आपका समर्थन, हमारी शक्ति

बुधवार, 17 फ़रवरी 2010

प्रकृति प्रेमियों का स्‍वर्ग : अंडमान-निकोबार

फ़िलहाल अंडमान-निकोबार में हूँ, सो यहाँ की बहुत सी चीजें समझने की कोशिश भी कर रही हूँ. अंडमान निकोबार द्वीप प्रकृति प्रेमियों का स्‍वर्ग और गार्डन ऑफ इडन कहा जाता है। यहां का स्‍वच्‍छ परिवेश, सड़कें, हरियाली और प्रदूषण रहित ताजी हवा सभी प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर अकार्षित करते हैं। यहाँ स्थित कुल 572 दीपों में मात्र 38 पर जन-जीवन है और उनमें भी बमुश्किल आप लगभग 15 दीपों की सैर कर सकते हैं.

8,249 वर्ग कि.मी. में फैले अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को पारिस्थितिकी के अनुकूल पर्यटक क्षेत्र के रूप में मान्‍यता दी गई हैं। इन द्वीपों के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 7,171 वर्ग किलोमीटर भाग वनों से ढका हुआ है। इन द्वीपों पर लगभग सभी प्रकार के वन जैसे उष्‍णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वन, उष्‍णकटिबंधीय अर्द्ध सदाबहार वन, आर्द्र पर्णपाती, गिरि शिखर पर होने वाले तथा तटवर्ती और दलदली बन पाए जाते हैं। अंडमान निकोबार में विभिन्‍न प्रकार की लकडियां पाई जाती हैं। सबसे बहुमूल्‍य लकडियां पाडोक तथा गरजन की हैं। ये निकोबार में नहीं मिलतीं। यहाँ उष्‍ण कटिबंधीय सदाबहार वर्षा वन, रजताभ बालू-तट, मैन्‍ग्रोव की घुमावदार पंक्तियां, संकरी खाडियां, पादपों, प्राणियों, प्रवालों आदि की दुर्लभ जातियों से भरपूर समुद्री जीवन पर्यटकों के लिए स्‍वर्ग हैं। इन द्वीपों में 96 वन्‍यजीव अभयारण्‍य, नौ राष्‍ट्रीय पार्क तथा एक जैव संरक्षित क्षेत्र (बायोरिजर्व) हैं।

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की 1912 किमी की लंबी तटरेखा पर मात्स्यिकी के विकास के लिए बहुत संभावना हैं। इसका 6 लाख वर्ग किमी का अनन्‍य आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) है जो भारत के कुल अनन्‍य आर्थित क्षेत्र का 30 हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के समुद्र में मछलियों की 1100 से अधिक जातियों की पहचान की गई है जिनमें से अभी लगभग 30 जातियों का ही वाणिज्यिक उपयोग किया जा रहा है। इस द्वीप के वनों में रहने वाले मूल अधिवासी अभी भी शिकार और मछली पकड़ने का कार्य करते हैं। इनकी चार नेग्रीटो जनजातियां हैं, जो हैं ग्रेट अंडमानी, ओंज, जरावा और सेंटीनेलेस जो द्वीप समूहों के अंडमान समूह में पाई जाती हैं तथा दो मंगोली जनजातियां अर्थात निकोबारी और शाम्‍पेन्‍स द्वीप के निकोबार समूह में पाई जाती हैं।

अंडमान द्वीप समूह की मुख्‍य खाद्य फसल धान है और निकोबार द्वीप समूह की मुख्‍य नकदी फ़सलें नारियल तथा सुपारी हैं। यहां के किसान पहाडी जमीन पर भिन्‍न-भिन्‍न प्रकार के फल, जैसे आम, सेपोटा, संतरा, केला, पपीता, अनन्‍नास और कंदमूल आदि उगाते हैं। यहां बहुफसल व्‍यवस्‍था के अंतर्गत मसाले, जैसे - मिर्च, लौंग, जायफल तथा दालचीनी आदि भी उगाए जाते हैं। इन द्वीपों में रबड, रेड आयल, ताड़ तथा काजू आदि भी थोडी-बहुत मात्रा में उगाए जाते हैं।

वाकई प्रकृति का सबसे अधिक कीमती उपहार माना जाने वाला अंडमान और निकोबार द्वीप जीवन भर याद रहने वाला अवकाश अनुभव है। तभी तो कीट्स ने यहाँ के लिए लिखा था कि-''यहाँ का संगमरमरी सफेद तट अपने किनारों पर पाम वृक्षों के साथ अचल खड़ा रहकर समुद्र की ताल पर नृत्‍य करता है। जनजातीय तबलों की ताल पर यहाँ की वीरानी और रंग- बिरंगी मछलियां साफ स्‍वच्‍छ चमकीले पानी में अपने रास्‍ते चलती हैं।''

21 टिप्‍पणियां:

Bhanwar Singh ने कहा…

अंडमान-निकोबार के बारे में सुन्दर जानकारी..आभार.

Shyama ने कहा…

लगता है आप हमें अंडमान घुमा कर ही रहेंगीं .

Unknown ने कहा…

वाह, अतिसुन्दर..दर्शनीय स्थल.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

आप तो अंडमान जाकर रम ही गई हैं. कभी सेलुलर जेल, कभी बीच तो कभी ये खूबसूरत नज़ारे. अब तो आप के भाग्य से ईर्ष्या भी होने लगी है.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

आप तो अंडमान जाकर रम ही गई हैं. कभी सेलुलर जेल, कभी बीच तो कभी ये खूबसूरत नज़ारे. अब तो आप के भाग्य से ईर्ष्या भी होने लगी है.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सुंदर, आपकी लेखनी और सुंदर चित्रों के सहारे हम भी वहां की सैर कर रहे हैं. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह, अतिसुन्दर..दर्शनीय स्थल

बेनामी ने कहा…

Andman ki gatha khub kahi, ab to ham bhi sair par ayengen. Hamare liye bhi kuchh prabandh kar dijiyega, Apki Husband to bade Adhikari hain wahan.

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

andman per likha aapka aalekh prkriti premiyon ko bahut achcha lagega thanks/

Udan Tashtari ने कहा…

अंडमान-निकोबार के बारे में जानकारियाँ ले लेकर वहाँ घूमने की इच्छा बलवति होती जा रही है.

Urmi ने कहा…

बहुत ही सुन्दरता से आपने विस्तारित रूप से अंडमान-निकोबार के बारे में लिखा है! मैं वहां घूमने अवश्य जाउंगी !

Dev ने कहा…

बहुत बढ़िया जानकारी दिया है आपने वाहाँ के बारें में ...बहुत अच्छी तस्वीर

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Wonderful Place...superb !!

मन-मयूर ने कहा…

अंडमान का नाम सुना था, आपके माध्यम से बहुत कुछ जाना भी. कला-पानी से परे भी अंडमान की अपनी महत्ता है, जानकर सुखद आश्चर्य हुआ.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

रमणीय स्थल. तभी तो अंग्रेजों ने इस जगह को चुना पर दुर्भाग्य से आज भी अंडमान कला-पानी के लिए ही जाना जाता है.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

रमणीय स्थल. तभी तो अंग्रेजों ने इस जगह को चुना पर दुर्भाग्य से आज भी अंडमान कला-पानी के लिए ही जाना जाता है.

Shahroz ने कहा…

वाकई प्रकृति का सबसे अधिक कीमती उपहार माना जाने वाला अंडमान और निकोबार द्वीप जीवन भर याद रहने वाला अवकाश अनुभव है...Nice Thoughts..Beautiful Place..Wonderful Pictures !!

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

सुन्दर जगह..बढ़िया लिखा अंडमान-निकोबार के बारे में.

S R Bharti ने कहा…

तभी तो कीट्स ने यहाँ के लिए लिखा था कि-''यहाँ का संगमरमरी सफेद तट अपने किनारों पर पाम वृक्षों के साथ अचल खड़ा रहकर समुद्र की ताल पर नृत्‍य करता है। जनजातीय तबलों की ताल पर यहाँ की वीरानी और रंग- बिरंगी मछलियां साफ स्‍वच्‍छ चमकीले पानी में अपने रास्‍ते चलती हैं।'' ...कवि की कल्पना से अंडमान भी नहीं बच पाया..उम्दा पोस्ट.

Akanksha Yadav ने कहा…

चलिए इसी बहाने अंडमान आप सभी को पसंद तो आया. आप सभी की टिप्पणियों के लिए आभार ..यूँ ही अपना सहयोग व स्नेह बनाये रहें !!

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

बहुत दिन से मन में अभिलाषा थी वहाँ जाने की ,आपकी पोस्ट नें यह इच्छा और बलवती कर दी ,बढियां लगी पोस्ट.