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सोमवार, 3 फ़रवरी 2025

देश-विदेश में मोहब्बतों से पढ़े जाने वाले युगल साहित्यकार आकांक्षा एवं कृष्ण कुमार यादव पर 'सरस्वती सुमन' का शानदार संग्रहणीय विशेषांक

'सरस्वती सुमन' का दिसम्बर- 2024 में प्रकाशित "आकांक्षा-कृष्ण युगल अंक" देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ। यूँ तो देश में अनेक पत्रिकाएं विशेषांक प्रकाशित करती रहती हैं, लेकिन जिस खूबसूरत अंदाज़ से यह विशेषांक मंज़र ए आम पर आया है वो हर पाठक के दिलो-दिमाग में दस्तक देने के लिए काफी है। कवर पेज पर प्रकाशित युगल ख़ूबसूरत फोटो वाकई उम्दा है। इसमें प्रकाशित विभिन्न विधाओं की रचनाएं- कविताएं, लघुकथाएं, कहानियां, आलेख विशेषांक को एक नायाब दस्तावेज़ के रूप में परिवर्तित करते हैं। सामाजिक और समसामयिक विषयों को उठाते हुये जो आलेख लिखे गये हैं वो भविष्य में शोधकर्ताओं के लिए बेहद उपयोगी साबित होंगे।  


दुनिया का हर सच्चा और अच्छा साहित्यकार अपनी क़लम की नोक़ से  वक़्त के माथे पर सच्चाइयों के सितारे टांकता है जिसकी रौशनी सारी इंसानियत को रौशन करती रहती है। इस विशेषांक की सभी रचनाओं में बदलते हुये परिवेश में अपने आसपास घटित समाज की तल्ख़ियों को शब्दों की  जादूगरी किये बिना बहुत ही सादगी और सरलता से शब्दों में गूंथा गया है। साहित्यकार युगल दम्पति के दिल से जो बेबाक आवाज़ निकलती है वो समाज को झकझोर देने वाली है और बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है। इंसानी ज़िंदगियों के मुख्तलिफ़ पहलुओं को अपने दामन में समेटकर जो रचनाधर्म कृष्ण कुमार यादव जी एवं आकांक्षा यादव जी द्वारा निभाया गया है वह क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। हर क़दम पर साहित्य साधना इनको नई ताक़त देती है।

भारत सरकार में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रहते हुये कृष्ण कुमार जी द्वारा एवं उनकी जीवन संगिनी आकांक्षा जी द्वारा लगातार साहित्य के विभिन्न विषयों पर सफलतापूर्वक शानदार सारगर्भित सृजन करना इस युगल की अद्भुत साहित्य साधना को दर्शाता है और साहित्य के आसमान में रौशन सितारों की तरह नुमायां करता है। 


सरस्वती सुमन (Saraswati Suman Hindi Monthely Magazine) पत्रिका देश की उन अग्रणी पत्रिकाओं में से एक है जो किसी वाद से परे साहित्यिक निष्पक्षता के लिए जानी जाती है। सरस्वती सुमन के प्रधान संपादक डॉ. आनन्द सुमन सिंह जी को दिल से साधुवाद कि उन्होंने  देश-विदेश में मोहब्बतों से पढ़े जाने वाले युगल साहित्यकार आकांक्षा जी एवं कृष्ण कुमार यादव जी पर जो शानदार संग्रहणीय विशेषांक प्रकाशित किया है, वह देश से निकलने वाली तमाम हिन्दी पत्रिकाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत का काम करेगा।

(यूनुस अदीब)
(पूर्व संभागीय समन्वयक म.प्र. उर्दू अकादमी संस्कृति विभाग, संस्कृति परिषद भोपाल)
2898,  स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सामने, गढ़ा बाज़ार, जबलपुर, मध्य प्रदेश-482003, मो.-9826647735

पत्रिका - सरस्वती सुमन/ मासिक हिंदी पत्रिका/ प्रधान सम्पादक-डॉ. आनंद सुमन सिंह/ सम्पादक-किशोर श्रीवास्तव/संपर्क -'सारस्वतम', 1-छिब्बर मार्ग, आर्य नगर, देहरादून, उत्तराखंड -248001, मो.-7579029000, ई-मेल :saraswatisuman@rediffmail.com

 






गुरुवार, 30 जनवरी 2025

Special Issue of Hindi Magazine Saraswati Suman : संग्रहणीय है 'सरस्वती सुमन' का 'आकांक्षा-कृष्ण युगल' अंक

प्रतिष्ठित हिंदी मासिक पत्रिका 'सरस्वती सुमन' का 'आकांक्षा-कृष्ण युगल' अंक, दिसंबर-2024 (वर्ष 23, अंक 110) प्राप्त हुआ जो देहरादून, उत्तराखंड से प्रकाशित होती है। वर्तमान अंक का आकर्षण एक साहित्यकार दंपत्ति के रूप में स्थापित आकांक्षा यादव और कृष्ण कुमार यादव के साहित्य पर विशेषांक के रूप में प्रकाशित हुआ है। इस पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. आनंद सुमन सिंह और संपादक श्री किशोर श्रीवास्तव हैं। पत्रिका का कवर पेज साहित्य साधना में रत युगल जोड़ी के खूबसूरत छायाचित्र से बहुत कुछ कहता प्रतीत होता है। पत्रिका की अनुक्रमणिका पर दृष्टि डालने से यह बात और भी पुष्ट होती नजर आती है। साहित्य एवं संस्कृति का सारस्वत अभियान के तहत प्रकशित पत्रिका के इस अंक को कुल सात भागों में विभक्त करके कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव की साहित्यिक रचनाधर्मिता को समेटने की कोशिश की गई है। 

प्रथम भाग में कृष्ण कुमार यादव की कविताएं, द्वितीय भाग में आकांक्षा यादव की कविताएं, तृतीय भाग में कृष्ण कुमार यादव की लघु कथाएं, चतुर्थ भाग में आकांक्षा यादव की लघु कथाएं, पंचम भाग में कृष्ण कुमार यादव की कहानियाँ, षष्ठ भाग में आकांक्षा यादव के लेख और सप्तम भाग में कृष्ण कुमार यादव के लेख के साथ-साथ युगल आकांक्षा और कृष्ण कुमार यादव का परिचय व्यवस्थित तरीके से प्रकाशित किया गया है।


प्रथम भाग में कृष्ण कुमार यादव की कविताएं जैसे - बदलती कविता, अंडमान के आदिवासी, सेलुलर जेल की आत्माएं, सभ्यताओं का संघर्ष, रिश्तों का अर्थशास्त्र, विज्ञापनों का गोरखधंधा, मांस का लोथड़ा, बिखरते शब्द, मां, बच्चे की निगाह, पॉलिश  ब्रेकिंग न्यूज़ आदि कविताएं पत्रिका के गौरव को बढ़ा रही हैं। द्वितीय भाग में आकांक्षा यादव की कविताएं जैसे- शब्दों की गति, हमारी बेटियां, नियति का प्रहार, वजूद, 21वीं सदी की बेटी,मैं अजन्मी, श्मशान, एहसास, सिमटता आदमी भी विशेष महत्व की कविताएं दिखतीं हैं। तृतीय भाग में कृष्ण कुमार यादव की लघु कथाएं जैसे - एन.जी.ओ, चिंता, व्यवहार, सर्कस, हिंदी सप्ताह, बेटा, एक राहगीर की मौत, खतरनाक, प्यार का अंजाम, रोशनी, दहेज, योग्यता, इन्वेस्टमेंट के साथ चतुर्थ भाग में आकांक्षा यादव की लघु कथाएं जैसे- अधूरी इच्छा, अरमान,बेटियाँ, चैट, अवार्ड का राज, काला आखर आदि प्रमुख आकर्षण हैं।

 
पंचम खंड में कृष्ण कुमार यादव की कहानियाँ  जैसे- आवरण, हकीकत, रिश्तों की नजाकत, शराफत इत्यदि प्रकाशित हैं। षष्ठ भाग में आकांक्षा यादव के लेख - लोक चेतना में स्वाधीनता की लय, भूमंडलीकरण के दौर में भाषाओं पर बढ़ता खतरा, समकालीन परिवेश में नारी विमर्श, मानव और पर्यावरण : सतत विकास और चुनौतियां प्रकाशित हैं। सप्तम खंड में कृष्ण कुमार यादव के लेख - शाश्वत है भारतीय संस्कृति और इसकी विरासत, भागो नहीं दुनिया को बदलो, राजनीति से दूर होता साहित्यिक व सांस्कृतिक विमर्श, कोई लौटा दे वो चिठ्ठियां प्रकाशित हैं।

कृष्ण कुमार यादव की कविताएं सीधे-सीधे जन मानस की आवाज बनी हुई दिखाई देती हैं। वही सुदूर अंडमान-निकोबार के आदिवासी भी उनकी लेखनी के माध्यम से आवाज पाते हैं। एक साहित्यकार की नजर में कृष्ण कुमार यादव सेलुलर जेल की आत्माओं को भी शब्द देते नजर आते हैं। कृष्ण कुमार यादव रिश्तों के अर्थशास्त्र को भी अपनी रचना में कम शब्दों में बेहतरीन तरीके से व्यक्त करते नजर आते हैं। आज का बाजार विज्ञापनों से भरा पड़ा है। ऐसे में उनकी 'विज्ञापनों का गोरखधंधा' कविता विज्ञापनों के खोखलेपन को उजागर करती नजर आती है। 'मांस का लोथड़ा' या 'बिखरते शब्द' पढ़ने से उनके अंदर की संवेदना और संस्कृति की झलक मिलती है। 'बिखरते शब्द' में वह लिखते हैं- "शब्द है तो सृजन है/साहित्य है संस्कृति है/पर लगता है/शब्द को लग गई किसी की बुरी नजर।" इसी तरह 'मां' कविता में कृष्ण कुमार यादव मां के जीवनी के हर पहलू को मां और बेटे के भावनात्मक जुड़ाव के माध्यम से शब्दों में पिरोते हैं। 'पालिश' कविता में उनके जो शब्द हैं वह जमीनी एहसास कराते हैं। कविता की शुरुआत ही एक बालक के जूता पॉलिश करने के शब्द से होती है। जिस शब्द से जूता पॉलिश करने वाला बच्चा जूता पॉलिश कराने वाले को स्नेह के साथ अपने पास बुलाता है-'साहब पॉलिश करा लो' इस एक लाइन में ही उनकी पूरी कविता का विमर्श सामने आ जाता है और उनकी रचना बाल विमर्श के नए अध्याय को खोलती है। 'ब्रेकिंग न्यूज़' कविता में वे आज की मीडिया पर करारा प्रहार करते नजर आते हैं।

आकांक्षा यादव की कविताएं संवेदना की धरातल पर तो लिखी ही गई हैं, साथ ही साथ वह नारी अस्मिता और सशक्तिकरण की बात को भी बहुत सलीके के साथ अपनी कविता में रखती नजर आती हैं। वह लिखती है - 'मुझे नहीं चाहिए/ प्यार भरी बातें/ चांद की चांदनी/ चांद से तोड़कर लाए हुए सितारे/ मुझे चाहिए बस अपना वजूद/ जहां किसी दहेज, बलात्कार,भ्रूण हत्या/का भय नहीं सताए मुझे।' अपनी कविताओं में वे स्त्री विमर्श को सशक्त करती नजर आती हैं।

 



कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव लगातार विभिन्न विधाओं में सक्रियता के साथ लिख रहे हैं और खूब प्रकाशित भी हो रहे हैं। इस युगल की कविताएं कम शब्दों में अपनी बात को व्यक्त करने में सक्षम हैं। दोनों अपने-अपने नजरिये से लघु कथाएं लिखते हैं। दोनों के कैनवास अलग-अलग हैं पर दोनों की दृष्टि लगभग समान है। कृष्ण कुमार यादव की कहानियों का कैनवास बड़ा है और उनकी कहानी एक से बढ़कर एक हैं। आकांक्षा यादव के लेख एक तरफ जहां स्त्री विमर्श के नए आयाम स्थापित करने की कोशिश करते हैं, वही भूमंडलीकरण के दौर में भाषाओं पर बढ़ता खतरा और प्रकृति व पर्यावरण भी उनके लिए पसंदीदा लेखन का विषय है। कृष्ण कुमार यादव का लेख 'भागो नहीं दुनिया को बदलो' राहुल सांकृत्यायन पर एक शोधपरक लेख है, जो कि उनके अपने ही जिले आज़मगढ़ के एक महँ दार्शनिक, यायावर रहे हैं। 'कोई लौटा दे वो चिट्ठियाँ' लेख में कृष्ण कुमार यादव ने बड़ी खूबसूरती से चिट्ठी-पत्री में छुपी भावनाओं और सोशल मीडिया के दौर में उनकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया है। लेख पढ़ने के दौरान व्यक्ति उन चिट्ठियों की दुनिया में खो जाता है जिनमें हम सभी के बचपन गुजरे हैं। पत्र लेखन साहित्य की भी एक विधा है और संयोगवश कृष्ण कुमार डाक सेवाओं और साहित्य दोनों से ही गहराई से जुड़े हुए हैं। 


निश्चितत: प्रतिष्ठित हिंदी मासिक पत्रिका सरस्वती सुमन का 'आकांक्षा-कृष्ण युगल' अंक एक संग्रहणीय अंक है। इस तरह का दांपत्य अंक विरले ही देखने को मिलता है। साहित्य समाज का दर्पण है। इस दर्पण में पति-पत्नी के साहित्य को समाज के सामने लाकर 'सरस्वती सुमन' के संपादक ने एक नया विमर्श भी खोला है। साहित्य का अनुराग होने के कारण इस तरह का एक प्रयास हमने भी अपने साहित्य लेखन के दौरान 'सहचर मन' (काव्य संग्रह) 2010 में प्रकाशित कराया था, जिसमें आधी कविताएं मेरी और आधी कविताएं मेरे जीवन साथी प्रोफेसर अखिलेश चंद्र की हैं। इस तरह का प्रयास न केवल साहित्य में बल्कि दांपत्य जीवन में भी खूबसूरत स्थापना का स्वरूप रखते हैं ।

समीक्ष्य पत्रिका - सरस्वती सुमन/ मासिक हिंदी पत्रिका/ प्रधान सम्पादक -डॉ. आनंद सुमन सिंह/ सम्पादक - किशोर श्रीवास्तव/संपर्क -'सारस्वतम', 1-छिब्बर मार्ग, आर्य नगर, देहरादून, उत्तराखंड-248001, मो.-7579029000, ई-मेल :saraswatisuman@rediffmail.com 


समीक्षक : प्रोफेसर (डॉ.) गीता सिंह, अध्यक्ष-स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग, डी.ए.वी  पी.जी कॉलेज, आजमगढ़ (उ.प्र.), मो.-9532225244
प्रोफेसर (डॉ.) अखिलेश चन्द्र, शिक्षा संकाय, श्री गांधी पी.जी कॉलेज, मालटारी, आजमगढ़ (उ.प्र.), मो.-9415082614

सोमवार, 17 जनवरी 2022

विश्व हिंदी दिवस : तीन पीढ़ियों संग हिंदी के विकास में जुटा एक परिवार

हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करने और हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करने हेतु प्रति वर्ष 'विश्व हिन्दी दिवस' 10 जनवरी को मनाया जाता है। हिंदी को लेकर तमाम संस्थाएँ, सरकारी विभाग व विद्वान अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश में वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव का अनूठा परिवार ऐसा भी है, जिसकी तीन पीढ़ियाँ हिंदी की अभिवृद्धि के लिए  न सिर्फ प्रयासरत हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी कई देशों में सम्मानित हैं।

वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव के परिवार में उनके पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव के साथ-साथ पत्नी सुश्री आकांक्षा यादव और दोनों बेटियाँ अक्षिता व अपूर्वा भी हिंदी को अपने लेखन से लगातार नए आयाम दे रही हैं। देश-दुनिया की तमाम पत्रिकाओं में प्रकाशन के साथ श्री कृष्ण कुमार यादव की 7 और पत्नी आकांक्षा की 3 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हिंदी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में इस परिवार का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अग्रणी है।

'दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति' सम्मान से विभूषित यादव दम्पति को नेपाल, भूटान और श्रीलंका में आयोजित 'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन' में 'परिकल्पना ब्लॉगिंग सार्क शिखर सम्मान' सहित अन्य सम्मानों से नवाजा जा चुका है। जर्मनी के बॉन शहर में ग्लोबल मीडिया फोरम (2015) के दौरान 'पीपुल्स चॉइस अवॉर्ड' श्रेणी में सुश्री आकांक्षा यादव के ब्लॉग 'शब्द-शिखर' को हिंदी के सबसे लोकप्रिय ब्लॉग के रूप में भी सम्मानित किया जा चुका है।

सनबीम स्कूल, वरुणा, वाराणसी में अध्ययनरत इनकी दोनों बेटियाँ अक्षिता (पाखी) और अपूर्वा भी इसी राह पर चलते हुए अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के बावजूद हिंदी में सृजनरत हैं। अपने ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' हेतु अक्षिता को भारत सरकार द्वारा सबसे कम उम्र में 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया जा चुका है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, श्रीलंका (2015) में भी अक्षिता को “परिकल्पना कनिष्ठ सार्क ब्लॉगर सम्मान” से सम्मानित किया गया। अपूर्वा ने भी कोरोना महामारी के दौर में अपनी कविताओं से लोगों को सचेत किया।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव का कहना है कि, सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है। डिजिटल क्रान्ति के इस युग में हिन्दी में विश्व भाषा बनने की क्षमता है। वहीं, सुश्री आकांक्षा यादव का मानना है कि हिन्दी भाषा भारतीय संस्कृति की अभिव्यक्ति का माध्यम होने के साथ-साथ भारत की भावनात्मक एकता को मजबूत करने का सशक्त माध्यम है। आप विश्व में कहीं भी हिन्दी बोलेगें तो आप एक भारतीय के रूप में ही पहचाने जायेंगे।  









Live Vns : विश्व हिंदी दिवस : तीन पीढ़ियों से हिंदी के विकास में लगा है पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव का परिवार

पत्रिका : विश्व हिंदी दिवस : तीन पीढ़ियों संग हिंदी के विकास में जुटा है पोस्टमास्टर जनरल का परिवार

हिंदुस्तान : आदर्श हिंदी सेवक है पोस्टमास्टर जनरल का परिवार

शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

साहित्यकार एवं ब्लॉगर आकांक्षा यादव ‘वृक्ष रत्न’ सम्मान से सम्मानित

स्वदेशी समाज सेवा समिति के 11वें स्थापना दिवस पर अग्रणी महिला ब्लॉगर, लेखिका एवं साहित्यकार आकांक्षा यादव को 'वृक्ष रत्न' सम्मान से अलंकृत किया गया। संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष एवं उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश के पूर्व सदस्य प्रो.अजब सिंह यादव और रुद्राक्ष मैन विवेक यादव के संयोजकत्व में फिरोजाबाद में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें यह सम्मान पर्यावरण संबंधी लेखन और पर्यावरण संरक्षण व वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए दिया गया। कॉलेज में प्रवक्ता रहीं आकांक्षा यादव को इससे पूर्व भी देश के विभिन्न प्रांतों के अलावा जर्मनी, श्रीलंका, नेपाल तक में सम्मानित किया जा चुका है। आकांक्षा यादव वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव की पत्नी हैं, जो स्वयं साहित्य और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में चर्चित नाम हैं।

गौरतलब है कि कालेज में प्रवक्ता रहीं आकांक्षा यादव फ़िलहाल साहित्यिक और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई हैं। देश-विदेश की शताधिक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित आकांक्षा यादव की आधी आबादी के सरोकार, चाँद पर पानी, क्रांति-यज्ञ: 1857-1947 की गाथा इत्यादि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। देश के साथ-साथ विदेशों में भी सम्मानित आकांक्षा यादव को उ.प्र. के मुख्यमंत्री द्वारा ’’अवध सम्मान’’, परिकल्पना समूह द्वारा ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगर दम्पति’’ सम्मान, अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, काठमांडू में ’’परिकल्पना ब्लाग विभूषण’’ सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन, श्री लंका में ’’परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान’’, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डॉक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ’’ डॉ. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान’’, ‘‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘‘ व ’’भगवान बुद्ध राष्ट्रीय फेलोशिप अवार्ड’’, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ’’भारती ज्योति’’, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान  द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”,  निराला स्मृति संस्थान, रायबरेली द्वारा ‘‘मनोहरा देवी सम्मान‘‘, साहित्य भूषण सम्मान, भाषा भारती रत्न, राष्ट्रीय भाषा रत्न सम्मान, साहित्य गौरव सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु 50 से ज्यादा सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं । जर्मनी के बॉन शहर में ग्लोबल मीडिया फोरम (2015) के दौरान 'पीपुल्स चॉइस अवॉर्ड' श्रेणी में  आकांक्षा यादव के ब्लॉग 'शब्द-शिखर'  को हिंदी के सबसे लोकप्रिय ब्लॉग के रूप में भी सम्मानित किया जा चुका है।

11 पत्रकारों, समाजसेवी, साहित्यकार, पर्यावरणविदों को किया गया सम्मानित 

संत जानू बाबा डिग्री कॉलेज, फिरोजाबाद  में आयोजित  कार्यक्रम में आकांक्षा यादव के अलावा  संत जयकृष्ण दास, राष्ट्रीय अध्यक्ष यमुना रक्षक दल वृंदावन, उमाशंकर यादव, संस्थापक अहमदाबाद इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल अहमदाबाद, डॉ आरएन सिंह, समाजसेवी फरीदाबाद, मुकेश नादान, संस्थापक प्रकृति फाउंडेशन मेरठ, ममता नोगरैया, अध्यक्षा महिला साहित्य मंच बदायूं, रमेश गोयल, राष्ट्रीय अध्यक्ष पर्यावरण प्रेरणा सिरसा, हरियाणा प्रताप सिंह पोखरियाल, पर्यावरण प्रेमी उत्तरकाशी उत्तराखंड, नंदकिशोर वर्मा, अध्यक्ष नीला जहान फाउंडेशन लखनऊ, प्रदीप सारंग, बाराबंकी, हरे कृष्ण शर्मा आजाद, अध्यक्ष वसुंधरा श्रृंगार युवा मंडल भिंड मध्यप्रदेश सहित कुल 11 लोगों को 'वृक्ष रत्न' से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी हरिदास,  मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार व लेखक डॉक्टर अरुण प्रकाश, संचालन डॉ मुकेश उपाध्याय और आभार ज्ञापन समिति के सचिव रुद्राक्ष मैन विवेक यादव ने किया।







मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

साहित्यकार व ब्लॉगर आकांक्षा यादव "स्त्री अस्मिता सम्मान-2019" से सम्मानित

हिंदी साहित्य और लेखन के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए युवा साहित्यकार व ब्लॉगर आकांक्षा यादव को "रेयान स्त्री अस्मिता सम्मान-2019" से  सम्मानित किया गया। कैफ़ी आज़मी एकेडमी, लखनऊ में रेयान मंच एवं देव एक्सेल फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आकांक्षा यादव को उक्त सम्मान आई.ए. एस. डॉ. हरिओम, लखनऊ परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव, डॉ. मालविका हरिओम, कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. अनीता श्रीवास्तव एवं अनीता राज ने 12 अप्रैल, 2019 को प्रदान किया। 
सामाजिक और साहित्यिक विषयों के साथ-साथ नारी-सशक्तिकरण पर प्रभावी लेखन करने वाली आकांक्षा यादव  की  तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।  प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लेखन के साथ वे ब्लॉग और सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपनी रचनाधर्मिता को प्रस्फुटित करते हुये व्यापक पहचान बना चुकी  हैं। भारत के अलावा जर्मनी, श्रीलंका और नेपाल इत्यादि देशों में भी सम्मानित हो चुकी हैं। आकांक्षा यादव लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ  कृष्ण कुमार यादव की पत्नी हैं, जो कि स्वयं चर्चित साहित्यकार और ब्लॉगर हैं।
कार्यक्रम के आरम्भ में अतिथियों ने दीप-प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी की गई, जिसने सबका मन मोह लिया। 




मंचासीन अतिथियों आई.ए. एस. डॉ. हरिओम, लखनऊ परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव और गायिका  डॉ. मालविका हरिओम को स्मृति चिन्ह देकर और शाल ओढ़ाकर कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. अनीता श्रीवास्तव एवं अनीता राज ने सम्मानित  किया। 
दूसरे सत्र में बारह महिलाओं को रेयान स्त्री अस्मिता सम्मान-2019 सम्मान दिया गया। अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाली महिलाओं में आकांक्षा यादव के अलावा  सरोज सिंह, माला चौबे, सीमा अग्रवाल, शशि सिंह, मधु सुभाष, विजय पुण्यम, ओम सिंह, वर्षा श्रीवास्तव, रूबी राज सिंह, अंतरा श्रीवास्तव, रोली शंकर और गृहिणी सम्मान कीर्ति अवस्थी को दिया गया। डॉ. अनीता श्रीवास्तव ने बताया कि समाज में अपने दम पर अलग मुकाम बनाने वाली व दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बनने वाली 12 महिलाओं को प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाता है। 




इससे पूर्व भी उत्कृष्ट साहित्य लेखन हेतु आकांक्षा  यादव को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पचास से अधिक सम्मानों से विभूषित किया जा चुका है। इनमें उ.प्र. के मुख्यमंत्री  द्वारा ’’अवध सम्मान’’,  विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डॉ. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती ज्योति‘‘, ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगर दम्पति’’ सम्मान, अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, काठमांडू में ’’परिकल्पना ब्लाग विभूषण’’ सम्मान,  अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन, श्री लंका में ’’परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान’’,  ‘‘एस.एम.एस.‘‘ कविता पर प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कार, निराला स्मृति संस्थान, रायबरेली द्वारा ‘‘मनोहरा देवी सम्मान‘‘, साहित्य भूषण सम्मान, भाषा भारती रत्न, राष्ट्रीय भाषा रत्न सम्मान, साहित्य गौरव इत्यादि शामिल हैं।