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शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

निर्भया का कातिल अभी जिन्दा है

निर्भया को 3 साल बाद भी इंसाफ नहीं मिला । कानून की आड़ में नाबालिग बलात्कारी जेल से रिहा हो गया । मोमबत्तियां जलती रहीं, बयानबाजी होती रही, न्यायिक सक्रियता से लेकर मन की बात होती रही, बेटी बचाओ जैसे जुमले हवा में तैरते रहे....पर सब मिलकर भी एक बलात्कारी को जेल के अंदर नहीं रख सके। और जब तक संसद ने कानून पास किया, तब तक काफी देर हो चुकी थी। ....निर्भया की माँ ने बहुत सही कहा कि जब बलात्कार करने वाला यह नहीं देखता कि सामने 5 साल की बच्ची है या 65 साल की बूढ़ी औरत...तो फिर कानून रेप करने वाले की उम्र क्यों देखता है ?


इसी बात पर पतिदेव कृष्ण कुमार जी के फेसबुक वाल से भी कुछेक प्रासंगिक बातें -

सहिष्णुता-असहिष्णुता के नाम पर सैकड़ों सम्मान लौटा दिए गए, पर एक बिटिया निर्भया का गुनहगार छूट गया, किसी ने सरकारी सम्मान लौटाने की जहमत नहीं जुटाई। आख़िर कैसी संवेदनशीलता है यह।

सहमी सी हैं तितलियां सभी 
खौफ में हर परिन्दा है
नकाब इन्सां का चेहरे पे 
यहां हर शख्स दरिन्दा है
निर्भया माफ कर देना 
कि हम बहुत शर्मिन्दा हैं
बेटियों घर से जरा 
संभलकर निकलना 
कि अभी निर्भया का 
कातिल जिन्दा है !!

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

फेसबुक के CEO मार्क जुकरबर्ग बेटी के जन्म की ख़ुशी में दान करेंगे अपने 99% शेयर्स

बेटियाँ अपने यहाँ लक्ष्मी का रूप मानी जाती हैं।  अपने देश भारत में यह बात भले ही लोगों को किताबी लगती हो पर दुनिया की सबसे मशहूर  सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के को-फाउंडर और सीईओ मार्क जुकरबर्ग इसे पूरी तरह मानते और पालन करते हैं।  तभी तो अपनी बेटी मैक्स के जन्म लेने की खुशी में उन्होंने  बड़ी चैरिटी का एलान किया है । यानी फेसबुक में अपने और पत्नी प्रिसिला चान के नाम जितने शेयर हैं, उसका 99 फीसदी हिस्सा आने वाले वर्षों में वे डोनेट करेंगे।

जुकरबर्ग अपनी बेटी के लिए दुनिया को बेहतर जगह बनाने के मकसद से शेयर डोनेट करना चाहते हैं। इस चैरिटी का नाम होगा चान-जुकरबर्ग इनिशिएटिव। जुकरबर्ग ने यह एलान अपने फेसबुक पेज पर किया। इस मैसेज को अब तक 3.60 लाख से ज्यादा लाइक मिल चुके हैं। बता दें कि जुकरबर्ग ने पहले ही ‘गिविंग प्लेज’ साइन किया था। ‘गिविंग प्लेज’ यानी दुनिया के अमीर लोगों की वह प्रतिबद्धता जिसके तहत वे अपनी आधी से ज्यादा दौलत दान करेंगे।
वर्तमान में  फेसबुक की कुल पूंजी 303 अरब डॉलर यानी 19 लाख करोड़ रुपए है। इनमें से जुकरबर्ग के पास 54 फीसदी शेयर हैं। इन 54 फीसदी में से 99 फीसदी शेयर अर्थात 45 अरब डॉलर यानि 2.85 लाख करोड़ रूपये वे डोनेट करने वाले हैं। गौरतलब है कि यह रकम  नेपाल, अफगानिस्तान और साइप्रस जैसे देशों की जीडीपी का दोगुना है।  तीनों देशों की जीडीपी 20 अरब डॉलर के आसपास है। जुकरबर्ग अपने शेयरों का उतना हिस्सा डोनेट करेंगे, जितना दुनिया के 106 देशों की जीडीपी भी नहीं है। आईएमएफ वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के 106 देशों की जीडीपी 45 अरब डॉलर से कम है।

फेसबुक के मार्क जकरबर्ग अपनी इस अनूठी पहल से  दुनिया के सबसे कम उम्र के दानदाता बन गए हैं। वे मात्र 31 साल के हैं। उनसे पहले बर्कशायर हैथवे के वॉरेन बफेट ने 2006 में गेट्स फाउंडेशन को 31 अरब डॉलर का डोनेशन देने का फैसला किया था। तब बफेट 76 साल के थे। इसी प्रकार माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स ने 2000 में जब बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की शुरुआत की थी, तब उनकी उम्र 45 साल थी।



फेसबुक में ऐसा नियम है कि यहां काम करने वाला कोई भी अमेरिकी कर्मचारी मैटरनिटी और पैटरनिटी के लिए चार महीने का अवकाश ले सकता है। पत्नी प्रिसिला के गर्भवती होने के बाद जुकरबर्ग ने भी दो महीने की छुट्टी लेने का फैसला किया था। हालांकि, कंपनी के नियम के मुताबिक, वे चार महीने की छुट्टी भी ले सकते थे।

फ़िलहाल, अपनी बेटी के जन्म की जानकारी  जुकरबर्ग ने वाइफ प्रिसिला और बेटी मैक्स के साथ फेसबुक पर फोटो शेयर करके की। उन्होंने बेटी के नाम एक प्यारा सा पत्र भी लिखा। उसका हिंदी रूपांतरण कुछ यूँ होगा -


डियर मैक्स,
तुम्हारी मां और मेरे पास यह बताने के लिए लफ्ज नहीं हैं कि तुमने हमारे फ्यूचर के लिए कितनी उम्मीदें दे दी हैं। तुम्हारी नई जिंदगी वादों से भरी है। हमें उम्मीद है कि तुम खुश रहोगी, सेहतमंद रहोगी, ताकि दुनिया को पूरी तरह एक्सप्लोर कर सकोगी। तुमने हमें दुनिया को उम्मीद के साथ देखने की एक वजह दे दी है।

सभी पेरेंट्स की तरह हम भी चाहते हैं कि तुम हमसे ज्यादा बेहतर तरीके से जिंदगी बिताओ। सुर्खियां भले ही ये बताती हों कि क्या-कुछ गलत हो रहा है, लेकिन दुनिया बेहतर होती जा रही है। हेल्थ सुधर रही है। गरीबी कम हो रही है। नॉलेज बढ़ रहा है। लोग आपस में जुड़ रहे हैं। हर फील्ड में हो रही टेक्नोलॉजी की प्रोग्रेस यह बताती है कि तुम्हारी जिंदगी आज की हमारी जिंदगी से कहीं बेहतर होगी।

हम इसके लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे। और यह सिर्फ इसलिए नहीं होगा कि हम तुम्हें प्यार करते हैं, बल्कि यह इसलिए हाेगा, क्योंकि अगली जनरेशन के सभी बच्चों की मॉरल रिस्पॉन्सिबिलिटी हम पर है।

हम मानते हैं कि सभी की जिंदगी एक जैसी है। हमारी सोसाइटी की जिम्मेदारी है कि वह सिर्फ अभी जी रहे लोगों के लिए नहीं, बल्कि इस दुनिया में आने वाले लोगों की जिंदगी सुधारने के लिए इन्वेस्ट करे।
- मार्क
-आकांक्षा यादव @ शब्द-शिखर 
Akanksha Yadav@ http://shabdshikhar.blogspot.in/