गुरुवार, 3 नवंबर 2011

बन्दर की सगाई


बन्दर की तय हुई सगाई,
सबने खाई खूब मिठाई।
कोयल गाये कू-कू-कू
हाथी ने चिंघाड़ लगाई।

ड्रम बाजे डम-डम-डम,
भालू नाचा छम-छम-छम।
चारों तरफ खुशहाली आई,
जंगल में बज उठी शहनाई।

पहन सुन्दर सी शेरवानी,
बन्दर जी ने बांधा सेहरा।
सभी लोग उतारें नजरें,
खिल रहा बंदर का चेहरा।

कार पर चढ़ बन्दर जी निकले,
बाराती भी खूब सजे।
सबने दावत खूब उड़ाई,
धूमधाम से हुई विदाई।

-- आकांक्षा यादव

7 टिप्‍पणियां:

  1. चलिये, सब अच्छे से निपट गया।

    जवाब देंहटाएं
  2. कल 04/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! वाह! सुन्दर :-))
    सादर बधाई...

    जवाब देंहटाएं