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शुक्रवार, 5 जून 2009

पृथ्वी हो रही विकल (विश्व पर्यावरण दिवस पर)















खत्म होती वृक्षों की दुनिया
पक्षी कहाँ पर वास करें
किससे अपना दुखड़ा रोयें
किससे वो सवाल करें

कंक्रीटों की इस दुनिया में
तपिश सहना भी हुआ मुश्किल
मानवता के अस्थि-पंजर टूटे
पृथ्वी नित् हो रही विकल

सिर्फ पर्यावरण के नारों से
धरती पर होता चहुँ ओर शोर
कैसे बचे धरती का जीवन
नहीं सोचता कोई इसकी ओर।

27 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

किसी एक के सोचने से क्या होगा/

राज भाटिय़ा ने कहा…

काश यह सोच हम सब की होती,बहुत सुंदर कविता.
धन्यवाद

श्यामल सुमन ने कहा…

बहुत खूब आकांक्षा जी।

सबका जीवन वृक्ष से ऐसा कहते संत।
वृक्ष कटे हम भी मिटे मानवता का अंत।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…
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www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

Bahut sundar kavita....apki soch achhi hai.

ghughutibasuti ने कहा…

जब बहुत से लोग ऐसा सोचने लगेगें तब ही कुछ हो पाएगा।
सुन्दर कविता है।
घुघूती बासूती

बेनामी ने कहा…

कम शब्दों में बड़ी बात....हर किसी का प्रयास ही अंतत: रंग लायेगा.

बेनामी ने कहा…

कम शब्दों में बड़ी बात....हर किसी का प्रयास ही अंतत: रंग लायेगा.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

बहुत खूब...विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधा लगाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखें.

Unknown ने कहा…

Nice Poem on World Environment Day with beautiful Picture.

समयचक्र ने कहा…

बहुत बेहद अच्छी रचना धन्यवाद.

पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प लें

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

पर्यावरण संरक्षण को प्रेरित करना आज की जरुरत है.अन्यथा मानव-जीवन खतरे में पड़ जायेगा.आपकी कविता समयानुकूल है..बधाई !!

Amit Kumar Yadav ने कहा…

खुले स्थानों पर गन्दगी फैलाना,कचरा डालना और जलाना,प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग करना,भूमिगत जल को गन्दा करना आदि अनेक ऐसे कार्य है जिन पर हम स्वत रोक लगा सकते है!लेकिन हम. ऐसा ना करके सरकार के कदम का इंतजार करते है! आज हम ये छोटे किंतु महत्त्व पूरण कदम उठा कर पर्यावरण सरंक्षण में अपना अमूल्य योगदान दे सकते है !!
_______________________________
....यही है युवा का सन्देश. आप भी शरीक हों !!

बेनामी ने कहा…

सिर्फ पर्यावरण के नारों से
धरती पर होता चहुँ ओर शोर
कैसे बचे धरती का जीवन
नहीं सोचता कोई इसकी ओर।
_____________________________
वर्तमान दौर में पर्यावरण के नाम पर हो रहे मजाक को उकेरती बेहद सहज पंक्तियाँ....आपकी लेखनी को दाद देता हूँ.

बेनामी ने कहा…
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बेनामी ने कहा…

पर्यावरण को बचाने और लोगों को जागरूक करने की ओर मैं भी जुडा हुआ हैं. आपके ब्लॉग पर इस सम्बन्ध में इतनी लाजवाब पोस्ट देखकर टिपण्णी करने से रोक नहीं पाया....बहुत-बहुत आभार आपके इस सदप्रयास के लिए.

शरद कुमार ने कहा…

Save environment by Plantation..Its Right Message.

उम्मीद ने कहा…

bhut achchha likah hai apne
aj kal koi hamari basundhra ki or sochta hi nahi

मन-मयूर ने कहा…
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मन-मयूर ने कहा…

आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ. आकांक्षा यादव जी की लेखनी प्रभावित करती है....

KK Yadav ने कहा…

आज जरुरत है कि भारत समेत पूरे विश्व को एक पवित्र अभियान से जोड़ते हुए न सिर्फ वृक्षारोपण की तरफ अग्रसर होना चाहिए बल्कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की दिशा में भी प्रभावी कदम उठाने होंगे। तो आइये हम संकल्प लें कि इस दिन हम एक वृक्ष अवश्य लगायेंगे, न सिर्फ लगायेंगे बल्कि इसके फलने-फूलने की जिम्मेदारियों का भी निर्वाह करेंगे।....तभी पृथ्वी विकल होने से बचेगी.

Shyama ने कहा…

कविता के माध्यम से आपने सही बात कही. दुर्भाग्यवश आजकल पर्यावरण कि रक्षा और वृक्षारोपण के नाम पर तमाम NGO और सरकारी विभाग अपनी जेबें भर रहे हैं. उन्हें शायद एहसास नहीं कि जीवन ही नहीं रहेगा तो इस करतूत का क्या करेंगे. आपकी अन्य रचनाएँ पढना चाहूँगा.

Unknown ने कहा…

पर्यावरण और उससे जुड़े मुद्दों के प्रति आम धारणा बदलने में साहित्यकार/समाजसेवी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आप कविताओं से यूँ ही अलख जगाती रहें आकांक्षा जी....शुभकामनायें.

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

पर्यावरण का महत्व बहुत है......सिर्फ हमें ही नहीं पूरी दुनिया को.......
हम इसका महत्व इसकी उपियोगिता नहीं समझते.......
मगर ये उतना ही उपियोगी है जितना जल .......
आपने बहुत ही अच्छे से प्रेरित किया है......
बहुत ही अच्छा लगा...............
अक्षय-मन

Sajal Ehsaas ने कहा…

paryaaran ke prati ye imaandaar rachna acchhi lagi...ek chhoti koshish to zaroor kar sakte hai hum...

www.pyasasajal.blogspot.com

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

डाकिया बाबू के ब्लॉग पर पढें डाक-टिकटों (फिलेटली) की अनोखी दुनिया के बारे में. रोचक बातें, रोचक जानकारी और लिखना न भूलें अपनी रोचक टिप्पणी.
http://dakbabu.blogspot.com/

संजय भास्‍कर ने कहा…

जब बहुत से लोग ऐसा सोचने लगेगें तब ही कुछ हो पाएगा।
सुन्दर कविता है।


संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com