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शनिवार, 5 मई 2018

अब जोधपुर में पर्यटकों के लिए बने सेल्फी प्वाइंट, दिखा सेल्फी का क्रेज

जोधपुर में शास्त्री सर्किल पार्क में लगे सेल्फी प्वाइंट का लुत्फ़। जोधपुर (राजस्थान) में आने वाले पर्यटकों  और यहाँ के यूथ्स को आकर्षित करने हेतु एक सप्ताह पूर्व 'शास्त्री सर्किल' और 'अशोक उद्यान' में सेल्फी प्वाइंट बनाये गए हैं। 
'शास्त्री सर्किल' में I Love Jodhpur तो अशोक उद्यान में I Love SunCity लिखा गया है। फ़िलहाल लोगों में इसके साथ अपनी सेल्फी और तस्वीर लेने का क्रेज खूब देखने को मिल रहा है !!







कुछेक तस्वीरें सपरिवार हमारी भीं...जीवन साथी कृष्ण कुमार यादव जी और प्यारी बेटियाँ अक्षिता (पाखी) और अपूर्वा ।


रविवार, 23 जुलाई 2017

आकांक्षा यादव को 'रचना प्रतिभा सम्मान' व 'शतकवीर सम्मान', मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच ने जोधपुर में किया सम्मानित

साहित्यकारों, लेखकों, कवियों या तमाम विधाओं के रचनाकारों से उनका बायोडाटा मंगाकर उन्हें सम्मानित करने की बहुत पुरानी परम्परा रही है। परन्तु, यदि कोई आपसे यह कहे कि आपकी रचनाओं को बिना आपका नाम बताये देश के तमाम शहरों में सुनाया गया और श्रोताओं ने उन्हें पसंद कर कार्ड दिए तो सुनकर अच्छा लगता है। ऐसा ही अनूठा प्रयास देश भर में मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच (मगसम), भारत वर्ष  द्वारा किया जा रहा है, जिसे कि स्थापित मंचीय कवियों के समानांतर एक नई सोच खड़ी करने के लिए सराहा जा रहा है। 
पिछले दिनों मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच (मगसम) के राष्ट्रीय संयोजक श्री सुधीर सिंह सुधाकर ने सूचित किया कि देश भर में हमारी रचनाओं के पाठ के दौरान श्रोताओं द्वारा एक हजार से ज्यादा ग्रीन कार्ड मिले हैं और कई रचनाओं को तो एक ही दिन में सौ से ज्यादा ग्रीन कार्ड मिले हैं। इसी आधार पर मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच (मगसम) द्वारा हमें 7 जुलाई, 2017 को जोधपुर के होटल चंद्रा इन में आयोजित समारोह  में ''रचना प्रतिभा सम्मान'' और ''शतकवीर सम्मान'' से सम्मानित किये जाने का निर्णय लिया गया है। खैर, अपनी अस्वस्थता के चलते हमारा यह  सम्मान पतिदेव श्री कृष्ण कुमार यादव जी ने  ग्रहण किया।

 कृष्ण कुमार यादव जी को भी देश भर में उनकी रचनाओं के पाठ के दौरान श्रोताओं द्वारा श्रेष्ठता आधार पर, ''रचना स्वर्ण प्रतिभा सम्मान'', और ''शतकवीर सम्मान'' से सम्मानित किया गया। इस सद्भावना के लिए मगसम का आभार! 

यह सम्मान कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि-कथाकार श्री रविदत्त मोहता, वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरिदास व्यास, सेवानिवृत्त न्यायधीश श्री मुरलीधर वैष्णव और मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री सुधीर सिंह सुधाकर ने प्रदान किये। सम्मान स्वरुप  श्रीफल, शाल, प्रशस्ति-पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। रचना का कद रचनाकार से सदैव बड़ा होता है, ऐसे में अपनी रचनाओं को सम्मानित किये जाने से हम अभिभूत हैं । 

मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच (मगसम) के राष्ट्रीय संयोजक श्री सुधीर सिंह सुधाकर ने बताया कि  मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच संस्था देश भर के विभिन्न शहरों में रचनाकारों की रचनाओं का पाठ करवाती है और इस दौरान श्रोताओं द्वारा रचना को हरा, पीला और लाल कार्ड देकर वोट किया जाता है। एक ही दिन में 1,00 से अधिक ग्रीन वोट पाने वाले रचनाकारों को 'शतकवीर सम्मान' से सम्मानित किया जाता है। इसके अलावा क्रमश: 1,000, 2000, 3,000 और 5,000  से अधिक ग्रीन (श्रेष्ठ) वोट पाने वाले रचनाकारों को क्रमशः  'रचना प्रतिभा सम्मान',  'रचना रजत प्रतिभा सम्मान',  'रचना स्वर्ण प्रतिभा सम्मान' और 'लाल बहादुर शास्त्री साहित्य रत्न सम्मान' से उन्हीं के शहर में जाकर सम्मानित किया जाता है।  
इसी क्रम में जोधपुर से 20 रचनाकारों को सम्मानित किया गया।  इनमें राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएं एवं चर्चित साहित्यकार  व् ब्लॉगर कृष्ण कुमार यादव को 'रचना स्वर्ण प्रतिभा सम्मान', सेवानिवृत्त न्यायधीश एवं वरिष्ठ साहित्यकार  मुरलीधर वैष्णव को 'रचना रजत प्रतिभा सम्मान', चर्चित ब्लॉगर-साहित्यकार  आकांक्षा यादव को 'रचना प्रतिभा सम्मान' एवं  कवि व् समालोचक डॉ. रमाकांत शर्मा, मदन मोहन परिहार, हबीब कैफ़ी, हरिप्रकाश राठी, डॉ. पद्मजा शर्मा, डॉ. जेबा रशीद, पुष्पलता कश्यप, बसंत कुमार, भानु मित्र, अनिल अनवर, अक्षय गोजा, अर्जुन देव चारण, मनशाह नायक, दिनेश सिंदल, खुर्शीद खैराडी को  'शतकवीर सम्मान' से  सम्मानित किया गया।




गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

साहित्य जगत के चमकते सितारे @ शेरगढ़ एक्सप्रेस, जोधपुर


राजस्थान में जोधपुर से प्रकाशित मासिक हिंदी पत्रिका "शेरगढ़ एक्सप्रेस" ने 'साहित्य जगत के चमकते सितारे' शीर्षक से अपना फरवरी-2017 अंक हमारे ( कृष्ण कुमार यादव, आकांक्षा यादव, अक्षिता पाखी) व्यक्तित्व - कृतित्व पर केंद्रित कर प्रकाशित किया है। इसे आप भी यहाँ पढ़ सकते हैं ..... 





युवा पंखों की ऊँची उड़ान : आकांक्षा यादव 
(लेखिका : डॉ. कमल कपूर, अध्यक्षा : नारी अभिव्यक्ति मंच ’पहचान’ फरीदाबाद, हरियाणा)


प्रशासन और साहित्य के ध्वजवाहक : कृष्ण कुमार यादव 
(लेखक : डॉ. बद्री नारायण तिवारी, संयोजक- राष्ट्रभाषा प्रचार समिति-वर्धा, उत्तर प्रदेश, 
पूर्व अध्यक्ष-उ0प्र0 हिन्दी साहित्य सम्मेलन/संयोजक-मानस संगम,  शिवाला, कानपुर, उत्तर प्रदेश)


                            आँगन की रंगोली से क्षितिज तक : कृष्णाकांक्षा                        
( लेखक : यतीन्द्र नाथ ‘राही‘, रजत विहार, भोपाल (म.प्र.)


भारत की सबसे कम उम्र की राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता  
नन्ही ब्लॉगर अक्षिता यादव (पाखी) 


पत्रिका का नाम : शेरगढ़ एक्सप्रेस (हिंदी मासिक)
प्रधान संपादक : मनोज जैन 
अंक : फरवरी, 2017  (वर्ष -5, अंक -09)
(साहित्य जगत के चमकते सितारे : कृष्ण कुमार यादव, आकांक्षा यादव, अक्षिता पाखी)
पृष्ठ - 32,     मूल्य : रूपये 20 /-
संपर्क : शेरगढ़ एक्सप्रेस कार्यालय, बस स्टैंड, शेरगढ़, जिला-जोधपुर (राजस्थान)-342022 

शनिवार, 21 जनवरी 2017

'आधी आबादी के सरोकार' पुस्तक में अपनी बात

अपनी पुस्तक को हाथ में देखने की सुखद अनुभूति ही कुछ और होती है। हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद द्वारा प्रकाशित हमारी पुस्तक "आधी आबादी के सरोकार" की 10 लेखकीय प्रतियाँ आज ही प्राप्त हुई, वाकई बहुत अच्छा लगा। वर्ष 2017 की हमारी पहली सृजनात्मक उपलब्धि रही ये पुस्तक। यह भी एक अजीब संयोग है कि इस बार प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित विश्व पुस्तक मेला-2017 की थीम भी 'मानुषी' रही, जो महिलाओं द्वारा एवं महिलाओं के ऊपर लेखन को प्रस्तुत करती है। एकेडेमी द्वारा बताया गया है कि "आधी आबादी के सरोकार" पुस्तक को हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद के कार्यालय, स्टॉल के अलावा लोकभारती और राजकमल प्रकाशन की मार्फत भी प्राप्त किया जा सकता है, जो एकेडेमी के पुस्तकों के वितरक भी हैं। फ़िलहाल, इस पुस्तक में 'अपनी बात' के तहत लिखी गई मेरी भावनायें इसकी भावभूमि पर प्रकाश डालती हैं, जिसे यहाँ आप सभी के साथ शेयर कर रही हूँ -


साहित्य और समाज में अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है। कई बार साहित्य समाज को पथदृष्टा बन कर राह दिखाता है तो कई बार समाज में चल रही उथल-पुथल साहित्य में कुछ नया रचने की प्रेरणा देती है। तभी तो कहते हैं कि साहित्य अपने समकालीन समाज का आईना होता है।  लेकिन कई बार आईना भी हमें सिर्फ वही दिखाता है जो हम देखना चाहतेहैं। यही कारण है किसमय के साथ साहित्य में तमाम विमर्शों का जन्म हुआ,जैसे- नारी विमर्श, बाल विमर्श, विकलांग विमर्श, दलित विमर्श, आदिवासी विमर्श इत्यादि। ये विमर्श साहित्य को बौना नहीं बनाते बल्कि उसे विस्तार देते हैं। समाज की मुख्यधारा से वंचित तमाम ऐसे आयाम हैं जिनका लिपिबद्ध होकर सामने आना बहुत जरूरी है,ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनकी भाव भूमि पर अपने को खड़ी कर सकें। 

दुनिया की लगभग आधी जनसंख्या नारियों की है और इस रूप में इन्हें आधी आबादी माना जाता है। एक ऐसी आधी आबादी जो शेष आधी आबादी को जन्मती है,पल्लवित-पुष्पित करती है। ऐसे में जरूरी हैकि आधी आबादी से जुड़े सरोकारों पर गहन विमर्श किया जाए। “आधी आबादी के विमर्श” नामक इस पुस्तक में मैंने ऐसे ही विषयों को अपनी लेखनी के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। 

21वीं सदी की नारी के सामने उसके अपने सपने, महत्वाकांक्षायें, और उन्मुक्त उड़ान भरने की अभिलाषा है। इसके साथ ही उसे परिवार व समाज की परंपराओं और संस्कारों को भी निभाना है। इन सबके बीचस्वाभाविक रूप से उसपर जिम्मेदारियाँ बढ़ती हैं, और कई बार नारी अपने को दोराहे पर खड़ा पाती है। आज की नारी अपने पुरातन दृष्टिकोण को तिलांजलि देकर अपने विवेक और नूतन दृष्टि से एक नई भूमिका लिखना चाहती है। वह अपनी सोच को नई उड़ान देना चाहती है, साथ ही वह अपनी अस्मिता और अस्तित्व को लेकर भी सजग हुई है। 
आज का दौर परिवर्तन का दौर है। बदलाव या परिवर्तन अपनी गतिशीलता का परिणाम है, जो यह दिखाता है कि अमुक समाज, या सोच जड़ नहीं है। परिवर्तन के इस माहौल में  नारी नई इबारत लिखने को तैयार है।आज के इस दौर में नारी का स्वावलंबी होना अति आवश्यक भी हो गया है क्योंकि वह एक ऐसी धुरी है जिसका उत्थान न सिर्फ परिवार का बल्कि समाज और  राष्ट्र का भी उत्थान है। राजनीति, प्रशासन, कॉरपोरेट, सैन्य सेवाओं, आई.टी., खेलकूद, साहित्य, कला, संस्कृति, फिल्म जगत से लेकर तमाम क्षेत्रों में नारी आज नए मुकाम स्थापित कर रही है। कई बार इसे ऐसे भी प्रदर्शित किया जाता है मानो किआधी आबादी ने अपनी ऊँचाइयों को प्राप्त कर लिया है,परजमीनी हकीकत ऐसी नहीं हैं। ये तो एक शुरुआत मात्र है,अभी नारी को एक लंबा सफर तय करना है, उसे पग–पग पर संघर्षों के बीच स्वयं को सिद्ध करना है। 

नारी संबंधित सरोकारों पर मैं एक लंबे समय से लिख रही हूँ, और इस बीच तमाम लेख देश–विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं से लेकर इंटरनेट के संजाल पर प्रकाशित हुए। ये वो विषय हैं जो पारंपरिक से लेकर आधुनिक नारी तक को प्रभावित करते हैं। सिर्फ लेखन के स्तर पर ही नहीं व्यक्तिगत जीवन में भी मैंने उन्हीं संस्कारों को जिया है जो मेरे लेखन में समाहित है। तभी तो आज हमारे आँगन में दो प्यारी बेटियाँ अक्षिता (पाखी) और  अपूर्वा खेल रही हैं। निश्चितत: मैं इनमें आने वाले समय में होने वाले परिवर्तनों का आगाज देखती हूँ और यह महसूस करती हूँ कि किस तरह आज की बेटियाँ, भावी जीवन की नई इबारत लिखने को तत्पर हैं। अपनी यह पुस्तक मैं अपनी इन दोनों प्यारी बेटियों को समर्पित करती हूँ।  

इस पुस्तक के लेखन व प्रकाशन में सबसे बड़ा योगदान मेरे जीवन-साथी कृष्ण कुमार यादव जी का है, जिन्होंने हर पल दाम्पत्य जीवन के साथ साहित्य के क्षेत्र में भी मेरे साथ युगलबंदी की है। इन्होंने विभिन्न मुददों पर मेरे विचारों को और भी प्रखर किया।इनसे प्राप्त प्यार और अनुरागसे मैं सदैव अभिभूत हूँ। 

इस पुस्तक के लिए मैं अपने मम्मी–पापा (श्रीमती सावित्री देवी जी-श्री राजेंद्र प्रसाद जी) की ऋणी हूँ जिन्होंने मुझे वो शिक्षा, संस्कार एवं मूल्य दिये जिसके कारण मैं आज इस रूप में अपने को अभिव्यक्त कर पा रही हूँ। 

मैं डॉ. चम्पा श्रीवास्तव जी की हार्दिक आभारी हूँ जिन्होंने इस पुस्तक का प्राक्कथन लिखकर मेरा हौसला बढ़ाया। हिन्दुस्तान एकेडमी, इलाहाबाद का मैं विशेष आभार व्यक्त करना चाहती हूँ,जिसने इस पुस्तक को प्रकाशित करने का निर्णय लिया और इस रूप में आप सभी के समक्ष प्रस्तुत किया। 

यद्यपि मैंने पूर्ण कोशिश की है कि पुस्तक में तथ्यों को सही रूप मेंप्रस्तुत किया जाए एवं वैचारिकता के पहलू पर आंकते हुए तर्कसंगत रूप में प्रस्तुत किया जाए, लेकिन इसके बावजूद भी यदि किसी प्रकार से त्रुटि रह जाती है तो पाठकगण कृपया उसे मेरे संज्ञान में अवश्य लायें, ताकि इनमें सुधार किया जा सके। 

आशा करती हूँ कि यह पुस्तक आपको अवश्य पसंद आएगी और मेरी लेखनी को आपका स्नेह प्राप्त होगा। 

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस                                (आकांक्षा यादव)
08 मार्च 2016
 
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'आधी आबादी के सरोकार' पुस्तक की विषय सूची 

1. समकालीन परिवेश में नारी विमर्श
2 . आजादी के आंदोलन में भी अग्रणी रही नारी
3 . शिक्षा और साहित्य के विकास में नारी की भागीदारी
4 . सोशल मीडिया और आधी आबादी के सरोकार 
5 . हिन्दी ब्लाॅगिंग को समृद्ध करती महिलाएं
6 . माँ का रिश्ता सबसे अनमोल
7 . घरेलू हिंसा बनाम अस्तित्व की लड़ाई
8 . नारी सशक्तिकरण बनाम अशक्तिकरण
9 . आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में नारी 
10 . राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत


पुस्तक का नाम : आधी आबादी के सरोकार 
लेखिका : आकांक्षा यादव 
प्रकाशक : हिन्दुस्तानी एकेडेमी, 12-डी, कमला नेहरू मार्ग, इलाहाबाद (उप्र) - 211001
कवर डिजाइन : डॉ. रत्नाकर लाल 
संस्करण : प्रथम, प्रकाशन वर्ष : 2017, पृष्ठ-112, मूल्य : रु. 110/- (एक सौ दस रुपए मात्र)
आईएसबीएन (ISBN) : 978-93-85185-05-2


बुधवार, 14 अक्टूबर 2015

नवरात्रि का पर्व और मेहरानगढ़ स्थित चामुण्डा देवी का मंदिर


नवरात्रि का पर्व समाज में मातृ-शक्ति और नारी-सशक्तिकरण का प्रतीक है। इन नौ दिनों में माँ के विभिन्न रूपों की पूजा-आराधना की जाएगी।  इस बार हम लोग नवरात्रि का  त्यौहार जोधपुर में मना रहे हैं।  यहाँ पर मेहरानगढ़ स्थित चामुण्डा देवी का मंदिर काफी प्रसिद्ध है, जो किले के दक्षिणी भाग में सबसे ऊंची प्राचीर पर स्थित है। श्री चामुंडा देवी का यह मंदिर जोधपुर राज परिवार का इष्ट देवी मंदिर तो है ही, पर लगभग सारा जोधपुर ही इस मंदिर की देवी को अपनी इष्ट अथवा कुल देवी मानता है।

मेहरानगढ़ किले की छत पर विराजमान यह मंदिर अपनी मूर्ति कला तथा उत्तम भवन निर्माण कला की एक अनूठी मिसाल है।  यहाँ से सारे शहर का विहंगम दृश्य साफ नजर आता है। मेहरानगढ़ किले में प्रवेश मार्ग से सूर्य की आभा का आभास देते श्री चामुंडा देवी मंदिर में प्रवेश करने का मार्ग आसपास बनी आकर्षक मूर्तियों से सुसज्जित है। मंदिर में स्थापित मां भवानी की मूर्ति मगन बैठी मुद्रा की बजाय चलने की मुद्रा में नजर आती है। मां चामुंडा देवी को अब से करीब 550 साल पहले मंडोर के परिहारों की कुल देवी के रूप में पूजा जाता था |

इस मंदिर में देवी की मूर्ति 1460 ई. में चामुंडा देवी के एक परमभक्त मंडोर के तत्कालीन राजपूत शासक राव जोधा द्वारा अपनी नवनिर्मित राजधानी जोधपुर में बनाए गए किले में ही स्थापित की गई। पहले मां चामुंडा को जोधपुर और आस-पास के लोग ही मानते थे और इनकी पूजा अर्चना किया करते थे | लेकिन मां चामुंडा में लोगों का विश्वास 1965 के युद्ध के बाद बढ़ता चला गया | लोगों की आस्था बढ़ने के पीछे की वजह के बारे में कहा जाता है कि जब 1965 का युद्ध हुआ था, तब सबसे पहले जोधपुर को टारगेट बनाया गया था और मां चामुंडा ने चील के रूप में प्रकट होकर जोधपुरवासियों की जान बचाई थी और किसी भी तरह का कोई नुकसान जोधपुर को नहीं होने दिया था। तब से जोधपुर वासियों में मां चामुंडा के प्रति अटूट विश्वास है। शत्रुओं से अपने भक्तों की रक्षा करने वाली देवी का यह रौद्र रूप है जो सांसारिक शत्रुओं से उनकी रक्षा के साथ-साथ उनके भौतिक (शारीरिक) दुखों तथा मानसिक त्रासदियों को दूर करके उनमें आत्मविश्वास एवं वीरता का संचार कर जीवन को एक गति प्रदान करता है। नवरात्रों में तो सारे प्रदेश से यहां भक्तों का आवागमन होता है। 30 सितम्बर 2008  को नवरात्रि के पहले दिन इस मंदिर-परिसर में भगदड़ मचने से काफी लोगों की मौत हुई थी और लोग घायल हुए थे।  उस समय चामुण्डा देवी का यह मंदिर राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्ख़ियों में रहा था। 


चामुण्डा देवी के प्रताप व वैभव का वर्णन श्री मत्स्य पुराण तथा श्री मार्कंडेय पुराण में भी मिलता है। महाभारत के वन पर्व तथा श्री विष्णु पुराण के धर्मोत्तर में भी आदिशक्ति की स्तुति की गई है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार देवासुर संग्राम में जब शिवा (मां शक्ति) ने राक्षस सेनापति चंड तथा मुंड नामक दो शक्तिशाली असुरों का वध कर दिया तो मां दुर्गा द्वारा देवी के इस ‘शत्रु नाशिनी’ रूप को चामुंडा का नाम दिया गया। जैन धर्म में भी देवी मां चामुंडा को मान्यता प्राप्त है तथा मां देवी का यह रूप पूर्णत: सात्विक रूप में पूजा जाता है। 

Akanksha Yadav आकांक्षा यादव @ शब्द-शिखर 

बुधवार, 22 अप्रैल 2015

बाल विवाह के विरुद्ध सचेतना


राजस्थान के जोधपुर क्षेत्र में बाल-विवाह काफी प्रचलित हैं। यद्यपि इसे रोकने हेतु तमाम सरकारी और गैरसरकारी प्रयास किये जा रहे हैं, पर फिर भी इस क्षेत्र में अभी और कार्य बाकी है। संयोगवश आज आखा तीज ( अक्षय तृतीया) का त्यौहार है और इस दिन तो यहाँ शादियों की खूब धूमधाम है। कई लोग इस दिन की आड़ में बाल-विवाह भी कर-करा लेते हैं। यहाँ प्राप्त शादी के तमाम निमंत्रण पत्र में वर-वधू की जन्मतिथि भी देखने को मिली, ताकि बाल विवाह पर नियंत्रण किया जा सके। तमाम माएँ बाल विवाह के विरुद्ध खुलकर बोलने लगी हैं, उन्हें यह अहसास हो गया है कि उनकी बिटिया रानी सिर्फ शादी-ब्याह के लिए नहीं बनी है, बल्कि अपनी शिक्षा-कैरियर, सपने देखने की आजादी और तमाम अरमानो को पूरा करते हुए उसे आसमां की ऊँचाइयों को भी छूना है !!

-(पतिदेव कृष्ण कुमार यादव जी के फेसबुक वाल से)

शनिवार, 21 मार्च 2015

इतिहास की गलियों से गुजरते हुए मंडोर, जोधपुर में ....

वाकई बेहद खूबसूरत शहर है जोधपुर। 16 मार्च को इलाहाबाद से हम यहाँ आ गए और यहाँ आने के बाद तो हम रोज घूम ही रहे हैं। अक्षिता और अपूर्वा भी अपनी हॉलीडेज खूब इंजॉय कर रही हैं। इतिहास की किताबों में पढ़ी तमाम बातें यहाँ जीवंत रूप में सामने आती हैं।

आज सुबह हम मण्डोर घूमने गए। 15 वीं शताब्दी में जोधपुर नगर की स्थापना तक यह स्थान मारवाड़ राज्य की राजधानी रहा। यहाँ से उत्खनन में भी तमाम ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं प्राप्त हुईं, जिन्हें यहाँ म्यूजियम में सुरक्षित रखा गया है। 





  लम्बे समय तक मंडोर जोधपुर राजघराने का दाह-संस्कार  स्थल भी रहा।  फलत : राठौड़ घराने के अनेक महत्वपूर्ण शासकों के स्मृति स्मारक (देवल या छतरियाँ) यहाँ देखे जा सकते हैं। 







(मंडोर के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए इसे भी पढ़ लें)