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मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

ऐ नव वर्ष के प्रथम प्रभात

नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है,
खुशियों की बस इक चाहत है।

नया जोश, नया उल्लास,
खुशियाँ फैले, करे उजास।

नैतिकता के मूल्य गढ़ें,
अच्छी-अच्छी बातें पढें।

कोई भूखा पेट न सोए,
संपन्नता के बीज बोए।

ऐ नव वर्ष के प्रथम प्रभात,
दो सबको अच्छी सौगात।




मंगलवार, 13 नवंबर 2012

पावन पर्व दीपावली का

 पावन पर्व  दीपावली का,
दीपों की बारात लाए।
बम, पटाखे, फुलझड़ी संग,
खुशियों की सौगात लाए।

तोरण द्वार पर सजे अल्पना,
ज्योति का पुंज -हार लाए।
खील-लड्डू का चढ़े प्रसाद,
दिलों में सबके प्यार लाए।

है शुभ मंगलकारी पर्व यह,
इस दिन अयोध्या राम आए।
जल उठी दीपों की बाती,
पुलकित मन पैगाम लाए।

अमावस्या का तिमिर चीरकर,
रोशनी का उपहार लाए।
चारों तरफ सजे रंगोली,
लक्ष्मी-गणेश भी द्वार आए।

रविवार, 28 अक्टूबर 2012

'चाँद पर पानी' : श्रेष्ठतम लेखन की दिशा में गतिमान हैं कवयित्री आकांक्षा

समीक्ष्य बाल काव्य-कृति ’चाँद पर पानी’ की रचनाकार आकांक्षा यादव की यह प्रथम बाल कृति बड़े मनोयोग से प्रस्तुत की गयी है। उद्योग नगर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस कृति में तीस बालोपयोगी कवितायें आद्यन्त तक प्रसारित हैं । ये बालमन की रुचि वाली हैं ही, इनके माध्यम से अल्पवयी पाठकों को पर्यावरण, पर्व, परिवेश, खेल, देशभक्ति, पशु-पक्षियों जैसे मानवेतर प्राणियों को तकनीकी के अतिरिक्त इलेक्ट्रानिक विषयों की भी जानकारी दी गई है।
 
  कृति की संज्ञा इसकी प्रथम रचना ’चाँद पर पानी’ पर ही आधारित है। इस लघु रचना में बाल मनोविज्ञान का संस्पर्श अपने चरम पर है। बड़ी सरलता से बालिका कहती है कि-
 
चाँद पे निकला पानी,
सुनकर हुई हैरानी।
बड़ी होकर जाऊँगी,
पीने चाँद पर पानी। (चाँद पर पानी, पृ.सं. 7)
 
इस कमोवेष अविश्वसनीय कल्पना से ही ऊर्जान्वित होकर वह महत्वाकांक्षायें गढ़ने लगती है, सांकेतिक रूप से कहती है-असंभव शब्द को हमें अब कोई नया अर्थ देना होगा। 'मैं भी बनूंगा सैनिक’ की प्रारंभिक पंक्तियों में दशकों पूर्व की बहुश्रृत कवि 'मां मुझे सैनिक बना दो/चाहता रणभूमि में जाना मुझे तलवार ला दो’ की अनुगँज पाठकों और श्रोताओं को पसंद आयेगी। रचना की आगे की पंक्तियों की रंजकता तथा मासूमियत कम हदयग्राही नहीं-
 
चुस्त वर्दी और लम्बे बूट,
उस पर पहनूं आर्मी सूट।
मेरी तुम नजर उतारना,
तुम्हें करूँगा मैं सैल्यूट। (मैं भी बनूंगा सैनिक, पृ.सं. 8)
 
’नटखट बंदर’ (पृ.सं. 13) तथा ’सूरज का संदेश’ रचनायें जीवन में परिश्रम, परोपकार की उपादेयता को रेखांकित करने के साथ-साथ सभी से सूर्य मानसिकता ग्रहण करने का आह्वान भी करती हैं। यथा-
 
जीवन में तुम सदा सभी के,
ज्ञान की ज्योति फैलाओ।
दूसरों के काम आकर,
परोपकारी कहलाओ। (सूरज का संदेश पृ.सं. 10)
 
आजकल के बच्चे बचपन से ही लैपटाप पर खेलने लगे है। ऐसे में लैपटाप के प्रति बाल आसक्ति उत्पन्न करने वाली कतिपय काव्य पंक्तियों का आस्वाद भी पाठक पसंद करेंगें-
 
लैपटाप पापा जी लाए,
हम सबके यह दिल को भाए।
खेल खिलाए, ज्ञान बढ़ाए,
नई-नई ये बात बताए।
 
‘की बोर्ड‘ से हो गई यारी,
‘माउस‘ की मैं करूँ सवारी।
‘मानीटर‘ पर सब है दिखता,
कितना प्यारा है यह रिश्ता। (लैपटाप, पृ.सं. 12)
 
कविता ’राखी का त्यौहार’, भाई और बहन के बीच दीर्घजीवी प्यार का वार्षिक पुनर्स्मरण है तो ’नव वर्ष का प्रथम प्रभात’ रचना में भी नववर्ष की पहली सुबह से लोक कल्याण की कामना की गई है-
 
नैतिकता के मूल्य गढ़ें,
अच्छी-अच्छी बातें पढें।
कोई भूखा पेट न सोए,
संपन्नता के बीज बोए।
ऐ नव वर्ष के प्रथम प्रभात,
 दो सबको अच्छी सौगात। (’नव वर्ष का प्रथम प्रभात’ पृ.सं. 20)
 
तीस बाल गीतों से सुसज्जित इस कृति इस कृति की लगभग सभी रचनायें सार्थकता की दृष्टि से उत्तमतर हैं। प्रत्येक को रुचिकर रेखाचित्रों से संबंलित करने के कारण किसी का भी मन उसे पढ़ना चाहेगा। मुझे विश्वास है कि यह कृति बच्चों और प्रौढ़ों के द्वारा समान रुचि से पढ़ी जायेगी।
 
कृति: चाँद पर पानी
 
कवयित्री: आकांक्षा यादव, टाइप 5 निदेशक बंगला, जी0पी0ओ0 कैम्पस, सिविल लाइन्स, इलाहाबाद (उ.प्र.) - 211001
 
प्रकाशन वर्ष: 2012
 
मूल्य: रु. 35/-    पृष्ठ: 36
 
प्रकाशक : उद्योग नगर प्रकाशन, 695, न्यू कोट गांव, जी0टी0रोड, गाजियाबाद (उ.प्र.)
 
समीक्षक: डा. कौशलेन्द्र पाण्डेय, 130, मारुतीपुरम्, लखनऊ मो0: 09236227999
 
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डा. कौशलेन्द्र पाण्डेय : एक परिचय-
 
जन्म: 28 दिसंबर, 1937 .

शिक्षा : एम्. काम., एल.एल. बी. एवं विद्यावाचस्पति व विद्यासागर (मानद उपाधियाँ)

प्रकाशन : प्राय: सभी लब्धप्रतिष्ठ पत्र-पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में रचनाओं का अनवरत प्रकाशन.
कृतियाँ : 7 कहानी एवं 5 काव्य-संग्रह सहित कुल 18 पुस्तकें प्रकाशित.

सम्मान : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा 'साहित्य भूषण' सहित विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विभिन्न सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त.

सम्प्रति : स्वतंत्र अध्ययन व लेखन.

संपर्क : डा. कौशलेन्द्र पाण्डेय, 130, मारुतीपुरम्, लखनऊ (उ.प्र.). मो.: 09236227999
 
( साभार : डा. कौशलेन्द्र पाण्डेय जी द्वारा लिखित उपरोक्त समीक्षा हिंदी मीडिया इन और परिकल्पना ब्लागोत्सव पर भी पढ़ी जा सकती है. इसके अलावा यह यू. एस. एम्. पत्रिका () एवं डेली न्यूज एक्टिविस्ट (27 अक्तूबर, 2012) में भी प्रकाशित है. )

शनिवार, 27 अक्टूबर 2012

अपूर्वा का ’बर्थ-डे’ है आया

आज 27 अक्तूबर, 2012 है. आज का दिन हमारे लिए खास मायने रखता है. आज ही के दिन हमारी प्यारी सी बिटिया अपूर्वा का जन्म हुआ था.

अपूर्वा का ’बर्थ-डे’ है आया,
सब बच्चे मिल करो धमाल।
जमके खूब खाओ तुम सारे,
हो जाओ फिर लाल-लाल।
हैप्पी ’बर्थ-डे’ मिलकर गाओ,
मस्ती करो और मौज मनाओ।
पाखी, तन्वी, खुशी, अपूर्वा,
सब मिलकर बैलून फुलाओ।
आईसक्रीम और केक भी खाओ,
कोई भी ना मुँह लटकाओ।

कितना प्यारा बर्थ-डे केक
हैप्पी बर्थ-डे मिलकर गाओ।

अपूर्वा तुम जियो हजारों साल,
साल के दिन हों पचास हजार ! 

आज अपूर्वा दो साल की हो गईं. अपूर्वा के जन्मदिन पर ढेरों बधाई, आशीर्वाद, स्नेह और प्यार. आपके आशीर्वाद और स्नेह की आकांक्षा बनी रहेगी !!
 

बुधवार, 15 अगस्त 2012

जय हो वीर जवानों की


वीर जवानों की जय हो
भारतमाता की जय हो

जो कि सत्य के लिए अड़े
जो कि न्याय के लिए लड़े
भारत माँ की रक्षा में
प्राणदान के लिए बढ़े।
सत्कर्मों का संचय हो
भारतमाता की जय हो।

सर्दी में जो पड़े रहे
मोर्चे पर जो अड़े रहे
नेफा में कश्मीर में
ले बन्दूकें खड़े रहे
पराधीनता का क्षय हो
भारतमाता की जय हो।

उनसे सबकी आजादी
उनसे सबकी खुशहाली
राणा शिवा सुभाष वे
युग उनसे गौरवशाली
परंपरा यह अक्षय हो
भारतमाता की जय हो।


-डॉ० राष्ट्रबंधु
संपादक-बाल साहित्य समीक्षा
रामकृष्ण नगर, कानपुर (यू. पी.)

सोमवार, 7 मई 2012

पूर्व राज्यपाल डा. भीष्म नारायण सिंह ने किया कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव के बाल-गीत संग्रहों का विमोचन

"शेर चंद ने उठाया बल्ला, चीता फिर से गली में दुबका. हाथी ने दस्ताने बांधे, चिड़िया लगी है गेंद चमकाने. जंगल में यदि क्रिकेट खेला जाए तो कुछ ऐसा ही होगा . है ना ? और सोचिये चाँद पर यदि बरसेगा पानी तो कैसे कहेंगे दादा-दादी कहानी ? इन बातों पर लिखे गए गीत बच्चों को खूब पसंद आएँगे. दिल्ली में पिछले दिनों ऐसे ही दो बाल-गीत संग्रहों का विमोचन हुआ. "



राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास और भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व राज्यपाल डा. भीष्म नारायण सिंह और डा. रत्नाकर पाण्डेय (पूर्व सांसद) ने जंगल में क्रिकेट एवं चाँद पर पानी नामक दो पुस्तकों का विमोचन किया.चर्चित साहित्यकार और चिट्ठाकार कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव द्वारा लिखी गई इन दोनों पुस्तकों में ३०-३० बाल-गीत संगृहीत हैं.

इस अवसर पर पूर्व राज्यपाल डा. भीष्म नारायण सिंह ने कहा कि बाल-साहित्य बच्चों में स्वस्थ संस्कार रोपता है, अत: इसे बढ़ावा दिए जाने क़ी जरुरत है. पूर्व सांसद डा. रत्नाकर पाण्डेय ने इस युगल के बाल-गीत संग्रह क़ी प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें आज का बचपन है और बीते कल का भी और यही बात इन संग्रह को महत्वपूर्ण बनाती है. कार्यक्रम में राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास के संयोजक डा. उमाशंकर मिश्र ने कहा कि यदि युगल दंपत्ति आज यहाँ उपस्थित रहते तो कार्यक्रम कि रौनक और भी बढ़ जाती. गौरतलब है कि अपनी पूर्व व्यस्तताओं के चलते यादव दंपत्ति इस कार्यक्रम में शरीक न हो सके. आभार ज्ञापन उद्योग नगर प्रकाशन के विकास मिश्र द्वारा किया गया.


साभार : हिंदी होम पेज

रविवार, 25 मार्च 2012

इलाहाबाद में अक्षिता (पाखी) का जन्मदिन...

आज हमारी प्यारी बिटिया अक्षिता (पाखी) का जन्म-दिन है. अंडमान के बाद अब हम इलाहाबाद में पाखी का जन्मदिन मना रहे हैं. अब तो पाखी की बहना अपूर्वा भी उसका जन्मदिन सेलिब्रेट करने के लिए है. आजकल पाखी हर कुछ अपूर्वा के साथ शेयर करने लगी हैं. चाकलेट से लेकर खिलौनों तक. पाखी के जन्मदिन पर एक प्यारी सी कविता लिखी थी, आप भी इसका आनंद उठायें और बिटिया पाखी को जन्मदिन पर अपना स्नेहिल आशीर्वाद दें-

आँखों में भविष्य के सपने
चेहरे पर मधुर मुस्कान है
अक्षिता को देखकर लगता है
दिल में छुपाये कई अरमान है।

अक्षिता के मन में इतनी उमंगें
नन्हीं सी यह जान है
प्यारी-प्यारी ड्राइंग बनाती
देखकर सब हैरान हैं।

ज्ञान पथ पर है तत्पर
गुणों की यह खान है
भोली सी सूरत इसकी
हमें इस पर अभिमान है।

रविवार, 28 मार्च 2010

मम्मी मेरी सबसे प्यारी (बाल-गीत)


मम्मी मेरी सबसे प्यारी,
मैं मम्मी की राजदुलारी।
मम्मी प्यार खूब जताती,
अच्छी-अच्छी चीजें लाती।

करती जब मैं खूब धमाल,
तब मम्मी खींचे मेरे कान।
मम्मी से हो जाती गुस्सा,
पहुँच जाती पापा के पास।

पीछे-पीछे तब मम्मी आती,
चाॅकलेट देकर मुझे मनाती।
थपकी देकर लोरी सुनाती,
मम्मी की गोद में मैं सो जाती।

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

हौसलों की उड़ान (बाल-गीत)

 
चिडि़या को न छोटा समझो,
ऊँची उड़ान भरती है।
सुबह से लेकर शाम तक,
यहाँ-वहाँ पर फिरती है।

छोटे पंख हैं तो क्या हुआ,
हौसलों की उड़ान होती है।
नन्हे-नन्हे पंख पसारे,
हिम्मत नहीं वह खोती है।

आओ हम भी उड़ान भरें,
मेहनत सुबह और शाम करें ।
पूरे करें हम सपने सारे,
हो जाएंगे जग से न्यारे।

-आकांक्षा यादव-

सोमवार, 26 अक्टूबर 2009

चाँद पे निकला पानी

(आज सुबह के समय घर के सामने लॉन में बैठी थी कि हमारी बिटिया अक्षिता ने कुछ तुकबंदी आरंभ कर दी. जब शब्दों पर गौर किया तो वह चाँद पे निकला पानी को लेकर अपनी धुन में गाए जा रही थी. बस बैठे-बैठे हमने भी अक्षिता के शब्दों को सहेज दिया और इस रूप में यह बाल-गीत प्रस्तुत है-)::)

नानी सुनाए कहानी,
कितनी अद्भुत बानी।
लेकर बैठी तकली,
चाँद पे बुढ़िया रानी।

चाँद पे निकला पानी,
सुनकर हुई हैरानी।
बड़ी होकर जाऊँगी,
चाँद पे पीने पानी।