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रविवार, 13 मई 2012

मातृत्व का अहसास

आज मदर्स डे है. कहते हैं भगवान ने अपनी कमी पूरी करने के लिए इस धरा पर माँ को भेजा. मेरी माँ ने मेरे लिए बहुत कुछ किया. आज भी जब कभी उलझन में होती हूँ तो माँ से बात करके जो आश्वस्ति मिलती है, वह कहीं नहीं. माँ का रिश्ता दुनिया का सबसे स्नेहिल रिश्ता है. अब तो खुद एक माँ हूँ. भला इस रिश्ते की अहमियत को कौन नहीं जानता. अक्षिता (पाखी) के जन्म से पहले एक छोटी सी कविता लिखी थी, आज मदर्स-दे पर आप सभी के साथ शेयर कर रही हूँ-

उसके आने के अहसास से
सिहर उठती हूँ
अपने अंश का
एक नए रूप में प्रादुर्भाव
पता नहीं क्या-क्या सोच
पुलकित हो उठती हूँ
उसकी हर हलचल
भर देती है उमंग मुझमें
बुनने लगी हूँ अभी से
उसकी जिन्दगी का ताना-बाना
शायद मातृत्व का अहसास है।


- आकांक्षा यादव

8 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मातृत्व निश्चय ही एक अद्भुत अनुभव होगा..

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - माँ दिवस विशेषांक - ब्लॉग बुलेटिन

एस एम् मासूम ने कहा…

एक सामायिक और अच्छी पोस्ट

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.

अगर दुनिया मां नहीं होती तो हम किसी की दया पर
या
किसी की एक अनाथालय में होते !

संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी

आपको मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

India Darpan ने कहा…

सचमुच माँ हमेँ ईश्वर की सर्वोत्तम देन है।
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


इंडिया दर्पण
की ओर से मातृदिवस की शुभकामनाएँ।

Unknown ने कहा…

भर देती है उमंग मुझमें
बुनने लगी हूँ अभी से
उसकी जिन्दगी का ताना-बाना
शायद मातृत्व का अहसास है। ..Behatrin !!

Shyama ने कहा…

Khubsurat ahsas.

S R Bharti ने कहा…

अपने अंश का
एक नए रूप में प्रादुर्भाव
पता नहीं क्या-क्या सोच
पुलकित हो उठती हूँ

...अहसास को सुन्दर शब्दों में पिरोया आपने..कोटिश: बधाई.