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शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

क्रान्तिकारियों के बलिदान का साक्षी: सेल्युलर जेल

इन दिनों अंडमान-निकोबार दीप समूह में हूँ. हमारे गेस्ट-हाउस के बगल में ही ऐतिहासिक सेलुलर जेल है तो सामने बंगाल की खाड़ी अपनी लहरों से लोगों को आकर्षित करती है. अंडमान को काला पानी कहा जाता रहा है तो इसके पीछे इस खाड़ी और जेल की ही भूमिका है. अंग्रेजों के दमन का यह एक काला अध्याय था, जिसके बारे में सोचकर अभी भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. कहते हैं कि अंडमान का नाम हनुमान जी के नाम पर पड़ा. पहले भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई इधर से ही करने की सोची पर बाद में यह विचार त्याग दिया. वीर सावरकर और अन्य क्रांतिकारियों को इसी सेलुलर जेल की काल-कोठरियों में कैद रखा गया और यातनाएं दी गईं. सेलुलर जेल अपनी शताब्दी मना चुका है पर इसके प्रांगन में रोज शाम को लाइट-साउंड प्रोग्राम उन दिनों की यादों को ताजा करता है, जब हमारे वीरों ने काला पानी की सजा काटते हुए भी देश-भक्ति का जज्बा नहीं छोड़ा. गन्दगी और सीलन के बीच समुद्री हवाएं और उस पर से अंग्रेजों के दनादन बरसते कोड़े मानव-शरीर को काट डालती थीं. पर इन सबके बीच से ही हमारी आजादी का जज्बा निकला. दूर दिल्ली या मेट्रो शहरों में वातानुकूलित कमरों में बैठकर हम आजादी के नाम पर कितने भी व्याख्यान दे डालें, पर बिना इस क्रांतिकारी धरती के दर्शन और यहाँ रहकर उन क्रांतिवीरों के दर्द को महसूस किये बिना हम आजादी का अर्थ नहीं समझ सकते !!

(सेलुलर जेल का निर्माण कार्य 1896 में आरम्भ हुआ तथा 10 साल बाद 10 मार्च 1906 को पूरा हुआ)




(सेलुलर जेल के नाम से प्रसिद्ध इस कारागार में 698 बैरक (सेल) तथा 7 खण्ड थे, जो सात दिशाओं में फैल कर पंखुडीदार फूल की आकृति का एहसास कराते थे। इसके मध्य में बुर्जयुक्त मीनार थी, और हर खण्ड में तीन मंजिलें थीं। इस दृश्य के माध्यम से इसे समझा जा सकता है)





(वीर सावरकर को इसी काल-कोठरी में बंदी रखा गया. यह काल-कोठरी सबसे किनारे और अन्य कोठरियों से ज्यादा सुरक्षित बने गई है. गौरतलब है कि सावरकर जी के एक भाई भी काला-पानी की यहाँ सजा काट रहे थे, पर तीन सालों तक उन्हें एक-दूसरे के बारे में पता तक नहीं चला. इससे समझा जा सकता है कि अंग्रेजों ने यहाँ क्रांतिकारियों को कितना एकाकी बनाकर रखा था.)









(शेष अगली पोस्ट में...अगली पोस्ट में काला-पानी की सजा पाए क्रांतिकारियों को यातना के दृश्य प्रस्तुत होंगें)

29 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Adbhut...khamosh..koi shabd nahin !!

Bhanwar Singh ने कहा…

खूबसूरत चित्रों को संजोया आपने. यह हमारी आजादी की विरासत हैं.

Unknown ने कहा…

सेलुलर जेल के बारे में काफी पढ़ा है, पर पहली बार इतने जीवंत चित्र देख रहा हूँ. आपका आभार. उन सभी क्रांतिकारियों को नमन.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

वीर सावरकर जी की काल-कोठरी देखकर रोंगटे खड़े हो गए. यह जेल अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतियों की बहादुरी की मिसाल है.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

वीर सावरकर जी की काल-कोठरी देखकर रोंगटे खड़े हो गए. यह जेल अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतियों की बहादुरी की मिसाल है.

Shyama ने कहा…

आप अंडमान में रहकर हम लोगों को वहाँ की दुर्लभ धरोहरों से परिचित करा रही हैं. इसके लिए आभार. सहेजने लायक चित्र हैं.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Mindblowing Pictures.

Shahroz ने कहा…

आपके साथ-साथ हमने भी सेलुलर जेल का भ्रमण कर लिया. सावरकर जी की बैरक देखना रोमांचकारी लगा. इन बलिदानियों की बदौलत ही हमें आजादी मिली. सभी का पुण्य स्मरण.

Shahroz ने कहा…

आपके साथ-साथ हमने भी सेलुलर जेल का भ्रमण कर लिया. सावरकर जी की बैरक देखना रोमांचकारी लगा. इन बलिदानियों की बदौलत ही हमें आजादी मिली. सभी का पुण्य स्मरण.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

मुझे लगता है कि हर भारतीय को कला-पानी कहे जानी वाली इस जगह का दर्शन अवश्य करना चाहिए. तभी हम आजादी की कीमत समझ सकेंगें. चित्रों के बहाने आपने हम सभी को दर्शन कराये..साधुवाद.

pratibha ने कहा…

सेल्युलर जेल की यात्रा करवाने के लिए धन्यवाद। हर चित्र अपनी अलग कहानी कहता है और इस बात का अहसास कराता है कि इतनी कीमती आजादी का हम किस प्रकार दुरुपयोग कर रहे है..सादर।

Anand Dev ने कहा…

"क्रान्तिकारियों के बलिदान का साक्षी: सेल्युलर जेल से परिचित कराने के लिए शुक्रिया। रोचक प्रस्तुति ।

निर्मला कपिला ने कहा…

अकाँक्शा जी आपकी पोस्ट सही मे बहुत ग्यानवर्द्धक है। हैरानी होती है अपने आज़ादी के परवानो पर कितने कश्ट सहे उन लोगों ने और हम उस आज़ादी को किस तरह दुरुपयोग कर रहे हैं बहुत अच्छी पोस्ट है अगली पोस्ट का बेसब्री से इन्तज़ार रहेगा। धन्यवाद शत शत नमन उन शहीदोंको। धन्यवाद्

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

चित्रमय प्रस्तुति बहुत बेहतरीन है ,बधाई स्वीकार करें.

Prem Farukhabadi ने कहा…

aapki post sachmuch gyanvardhak evam sarahneey hai. Meri or se dil se badhai!!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अंडमान जेल का ज़िक्र आए और वीर सावरकर का नाम न हो तो अधूरी दास्तान होगी .... आपने सही कहा देश के इतिहास में इस जगह का अपना अलग महत्व है ........

Urmi ने कहा…

सुन्दर चित्रों के साथ आपने शानदार रूप से प्रस्तुत किया है! बहुत ही बढ़िया और ज्ञानवर्धक पोस्ट!

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

man prasanna hai dekhkar itana sundar lekh.andman bhi kush hua bhabhiji ko dekh.

Udan Tashtari ने कहा…

अब आप लोग वहाँ पहुँच गये..अगली भारत यात्रा में अंडमान का कार्यक्रम बनाया जायेगा.

राकेश 'सोहम' ने कहा…

मेरे ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति से आपके ब्लॉग की जानकारी हुई, आकांक्षा जी. कृपया मेरे ताज़ा व्यंग्य 'सुखिया सब संसार, खावे और सोवे' के लिए 'जागरण सखी फरवरी २०१०' देखें.
क्रांतिकारियों के बलिदान की साक्षी सेलुलर जेल की सचित्र प्रस्तुति बखूबी दी इसके लिए धन्यवाद. पिछले एक माह से दिल्ली में था सो आपकी प्रतिक्रिया से रु-बा-रु न हो सका, क्षमा .

शरद कुमार ने कहा…

Sir,
इन बलिदानियों की बदौलत ही हमें आजादी मिली.चित्रों के बहाने आपने हम सभी को दर्शन कराये. सेल्युलर जेल एवं काल कोठरी देखकर मन बहुत रोमांचित हुआ.-----------

Urmi ने कहा…

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!

इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति है.

Akanksha Yadav ने कहा…

Ap Sabhi ke comments ke liye abhar..Yun hi har post par Hausla-afzai karte rahen !!

Akanksha Yadav ने कहा…

@ Udan Tashtri,

..Awashya Samir ji, Apka swagat hai .

संजय भास्‍कर ने कहा…

क्रान्तिकारियों के बलिदान का साक्षी: सेल्युलर जेल से परिचित कराने के लिए शुक्रिया। रोचक प्रस्तुति ।

KK Yadav ने कहा…

हमने भी आपके साथ सेलुलर जेल की यात्रा की, पर आपने इससे लोगों को रु-ब-रु कराकर बाजी मार ली.

Akanksha Yadav ने कहा…

@ KK Yadav

बढ़िया ही है न.

Akanksha Yadav ने कहा…

आप सभी को सेलुलर जेल की यात्रा पसंद आई, देखकर अच्छा लगा. आपकी टिप्पणियाँ इसकी गवाह हैं. अंडमान-निकोबार से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं से भी परिचित करने का प्रयास करूँगीं. अपना सहयोग व स्नेह बनाये रखें !!