पिछले दिनों आलमारी में रखा पुराना सामान उलट-पुलट रही थी कि नजर एक फाउण्टेन पेन पर पड़ी। वही फाउण्टेन पेन जो कभी अच्छी व स्टाइलिश राइटिंग का मानदण्ड थी। अब हम लोग भले ही डाॅट पेन या जेल पेन से लिखने लगे हों पर स्कूली दिनों में फाउण्टेन पेन ही हमारी राइटिंग की शान थी। परीक्षा में पेपर देते समय यदि पेपर या कापी में इंक गिर जाती थी तो मानते थे कि पेपर अच्छा होगा। होली का त्यौहार आते ही फाउण्टेन पेन का महत्व और भी बढ़ जाता था। एक-दूसरे की शर्ट पर इंक छिड़ककर होली मनाने का आनन्द ही कुछ और था। तब बाजार में उत्पादों की इतनी भरमार नहीं थी। जीनियस, किंगसन और इण्टर कम्पनी के पेन सर्वाधिक लोकप्रिय थे। जीनियस पेन का प्रयोग करने वाला इसके नाम के अनुरूप खुद को क्लास में सबसे जीनियस समझता था।
बीतते वक्त के साथ फाउण्टेन पेन अतीत की चीज बन गये पर अभी भी सरकारी सेवा से रिटायर्ड बुजुर्ग या बुजुर्ग बिजनेसमैन इसके प्रति काफी क्रेज रखते हैं। हमारे एक रिश्तेदार तो अपने पुराने फाउण्टेन पेन की निब के लिए पूरे शहर की दुकानें छान मारते हैं। आज मार्केट में चाइनीज फाउण्टेन पेन से लेकर महगे सिलवर और गोल्ड प्लेटेड फाउण्टेन पेन तक उपलब्ध हैं पर न तो उनकी डिमाण्ड रही और न ही वो क्रेज रहा। याद आती है स्कूल के दिनों में सुनी वो बात कि जब जज कोई कठोर फैसला लिखते तो फाउण्टेन पेन की निब तोड़ देते थे...पर अब तो सब किस्सों में ही रह गया।
-आकांक्षा यादव
बीतते वक्त के साथ फाउण्टेन पेन अतीत की चीज बन गये पर अभी भी सरकारी सेवा से रिटायर्ड बुजुर्ग या बुजुर्ग बिजनेसमैन इसके प्रति काफी क्रेज रखते हैं। हमारे एक रिश्तेदार तो अपने पुराने फाउण्टेन पेन की निब के लिए पूरे शहर की दुकानें छान मारते हैं। आज मार्केट में चाइनीज फाउण्टेन पेन से लेकर महगे सिलवर और गोल्ड प्लेटेड फाउण्टेन पेन तक उपलब्ध हैं पर न तो उनकी डिमाण्ड रही और न ही वो क्रेज रहा। याद आती है स्कूल के दिनों में सुनी वो बात कि जब जज कोई कठोर फैसला लिखते तो फाउण्टेन पेन की निब तोड़ देते थे...पर अब तो सब किस्सों में ही रह गया।
-आकांक्षा यादव
15 टिप्पणियां:
...बीते दिनों की सैर करा दी आपने.मैं तो जीनियस पेन का ही दीवाना था.
फाउण्टेन पेन की तो बात ही कुछ अलग थी.
फाउण्टेन पेन की बात सुनकर मुझे भी अपने स्कूल के दिन याद आ गये । दसवीं तक मैनें भी फाउण्टेन पेन का हीं प्रयोग किया था । अभी भी एक फाउण्टेन पेन अपने पास रखता हूँ । उपयोग कम हीं कर पाता हूँ ।
फाउंटेन पेन अतीत होता जा रहा है. आपने तो पुराने दिनो को याद करा दिया.
वाह....!
आपने तो हमें 50 वर्ष पुरानी स्मृतियाँ
ताजा करा दीं।
आभार!
कभी इसी पेन को खरीदने और इससे लिखने का होड़ था,बढ़िया प्रसंग..बधाई!!!
Hamne to apni shuruat hi Jel-pen se ki thi..par founten pen ke bare men sarthak jankari di apne.
मै भी फ़ाऊंटेन पेन ही इस्तेमाल करता था।अख़बार मे नौकरी की तो वंहा लिखने के लिये अख़बारी कागज़ मिलता था जिसपर फ़ाऊंटेन पेन की स्याही फ़ैल जाती थी।बस तब से जो छूटा फ़ाऊंटेन पेन तो आज याद आया है।बहुत बढिया पोस्ट्।
हां सच कहा आपने ..उन दिंनों इन्हीं पेनों की धूम हुआ करती थी...इसी बहाने सबको अपने बीते दिन याद आ रहे हैं...वाह....
भई मैं तो अभी भी फ़ांउटेन पेन इस्तेमाल करता हूं पर पर तभी जब ढंग से लिखना हो...वर्ना कलम घसीटी करनी हो तो फ़ांउटेन पेन के अलावा कुछ भी चला डालता हूं.
फाउण्टेन पेन तो मैं अभी भी इस्तेमाल करना चाहता हूँ, पर समस्या इंक व निब की है.
Interesting....
जजों द्वारा कलम की निब तोड़ने कि जो बात आपने लिखी है, सही है. आज के दौर में फाउण्टेन पेन से कौन लिखता है, पर इसकी यादें सबके जेहन में है.
लिखते-लिखते लव हो जाये....फाउण्टेन पेन के बारे में रोचक पोस्ट.
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