सेलुलर जेल में अंग्रेजी शासन ने देशभक्त क्रांतिकारियों को प्रताड़ित करने का कोई उपाय न छोड़ा. यातना भरा काम और पूरा न करने पर कठोर दंड दिया जाता था. पशुतुल्य भोजन व्यवस्था, जंग या काई लगे टूटे-फूटे लोहे के बर्तनों में गन्दा भोजन, जिसमें कीड़े-मकोड़े होते, पीने के लिए बस दिन भर दो डिब्बा गन्दा पानी, पेशाब-शौच तक पर बंदिशें कि एक बर्तन से ज्यादा नहीं हो सकती. ऐसे में किन परिस्थितियों में इन देश-भक्त क्रांतिकारियों ने यातनाएं सहकर आजादी की अलख जगाई, वह सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
![](//4.bp.blogspot.com/_KOWXNS-gPCM/S3aus_fA3YI/AAAAAAAAAVc/tgSVGQyghxU/s400/DSC00902.JPG)
![](//4.bp.blogspot.com/_KOWXNS-gPCM/S3av_xQATvI/AAAAAAAAAV8/lJAhMjJ5Lxo/s400/DSC00920.JPG)
कोल्हू (घानी) जिससे सेलुलर जेल में बंदियों को प्रतिदिन बैल की भाँति घूम-घूम कर 20 पौंड नारियल का तेल निकलना पड़ता था.
![](//1.bp.blogspot.com/_KOWXNS-gPCM/S3auHd1TM3I/AAAAAAAAAVM/tY_HVudqTxA/s400/DSC00900.JPG)
इसके अलावा प्रतिदिन 30 पौंड नारियल की जटा कूटने का भी कार्य करना होता.
![](//1.bp.blogspot.com/_KOWXNS-gPCM/S3auZ4nRcSI/AAAAAAAAAVU/r_3zsIHpMaA/s400/DSC00901.JPG)
काम पूरा न होने पर बेंतों की मार पड़ती और टाट का घुटन्ना और बनियान पहनने को दिए जाते, जिससे पूरा बदन रगड़ खाकर और भी चोटिल हो जाता.
![](//2.bp.blogspot.com/_KOWXNS-gPCM/S3au_PSd17I/AAAAAAAAAVk/EQWb3Tngjhw/s400/DSC00909.JPG)
काम पूरा न होने पर या अंग्रेजों की जबरदस्ती नाराजगी पर नंगे बदन पर कोड़े बरसाए जाते.
![](//4.bp.blogspot.com/_KOWXNS-gPCM/S3axEwcsoJI/AAAAAAAAAWE/o-5RpIs4ARA/s400/DSC00963.JPG)
मूल स्थान जहाँ पर नंगे बदन पर कोड़े बरसाए जाते.
![](//1.bp.blogspot.com/_KOWXNS-gPCM/S3avo8o1FJI/AAAAAAAAAV0/IJuEU5CYbOo/s400/DSC00919.JPG)
फांसी से पहले अंतिम धार्मिक क्रिया का स्थान.
![](//4.bp.blogspot.com/_KOWXNS-gPCM/S3avSvEpDMI/AAAAAAAAAVs/uIqTRHLSdtE/s400/DSC00916.JPG)
फांसी-घर का दृश्य. जब भी किसी को फांसी दी जाती तो क्रांतिकारी बंदियों में दहशत पैदा करने के लिए तीसरी मंजिल पर बने गुम्बद से घंटा बजाया जाता, जिसकी आवाज़ 8 मील की परिधि तक सुनाई देती थी. भय पैदा करने के लिए क्रांतिकारी बंदियों को फांसी के लिए ले जाते हुए व्यक्ति को और फांसी पर लटकते देखने के लिए विवश किया जाता था. वीर सावरकर को तो जान-बूझकर फांसी-घर के सामने वाले कमरे में ही रखा गया था.फांसी के बाद मृत शरीर को समुद्र में फेंक दिया जाता था.
![](//2.bp.blogspot.com/_KOWXNS-gPCM/S3axe3AeelI/AAAAAAAAAWM/qIDEqqrcYAY/s400/DSC00964.JPG)
किंवदन्ती है कि आज भी बलिदानियों की आत्माएं सेलुलर जेल में स्थित पीपल के पेड़ पर निवास करती हैं. पीपल के पेड़ के ठीक सामने ही यह लौ उनकी चिर स्मृति में प्रज्वलित है.