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गुरुवार, 24 सितंबर 2015

समाज के निर्माण में भाषा और साहित्य की भूमिका


'समाज के निर्माण में भाषा और साहित्य की भूमिका' जगजाहिर है। इस विषय को लेकर तमाम पुस्तकें लिखी/सम्पादित की गई हैं। हाल ही में इस विषय पर एक पुस्तक डॉ. गीता सिंह (रीडर एवं अध्यक्ष, स्नाकोत्तर हिंदी विभाग, दयानंद स्नाकोत्तर महाविद्यालय, आज़मगढ़) के सम्पादन में युगांतर प्रकाशन, दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुई है। साहित्य में चल रहे विमर्श, संक्रमण और सौंदर्यकामी सभी प्रक्रियाओं को समेटती यह पुस्तक हिंदी साहित्य के बहाने तमाम छुए-अनछुए पहलुओं को समेटती है। 225 पृष्ठों की इस पुस्तक में विभिन्न लेखकों के 61 लेख शामिल किये गए हैं। सौभाग्यवश, इसमें "बदलते परिवेश में बाल साहित्य" शीर्षक से कृष्ण कुमार यादव जी का  और "भूमंडलीकरण के दौर में भाषाओं पर बढ़ता ख़तरा" शीर्षक से हमारा भी लेख शामिल है। साधुवाद और हार्दिक आभार !!

पुस्तक : समाज के निर्माण में भाषा और साहित्य की भूमिका
संपादक :डॉ. गीता सिंह (रीडर एवं अध्यक्ष, स्नाकोत्तर हिंदी विभाग, दयानंद स्नाकोत्तर महाविद्यालय, आज़मगढ़) 
प्रकाशक : युगांतर प्रकाशन, दिल्ली 
पृष्ठ -225,  प्रथम संस्करण - 2015 

मंगलवार, 22 सितंबर 2015

समकालीन महिला साहित्यकार


महिलाओं की रचनाधर्मिता को लेकर आजकल तमाम पुस्तकें प्रकाशित हो रही हैं।  इन्हीं में से एक है - 'समकालीन महिला साहित्यकार'।  निरुपमा प्रकाशन, (506/13 शास्त्री नगर, मेरठ, उत्तर प्रदेश) द्वारा रश्मि अग्रवाल के संपादन में प्रकाशित इस पुस्तक (ISBN -978-93-81050-46-0) में 12 महिला साहित्यकारों की कविताओं को सपरिचय स्थान दिया गया है।  इन महिला साहित्यकारों में आकांक्षा यादव, सुशीला गोयल, रश्मि अग्रवाल, सुमन अग्रवाल, कामिनी वशिष्ठ, करुणा दिनेश, अंजू जैन प्राची, पूनम अग्रवाल, शुभम त्यागी, शुभा द्धिवेदी, गरिमा शर्मा और शिक्षा यादव के नाम शामिल हैं। मुकेश नादान  ने बड़ी ही खूबसूरती से इस 128 पृष्ठीय पुस्तक को प्रकाशित किया है।

पुस्तक : समकालीन महिला साहित्यकार (ISBN -978-93-81050-46-0)
संपादक :रश्मि अग्रवाल
प्रकाशक : निरुपमा प्रकाशन, 506/13 शास्त्री नगर, मेरठ, उत्तर प्रदेश
पृष्ठ -128   मूल्य -240 रूपये  प्रथम संस्करण - 2015


गुरुवार, 17 सितंबर 2015

आदि देव के साथ-साथ प्रथम लिपिकार भी हैं श्री गणेश



भारतीय संस्कृति में गणेश जी को आदि देव माना गया है। कोई भी धार्मिक उत्सव हो, यज्ञ, पूजन इत्यादि सत्कर्म हो या फिर विवाहोत्सव हो, निर्विध्न कार्य सम्पन्न हो इसलिए शुभ के रूप में गणेश जी  की पूजा सबसे पहले की जाती है। गणेश जी को प्रथम लिपिकार भी माना जाता है उन्होंने ही देवताओं की प्रार्थना पर वेद व्यास जी द्वारा रचित महाभारत को लिपिबद्ध किया था। गणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं। अनंतकाल से अनेक नामों से गणेश दुख, भय, चिन्ता इत्यादि विघ्न के हरणकर्ता के रूप में पूजित होकर मानवों का संताप हरते रहे हैं। शास्त्रों में गणेश जी के स्वरूप का वर्णन करते हुए लिखा गया है-



वक्रतुंड महाकाय। सूर्यकोटि सम प्रभ।
निर्विघ्न कुरु मे देव। सर्व कार्येषु सर्वदा॥

अर्थात् जिनकी सूँड़ वक्र है, जिनका शरीर महाकाय है, जो करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी हैं, ऐसे सब कुछ प्रदान करने में सक्षम शक्तिमान गणेश जी सदैव मेरे विघ्न हरें।

श्री गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं !!



बुधवार, 9 सितंबर 2015

विश्व हिंदी सम्मेलन, भोपाल में हिंदी जगत के विस्तार और संभावनाओं पर होगा मंथन


भारत में 32 साल बाद फिर से विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन, 10-12  सितंबर को भोपाल में। वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती साख ने कई देशों को हिंदी जानने व समझने पर विवश कर दिया है। आज दुनिया के 150 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है। 50 करोड़ से अधिक लोग हिंदी बोलते हैं और लगभग 80 करोड़ लोग इसे बखूबी समझते हैं।  इस सम्मेलन में लगभग 39  देशों के प्रतिनिधि  हिस्सा ले रहे हैं।


देश विदेश में हिन्दी के प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभाने वाले बॉलीवुड के सितारों से आम तौर पर परहेज करने वाले वि हिन्दी सम्मेलन में इस बार मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन को न सिर्फ आमंत्रित किया गया है बल्कि वह अच्छी हिन्दी कैसे बोलें विषय पर व्याख्यान भी देंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन के सफल होने की कामना करते हुए अपने शुभकामना संदेश में आशा प्रकट की कि इसमें भाग ले रहे विद्वान हिंदी के माध्यम से भारतीय संस्कृति के मूलमंत्र वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को आगे बढ़ाएंगे और हिंदी जगत के विस्तार की संभावनाओं को चरम पर पंहुचाने के उपायों पर चर्चा करेंगे.

इस बार विश्व हिंदी सम्मेलन के महाकुंभ के दसवें पड़ाव को व्यापकता प्रदान करते हुए और इसकी परिधि का विस्तार करके मुख्य विषय ‘हिंदी जगत : विस्तार एवं संभावनाएं’ के साथ बारह विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा. सम्मेलन में चर्चा के निर्धारित मुख्य विषय हैं : विदेश नीति में हिंदी, प्रशासन में हिंदी, विज्ञान में हिंदी, विधि एवं न्याय क्षेत्र में हिंदी और भारतीय भाषाएं, अन्य भाषा भाषी राज्यों में हिंदी और गिरमिटिया देशों में हिंदी आदि.

 विश्व हिंदी सम्मेलनों की परंपरा 1975 में नागपुर में आयोजित प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन से शुरू हुई. तब से इन सम्मेलनों ने एक वैश्विक स्वरूप और गति प्राप्त की. अब तक ऐसे नौ सम्मेलन विश्व के विभिन्न देशों में आयोजित किए जा चुके हैं. इससे पूर्व विश्व हिन्दी सम्मेलन दो-दो बार मॉरीशस और भारत में और एक-एक बार ट्रिनिदाद और टोबैगो, ब्रिटेन, सूरीनाम, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुए हैं. इन सम्मेलनों ने हमेशा से ही हिंदी स्नेही व्यक्तियों और प्रख्यात विद्वानों को आकर्षित किया है... फ़िलहाल, इस सम्मेलन पर सबकी निगाह लगी है कि आखिर मंथन से क्या निकलता है !!


रविवार, 6 सितंबर 2015

पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार हिंदी में एमफिल की डिग्री

हिंदी के चाहने वाले सिर्फ भारत  ही नहीं बल्कि दुनिया भर में हैं। कभी भारत से अलग होकर पाकिस्तान बना, पर हिंदी की जड़ें वहाँ भी मौजूद हैं।   पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार एक विश्वविद्यालय ने हिंदी में एमफिल की डिग्री प्रदान की है। सेना की ओर से संचालित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ मॉडर्न लैंग्वेजेज (एनयूएमएल) यह डिग्री प्रदान करने वाला पाकिस्तान का पहला विश्वविद्यालय बन गया है।

देश में हिदी में एमफिल की डिग्री हासिल करने वाली पहली छात्रा होने का ख़िताब एनयूएमएल की छात्रा शाहीन जफर को मिला। डॉन न्यूज की खबर के अनुसार “स्वतंत्र्योत्तर हिंदी उपन्यासों में नारी चित्रण (1947-2000)” विषयक यह शोध उन्होंने प्रोफेसर इफ्तिखार हुसैन की देखरेख में किया है।

उच्च शिक्षा आयोग ने इसे अपनी मंजूरी दी थी। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तान में हिदी विशेषज्ञों की कमी होने के कारण भारत के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दो विशेषज्ञों ने जफर के शोध का मूल्यांकन किया।

शुक्रवार, 4 सितंबर 2015

युवा लेखिका आकांक्षा यादव को 'आगमन' साहित्य सम्मान

प्रसिद्ध साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ’आगमन’ ने युवा लेखिका, ब्लॉगर व साहित्यकार  आकांक्षा यादव को इस वर्ष के 'आगमन साहित्य सम्मान -2015'  के लिए चयनित किया है। उक्त सम्मान सुश्री यादव को दिल्ली में आयोजित आगमन वार्षिक सम्मान समारोह में प्रदान किया जायेगा। आकांक्षा यादव राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के  निदेशक डाक सेवाएं  श्री कृष्ण कुमार यादव की पत्नी हैं, जो की स्वयं चर्चित ब्लॉगर और साहित्यकार हैं। उक्त जानकारी संस्था के संस्थापक श्री पवन जैन ने दी।

देश-विदेश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट पर वेब पत्रिकाओं और ब्लॉग पर निरंतर प्रकाशित होने वाली आकांक्षा यादव की दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।  नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष रुचि रखने वाली आकांक्षा यादव की रचनाओं में नारी-सशक्तीकरण बखूबी झलकता है। एक रचनाधर्मी के रूप में रचनाओं को जीवंतता के साथ सामाजिक संस्कार देने का प्रयास करने वाली आकांक्षा यादव अपनी रचनाओं में बिना लाग-लपेट के सुलभ भाव-भंगिमा सहित जीवन के कठोर सत्य उकेरने के लिए जानी जाती हैं।  

गौरतलब है कि आकांक्षा यादव को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इससे पूर्व भी  तमाम प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इनमें साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”,  विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी, नई दिल्ली  द्वारा ‘डाॅ. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘ व ‘‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘,  “दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति“ का सम्मान, “परिकल्पना  ब्लॉग विभूषण सम्मान“, परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ’भारती ज्योति’, निराला स्मृति संस्थान, रायबरेली द्वारा मनोहरादेवी स्मृति सम्मान सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु दर्जनाधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं।

  साभार : दैनिक नव ज्योति, जोधपुर, राजस्थान, 4 सितम्बर, 2015 
साभार : दैनिक राज पथ, रेवाड़ी, हरियाणा , 4 सितम्बर, 2015 

बुधवार, 2 सितंबर 2015

विश्व हिंदी सम्मेलन के बहाने हिन्दी की विकास यात्रा का मूल्यांकन

विश्व हिंदी सम्मेलन की चर्चा जोरों पर है। मध्य प्रदेश की राजधानी  भोपाल में 10 से 12 सितंबर तक आयोजित होने जा रहे 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन में भारत और 27 अन्य देशों से लगभग 2,000 प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की संभावना है। सम्मेलन का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, जिसका विषय ‘हिंदी जगत : विस्तार एवं संभावनाएं’ होगा। हिंदी फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन भी 12 सितंबर को सम्मेलन के समापन समारोह में हिस्सा लेंगे। समापन समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। पूर्व में इस तरह के आयोजन साहित्य या हिंदी साहित्य पर केंद्रित रहे हैं, जबकि इस बार  यह हिंदी भाषा पर केंद्रित होगा।


विश्व हिन्दी सम्मेलन, हिन्दी का सबसे भव्य अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसमें विश्व भर से हिन्दी भाषा के विद्वान, साहित्यविद्, प्रखर पत्रकार, भाषा शास्त्री, विषय विशेषज्ञ तथा हिन्दी को चाहने वाले जुटते हैं। यह सम्मेलन अब प्रत्येक चौथे वर्ष आयोजित किया जाता है। वैश्विक स्तर पर भारत की इस प्रमुख भाषा के प्रति जागरुकता पैदा करने, समय-समय पर हिन्दी की विकास यात्रा का मूल्यांकन करने, हिन्दी साहित्य के प्रति सरोकारों को मजबूत करने, लेखक-पाठक का रिश्ता प्रगाढ़ करने व जीवन के विवि‍ध क्षेत्रों में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 1975 से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की श्रृंखला आरंभ हुई।

इस सम्मेलन में  1,270 प्रतिनिधियों ने भागीदारी के लिए पंजीकरण करा लिया है। सम्मेलन भोपाल के लाल परेड मैदान में आयोजित होगा। सम्मेलन में 464 विद्यार्थी, 450 आमंत्रित अतिथि, और 250 विशेष आमंत्रित अतिथि होंगे, जिनमें सरकारी प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान  भारत के 20 हिंदी विद्वानों, और दूसरे देशों के कई हिंदी विद्वानों को सम्मानित किया जाएगा। इनमें भारतीय मूल के हिंदी विद्वान भी शामिल होंगे। एक विशेष समिति ने नामों को मंजूरी दी है। गौरतलब है कि जोहांसबर्ग में हुए पिछले सम्मेलन में लगभग 500-600 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था, लेकिन इस बार 2,000 से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे।


सम्मेलन के आयोजकों की मानें तो उद्घाटन और समापन समारोह में 5,000 लोगों की उपस्थिति का अनुमान है। सम्मेलन में 12 विषय, 28 सत्र होंगे। चार प्रमुख विषयों में शामिल होंगे -‘विदेश नीति में हिंदी’, जिसकी अध्यक्षता विदेश मंत्री सुषमा स्वराज करेंगी, ‘प्रशासन में हिंदी का उपयोग’ विषय की अध्यक्षता मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे, ‘विज्ञान में हिंदी का उपयोग’ विषय की अध्यक्षता केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन करेंगे और ‘सूचना एवं प्रौद्योगिकी में हिंदी का उपयोग’ विषय की अध्यक्षता केंद्रीय संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद करेंगे। अन्य विषयों में एक गिरमिटिया पर, और दूसरा बाल साहित्य पर होगा। तीन दिवसीय इस आयोजन में मध्य प्रदेश सरकार भी भागीदार है और इस दौरान साहित्य चर्चा के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।

ज्ञातव्य है कि पिछला विश्व हिंदी सम्मेलन सितंबर 22 से 24 सितंबर 2012 तक दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में हुआ था। पहला विश्व हिंदी सम्मेलन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सहयोग से 1975 में नागपुर में हुआ था। तब से लेकर अब तक आठ विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं- मॉरीशस, नई दिल्ली, मॉरीशस, त्रिनिडाड व टोबेगो, लंदन, सूरीनाम और न्यूयार्क में। यह आयोजन दो बार पोर्ट लुईस (मॉरीशस) में, दो बार भारत में हो चुका है, जिसमें से तीसरा सम्मेलन अक्टूबर 1983 में नई दिल्ली में हुआ था। इसके अलावा पोर्ट ऑफ स्पेन (त्रिनिदाद एवं टोबैगो), लंदन (ब्रिटेन), पारामारिबो (सूरीनाम) और न्यूयार्क (अमेरिका) में विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित हो चुका है।



10वें विश्व हिंदी सम्मेलन में भाग लेने हेतु सभी प्रतिभागियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य है और यह केवल ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से ही है। ऑनलाइन पंजीकरण की अंतिम तिथि शुक्रवार, 21 अगस्त, 2015 है (सामान्य प्रतिभागियों के लिए)। प्रतिभागियों को अपना ब्यौरा ऑनलाइन भरना है और www.vishwahindisammelan.gov.in पर लॉग इन करके अपने फोटोग्राफ तथा हस्ताक्षर भी अपलोड करने हैं। पंजीकरण शुल्क का भुगतान या तो ऑनलाइन एस बी आई गेटवे भुगतान सुविधा के माध्यम से क्रेडिट/डेबिट कार्ड द्वारा अथवा इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से किया जा सकता है। विभिन्न श्रेणियों के प्रतिभागियों के लिए पंजीकरण शुल्क निम्नानुसार है जो वापस नहीं किया जायेगा। 

क. सामान्य प्रतिभागी 

i. भारतीयों के लिए 5,000 रुपये
ii. विदेशियों के लिए 100 अमरीकी डॉलर

ख. विश्वविद्यालय के छात्र 
i. भारतीयों के लिए 1,000 रुपये
ii. विदेशियों के लिए 25 अमरीकी डॉलर

ग. आमंत्रित अतिथि/वक्ता/सरकारी प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के लिए पंजीकरण निःशुल्क है; हालांकि आमंत्रित अतिथि/वक्ता/सरकारी प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के लिए भी ऑनलाइन पंजीकरण कराना अनिवार्य है।


मंगलवार, 1 सितंबर 2015

ट्विटर में बढ़ेगी महिलाओं की भागीदारी


सोशल मीडिया पर महिलाओं की सक्रियता और भागीदारी किसी से छुपी नहीं है। पर अब यह भागीदारी नौकरी के स्तर पर भी दिखेगी।  माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर ने घोषणा की है कि वह लैंगिक अंतर को कम करने के लिए विभिन्न स्तरों पर अधिक महिलाओं को नौकरी देगा। एक ट्विटर ब्लॉग पर विविधता लक्ष्यों की सूची को साझा करते हुए ट्विटर नें साल 2016 में जनता के लिए अपने विविधता लक्ष्यों को तय करने के बाद यह ऐलान किया।

इस सूची के अनुसार पूरी विस्तृत श्रेणी में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को 35 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा। ट्विटर के वर्तमान में विश्व स्तर पर 4,100 कर्मचारी हैं और उसकी तकनीकी नौकरियों में महिलाओं को रख कर इसे 16 प्रतिशत बढ़ाने की योजना है।

ट्विटर की विविधता और समावेश की उपाध्यक्ष जेनेट वॉन ह्युसे ने लिखा कि इस बात को परिभाषित करना जरूरी है कि इन बदलावों से अगले एक साल में क्या परिणाम आएगा। हम कंपनी के विभिन्न स्तरों पर आंतरिक विविधता लक्ष्यों की दिशा में काम कर रहे हैं और इस बात को बताते हुए मुझे खुशी हो रही है कि हम कंपनी के व्यापक विविधता लक्ष्यों को स्थापित कर रहे हैं और हम उन्हें सार्वजनिक रूप से साझा कर रहे हैं। जेनेट ने कहा कि इसीलिए यह नए लक्ष्य पूरी कंपनी में महिलाओं तथा अल्पसंख्यकों के समग्र प्रतिनिधित्व को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।