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रविवार, 8 मई 2016

मदर्स डे पर बाल-गीत : मम्मी मेरी सबसे प्यारी




मम्मी मेरी सबसे प्यारी,
मैं मम्मी की राजदुलारी।
मम्मी मुझसे प्यार जताती,
अच्छी-अच्छी चीजें लाती।

करती जब भी मैं मनमानी,
मम्मी याद दिलाती नानी।
फिर मम्मी करती है प्यार,        
मेरा भी गुस्सा बेकार।

पीछे-पीछे मम्मी आती,
चाॅकलेट दे मुझे मनाती।
थपकी देकर लोरी गाती,
निंदिया प्यारी मुझको आती।


माँ होने का एहसास दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास है। सिर्फ एक दिन ही क्यों, यह तो हर पल जीने वाला एहसास है !! Proud to be mother of two lovely daughters.

मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

ऐ नव वर्ष के प्रथम प्रभात

नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है,
खुशियों की बस इक चाहत है।

नया जोश, नया उल्लास,
खुशियाँ फैले, करे उजास।

नैतिकता के मूल्य गढ़ें,
अच्छी-अच्छी बातें पढें।

कोई भूखा पेट न सोए,
संपन्नता के बीज बोए।

ऐ नव वर्ष के प्रथम प्रभात,
दो सबको अच्छी सौगात।




रविवार, 28 अक्टूबर 2012

'चाँद पर पानी' : श्रेष्ठतम लेखन की दिशा में गतिमान हैं कवयित्री आकांक्षा

समीक्ष्य बाल काव्य-कृति ’चाँद पर पानी’ की रचनाकार आकांक्षा यादव की यह प्रथम बाल कृति बड़े मनोयोग से प्रस्तुत की गयी है। उद्योग नगर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस कृति में तीस बालोपयोगी कवितायें आद्यन्त तक प्रसारित हैं । ये बालमन की रुचि वाली हैं ही, इनके माध्यम से अल्पवयी पाठकों को पर्यावरण, पर्व, परिवेश, खेल, देशभक्ति, पशु-पक्षियों जैसे मानवेतर प्राणियों को तकनीकी के अतिरिक्त इलेक्ट्रानिक विषयों की भी जानकारी दी गई है।
 
  कृति की संज्ञा इसकी प्रथम रचना ’चाँद पर पानी’ पर ही आधारित है। इस लघु रचना में बाल मनोविज्ञान का संस्पर्श अपने चरम पर है। बड़ी सरलता से बालिका कहती है कि-
 
चाँद पे निकला पानी,
सुनकर हुई हैरानी।
बड़ी होकर जाऊँगी,
पीने चाँद पर पानी। (चाँद पर पानी, पृ.सं. 7)
 
इस कमोवेष अविश्वसनीय कल्पना से ही ऊर्जान्वित होकर वह महत्वाकांक्षायें गढ़ने लगती है, सांकेतिक रूप से कहती है-असंभव शब्द को हमें अब कोई नया अर्थ देना होगा। 'मैं भी बनूंगा सैनिक’ की प्रारंभिक पंक्तियों में दशकों पूर्व की बहुश्रृत कवि 'मां मुझे सैनिक बना दो/चाहता रणभूमि में जाना मुझे तलवार ला दो’ की अनुगँज पाठकों और श्रोताओं को पसंद आयेगी। रचना की आगे की पंक्तियों की रंजकता तथा मासूमियत कम हदयग्राही नहीं-
 
चुस्त वर्दी और लम्बे बूट,
उस पर पहनूं आर्मी सूट।
मेरी तुम नजर उतारना,
तुम्हें करूँगा मैं सैल्यूट। (मैं भी बनूंगा सैनिक, पृ.सं. 8)
 
’नटखट बंदर’ (पृ.सं. 13) तथा ’सूरज का संदेश’ रचनायें जीवन में परिश्रम, परोपकार की उपादेयता को रेखांकित करने के साथ-साथ सभी से सूर्य मानसिकता ग्रहण करने का आह्वान भी करती हैं। यथा-
 
जीवन में तुम सदा सभी के,
ज्ञान की ज्योति फैलाओ।
दूसरों के काम आकर,
परोपकारी कहलाओ। (सूरज का संदेश पृ.सं. 10)
 
आजकल के बच्चे बचपन से ही लैपटाप पर खेलने लगे है। ऐसे में लैपटाप के प्रति बाल आसक्ति उत्पन्न करने वाली कतिपय काव्य पंक्तियों का आस्वाद भी पाठक पसंद करेंगें-
 
लैपटाप पापा जी लाए,
हम सबके यह दिल को भाए।
खेल खिलाए, ज्ञान बढ़ाए,
नई-नई ये बात बताए।
 
‘की बोर्ड‘ से हो गई यारी,
‘माउस‘ की मैं करूँ सवारी।
‘मानीटर‘ पर सब है दिखता,
कितना प्यारा है यह रिश्ता। (लैपटाप, पृ.सं. 12)
 
कविता ’राखी का त्यौहार’, भाई और बहन के बीच दीर्घजीवी प्यार का वार्षिक पुनर्स्मरण है तो ’नव वर्ष का प्रथम प्रभात’ रचना में भी नववर्ष की पहली सुबह से लोक कल्याण की कामना की गई है-
 
नैतिकता के मूल्य गढ़ें,
अच्छी-अच्छी बातें पढें।
कोई भूखा पेट न सोए,
संपन्नता के बीज बोए।
ऐ नव वर्ष के प्रथम प्रभात,
 दो सबको अच्छी सौगात। (’नव वर्ष का प्रथम प्रभात’ पृ.सं. 20)
 
तीस बाल गीतों से सुसज्जित इस कृति इस कृति की लगभग सभी रचनायें सार्थकता की दृष्टि से उत्तमतर हैं। प्रत्येक को रुचिकर रेखाचित्रों से संबंलित करने के कारण किसी का भी मन उसे पढ़ना चाहेगा। मुझे विश्वास है कि यह कृति बच्चों और प्रौढ़ों के द्वारा समान रुचि से पढ़ी जायेगी।
 
कृति: चाँद पर पानी
 
कवयित्री: आकांक्षा यादव, टाइप 5 निदेशक बंगला, जी0पी0ओ0 कैम्पस, सिविल लाइन्स, इलाहाबाद (उ.प्र.) - 211001
 
प्रकाशन वर्ष: 2012
 
मूल्य: रु. 35/-    पृष्ठ: 36
 
प्रकाशक : उद्योग नगर प्रकाशन, 695, न्यू कोट गांव, जी0टी0रोड, गाजियाबाद (उ.प्र.)
 
समीक्षक: डा. कौशलेन्द्र पाण्डेय, 130, मारुतीपुरम्, लखनऊ मो0: 09236227999
 
*****************************************************************
डा. कौशलेन्द्र पाण्डेय : एक परिचय-
 
जन्म: 28 दिसंबर, 1937 .

शिक्षा : एम्. काम., एल.एल. बी. एवं विद्यावाचस्पति व विद्यासागर (मानद उपाधियाँ)

प्रकाशन : प्राय: सभी लब्धप्रतिष्ठ पत्र-पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में रचनाओं का अनवरत प्रकाशन.
कृतियाँ : 7 कहानी एवं 5 काव्य-संग्रह सहित कुल 18 पुस्तकें प्रकाशित.

सम्मान : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा 'साहित्य भूषण' सहित विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विभिन्न सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त.

सम्प्रति : स्वतंत्र अध्ययन व लेखन.

संपर्क : डा. कौशलेन्द्र पाण्डेय, 130, मारुतीपुरम्, लखनऊ (उ.प्र.). मो.: 09236227999
 
( साभार : डा. कौशलेन्द्र पाण्डेय जी द्वारा लिखित उपरोक्त समीक्षा हिंदी मीडिया इन और परिकल्पना ब्लागोत्सव पर भी पढ़ी जा सकती है. इसके अलावा यह यू. एस. एम्. पत्रिका () एवं डेली न्यूज एक्टिविस्ट (27 अक्तूबर, 2012) में भी प्रकाशित है. )

शनिवार, 27 अक्टूबर 2012

अपूर्वा का ’बर्थ-डे’ है आया

आज 27 अक्तूबर, 2012 है. आज का दिन हमारे लिए खास मायने रखता है. आज ही के दिन हमारी प्यारी सी बिटिया अपूर्वा का जन्म हुआ था.

अपूर्वा का ’बर्थ-डे’ है आया,
सब बच्चे मिल करो धमाल।
जमके खूब खाओ तुम सारे,
हो जाओ फिर लाल-लाल।
हैप्पी ’बर्थ-डे’ मिलकर गाओ,
मस्ती करो और मौज मनाओ।
पाखी, तन्वी, खुशी, अपूर्वा,
सब मिलकर बैलून फुलाओ।
आईसक्रीम और केक भी खाओ,
कोई भी ना मुँह लटकाओ।

कितना प्यारा बर्थ-डे केक
हैप्पी बर्थ-डे मिलकर गाओ।

अपूर्वा तुम जियो हजारों साल,
साल के दिन हों पचास हजार ! 

आज अपूर्वा दो साल की हो गईं. अपूर्वा के जन्मदिन पर ढेरों बधाई, आशीर्वाद, स्नेह और प्यार. आपके आशीर्वाद और स्नेह की आकांक्षा बनी रहेगी !!
 

गुरुवार, 3 नवंबर 2011

बन्दर की सगाई


बन्दर की तय हुई सगाई,
सबने खाई खूब मिठाई।
कोयल गाये कू-कू-कू
हाथी ने चिंघाड़ लगाई।

ड्रम बाजे डम-डम-डम,
भालू नाचा छम-छम-छम।
चारों तरफ खुशहाली आई,
जंगल में बज उठी शहनाई।

पहन सुन्दर सी शेरवानी,
बन्दर जी ने बांधा सेहरा।
सभी लोग उतारें नजरें,
खिल रहा बंदर का चेहरा।

कार पर चढ़ बन्दर जी निकले,
बाराती भी खूब सजे।
सबने दावत खूब उड़ाई,
धूमधाम से हुई विदाई।

-- आकांक्षा यादव

शुक्रवार, 25 मार्च 2011

बिटिया पाखी के जन्मदिन पर...


आज हमारी प्यारी बिटिया अक्षिता (पाखी) का जन्म-दिन है. अंडमान में हम दूसरी बार पाखी का जन्मदिन मना रहे हैं. अब तो पाखी की बहना तन्वी भी उसका जन्मदिन सेलिब्रेट करने के लिए आ गई हैं. पाखी के जन्मदिन पर उसके लिए एक प्यारी सी कविता लिखी है. पाखी यह कविता सुनकर बहुत खुश है, आप भी इसका आनंद उठायें और बिटिया पाखी को जन्मदिन पर अपना स्नेहिल आशीर्वाद दें-


आँखों में भविष्य के सपने
चेहरे पर मधुर मुस्कान है
अक्षिता को देखकर लगता है
दिल में छुपाये कई अरमान है।

अक्षिता के मन में इतनी उमंगें
नन्हीं सी यह जान है
प्यारी-प्यारी ड्राइंग बनाती
देखकर सब हैरान हैं।

ज्ञान पथ पर है तत्पर
गुणों की यह खान है
भोली सी सूरत इसकी
हमें इस पर अभिमान है।


(चित्र में : तन्वी के आगमन पर आयोजित पार्टी में केक काटकर ख़ुशी का इजहार करती पाखी संग ममा-पापा और तन्वी)

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

बैंगन जी की होली


टेढे़-मेढे़ बैंगन जी
होली पर ससुराल चले
लुढ़क-लुढ़क जाते हर पल
एक मुसीबत पाल चले.

उनकी पत्नी भिण्डी जी
बनी-ठनी तैयार मिलीं
हाथ पकड़ करके उनका
स्वागत में घर पार चलीं.

ससुरा कद्दू देख उन्हें
रेड लाइट को लांघ चले
टेढे़-मेढे़ बैंगन जी
होली पर ससुराल चले.

उछल पड़ीं बल्लियों तभी
लौकी सास निहाल हुईं
तब तक मिर्ची साली जी
मिलने को फिलहाल चलीं.

रंग भरी पिचकारी ले
जीजा जी पर झपट पड़ीं
बैंगन जी भी थाली में
इधर-उधर बदहाल चले।
टेढ़े-मेढ़े.......!!


कृष्ण कुमार यादव
!! होली पर्व पर आप सभी को रंग भरी शुभकामनायें !!

मंगलवार, 14 सितंबर 2010

भारत वर्ष की शान है हिन्दी


हम लोगों की जान है हिन्दी,
भारत वर्ष की शान है हिन्दी।
प्रगति-पथ पर बढ़ती जाती,
कितनी बेमिसाल है हिन्दी।

सुन्दर शब्दों की खान है हिन्दी,
अस्मिता की पहचान है हिन्दी।
अंग्रेजी की अंधभक्ति छोड़ें,
जन्मभूमि का सम्मान है हिन्दी।

सब भाषाओं की जान है हिन्दी,
जन-जन की जुबान है हिन्दी।
देशभक्ति का करे संचार,
भूत, भविष्य, वर्तमान है हिन्दी।

रविवार, 8 नवंबर 2009

करें सबका सम्मान (बाल-कविता)

हम मानवता के पुजारी
कभी न हम हिम्मत हारें
आगे ही नित् बढ़ते जायें
अपने प्राण देशहित वारें।

हरदम रखें हौसला बुलंद
देश की हम बनें तकदीर
हमको कोई कम न समझे
बदल सकते हम तस्वीर।

नफरत और द्वेष मिटाकर
प्रेम-सौहार्द्र का करें मान
ऊँच-नीच का भेद मिटाकर
करें हम सबका सम्मान।

बुधवार, 31 दिसंबर 2008

नव वर्ष का प्रथम प्रभात

 
नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है,
खुशियों की बस इक चाहत है।
 
नया जोश, नया उल्लास,
खुशियाँ फैले, करे उजास।
 
नैतिकता के मूल्य गढ़ें,
अच्छी-अच्छी बातें पढें।
 
कोई भूखा पेट न सोए,
संपन्नता के बीज बोए।
 
ऐ नव वर्ष के प्रथम प्रभात,
दो सबको अच्छी सौगात।