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गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक है दशहरा

दशहरा पर्व भारतीय संस्कृति में सबसे ज्यादा बेसब्री के साथ इंतजार किये जाने वाला त्यौहार है। दशहरा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के शब्द संयोजन "दश" व "हरा" से हुयी है, जिसका अर्थ भगवान राम द्वारा रावण के दस सिरों को काटने व तत्पश्चात रावण की मृत्यु रूप मंे राक्षस राज के आंतक की समाप्ति से है। यही कारण है कि इस दिन को विजयदशमी अर्थात अन्याय पर न्याय की विजय के रूप में भी मनाया जाता है। दशहरे से पूर्व हर वर्ष शारदीय नवरात्र के समय मातृरूपिणी देवी नवधान्य सहित पृथ्वी पर अवतरित होती हैं- क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी व सिद्धिदात्री रूप में मांँ दुर्गा की लगातार नौ दिनांे तक पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के अंतिम दिन भगवान राम ने चंडी पूजा के रूप में माँ दुर्गा की उपासना की थी और मांँ ने उन्हें युद्ध में विजय का आशीर्वाद दिया था। इसके अगले ही दिन दशमी को भगवान राम ने रावण का अंत कर उस पर विजय पायी, तभी से शारदीय नवरात्र के बाद दशमी को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है और आज भी प्रतीकात्मक रूप में रावण-पुतला का दहन कर अन्याय पर न्याय के विजय की उद्घोषणा की जाती हेै।

दशहरे की परम्परा भगवान राम द्वारा त्रेतायुग में रावण के वध से भले ही आरम्भ हुई हो, पर द्वापरयुग में महाभारत का प्रसिद्ध युद्ध भी इसी दिन आरम्भ हुआ था। पर विजयदशमी सिर्फ इस बात का प्रतीक नहीं है कि अन्याय पर न्याय अथवा बुराई पर अच्छाई की विजय हुई थी बल्कि यह बुराई में भी अच्छाई ढूँढ़ने का दिन होता है।

कृष्ण कुमार यादव

आप सभी को विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !!

12 टिप्‍पणियां:

Ram Avtar Yadav ने कहा…

ज्ञानवर्धक जानकारी है.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें।

Kailash Sharma ने कहा…

विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं !

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

कमाल है पापियों का सम्मान करने वाले भी यहाँ बसते हैं और उनका समर्थन करने वाले भी यहाँ धार्मिक ही कहलाते हैं .
इन्हें धर्म का कुछ पता होता तो ये ऐसा न करते .

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के प्राचीन धार्मिक कस्बा बैजनाथ में दशहरा के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि ऐसा करना दुर्भाग्य और भगवान शिव के कोप को आमंत्रित करना है। शिव के प्रति रावण की भक्ति से यहां के लोग इतने अभिभूत हैं कि वे रावण का पुतला जलाना नहीं चाहते।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

विजयादशमी पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं।

Pallavi saxena ने कहा…

आपको भी विजयदशमी कि हार्दिक शुभकामनयें

Unknown ने कहा…

भाई के.के. जी का जानकारी भरा शानदार आलेख..बधाइयाँ.

Unknown ने कहा…

भाई के.के. जी का जानकारी भरा शानदार आलेख..बधाइयाँ.

Shyama ने कहा…

विजयदशमी के बहाने महत्वपूर्ण आलेख. आज तो हर तरफ अन्याय का बोलबाला है.

S R Bharti ने कहा…

कृष्ण कुमार सर की लेखनी का कायल हूँ. विषय पर अद्भुत पकड़, सुन्दर प्रस्तुति, रोचक तथ्य...वाकई शानदार लेख लिखा है उन्होंने...बधाई.

S R Bharti ने कहा…

एक से बढ़कर एक जानकारी...हम तो इसका प्रिंट-आउट निकलकर आराम से पढेंगें.

मन-मयूर ने कहा…

सुन्दर शब्द-संयोजन, जानकारियों से परिपूर्ण..इस सुन्दर आलेख के लिए कृष्ण जी को बधाइयाँ.