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बुधवार, 31 मार्च 2010

भूकम्प का पहला अनुभव

भूकम्प का नाम सुना था और खूब पढ़ा भी था, पर कल पहली बार महसूस किया. अंडमान में कल रात्रि 10:27 बजे करीब डेढ़ मिनट भूकंप के झटके महसूस हुए. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर पोर्टब्लेयर में 6.3 और मायाबंदर में 6.9 आंकी गई. जब भूकंप आया तो उस समय अधिकतर भाग में बिजली नहीं थी और लोग सोने की तैयारी में थे. अचानक हमें महसूस हुआ की बेड, ए. सी. और खिड़कियाँ जोर-जोर से हिल रही हैं, चूँकि ईधर भूत-प्रेत की बातें उतनी प्रचलित नहीं हैं, सो उधर ध्यान ही नहीं गया. फिर लगा कि घर की पेंटिंग हो रही है और पीछे मजदूर सीढ़ी लगाकर छोड़ गए हैं. उसे ही कोई हिला रहा है. उस समय बिटिया पाखी बिस्तर पर खूब कूद रही थीं, सो एक बार यह भी दिमाग में आया कि बेड इसी के चलते हिल रहा है. अगले ही क्षण जब दिमाग में आया कि यह भूकम्प हो सकता है तो हम सब बेड पर एकदम बीचों-बीच में इस तरह बैठ गए कि कोई चीज गिरे भी तो हम लोगों के ऊपर न गिरे. लगभग डेढ़ मिनट तक हम लोग भूकम्प के हिचकोले खाते रहे. शरीर के रोंगटे खड़े हो गए थे. फिर शांत हुआ तो अन्य लोगों से फोन करके कन्फर्म किया कि वाकई ये भूकम्प ही था. क्योंकि यह हम लोगों का पहला भूकम्प-अनुभव था. फ़िलहाल बात आई और गई हो गई और हम लोग सो गए.

रात को साढ़े ग्यारह-बारह के बीच हम लोगों के लैंड-लाइन और मोबाईल फोन बजने आरंभ हुए तो झटके में उठे कि क्या मुसीबत आ गई. पता चला टी.वी. पर न्यूज रोल हो रहा है कि पोर्टब्लेयर में भूकम्प के झटके, जिसकी तीव्रता लगभग 8 है. जिसने भी देखा, वो फोन करके कुशल-क्षेम पूछने लगा. लगभग आधे घंटे यह सिलसिला चला. अभी तक हम जितना नहीं डरे थे, उससे ज्यादा अब डर गए कि पढ़ा था कि वो भूकम्प जिसकी तीव्रता लगभग 8 है, वह खतरनाक होता है. हँसी भी आ रही थी कि हम लोगों ने भूकम्प को कितना नार्मल लिया. हम लोग 5 का अनुमान लगा रहे थे. खैर आज सुबह यहाँ के अख़बारों से भूकम्प की वास्तविक तीव्रता का अहसास हुआ. कई बार मीडिया भी चीजों को इतना बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है की लोग डर ही जाएँ. खैर यहाँ तो इस तरह की घटनाएँ होती रहती हैं, पर पहले भूकम्प का अनुभव अभी तक दिलो-दिमाग में कंपित हो रहा है.

28 टिप्‍पणियां:

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

याद करिए ये शायद आपका पहला अनुभव नहीं होगा.
इससे पाहिले यदि उस समय आप कानपुर में हों तो, जब लातूर में भूकंप आया था, तब कानपुर में भी झटके महसूस हुए थे. खुद हमने भी इसे बड़ी ही सहजता से महसूस किया था.
फिर भी, चलिए कोई नुकसान नहीं हुआ. शुभकामनायें सदा काम आतीं हैं...........

shama ने कहा…

Maine 3 baar mahsoos kiye hai teevr khatke, usme se ek tha Latur wala..ham Maharashtr me the aur hamare shaharse Latur paas tha..
Aapko anek shubhkamnayen!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

are haal me hi main bhi is anubhaw se gujri.......aur wakai ek alag sa ehsaas hua kyonki kuch bura nahi hua

kunwarji's ने कहा…

shukr hai parmaatma ke sab thhik hi hai....

kunwar ji,

संजय भास्‍कर ने कहा…

चलिए कोई नुकसान नहीं हुआ. शुभकामनायें सदा काम आतीं

संगीता पुरी ने कहा…

ताज्‍जुब हुआ कि डेढ मिनट तक 8 रिक्‍टर पैमने के भूकंप के हिचकोले को आपने इतने सामान्‍य ढंग से लिया .. अच्‍छा हुआ इस प्राकृतिक घटना को बिना क्षति के आपने महसूस किया .. आखिर सबकी शुभकामनाएं जो आपके साथ होती है !!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

are....re....re....aap theek to ho naa aakaankshaa ji.....rabba khair kare sabki.....!!

रंजू भाटिया ने कहा…

नुकसान नहीं हुआ कोई यही अच्छा है ..शुभकामनाएं

संजय भास्‍कर ने कहा…

Akanksha ji plz visit

http://yuvatimes.blogspot.com/2010/03/blog-post_30.html

Urmi ने कहा…

आप सब सही सलामत है भगवान की दुआ से और किसीको नुकसान नहीं हुआ यही बहुत बड़ी बात है! अपना ख्याल रखियेगा! शुभकामनायें!

ghughutibasuti ने कहा…

आपकी बात आश्चर्य में डालने वाली है। केवल खाट हिल रही है, वाली बात तब ही होती है जब भूकम्प हल्का हो और उसका केन्द्र बहुत दूर हो।
घुघूती बासूती

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

यह रोंगटे खड़ा कर देने वाली घटना है, वहाँ सब कुशल है -प्रभु को कोटिशः धन्यवाद.

मनोज कुमार ने कहा…

नुकसान नहीं हुआ कोई यही अच्छा है ..शुभकामनाएं!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

कुशलता की कामना करते हुए!
आपको बधाई!

राज भाटिय़ा ने कहा…

8 रिक्‍टर तो हमारे मीडिया वालो ने कर दिया, शायद कम ही होंगे अगर 8 रिक्‍टर होता तो.... सुनामी जेसी तबाही हो सकती थी, डरे नही हम ने इस से बडे बडे खतरे भी देखे लेकिन आखरी दम तक बचने का उपाय सोचते रहे ओर आज तक जिन्दा ओर सही सलामत है,वेसे बाहर खुले मै जाना चाहिये था आप को ... आप को ओर पाखि बिटिया को शुभकामनयें

Udan Tashtari ने कहा…

प्रभु का लाख धन्यवाद..सब कुशल मंगल रहा.

हम जबलपुर वाला मासिव भूकम्प झेल चुके हैं. अंदाजा है कि क्या हालत होती है.

Prem Farukhabadi ने कहा…

शुभकामनायें सदा काम आतीं!!

Akanksha Yadav ने कहा…

बहुत-बहुत धन्यवाद. आप सभी की शुभकामनायें और स्नेह यूँ ही बना रहे.

KK Yadav ने कहा…

हमारा भी हाल कुछ ऐसा ही है.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

ईश्वर का शुक्र है आप सभी कुशल हैं.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

ईश्वर का शुक्र है आप सभी कुशल हैं.

Bhanwar Singh ने कहा…

हमने भी अख़बार में पढ़ा था. अंत भला तो सब भला.

raghav ने कहा…

हमने तो आज तक अनुभव नहीं किया. पर आपकी पोस्ट पढ़कर महसूस कर सकते हैं. आप लोग बढ़िया हैं, यही शुभ है.

Shahroz ने कहा…

मुझे तो भूकंप का नाम सुनकर ही डर पैदा हो जाता है..

Shahroz ने कहा…

चलिए कोई नुकसान नहीं हुआ. शुभकामनायें सदा काम आतीं हैं...........

S R Bharti ने कहा…

लगभग डेढ़ मिनट तक हम लोग भूकम्प के हिचकोले खाते रहे. शरीर के रोंगटे खड़े हो गए थे....सब निपट गया, कोई नुकसान नहीं, सब ईश्वर का आशीर्वाद.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

कित्ता डरावना था ना वो पल...सब बीत गया.

शरद कोकास ने कहा…

टिप्पणी मे सिर्फ एक कविता


पृथ्वी शेषनाग पर सवार नहीं
नहीं जानते थे हम इससे पहले
क्या होता है रिक्टर स्केल

नहीं मालूम था हमे
चट्टानें भी करवट लेती हैं
धरती के भीतर

नहीं पता था हमें
नदियों के नीचे भी बहती हैं नदियाँ
चलती हैं फिरती हैं इठलाती हैं
सोई हुई परतों को हिलाती हैं

जो मालूम होती है वह बस
एक भयानक गड़्गड़ाहट जो दरारों से निकलकर आसमान तक पहुँचती है

एक अंतहीन चीख सदियों से चली आ रही
हमारी मान्यता ध्वस्त करती है
कि पृथ्वी शेषनाग पर सवार नहीं ।

- शरद कोकास