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मंगलवार, 21 सितंबर 2010

आजमगढ़ का लालगंज और चुलबुल पाण्डेय की दबंगई

उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल बेल्ट काफी दबंग माना जाता है. तमाम हिंदी-फिल्मों की थीम यहाँ के इर्द-गिर्द घूमती हैं. आजकल सलमान खान की ‘दबंग‘ फिल्म चर्चा में है और उसके केंद्र में इसी बेल्ट के आजमगढ़ जिले के लालगंज क्षेत्र की कहानी है. एक तरफ जहाँ फिल्मों का स्वरूप बदलने लगा है वहीं दबंग अभी भी इस भोजपुरी बेल्ट को समेटे हुए है। वैसे भी भोजपुरी इलाके का तड़का फिल्मों को मशहूर कर देता है। याद कीजिए शिल्पा शेट्टी का - आई हूँ यू-पी-बिहार लूटने। यू-पी-बिहार के भैया लोग तो देश के कोने-कोने में भरे हुए हैं। विदेशों में भी उनकी भारी तादात है। उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ तो अपनी इन्हीं अदाओं के कारण दुनिया भर में मशहूर है। कभी राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध‘, शिब्ली नोमानी व कैफी आजमी के नाम से पहचाना जाने वाला आजमगढ़ पिछले कई सालों से आतंकवाद के चलते चर्चा में रहा है. इसकी सच्चाई क्या है, यह एक व्यापक बहस का विषय हो सकता है पर मीडिया ने फ़िलहाल इसे इसे रूप में प्रचारित किया है.

आजमगढ़ से जुडी एक दिलचस्प दास्तां पर गौर कीजिए-कुछ साल पहले नेपाल में एक शूटर को मार गिराया गया। उस शूटर के पास से एक देशी कट्टा बरामद हुआ, जिस पर लिखा था ‘मेड इन बम्हौर‘। नेपाल पुलिस को ‘बम्हौर‘ नामक देश ढूँढने में पसीने छूट गए। फिर अंडरवर्ल्ड से जुड़े एक शख्स से उन्हें जानकारी मिली कि बम्हौर किसी देश का नहीं बल्कि उ0 प्र0 में आजमगढ़ के एक गाँव का नाम है जहाँ गन्ने के खेतों के बीच बकायदा देशी कट्टे बनाए जाते हैं और इनका निशाना अचूक होता है। यह सुनकर तो नेपाल पुलिस का माथा भी चकरा गया। आजमगढ़ को आतंक का पर्याय बनाने में मीडिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी . यहाँ का संजरपुर गाँव चर्चा में बना रहा. बड़े-बड़े नेता जाकर वहाँ राजनीति की रोटियाँ सेंक आए। अब इसमें आजमगढ़ का क्या दोष है कि अबू सलेम भी आजमगढ़ का बाशिंदा है और लोगों की मानें तो दाउद इब्राहिम का ननिहाल भी यहीं है। महाराष्ट्र के चर्चित सपा नेता अबू आसिमी, जिन पर विधानसभा में थप्पड़ तक उठाया गया, मूलतः आजमगढ़ के ही हैं। दुर्भाग्यवश नकारात्मक चीजें जल्दी चर्चा में आती हैं.

‘दबंग‘ फिल्म में सलमान खान जिस उ0 प्र0 के लालगंज नामक इलाके के दुस्साहसी पुलिस इंस्पेक्टर बने हैं, वह भी आजमगढ़ में ही है। याद कीजिए कभी ममता बनर्जी ने संसद में लोकसभा सदस्य तूफानी सरोज की कालर पकड़ ली थी, तब वे लालगंज से ही सांसद थे। उ0 प्र0 विधानसभा के अध्यक्ष सुखदेव राजभर भी लालगंज के ही प्रतिनिधि हैं। लालगंज की महिमा अभी भी समझ में नहीं आई तो हाई-प्रोफाइल नेता नेता अमर सिंह भी लालगंज से ही हैं। यूँ ही अभिनव कश्यप ने ‘लालगंज‘ इलाके को नहीं चुना है। एक तो आजमगढ़ इधर नकारात्मक रूप में काफी चर्चित रहा है और लालगंज भी चर्चित क्षेत्र है. यह आजमगढ़-बनारस रोड पर स्थित है. चूँकि यह जिस बेल्ट में है, वहां दबंगई भी मिलेगी, भ्रष्ट लोग भी मिलेंगें, भोजपुरी पुट भी मिलेगा, ‘मुन्नी‘ भी मिलेगी और ‘झंडु बाम‘ भी...यानि एक फिल्म के लिए पूरा मसाला. क्या पता कल को सलमान खान किसी के चुनाव में यहाँ प्रचार करने आयें और लालगंज में चुलबुल पांडे की दबंगई से सचमुच उनकी मुलाकात हो जाये !!

26 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

फिल्म कि बढ़िया समीक्षा की है ..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वाह रे, आजमगढ़।

शरद कोकास ने कहा…

यह तो तय हो गया कि सलमान अगले चुनाव मे वहाँ जायेंगे ।

KK Yadav ने कहा…

कुछ ऐसा ही है आजमगढ़., पर आजमगढ़. को बदनाम ज्यादा किया गया है. अमर सिंह भी तो लालगंज के हैं, कहीं उनके कहने पर ही तो सलमान खान ने लालगंज क्षेत्र को नहीं डाला है.

Unknown ने कहा…

बड़ा सटीक विश्लेषण किया आकांक्षा जी. आजमगढ़ वाकई इन दिनों चर्चा में है. सलमान खान दबंग में लालगंज के पुलिस इन्स्पेक्टर जरुर बने हैं, पर शायद उन्हें भी इस इलाके के बारे में जानकारी ना हो. लालगंज से जुडी इतनी चीजें अपने सामने रख दिन, हम भी विस्मित हैं...रोचक व लाजवाब पोस्ट के लिए साधुवाद स्वीकारें.

Unknown ने कहा…

बड़ा सटीक विश्लेषण किया आकांक्षा जी. आजमगढ़ वाकई इन दिनों चर्चा में है. सलमान खान दबंग में लालगंज के पुलिस इन्स्पेक्टर जरुर बने हैं, पर शायद उन्हें भी इस इलाके के बारे में जानकारी ना हो. लालगंज से जुडी इतनी चीजें अपने सामने रख दिन, हम भी विस्मित हैं...रोचक व लाजवाब पोस्ट के लिए साधुवाद स्वीकारें.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

आजमगढ़ तो हमारा गृह नगर है. पिछले कुछेक सालों से यह संवेदनशील जरुर हो गया है पर अभी भी यहाँ तमाम अच्छी बातें हो रही हैं. अच्छाई-बुराई हर सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों शाश्वत हैं...

Shahroz ने कहा…

आपने तो बैठे-बैठे पूरे परिवेश से ही रु-ब-रु करा दिया...सुन्दर विश्लेषण.

Shahroz ने कहा…

फ़िलहाल मुझे भी यह फिल्म देखनी है..

Sunil Kumar ने कहा…

सुन्दर विश्लेषण.आकांक्षा जी

Ashish (Ashu) ने कहा…

आजमगढ़, मुझे तो यह शहर पसन्द है| आज हर आदमी अपने को दबंग समझता है छोटी-2 बात पर लड़ने को तैयार रहते है| केवल अपनी बात मनवाने की जिद.......

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

आजमगढ़ के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी पढ़ कर अच्छा लगा ....आपने ठीक ही लिखा है कि मीडिया ने सिर्फ इसके नकारात्मक रूप को ही अधिक स्थान दिया

Amit Kumar Yadav ने कहा…

हमारे आजमगढ़ के बारे में बड़ी अच्छी जानकारी मिली. हमें तो पता ही नहीं था कि चुलबुल इसी लालगंज के इन्स्पेक्टर बने हैं...शानदार पोस्ट..साधुवाद.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

दबंग देख कर आएंगे, फिर मजा आयेगा.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

Er. SHAILENDRA: (On Orkut)

akannksha ji mane abhi aapka lakh pada hai dabang movie par.
wah ji wah kya khoob likhti ho aap
maja aa gaya pad kar.aapne chhoti si writing mein puri movie samate di even jandu baam... i liked that
but mera manna ye hai ki kuch place negative hote hain but ham log talk of town bana kar unhein jyada famous kar dete hain like lalganj.

thanks with regards
Shailendra Verma

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

main bhi lalgang ka hun badhai is lekh ke liye

Bhanwar Singh ने कहा…

आजमगढ़ के यदुवंशी भी तो काफी दबंग होते हैं. आपकी लेखनी प्रभावित करती है.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

lalganj ki dabangai kuchh badhiya hi aapne pesh kiya.............ye to film ki samikshha ke badle ajamgardh ki samikshha ho gayee..:)

raghav ने कहा…

आजमगढ़ की महिमा अपरम्पार...

editor : guftgu ने कहा…

मुझे लगता है मिडिया ने आजमगढ़ को बदनाम ज्यादा कर दिया...

editor : guftgu ने कहा…

गुफ्तगू में प्रकाशनार्थ आपकी कविताओं का स्वागत है.

Shyama ने कहा…

आप तो आजमगढ़ की नस-नस से वाकिफ हैं...जबरदस्त विश्लेषण.

शरद कुमार ने कहा…

बड़े अलग अंदाज में लिखी पोस्ट....काफी पसंद आई.

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

मैं आपके इस व्लाग के माघ्यम से कहना चाहता हूं कि कुछ नकारत्मक घटनायें लेकर मीडिया ने आजमगढ़ को बदनाम ज्यादा कर दिया........वरना कोई वहां आकर देखे शिक्षा व विकास के मामले में कहीं भी वह पीछे नही है. मैं भी आजमगढ़ से आता हूं . मेरे करीब 30 घ्रर वाले एक छोटे से गांव 2 पी सी एस, 1 प्रवक्ता ,1 टी जी टी टीचर,6 प्राइमरी टीचर व 1 फौजी है इस समय. ज्यादातर आजमगढ़ बिल्कुज शांत व अमन पसंद है तथा इन सब बातों से कहीं भी तालुक्य नहीं रखता. जब देश के कई हिस्से में दंगे हो रहे थे तब भी यहां अमन कायम था. अगर आजमगढ,उत्तर प्रदेश को 2 मुख्यमंत्री चंद्रजीत यादव तथा रामनरेश यादव व कल्पनाथ राय ,पंचानन राय ,अमर सिंह सरीखे रसूक वाले नेता देने के बाद भी वह कहीं पिछडा है तो इनमें इन नेता लोगों का दोष ज्यादा है..

Akanksha Yadav ने कहा…

@ Upendra ji,

कुछ नकारत्मक घटनायें लेकर मीडिया ने आजमगढ़ को बदनाम ज्यादा कर दिया..Agree.

Akanksha Yadav ने कहा…

धन्यवाद...आप सभी ने इस पोस्ट के बहाने विमर्श को बढाया ...आभार.