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रविवार, 23 जुलाई 2017

आज ही के दिन शुरू हुआ था भारत में रेडियो प्रसारण

23 जुलाई को जब आप अपनी गाड़ी या घर में रेडियो सुनेंगे तो शायद आपको कुछ खास ना लगे पर ये दिन सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। 23 जुलाई को ही भारत में मुंबई से रेडियो प्रसारण की पहली स्‍वर लहरी गूंजी थी। 23 जुलाई को भारत में संगठित प्रसारण के 90 साल पूरे हो रहे हैं। प्रसारण की एक मोहक और ऐतिहासिक यात्रा में रेडियो ने सफलता के कई आयाम तय किए हैं। आज रेडियो भारतीय जनमानस के जीवन का एक अभिन्न अंग है। भारत में रेडियो से जुड़ी दो अनूठी बातें हैं, पहली तो यह कि यहां के रेडियो प्रसारण का नाम विश्व भर में विशिष्ट है ‘आकाशवाणी’ और उतनी ही अनूठी है इस ‘आकाशवाणी’ की ‘परिचय धुन’, जिसके साथ कुछ आकाशवाणी केंद्रों पर सभा सभा का आरंभ होता है हालांकि आकाशवाणी के बहुत सारे केंद्र अब अपना प्रसारण 24 घंटे करते हैं इसलिए वहां आकाशवाणी की संकेत ध्वनि सुनने नहीं मिल पाती है। ‘विविध भारती’ का प्रसारण 24 घंटे है तो वहां आकाशवाणी की संकेत धुन अब नहीं बज पाती।

यहां यह जानकारी देना जरूरी है कि इस नायाब धुन को सन 1936 में ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी’ के संगीत विभाग के अधिकारी वॉल्टर कॉफमैन ने कंपोज़ किया था। ‘आकाशवाणी’ के इस अनूठे नाम की भी बड़ी दिलचस्प कहानी है। वैसे अपने देश में सन 1924 के आसपास कुछ रेडियो क्लबों ने प्रसारण आरंभ किया था लेकिन आर्थिक कठिनाइयों के चलते यह क्लब नहीं चल सके। आगे चलकर 23 जुलाई सन 1927 को मुंबई में ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी’ ने अपनी रेडियो प्रसारण सेवा शुरू की। 26 अगस्त 1927 को कोलकाता में नियमित प्रसारण शुरू हो गया। रेडियो प्रसारण का उद्घाटन करते हुए तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने कहा था भारत वासियों के लिए प्रसारण का एक वरदान हो जायेगा। मनोरंजन और शिक्षा की दृष्टि से भारत में विद्यमान संभावना का हमें स्वागत करना होगा लेकिन 1930 तक आते-आते इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी दिवालिया हो गई और 1 अप्रैल 1930 को ब्रिटिश सरकार ने ‘इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस’ का गठन किया। मजे की बात यह है कि तब रेडियो श्रम मंत्रालय के अंतर्गत रखा गया। बात चल रही थी ‘आकाशवाणी’ के नामकरण की, तो बता दिया जाए कि दरअसल उन दिनों कई रियासतों में रेडियो स्टेशन खोले गए थे जिनमें मैसूर रियासत के 30 वॉट के ट्रांसमीटर से डॉक्टर एम वी गोपालस्वामी ने रेडियो प्रसारण शुरू किया और उसे नाम दिया ‘आकाशवाणी’। आगे चलकर सन 1936 से भारत के तमाम सरकारी रेडियो प्रसारण को ‘आकाशवाणी’ के नाम से जाना गया।

शुरू से ही रेडियो के तीन महान लक्ष्य थे- सूचना, शिक्षा और मनोरंजन। सामने थी भारत की भौगोलिक विभिन्नताओं और कठिनाइयों की चुनौती। लोगों को यह जानकर अचरज होगा कि सन 1930 से 1936 के बीच मुंबई और कोलकाता जैसे केंद्रों से हर रोज दो समाचार बुलेटिन प्रसारित किए जाते थे। एक अंग्रेजी में और दूसरा बुलेटिन हिंदुस्तानी में। 1 जनवरी 1936 को आकाशवाणी के दिल्‍ली केंद्र के उद्घाटन के साथ ही वहां से भी समाचार बुलेटिन प्रसारित होने लगे। सबसे खास बात यह है कि उन दिनों चूंकि समाचार बुलेटिन शुरू ही हुए थे इसलिए खबरें किसी एजेंसी से खरीदी नहीं जाती थी बल्कि समाचार वाचक उस दिन के समाचार पत्र लेकर मुख्य समाचार पढ़ दिया करते थे। लेकिन सन 1935 में सेंट्रल न्यूज़ आर्गेनाईजेशन यानी केंद्रीय समाचार संगठन की स्थापना के बाद समाचार बुलेटिनों का सुनियोजित ढंग से विकास हुआ। स्वतंत्रता के समय आकाशवाणी के कुल 18 ट्रांसमीटर थे। आकाशवाणी के नेटवर्क में कुल 6 रेडियो स्टेशन और पांच देसी रियासतों के रेडियो स्टेशन थे।

सन 1951 में रेडियो के विकास को पंचवर्षीय योजना में शामिल कर लिया गया उसके बाद से आकाशवाणी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आकाशवाणी ने समाज के हर तबके को अपने परिवार में शामिल किया है, चाहे ग्रामीण श्रोता हो, चाहे श्रमिक, कामकाजी महिलाएं हों या बुजुर्ग और बच्चे या युवा। सबके लिए आकाशवाणी के रोचक कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। आज देश की लगभग 98 प्रतिशत आबादी की पहुंच में है रेडियो।

21वीं सदी के इस तकनीकी युग में आकाशवाणी ने अपनी शक्ल बदली है। अब लोकल फ्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन यानी एफ एम केंद्रों का विस्तार हुआ है। और कार्यक्रमों की तकनीकी गुणवत्ता भी बढ़ी है। रेडियो आपके हाथ में है, आपके मोबाइल में है, इंटरनेट के जरिए पूरी दुनिया में इसकी पहुंच है। शुरुआती दौर से ही आकाशवाणी रचनात्मक पहल करती आ रही है। महत्‍वपूर्ण घटनाओं, समारोहों या खेलों की रेडियो कमेंट्री हो, रेडियो नाटक, रेडियो फीचर, फोन इन कार्यक्रम जैसी रचनात्मक विधाएं या फिर त्वरित प्रतिक्रिया वाले कार्यक्रम। sms का फरमाइशी कार्यक्रम हो या फिर शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम, साहित्यिक कृतियों के रेडियो रूपांतरण, गीतों भरी कहानियां, वार्ता, बाजार भाव, मौसम का हाल सब आकाशवाणी का हिस्‍सा हैं।

बदलते वक्‍त के साथ रेडियो ने अपनी नई विधाएं गढ़ी हैं। और इन्हें जनता के संस्कारों का हिस्सा बनाया है। 23 जुलाई 1969 को मनुष्य ने चंद्रमा पर कदम रखा और उसी दिन आकाशवाणी दिल्ली से आरंभ हुआ ‘युववाणी’ कार्यक्रम। उद्देश्य था छात्र वर्ग और युवा पीढ़ी को प्रसारण का भागीदार बनाना। आगे चलकर इस युववाणी ने रंगमंच, अभिनय, संगीत और मीडिया के अनेक क्षेत्रों की बहुत प्रतिभाओं को निखारा। आकाशवाणी के अत्यंत महत्वपूर्ण योगदानों में शास्त्रीय संगीत और लोक संगीत की अनमोल विरासत को सँजोना और लोकप्रिय करनास भी शामिल है। गुजरे जमाने के अनेक महत्वपूर्ण संगीतकार, शास्त्रीय संगीत के अनेक विद्वान, साहित्यकार और पत्रकार आकाशवाणी से जुड़े रहे हैं। आज भी आकाशवाणी के संग्रहालय में इनकी अनमोल रिकॉर्डिंग मौजूद है। महादेवी वर्मा जयशंकर प्रसाद, ‘निराला’, बच्‍चन जी, पं. रमानाथ अवस्थी वगैरह की अनमोल रचनाएं आकाशवाणी की लाइब्रेरी में मौजूद है। और अब तो प्रसार भारती ने सीडीज़ की शक्‍ल में इन्‍हें आपके लिए उपलब्‍ध भी करवा दिया है। इसे प्रसार भारती आर्काइव की वेबसाइट से खरीदा जा सकता है। इसमें वो रामचरित मानस गान भी शामिल है जो आपकी सुबहों का हिस्‍सा होती थी।

भारत में आकाशवाणी के लोकप्रियता का एक नया इतिहास तब रचा गया जब 3 अक्टूबर 1957 को ‘विविध भारती सेवा’ आरंभ हुई। ‘विविध भारती’ के फरमाइशी फिल्मी गीतों के कार्यक्रम घर घर में गूंजने लगे। फिल्मी कलाकारों से मुलाकात, फौजी भाइयों के लिए ‘जयमाला’, ‘हवा महल’ के नाटक और अन्य अनेक कार्यक्रम जन-जीवन का हिस्सा बन गए। सन 1967 में विविध भारती से प्रायोजित कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। फिर तो रेडियो की लोकप्रियता शिखर पर पहुंच गई। अमीन सायानी की बिनाका गीतमाला आज भी हमारी यादों का हिस्‍सा है।

आकाशवाणी की ‘ध्वनि तरंगें’ सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी गूंजा करती है। वैसे अक्टूबर 1939 में पश्तो भाषा विदेश प्रसारण की शुरुआत हुई थी। विदेश प्रसारण सेवा आज 25 से भी अधिक भाषाओं में कार्यक्रम करती है। इसके अलावा आकाशवाणी की वेबसाइट पर लाइव स्‍ट्रीमिंग और मोबाइल एपलीकेशन के ज़रिए विविध भारती, एफ एम गोल्‍ड, रेनबो, समाचार सेवा, शास्‍त्रीय संगीत के चौबीस घंटे चलने वाले रेडियो चैनल ‘रागम’ और अलग अलग क्षेत्रीय भाषाओं के मनोरंजक कार्यक्रम सारी दुनिया में सुने जा सकते हैं।

जिन दिनों में छोटा पर्दा नहीं था तब रेडियो कमेंट्री विभिन्न घटनाओं को शब्दचित्र अपने श्रोताओं के लिए खींच देती थी चाहे आजादी की पूर्व संध्या पर पंडित नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ (नियति से साक्षात्कार) संसद में दिया था। आकाशवाणी के माध्यम से इसे पूरे राष्ट्र में सुना था। आज भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी रेडियो के ज़रिये अपनी ‘मन की बात’ लोगों तक पहुंचाते हैं। आज भारत में अनेक प्राइवेट एफ एम चैनल श्रोताओं का मनोरंजन करते हुए रेडियो की परंपरा को समृद्ध कर रहे हैं।

आज आकाशवाणी प्रसारण के तीनों रुपों यानी शॉर्टवेव, मीडियम वेव और FM के जरिए देश-विदेश में उपलब्ध है। 90 साल पहले ध्वनि तरंगों ने भारत में एक नन्हा कदम रखा था और आज भारतीय प्रसारण ने एक परिपक्व उम्र को छुआ है। इस उम्र में भी सपनों के अंकुर हरे हैं। स्मृतियों के एल्बम भरे हैं। और तय करने को है एक लंबा सफर। प्रसारण के 90 बरस प्रसारकों और श्रोताओं के लिए उत्सव के क्षण हैं।

 ✍🏻 *ममता सिंह*
उदघोषिका विविध भारती, मुंबई

बुधवार, 29 जुलाई 2015

जन्मदिन की ख़ुशी

 आखिर फिर से हमारा जन्मदिन आ गया.… 30 जुलाई।  साल में एक ही बार तो आता है, पर मजबूर कर जाता है एक गहन विश्लेषण के लिए कि क्या खोया-क्या पाया इस एक साल में...और फिर दुगुने उत्साह के साथ लग जाती हूँ आने वाले दिनों के लिए. न जाने कितनी जगहों पर अपना जन्मदिन सेलिब्रेट करने का सौभाग्य मिलेगा। जीवन साथी कृष्ण कुमार यादव जी, बेटियाँ अक्षिता (पाखी) और अपूर्वा मेरे हर जन्मदिन को यादगार बनाते हैं।  इनके बिना तो सब कुछ सूना है। 

गाजीपुर (उप्र) से आरम्भ हुआ यह सफर विवाह पश्चात लखनऊ, कानपुर, पोर्टब्लेयर, इलाहाबाद के बाद अब सपरिवार जोधपुर में। कभी समुद्र का किनारा, तो कभी गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती का अद्भुत संगम और अब मरू स्थली कहे जाने वाले जोधपुर में। अब लगता है कि पहाड़ों पर भी जन्मदिन मना लेना चाहिए। ख़ैर, इसी बहाने पर्यटन के साथ-साथ विभिन्न जगहों की संस्कृति, लोकाचार और वहां के लोगों से भी रूबरू होने का मौका मिलता है।  हर पल हम कुछ सीखते हैं और कहीं-न-कहीं लोगों को सीखते भी हैं। 



ब्लागिंग जगत में आप सभी के स्नेह से सदैव अभिभूत रही हूँ. जीवन के हर पड़ाव पर आप सभी की शुभकामनाओं और स्नेह की धार बनी रहेगी, इसी विश्वास के साथ.... !!

शनिवार, 1 मार्च 2014

29 फरवरी को जन्मदिन : उस तारीख़ का इंतज़ार


मेरे पापा का जन्मदिन 29 फरवरी को पड़ता है। हमें इस दिन के लिए चार साल का लम्बा इंतज़ार  करना पड़ता है, क्योंकि  29 फरवरी हर चाल साल में एक बार आती  है और अब ये वर्ष 2016 में आएगा। पापा हर साल हम  सबको जन्मदिन की शुभकामनाएं और आशीर्वाद देते हैं, फिर हमें उन्हें बधाई देने के लिए चार साल का लम्बा इंतज़ार क्यों करें ? सो, 28 फरवरी के बाद अगले दिन हम उनका हैप्पी बर्थडे सेलिब्रेट करते हैं, सो आज उनका जन्मदिन है और इस जन्मदिन पर हम यही चाहेंगे कि पापा जी को जीवन की सारी खुशियां मिलें, वे स्वस्थ, सुखी, समृद्ध  व दीर्घायु जीवन जियें और हम लोगों को अपना प्यार, स्नेह और आशीर्वाद यूँ ही देते रहें !!


एक परिचय : स्वभाव से सहज, सौम्य एवं विनम्र श्री राजेन्द्र प्रसाद जी समाज सेवा के साथ-साथ सैदपुर में नगर पंचायत अध्यक्ष, जिला भाजपा अध्यक्ष, गाजीपुर एवं भाजपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य रहे, तो उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सावित्री देवी जी ने भी नगर पंचायत अध्यक्ष, सैदपुर के पद को सुशोभित किया। दोनों जन वर्तमान में समाज सेवा में रत् हैं। 

भरे-पूरे परिवार में आपको तीन पुत्र-रत्न और दो पुत्री-मणियाँ प्राप्त हुईं। आप इन सबकी शिक्षा  के प्रति शुरू से ही सचेत रहे। आपके श्वसुर प्रो0 टुँअर प्रसाद जी अपने जमाने में इतिहास विषय के गोल्ड मेडलिस्ट थे। शिब्ली स्नाकोत्तर महाविद्यालय, आजमगढ़ में इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष रूप में उन्होंने  60-70 के दशक में काफी ख्याति अर्जित की। 

 आपके बड़े पुत्र पीयूष कुमार  आई0आई0टी0 रुड़की से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात श्री लंका में एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में  महाप्रबन्धक, मंझले पुत्र  समीर सौरभ  लखनऊ विश्वविद्यालय से एल0एल0बी0 करने के बाद उ0प्र0 में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं छोटे पुत्र अश्विनी कुमार आई0आई0टी0 कानपुर से शिक्षा प्राप्त करने के बाद गुजरात कैडर के 1997 बैच के आई0ए0एस0 अधिकारी के रुप में कार्यरत हैं। 

 बड़ी बेटी आकांक्षा कॉलेज में प्रवक्ता के बाद साहित्य, लेखन और ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में प्रवृत्त हैं।  देश-विदेश की शताधिक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट पर विभिन्न वेब पत्रिकाओं में नारी विमर्श, बाल विमर्श और सामाजिक मुद्दों से सम्बंधित विषयों पर प्रमुखता से लेखन करने वाली आकांक्षा की अब तक 2 कृतियाँ प्रकाशित- चाँद पर पानी (बाल-गीत संग्रह-2012) एवं ' क्रांति -यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (संपादित, 2007) हैं । उ.प्र. के मुख्यमंत्री द्वारा न्यू मीडिया ब्लाॅगिंग हेतु ’’अवध सम्मान’’, परिकल्पना समूह द्वारा ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लाॅगर दम्पति’’ सम्मान, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘डाॅ. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘ व ‘‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ’भारती ज्योति’, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, ‘‘एस.एम.एस.‘‘ कविता पर प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कार सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु दर्जनाधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं। 

आकांक्षा यादव के जीवन साथी कृष्ण कुमार यादव भारतीय डाक सेवा (2001) के अधिकारी के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में चर्चित नाम हैं। 

छोटी बेटी प्रेरणा  संस्कृत जैसे क्लिष्ट विषय में परास्नातक की उपाधि प्राप्त हैं। उनकी शादी भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी विश्वजीत सिंह से हुई है। 
















शनिवार, 27 अक्टूबर 2012

अपूर्वा का ’बर्थ-डे’ है आया

आज 27 अक्तूबर, 2012 है. आज का दिन हमारे लिए खास मायने रखता है. आज ही के दिन हमारी प्यारी सी बिटिया अपूर्वा का जन्म हुआ था.

अपूर्वा का ’बर्थ-डे’ है आया,
सब बच्चे मिल करो धमाल।
जमके खूब खाओ तुम सारे,
हो जाओ फिर लाल-लाल।
हैप्पी ’बर्थ-डे’ मिलकर गाओ,
मस्ती करो और मौज मनाओ।
पाखी, तन्वी, खुशी, अपूर्वा,
सब मिलकर बैलून फुलाओ।
आईसक्रीम और केक भी खाओ,
कोई भी ना मुँह लटकाओ।

कितना प्यारा बर्थ-डे केक
हैप्पी बर्थ-डे मिलकर गाओ।

अपूर्वा तुम जियो हजारों साल,
साल के दिन हों पचास हजार ! 

आज अपूर्वा दो साल की हो गईं. अपूर्वा के जन्मदिन पर ढेरों बधाई, आशीर्वाद, स्नेह और प्यार. आपके आशीर्वाद और स्नेह की आकांक्षा बनी रहेगी !!
 

सोमवार, 30 जुलाई 2012

इस बार इलाहाबाद में जन्म-दिन सेलिब्रेशन...

आखिर फिर से हमारा जन्मदिन आ गया. साल में एक ही बार तो आता है, पर मजबूर कर जाता है एक गहन विश्लेषण के लिए कि क्या खोया-क्या पाया इस एक साल में...और फिर दुगुने उत्साह के साथ लग जाती हूँ आने वाले दिनों के लिए. पिछला जन्म-दिन पोर्टब्लेयर में सेलिब्रेट किया था तो इस बार इलाहाबाद में हूँ. यह भी एक अजीब संयोग है. वहां बंगाल की खाड़ी थी और यहाँ गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती का अद्भुत संगम. आखिर गंगा जी भी तो बंगाल की खाड़ी में ही जाकर मिलती हैं. हमें तो दोनों जगह रहने और अपना जन्म-दिन मनाने का सु-अवसर मिल रहा है. सौभाग्यवश आज हमारे साथ हमारे पूजनीय श्वसुर जी भी हैं. यह पहला अवसर है जब वे हमारे जन्म-दिन पर हमारे साथ हैं. पिछले जन्म-दिन पर हमने अपने बाल-गीत संग्रह 'चाँद पर पानी' की चर्चा की थी, वह भी प्रकाशित होकर हाथ में आ चुकी है. अपनी पहली कृति देखना भला किसी नहीं अच्छा लगता।
आज रेनी-डे के चलते बिटिया अक्षिता (पाखी) का स्कूल भी बंद है, सो मस्ती ही मस्ती. अब तो अपूर्वा भी चीजों को समझने लगी है. हमारी खुशियों में शरीक होने लगी है. पतिदेव कृष्ण कुमार जी के क्या कहने, वह कल सन्डे से ही हमारा बर्थ-डे सेलिब्रेट कर रहे हैं. कल दिन भर मस्ती की और फिर कान्हा-श्याम में 'जन्नत' का डिनर. ..वाह !..अभी तो आज पूरा दिन बाकी है, देखिये क्या-क्या करते हैं.बाहर झांक रही हूँ, इन्द्र देवता कुछ शांत-शांत से दिख रहे हैं. लगता है आज दिन खुशनुमा रहेगा.

ब्लागिंग जगत में आप सभी के स्नेह से सदैव अभिभूत रही हूँ. जीवन के हर पड़ाव पर आप सभी की शुभकामनाओं और स्नेह की धार बनी रहेगी, इसी विश्वास के साथ.... !!

गुरुवार, 27 अक्टूबर 2011

बेटी अपूर्वा (तान्या) एक साल की


वक़्त की चाल भी कितनी तेज है. समय का पता ही नहीं चलता. देखते-देखते एक साल बीत गए और हमारी छोटी बेटी अपूर्वा(तान्या) एक साल की हो गई. जन्म हुआ बनारस में, परवरिश पोर्टब्लेयर में और अपने पहले जन्म-दिन पर हवाई जहाज से कोलकात्ता से लखनऊ..यानी जन्मदिन भी हवाई जहाज में ही मनेगा और फिर शाम को लखनऊ में डिनर !!


...बेटी अपूर्वा को आपके शुभाशीर्वाद और स्नेह की भी आकांक्षा !!

बुधवार, 10 अगस्त 2011

वह अहसास, मेरा पहला प्यार...


आज पतिदेव कृष्ण कुमार जी का जन्म-दिवस है. जन्म-दिवस के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई और प्यार. कभी यह कविता कृष्ण जी के लिए लिखी थी, आज फिर से-



पहली बार 
इन आँखों ने महसूस किया
हसरत भरी निगाहों को

ऐसा लगा
जैसे किसी ने देखा हो
इस नाजुक दिल को
प्यार भरी आँखों से

न जाने कितनी
कोमल और अनकही भावनायें
उमड़ने लगीं दिल में

एक अनछुये अहसास के
आगोश में समाते हुए
महसूस किया प्यार को

कितना अनमोल था
वह अहसास
मेरा पहला प्यार।




शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

फिर से हाज़िर...

लीजिए जी, हमारा जन्मदिन फिर से हाज़िर हो गया. कल 30 जुलाई को हम अपना जन्म-दिन सेलिब्रेट करेंगें. वैसे, अभी तो पिछले साल ही मनाया था, पर यह तो पीछा ही नहीं छोड़ता. हर साल आ जाता है यह बताने के लिए आपकी उम्र एक साल और कम हो गई. फिर से मजबूर कर देता है पीछे मुड़कर देखने के लिए कि इस एक साल में क्या खोया-क्या पाया ? फ़िलहाल हमारी छोटी बिटिया तान्या (तन्वी, आइमा, अस्मिता भी कहते हैं...) पहली बार हमारे जन्म-दिन पर शरीक हो रही हैं. अच्छा लगता है उसका बचपना. अभी तो 27 जुलाई को 9 माह की हुई है. अभी तो सारा समय उसी के साथ निकल जाता है. कुछ ज्यादा लिखना-पढना भी नहीं हो पा रहा है. इस बीच यह प्रयास जरूर रहा है कि बाल-गीतों पर मेरी पहली पुस्तक शीघ्र प्रकाशित होकर हाथ में आ जाए. इस बीच हमारे (आकांक्षा-कृष्ण कुमार) व्यक्तित्व-कृतित्व पर भी एक प्रकाशन ने पुस्तक जारी करने की योजना बनाई है. वह भी कार्य प्रगति पर है.

...कल हमारा जन्म-दिन है. सबसे अच्छी बात यह है कि शनिवार के चलते कृष्ण कुमार जी का आफिस नहीं है और बिटिया पाखी का स्कूल भी बंद है. अंडमान में बारिश भी जोरों पर है, सो बाहर किसी द्वीप पर निकलने का भी स्कोप नहीं है. तो फिर पोर्टब्लेयर में ही जन्म-दिन सेलिब्रेट करेंगें...घूमेंगें-फिरेंगें, पार्टी करेंगें, केक काटेंगें और सपरिवार मस्ती करेंगें.
ब्लागिंग जगत में आप सभी के स्नेह से सदैव अभिभूत रही हूँ. जीवन के हर पड़ाव पर आप सभी की शुभकामनायें और स्नेह की धार बनी रहेगी, इसी विश्वास के साथ.... !!

शुक्रवार, 25 मार्च 2011

बिटिया पाखी के जन्मदिन पर...


आज हमारी प्यारी बिटिया अक्षिता (पाखी) का जन्म-दिन है. अंडमान में हम दूसरी बार पाखी का जन्मदिन मना रहे हैं. अब तो पाखी की बहना तन्वी भी उसका जन्मदिन सेलिब्रेट करने के लिए आ गई हैं. पाखी के जन्मदिन पर उसके लिए एक प्यारी सी कविता लिखी है. पाखी यह कविता सुनकर बहुत खुश है, आप भी इसका आनंद उठायें और बिटिया पाखी को जन्मदिन पर अपना स्नेहिल आशीर्वाद दें-


आँखों में भविष्य के सपने
चेहरे पर मधुर मुस्कान है
अक्षिता को देखकर लगता है
दिल में छुपाये कई अरमान है।

अक्षिता के मन में इतनी उमंगें
नन्हीं सी यह जान है
प्यारी-प्यारी ड्राइंग बनाती
देखकर सब हैरान हैं।

ज्ञान पथ पर है तत्पर
गुणों की यह खान है
भोली सी सूरत इसकी
हमें इस पर अभिमान है।


(चित्र में : तन्वी के आगमन पर आयोजित पार्टी में केक काटकर ख़ुशी का इजहार करती पाखी संग ममा-पापा और तन्वी)

शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

बिटिया रानी तीन माह की..

वक़्त कितनी तेजी से बीतता है, पता ही नहीं चलता है. देखते ही देखते हमारी दूसरी बिटिया रानी तन्वी कल तीन माह की हो गईं. इनका ख्याल रखने के चक्कर में ही आजकल ब्लागिंग से भी थोडा कटी हुई हूँ. जीवन में व्यस्तताएं बढती जा रही हैं..खैर यह सब जीवन के अभिन्न पहलू हैं. ये देखिये हमारी प्यारी तन्वी को और अपना आशीष भी दीजिये-

शनिवार, 31 जुलाई 2010

आप सभी के स्नेह से अभिभूत हूँ...

हर साल जन्मदिन आता है और चला जाता है. इसी के साथ हम एक साल और वृद्ध हो जाते हैं या कहें कि एक साल का अनुभव और समेट लेते हैं और आने वाले दिनों के लिए तैयार हो जाते हैं. जिन्दगी अनवरत चलती रहती है. ऐसे विशेष दिन परिवार के सदस्यों, मित्रों, रिश्तेदारों के लिए भी अहम् होते हैं. खैर, आज सुबह जगी तो रिलेक्स. जन्मदिन के बाद दो दिन की छुट्टियाँ, जन्मदिन का मजा और बढ़ा देती हैं. पाखी बिटिया सुबह जगकर ही 'ममा आज भी केक चाहिए' की मांग करती हैं और पतिदेव 'फिर से आउटिंग के मूड में' हैं. इन सबके बीच ब्लाग, मेल खोला तो बधाइयों का अम्बार. बड़ा अच्छा लगता है आप सभी का प्यार व स्नेह देखकर. पाखी बिटिया ख़ुशी मना रही हैं कि आज तो ममा का हैपी बर्थ-डे है तो पतिदेव कृष्ण कुमार जी के लिए ये खुशियों का दिन रहा. सप्तरंगी-प्रेम पर उनकी यह ख़ुशी प्यार की अनुभूतियों को समेटती एक कविता तुम के माध्यम से प्रस्फुटित हुई-जैसे कि अपना सारा निचोड़/उन्होंने धरती को दे दिया हो/ठीक ऐसे ही तुम हो।



किसी का जन्मदिन हो तो हिंदी ब्लागरों के जन्मदिन पर शुभकामनायें मिलना स्वाभाविक ही है. सौभाग्यवश, 30 जुलाई को ही महावीर बी सेमलानी जी और जोगेन्द्र सिंह जी का भी जन्मदिन है. सब सिंह (Leo) राशि वाले. एक दिन पहले ही एक अन्य 'सिंह' समीर लाल जी भी अपना जन्म-दिन मना चुके थे. मेरे जन्मदिन पर एक पोस्ट भड़ास पर भी दिखी- आकांक्षा को जन्मदिन की बधाई, तो यदुकुल ने तुम जियो हजारों साल, गाकर मेरी जिंदगी में कई साल और जोड़ दिए. बाल-दुनिया पर अपने बर्थ-डे पर मैंने एक पोस्ट प्रकाशित की कि -कहाँ से आई 'हैप्पी बर्थडे टू यू' की पैरोडी, तो वहाँ भी आप सभी का स्नेह झलका. ताका-झाँकी ब्लॉग पर रत्नेश मौर्य जी को समझ में नहीं आया कि मुझे जन्मदिन कैसे विश करें, तो सुशीला जी की इन पंक्तियों को सजा लिया। सुशीला जी की आभारी हूँ। सुशीला जी की ये खूबसूरत पंक्तियाँ मेरे आर्कुट प्रोफाइल पर बतौर शुभकामना थीं-


मेघ आषाढ़ी बुलाते सावनों को,
झूम आओ शाख कहती वॄक्ष की, अब डाल पर झूले झुलाओ
मलयजी झोंके खड़े हैं हो गये दहलीज आकर
धूप भी कहने लगी दालान से नवगीत गाकर
साथ गाओ, आज का दिन आपका शुभ जन्मदिन है ।

मेरे अपने ब्लॉग शब्द-शिखर पर भी 'जीवन के सफ़र में आज मेरा जन्मदिन' पर आप सभी लोगों की बधाइयाँ और भरपूर स्नेह मिला.



आज सुबह छुट्टी से लौटने के बाद डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी ने जब चर्चा मंच सजाया (“'जिंदगी' और मैं” (चर्चा मंच – 231) ) तो उसमें सबसे अंत में 'पोस्ट जन्म-दिन की! हमारी भी हार्दिक शुभकामनाएँ!' शीर्षक से ऊपर उल्लेखित ब्लॉगों की पोस्टों को सहेजा. इसी बहाने मुझे भी ये लिंक्स मिल गए। 'मयंक' जी के आशीष की सदैव आकांक्षी हूँ।


आप सभी ने मेरे जन्म दिन पर ब्लॉग, ई-मेल, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स, फोन, SMS और कुछ लोगों ने डाक द्वारा शुभकामना-पत्र भेजकर ढेरों आशीर्वाद, बधाई और शुभकामनायें दीं। आप सभी के इस अपार स्नेह से अभिभूत हूँ...आभारी हूँ....अपना स्नेह इसी तरह सदैव बनाये रहें !!


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आज 31 जुलाई को साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती है....नमन !!

कल 1 अगस्त को फ्रैंडशिप-दिवस है... आप सभी को पूर्व संध्या पर बधाइयाँ !!



गुरुवार, 25 मार्च 2010

हैप्पी बर्थडे टू पाखी

आज 25 मार्च को हमारी बिटिया रानी अक्षिता (पाखी) का जन्म-दिन है. आज पाखी 4 साल की हो जाएँगी. पिछला जन्म-दिन कानपुर में तो इस बार अंडमान में. नौ दिन के नवरात्र-व्रत पश्चात् आज ही मेरा फलाहार-व्रत भी टूट रहा है. सो पाखी का जन्म-दिन जी भर कर इंजॉय करेंगे और हैप्पी बर्थडे टू यू पाखी भी गायेंगे.

इस बार की पोस्ट हैप्पी बर्थडे टू यू को लेकर. कई बार उत्सुकता होती है कि आखिर ये प्यारी सी पैरोडी आरम्भ कहां से हुई। आखिरकार हमने इसका राज ढूंढ ही लिया। वस्तुतः ‘हैप्पी बर्थडे टू यू‘ की मधुर धुन ‘गुड मार्निंग टू आॅल‘ गीत से ली गयी है, जिसे दो अमेरिकन बहनों पैटी हिल तथा माइल्ड्रेड हिल ने 1993 में बनाया था। ये दोनों बहनें किंडर गार्टन स्कूल की शिक्षिकाएं थीं। इन्होंने ‘गुड मार्निंग टू आॅल‘ गीत की यह धुन इसलिए बनायी ताकि बच्चों को इसे गाने में आसानी हो और मजा आये। फिलहाल दुनिया भर में इस गीत का 18 भाषाओं में अनुवाद किया गया है। इस गाने की धुन और बोल पहली बार 1912 में लिखित रूप से प्रकाश में आये। इस गाने पर सुम्मी कंपनी चैपल ने इस कंपनी को 15 अमेरिकी मिलियन डाॅलर में खरीद लिया। उस वक्त इस धुन की कीमत करीब 5 अमेरिकी मिलियन डालर थी। गीत की सबसे प्रसिद्ध व भव्य प्रस्तुति मई 1962 में विख्यात हाॅलीवुड अभिनेत्री मारिलियन मोनरोर्ड ने अमेरिकी राष्ट्रपति जान एफ केनेडी को समर्पित की थी। इस गीत को 8 मार्च 1969 को अपालो 9 दल के सदस्यों ने भी गया था। हजारों की संख्या में लोगों ने पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के 81वें जन्मदिवस पर 16 अप्रैल 2008 को इसे व्हाइट हाउस में पेश किया था। 27 जून 2007 को लंदन के हाइड पार्क में सैकड़ों लोगों ने नेल्सन मंडेला के 90वें जन्मदिवस पर भी इसे गाया गया था। अब भी ‘हैप्पी बर्थडे टू यू‘ गीत प्रतिवर्ष 2 मिलियन डाॅलर की कमाई कर रहा है। गिनीज बुक आॅफ वल्र्ड रिकार्ड के मुताबिक ‘हैप्पी बर्थडे टू यू‘ अंग्रेजी भाषा का सबसे परिचित गीत है।... तो आप भी गाइये- ‘हैप्पी बर्थडे टू पाखी‘।