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मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

साहित्यकार व ब्लॉगर आकांक्षा यादव "स्त्री अस्मिता सम्मान-2019" से सम्मानित

हिंदी साहित्य और लेखन के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए युवा साहित्यकार व ब्लॉगर आकांक्षा यादव को "रेयान स्त्री अस्मिता सम्मान-2019" से  सम्मानित किया गया। कैफ़ी आज़मी एकेडमी, लखनऊ में रेयान मंच एवं देव एक्सेल फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आकांक्षा यादव को उक्त सम्मान आई.ए. एस. डॉ. हरिओम, लखनऊ परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव, डॉ. मालविका हरिओम, कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. अनीता श्रीवास्तव एवं अनीता राज ने 12 अप्रैल, 2019 को प्रदान किया। 
सामाजिक और साहित्यिक विषयों के साथ-साथ नारी-सशक्तिकरण पर प्रभावी लेखन करने वाली आकांक्षा यादव  की  तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।  प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लेखन के साथ वे ब्लॉग और सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपनी रचनाधर्मिता को प्रस्फुटित करते हुये व्यापक पहचान बना चुकी  हैं। भारत के अलावा जर्मनी, श्रीलंका और नेपाल इत्यादि देशों में भी सम्मानित हो चुकी हैं। आकांक्षा यादव लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ  कृष्ण कुमार यादव की पत्नी हैं, जो कि स्वयं चर्चित साहित्यकार और ब्लॉगर हैं।
कार्यक्रम के आरम्भ में अतिथियों ने दीप-प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी की गई, जिसने सबका मन मोह लिया। 




मंचासीन अतिथियों आई.ए. एस. डॉ. हरिओम, लखनऊ परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव और गायिका  डॉ. मालविका हरिओम को स्मृति चिन्ह देकर और शाल ओढ़ाकर कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. अनीता श्रीवास्तव एवं अनीता राज ने सम्मानित  किया। 
दूसरे सत्र में बारह महिलाओं को रेयान स्त्री अस्मिता सम्मान-2019 सम्मान दिया गया। अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाली महिलाओं में आकांक्षा यादव के अलावा  सरोज सिंह, माला चौबे, सीमा अग्रवाल, शशि सिंह, मधु सुभाष, विजय पुण्यम, ओम सिंह, वर्षा श्रीवास्तव, रूबी राज सिंह, अंतरा श्रीवास्तव, रोली शंकर और गृहिणी सम्मान कीर्ति अवस्थी को दिया गया। डॉ. अनीता श्रीवास्तव ने बताया कि समाज में अपने दम पर अलग मुकाम बनाने वाली व दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बनने वाली 12 महिलाओं को प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाता है। 




इससे पूर्व भी उत्कृष्ट साहित्य लेखन हेतु आकांक्षा  यादव को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पचास से अधिक सम्मानों से विभूषित किया जा चुका है। इनमें उ.प्र. के मुख्यमंत्री  द्वारा ’’अवध सम्मान’’,  विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डॉ. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती ज्योति‘‘, ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगर दम्पति’’ सम्मान, अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, काठमांडू में ’’परिकल्पना ब्लाग विभूषण’’ सम्मान,  अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन, श्री लंका में ’’परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान’’,  ‘‘एस.एम.एस.‘‘ कविता पर प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कार, निराला स्मृति संस्थान, रायबरेली द्वारा ‘‘मनोहरा देवी सम्मान‘‘, साहित्य भूषण सम्मान, भाषा भारती रत्न, राष्ट्रीय भाषा रत्न सम्मान, साहित्य गौरव इत्यादि शामिल हैं।












रविवार, 24 मार्च 2019

शब्दों में भावों की आकांक्षा : कलम और कला के अंतर्गत दैनिक जागरण में चर्चा

मैं मांस, मज्जा का पिंड नहीं
दुर्गा, लक्ष्मी और भवानी हूँ 
 भावों से पुंज से रची
 नित्य रचती सृजन कहानी हूँ ..
कॉलेज में प्रवक्ता और फिर साहित्य, लेखन और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में प्रवृत्त आकांक्षा यादव बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। नारी, बाल विमर्श और सामाजिक मुद्दों से सम्बंधित विषयों पर प्रमुखता से लेखन और साहित्य की विभिन्न विधाओं में उनकी रचनाओं का फलक उनके भावों और विचारों के वैविध्य का परिचायक है।  
जीवन में शुरू से ही कुछ अलग करने  की ख्वाहिश रखने वाली आकांक्षा यादव ने इसके लिए अपनी कलम को चुना। देश-विदेश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट पर वेब पत्रिकाओं व ब्लॉग पर निरंतर प्रकाशित होने वाली आकांक्षा यादव की विभिन्न विधाओं में अब तक तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं- 'आधी आबादी के सरोकार' (2016), 'चाँद पर पानी' (बाल-गीत संग्रह-2012) एवं 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (संपादित, 2007), तो सोशल मीडिया पर एक पुस्तक प्रकाशनाधीन है । 60 से अधिक पुस्तकों/संकलनों  में रचनाएँ प्रकाशित होने के साथ-साथ आकाशवाणी से भी रचनाएँ, वार्ता आदि का  प्रसारण होता रहता है। 

ब्लॉग लेखन में सक्रिय :
स्त्री चेतना, समानता, न्याय और सामाजिक सरोकारों से जुड़ीं आकांक्षा यादव अग्रणी ब्लॉगर भी हैं। नवम्बर 2008 से हिंदी ब्लॉगिंग में सक्रिय हैं। व्यक्तिगत रूप से ‘शब्द-शिखर’ और युगल रूप में ‘बाल-दुनिया’, ‘सप्तरंगी प्रेम’ व ‘उत्सव के रंग’ ब्लॉगों का संचालन इनके द्वारा किया जाता है। जर्मनी के बॉन शहर में ग्लोबल मीडिया फोरम (2015) के दौरान 'पीपुल्स चॉइस अवॉर्ड' श्रेणी में  इनके ब्लॉग 'शब्द-शिखर' (http://shabdshikhar.blogspot.com) को हिंदी के सबसे लोकप्रिय ब्लॉग के रूप में भी सम्मानित किया जा चुका है। ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगर दंपती’’ सम्मान के अलावा  अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, काठमांडू में ’’परिकल्पना ब्लाग विभूषण’’ सम्मान और  अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन, श्री लंका में ’’परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान’’ से सम्मानित हो चुकी  हैं। 


प्रतिभा का सम्मान :
विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक, साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और सतत् साहित्य सृजनशीलता के लिए आकांक्षा यादव को पचास से अधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं। इनमें उ.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा ’’अवध सम्मान’’, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘’डॉ. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘‘, ‘‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘‘ व ’’भगवान बुद्ध राष्ट्रीय फेलोशिप अवार्ड’’, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ‘‘भारती ज्योति‘‘, ‘‘एस.एम.एस.‘‘ कविता पर प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कार, निराला स्मृति संस्थान, रायबरेली द्वारा ‘‘मनोहरा देवी सम्मान‘‘, मौन तीर्थ सेवा फाउंडेशन, उज्जैन द्वारा "मानसश्री सम्मान", साहित्य भूषण सम्मान, भाषा भारती रत्न, राष्ट्रीय भाषा रत्न सम्मान, साहित्य गौरव सहित तमाम  सम्मान शामिल हैं।

लेखनी से कुप्रथाओं पर चोट :
आकांक्षा यादव की सृजनधर्मिता सिर्फ पन्नों तक सीमित  नहीं है, बल्कि इसने लोगों के जीवन को भी छुआ है। लेखनी से कुप्रथाओं पर चोट के साथ नए विचार भी दिए। बिना लाग-लपेट के सुलभ भाव-भंगिमा सहित जीवन के कठोर सत्य उभरें, यही इनकी  लेखनी की विशिष्टता है। 

लखनऊ का अहम स्थान :
वह कहती हैं, लखनऊ का मेरी जिंदगी में अहम स्थान है। नवंबर 2004 में शादी के बाद लखनऊ आना हुआ।  पति कृष्ण कुमार यादव लखनऊ में ही डाक विभाग में कार्यरत थे। लिखने-पढ़ने का शौक तो पहले से ही था, पर बात कभी डायरी के पन्नों से आगे नहीं बढ़ी। संयोगवश, पति कृष्ण कुमार अच्छे साहित्यकार भी हैं, ऐसे में जोड़ी अच्छी जमी। लखनऊ तो शुरू से ही साहित्य और संस्कृति का केंद्र रहा है, ऐसे में यहाँ का प्रभाव पड़ना लाजिमी भी था। लखनऊ में रहते हुए ही मेरी आरम्भिक कविताएँ दैनिक जागरण, कादम्बिनी, गृह शोभा इत्यादि में प्रकाशित हुईं और फिर तो ये सिलसिला बढ़ता गया। 

भावों और विचारों का वैविध्य, विभिन्न विधाओं में लेखन के साथ अग्रणी ब्लॉगर भी 
शब्दों में भावों की आकांक्षा 

("कलम और कला" के अंतर्गत प्रतिष्ठित अख़बार 'दैनिक जागरण', 9 मार्च 2019  में चर्चा)