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शुक्रवार, 24 जून 2016

नारी सशक्तिकरण की ओर एक कदम और : देश की पहली महिला फाइटर पायलट बनीं मोहना-भावना-अवनी, उड़ाएंगीं सुखोई और तेजस जैसे लड़ाकू विमान

अब जंग के मैदान में महिलाएं भी तेज रफ्तार से उड़ते लड़ाकू विमानों में कलाबाजियां करेंगी। जमीन से हजारों फीट ऊपर लड़ाकू विमानों की तेज रफ्तार और आवाज के बीच जल्द ही नजर आएगी नारी शक्ति। जल्द ही सुखोई और तेजस जैसे फाइटर प्लेन उड़ाती दिखेंगी हमारे देश की तीन जांबाज लड़कियां। जी हां, भारतीय वायुसेना के इतिहास में 18 जून, 2016  का दिन बेहद अहम है। इस दिन पहली बार तीन महिला अधिकारी वायुसेना में भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलट के तौर पर शामिल की गईं। ये फाइटर पायलट हैं भावना कांथ (बिहार), अवनि चतुर्वेदी (मध्यप्रदेश) और मोहना सिंह (राजस्थान)।

तीनों  महिला अधिकारियों का चयन लड़ाकू विमान उड़ाने वाली नभयोद्धाओं की टीम के लिए हुअा है  जहां अब तक केवल पुरुषों का एकाधिकार था। महिलाएं वायुसेना में अब तक केवल ट्रांसपोर्ट विमान और हेलीकॉप्टर ही उड़ाती रहीं हैं। मगर अब देश को तीन पहली वुमन फाइटर पायलट मिल जाएंगी।  ये तीन महिला पायलट सुखोई और तेजस जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ाती नजर आएंगी। इन तीनों पायलटों ने ट्रेनिंग का पहला चरण पूरा कर लिया है और कमीशंड होने के बाद कर्नाटक के बीदर में एडवांस ट्रेनिंग शुरू होगी। गौरतलब है कि  पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान में 3 साल पहले यानि 2013 में महिला फाइटर पायलटों को शामिल किया गया था।

मध्यप्रदेश की हैं अवनी
अवनी चतुर्वेदी मूल रूप से मध्यप्रदेश के रीवा की रहने वाली हैं। उनके पिता एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं। अवनी बताती है कि इस वजह से उसने आर्मी की लाइफ को करीब से देखा है। फाइटर पायलट बनने का मौका मिला तो परिवार से काफी सपोर्ट मिला। उन्होंने हर कदम पर उसे प्रोत्साहित किया।

राजस्थान से आती हैं मोहना
राजस्थान के झुंझुनूं जिले की मोहना सिंह ने दिल्ली के एयरफोर्स स्कूल से अध्ययन करने वाली मोहना सिंह के पिता भी भारतीय वायुसेना में हैं। भावना ने एमएस कॉलेज बेंगलुरु से बीई इलेक्ट्रिल और अवनी चतुर्वेदी ने राजस्थान के टॉक जिले में वनस्थली विद्यापीठ से कंप्यूटर साइंस की डिग्री हासिल की है। अवनी चतुर्वेदी, भावना कांथ और मोहना सिंह ने मार्च में ही लड़ाकू विमान उड़ाने की योग्यता हासिल कर ली थी। इसके बाद उन्हें युद्धक विमान उड़ाने का गहन प्रशिक्षण दिया गया। 

बिहार के साधारण परिवार से हैं भावना
बिहार के दरभंगा ज़िले के घनश्यामपुर प्रखंड के बाऊर गांव की निवासी भावना कांत बेहद साधारण परिवार से निकल कर आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंची हैं। उनके दादा एक इलेक्ट्रिशियन, तो पिता मैकेनिक रहे हैं। भावना ने डीएवी स्कूल, बरौनी रिफ़ाइनरी, बेगूसराय से वर्ष 2009 में दसवीं की परीक्षा पास की थी। उन्होंने बीएमएस बेंगलुरू से वर्ष 2014 में बीटेक किया। पिछले साल उन्हें भारतीय वायु सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत शामिल किया गया था। 


ये तीनों महिलाएं रचने जा रहीं इतिहास
यह पहला मौका होगा, जब भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान की कॉकपिट में कोई महिला बैठेगी। इंडियन एयरफोर्स में फिलहाल 94 महिला पायलट हैं, लेकिन ये पायलट सुखोई, मिराज, जगुआर और मिग जैसे फाइटर जेट्स नहीं उड़ाती हैं। वायुसेना में लगभग 1500 महिलाएं हैं, जो अलग-अलग विभागों में काम कर रही हैं। 1991 से ही महिलाएं हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ा रही हैं, लेकिन फाइटर प्लेन से उन्हें दूर रखा जाता था।

भारतीय सेना में पहली बार किसी महिला को मिलिट्री नर्सिंग सर्विस के लिए वर्ष 1927 में शामिल किया गया था। वर्ष 1992 में तत्कालीन सरकार की मंजूरी के बाद सेना के तीनों अंगों में महिला अधिकारियों को शामिल किया जाने लगा। 

18 जून को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर हैदराबाद स्थित भारतीय वायुसेना अकादमी की पासिंग आउट परेड की जब सलामी लेने पहुंचें तो  इसी मौके पर तीन महिला पायलटों, भावना कांथा, अवनि चतुर्वेदी और मोहना सिंह को वायु सेना की लड़ाकू पायलट शाखा में विधिवत रूप से कमिशन हासिल हो गया । ये तीनों महिला अधिकारी पिछले एक साल से इस अकादमी में लड़ाकू पायलट के दूसरे चरण का प्रशिक्षण ले रही हैं। इनकी 6 महीने की ट्रेनिंग पिलेट्स ट्रेनर पर हुई और 6 महीने की ट्रेनिंग किरन ट्रेनर पर हुई। 55 घंटे पिलेट्स पर उड़ान भरने बाद 87 घंटे किरन ट्रेनर पर इन्होंने ट्रेनिंग ली। वायु सेना में कमीशन के बाद अब इन महिला पायलटों को बीदर में एक साल की एडवांस ट्रेनिंग एडवांस हॉक पर दी जायेगी और जून 2017 से ये लडाकू विमान उड़ाना  शुरू कर देंगी। पिछले एक साल से हैदराबाद में इनकी ट्रेनिंग सुबह 4 बजे से शुरू होकर रात 10 बजे तक चलती थी।

भारतीय वायुसेना में महिलाओं के विमान उड़ाना शुरू करने के करीब दो दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बाद अब वो लम्हा आया है जब वो लड़ाकू विमानों के जरिए आसमान में दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाएंगी। 1991 में पहली बार महिला पायलटों ने हेलिकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट विमान उड़ाना शुरू किया। 2012 में 2 वुमन फ्लाइट लेफ्टिनेंट अलका शुक्ला और एमपी शुमाथि ने लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स के लिए ट्रेनिंग पूरी की। पिछले साल एअरफोर्स डे यानी 8 अक्टूबर 2015 के दिन वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अरूप राहा ने महिलाओं के लिए लड़ाकू पायलट स्ट्रीम भी खोलने का ऐलान किया।

भारतीय सेनाओं में अपनी जगह बनाने के लिए देश की आधी आबादी ने लंबी लड़ाई लड़ी है और कदम दर कदम सफलता के साथ हर मोर्चे पर अपना लोहा मनवाया है। फरवरी 2016 में राष्ट्रपति और तीनों सेनाओं के सुप्रीम कमांडर प्रणब मुखर्जी ने संसद में ऐलान किया था कि भारतीय सेनाओं में महिलाएं आगे चलकर सभी कॉम्बैट रोल्स निभाएंगीं। अब तीन महिला लड़ाकू पायलटों को कमीशन मिलने के बाद वो दिन दूर नहीं जब महिलाएं रणक्षेत्र में भी दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए हर मोर्चे पर डटी नजर आएंगी।
-आकांक्षा यादव @ शब्द-शिखर