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गुरुवार, 6 जनवरी 2011

‘अहसास’ हूँ मैं

आज 'शब्द-शिखर' पर प्रस्तुत है सुमन मीत जी की एक कविता. मीत, अंतर्जाल पर बावरा मन के माध्यम से सक्रिय हैं।










एक अबोध शिशु

माँ के आँचल में

लेता है जब

गहरी नींद

माँ उसको

अपलक निहारती

बलाऐं लेती

महसूस है करती

अपने ममत्व को

वो आगाज़ हूँ मैं .........


विरह में निष्प्राण तन

लौट है आता

चौराहे के छोर से

लिये साथ

अतीत की परछाई

भविष्य की रुसवाई

पथरीली आँखों में

सिवाय तड़प के

कुछ नहीं

वो टूटन हूँ मैं ...........


कोमल हृदय में

देते हैं जब दस्तक

अनकहे शब्द

उलझे विचार

मानसपटल पर

करके द्वन्द

जो उतरता है

लेखनी से पट पर

वो जज़्बात हूँ मैं .........


थकी बूढ़ी आँखें

जीवन की कड़वाहट का

बोझ लिए

सारी रात खंगालती हैं

निद्रा के आशियाने को

या फिर

बाट जोहती हैं

अपने अगले पड़ाव का

वो अभिप्राय हूँ मैं ...........


वो आगाज़ में पनपा

टूटन में बिखरा

जज़्बात में डूबा

अभिप्राय में जन्मा

‘अहसास’ हूँ मैं !!

सुमन ‘मीत’

13 टिप्‍पणियां:

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

bahut sundar rachna,

badhai

Ram Avtar Yadav ने कहा…

achchhi kavita

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति... प्यारे से एहसास के साथ सुंदर कविता.

माधव( Madhav) ने कहा…

bahut achchaa

Bharat Bhushan ने कहा…

'थकी बूढ़ी आँखें
जीवन की कड़वाहट का
बोझ लिए
सारी रात खंगालती हैं
निद्रा के आशियाने को'

कविता बहुत अच्छी लगी.

shikha varshney ने कहा…

सुन्दर अहसास सुन्दर कविता.

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

बेहतरीन रचना.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

सुन्दर सी कविता और प्यारा सा चित्र भी...अच्छा लगा.

ashish ने कहा…

सुन्दर भाव और शब्दों में पगी रचना .आभार

सुनील गज्जाणी ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति, प्यारे से एहसास के साथ सुंदर कविता.साधुवाद , नव वर्ष कि हार्दिक बधाई
सादर !

Akanksha Yadav ने कहा…

खूबसूरत अभिव्यक्तियाँ..सुमन मीत जी को बधाई.

Akanksha Yadav ने कहा…

आप सभी लोगों को सुमन मीत जी के कविता की प्रस्तुति पसंद आई...आभार !!

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

Aakanksha ji....deri se aane ke liye mafi chahti hun .Aapka bahut bahut dhanyavaad meri kavita prakaashit karne ke liye aur paathko ki shukrgujar hun ki unhe meri rachna pasand aai...