
ताकतवर निगेटिव प्रतिक्रिया से
बनाते हैं नए-नए अवरोध।
हर समस्या के लिए
सरकार के पास नीति है,
मंत्री के पास भी ज्ञान है
नीति को समझाने की रीति है।
जब उन्हें साफ-साफ अल्पफाज में
रास्ता बताया जाता है,
तो कुछ न कुछ
ऐसा लाया जाता है
जिससे दिखती है
उस कार्रवाई की सीमा,
और इस तरह
वे फाइलों की गति को
कर देते हैं धीमा।
शायद पड़ जाते हैं
गुरुत्वाकर्षण के
सिद्धांत के फेर में,
जिन फाइलों पर
तुरंत कार्रवाई की जरूरत हो
उन्हें सबसे नीचे जगह मिलती है
ढेर में।
(कपिल सिब्बल जी की पुस्तक ‘किस-किस की जय हो’से साभार)
शाहों के शाह,
हमारे नौकरशाह!
पता नहीं इन्होंने
कहां से कौन सा ज्ञान
उधार लिया है,
कि न्यूटन के
प्रसिद्ध गति के नियम को भी
सुधार लिया है।
पाॅजिटिव कामों का
जरूर होना चाहिए विरोध,
ताकतवर निगेटिव प्रतिक्रिया से
बनाते हैं नए-नए अवरोध।
हर समस्या के लिए
सरकार के पास नीति है,
मंत्री के पास भी ज्ञान है
नीति को समझाने की रीति है।
जब उन्हें साफ-साफ अल्पफाज में
रास्ता बताया जाता है,
तो कुछ न कुछ
ऐसा लाया जाता है
जिससे दिखती है
उस कार्रवाई की सीमा,
और इस तरह
वे फाइलों की गति को
कर देते हैं धीमा।
शायद पड़ जाते हैं
गुरुत्वाकर्षण के
सिद्धांत के फेर में,
जिन फाइलों पर
तुरंत कार्रवाई की जरूरत हो
उन्हें सबसे नीचे जगह मिलती है
ढेर में।
(कपिल सिब्बल जी की पुस्तक ‘किस-किस की जय हो’से साभार)
कपिल सिब्बल जी ने अपने दर्द का चित्रण बखूबी किया है किन्तु मामला एकतरफा है | महोदय ने नेताओं-मंत्रियों को सर्वसक्षम बताते हुए नौकरशाही की आलोचना की है , अब जब तक कोई नौकरशाह कवि अपना दर्द नहीं उड़ेलेगा तब तक कविता पूर्णता को कैसे प्राप्त कर सकेगी ?
जवाब देंहटाएंदेते हैं धीमा।
जवाब देंहटाएंशायद पड़ जाते हैं
गुरुत्वाकर्षण के
सिद्धांत के फेर में,
जिन फाइलों पर
तुरंत कार्रवाई की जरूरत हो
उन्हें सबसे नीचे जगह मिलती है
ढेर में।
laazwaab rachna
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से रचना सार्थक है कपिल सिब्बल जी को बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा किया आपने कपिल जी की इस कविता को यहाँ शेयर कर के.उन के मन की व्यथा यहाँ साफ़ झलक रही है.
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और सटीक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक सटीक रचना है। धन्यवाद कपिल सिब्बल जी को पढवाने के लिये।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना के लिए बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और सटीक प्रस्तुति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना है , बधाई.
जवाब देंहटाएंकपिल जी भी कविता कर लेते हैं, कमाल है
जवाब देंहटाएंअपना ब्लॉग मासिक रिपोर्ट
वे फाइलों की गति को
जवाब देंहटाएंकर देते हैं धीमा।
शायद पड़ जाते हैं
गुरुत्वाकर्षण के
सिद्धांत के फेर में,
जिन फाइलों पर
तुरंत कार्रवाई की जरूरत हो
उन्हें सबसे नीचे जगह मिलती है
ढेर में।bahut hi achchha tark diya hai sibbal sahab ne..........
बिल्कुल सही कहा है आपने।
जवाब देंहटाएंहर समस्या के लिए
जवाब देंहटाएंसरकार के पास नीति है,
मंत्री के पास भी ज्ञान है
नीति को समझाने की रीति है।
तभी तो देश मे चारो ओर खुशहाली हे, सब इन्हे कितना प्यार करते हे, बस एक बार आम लोगो के गले मिल कर तो देखे, ओर उन कॊ छोटी मोटी समस्या का हल भी निकाले जो इन्होने ही दी हे...... बेचारे कवि... कितना काम हे इन्हे
बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंनारी स्नेहमयी जननी
ये तो छिपे रूस्तम निकले।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
khoob kha ....
जवाब देंहटाएंहर किसी की अपनी व्यथा....सिब्बल साहब भी कवि हो गए हैं.
जवाब देंहटाएंये शाहों के शाह।
जवाब देंहटाएंजिन फाइलों पर
जवाब देंहटाएंतुरंत कार्रवाई की जरूरत हो
उन्हें सबसे नीचे जगह मिलती है
ढेर में।
...sundar kavita.
यही तो इस देश का दुर्भाग्य है..सिब्बल जी काफी अच्छा लिखते हैं. पर एक वकील की तरह दोष भी दूसरों पर मढने पर माहिर हैं.
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